18-11-2010, 08:28 PM | #1 |
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~||गुस्ताखी माफ||~
दोस्तों एक बार फिर हाजिर हू एक नए तकनीक के साथ और मजे से भरपूर साथ में ज्ञान बर्धक भी तो आये मजा ले उन अनछुए पल का जिसे आज के नेता लोग नेटा की तरह बहा रहे है ! Last edited by ABHAY; 18-11-2010 at 08:31 PM. |
18-11-2010, 08:52 PM | #3 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
आज कल इस देश मे अनैतिक क्या क्या नहीं हो रहा है? कही बेरोजगारों के बीच रोजगार बिक रहा रहा है, तो कही भूखो को बाटी जाने वाली रोटी बिक रही है. सरकार बहुत खुस है कि वह लाखो को मनरेगा के तहत साल के कुछ दिनों की रोजगार दे रही है. लेकिन उसमे भी एक हाथ से लो तो दूसरे हाथ से आधा दो वाला हिसाब किताब है. भाई सरकारी पैसा, सरकारी बाबू और पंचायत के लोग तो यही सोच कर बाटते है, कि यह तो मुफ्त में मै बाट रहा हूँ. जनता भी सोचती है , चलो जो मिल जाये वही इस बेरोजगारी में क्या कम है? आखीर दुनिया के सबसे बड़े लोक तंत्र में कुछ तो स्पेशल है. लोगो की भ्रस्टाचार के प्रति आदरभाव और सहन शीलता का उदाहरण हिंदुस्तान से भला और किस मुल्क में मिल सकता है? बिना कुछ खिलाये पिलाये किसी आफिस से आप अपना काम निकलवा सके तो आप अपना परम सौभाग्य समझिये. जैसे हिंदुस्तान में मंदिरों में बिना चढ़ावे के देवता प्रसन्न नहीं होते , ठीक उसी तरह बिना खिलाये -पिलाये या बिना चढ़ावे के यहाँ किसी सरकारी मंदिर ( यानी सरकारी संस्था) में कोई काम हो ही नहीं सकता. उसी पर कुछ पंक्तियाँ लिख रहा हूँ….
गजब की महगाई में ,रोटी दाल खटाई में पेट तो भरे नहीं , जवानी ढल चली चटाई पे स्कूल हो - राशन की दूकान हो, है जेब अगर हलकी तो जैसे आदमी शर्म सार बेजुबान हो अस्पताल के वार्ड में या मेडिकल के दुकान पे सड़क पे - स्मशान पे हर जगह लगी है भीड़ , और आदमी पूछता अपने पैसा भगवान से कभी तो गरीब नवाज बन हमको भी तृप्त कर दो जिन्दा था तो तुम गुम थे, मरने पे साथ दे दो. कब तक तुम्हारी आस लेकर रोकर के जीता रहूँगा अच्छा हो न आ सको तो मौत से ही फरियाद कर दो. |
18-11-2010, 09:52 PM | #4 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
ॐ जय महगाई माता॥ ॐ जय महगाई माता॥ ॐ जय महगाई माता॥ बीस रुपिया के.जी आटा बिक जाता... ॐ जय महगाई माता॥ तुम गरीबो को भूखे पेट सुलाती॥ उनकी दशा देख तू मनही मन मुस्काती॥ तुम बेईमानो की अम्मा उन्ही की भाग्य विधाता॥ ॐ जय महगाई माता॥ तुम आंसू देने वाली हम हंस के पी जाते॥ धुप छआव में चल कर जीवन जी जाते ॥ बच्चे भूखे रोते तुम्हे दया नहीं आटा॥ ॐ जय महगाई माता॥ सुविधा से रहे वंचित घुट घुट कर जिए॥ दूध की जगह पानी नदिया वाला पिए॥ तेरी गति की पहिया शायद अब रूक जाता॥ ॐ जय महगाई माता॥ |
18-11-2010, 09:54 PM | #5 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
पहले मुट्ठी में पैसे लेकर जाते थे,
और थैले में शक्कर लाते थे, अब थैले में पैसे जाते हैं, और मुट्ठी में शक्कर आती हैं |
18-11-2010, 10:06 PM | #6 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
भैया हमरे डी.एम बाटे॥ भैया हमरे डी.एम बाटे॥ बीच सड़क दौड़ा दूगी॥ जौ बीच बजरिया अकडो गे॥ सूली पे चढवा दूगी॥ जब मै चलती रुक जाती है॥ सैट सहेलियों की टोली॥ मै रुकती जब खुद रुक जाती॥ सात रंगों से रंगी घोड़ी॥ अगर अब पीछे मेरे पड़ोगे॥ चक्की में पिसवा दूगी॥ बीच बजरिया अकडो गे॥ सूली पे चढवा दूगी॥ मै हंसती तो मोती झरते॥ हर संभव प्रयास के॥ तेरी तो साड़ी चलन बुरी है॥ नियत तो लगती पाप के॥ देखना मेरा सपना छोड़ दे॥ नहीं सरे आम मरवा दूगी॥ बीच बजरिया अकडो गे॥ सूली पे चढवा दूगी॥ मेरे पापा की तूती बोले॥ हाथ इलाका जोड़े॥ प्रधानिं मेरी मम्मी जी है,, जिधर चाहे उधर मोड़े॥ सभी सभ्यता प्रशंसक बन जा॥ नहीं दंड बैठक करवा दूगी॥ अगर यही हाल रहा पुरे भारत का तो एक दिन सिर्फ पुलिस वाले का ही राज्ज होगा !
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19-11-2010, 09:57 AM | #8 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
बहुत अच्छे अभय जी
आप कृप्या ज्यादा से ज्यादा पोस्ट करेँ धन्यवाद |
19-11-2010, 10:01 AM | #9 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
ज्यादा से ज्यादा पोस्ट करने में सोचना पड़ता है मित्र
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19-11-2010, 01:19 PM | #10 |
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Re: ~||गुस्ताखी माफ||~
मित्रों क्या आपको पता है की आज पुरे संसार में सबसे जयादा भ्रस्टाचार हमारे भारत में है और कही नहीं यहाँ पे सब कानून है मगर उसके उलटे कानून नहीं है यानि अगर किसी लड़की को कोई छेरता है तो वो कानून और कोई लड़की लड़के को छेरता है तो कुछ भी नहीं अभी का जमाना उल्टा है आज लड़के लड़की को नहीं वल्कि लड़की लड़के को छेरते है !
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