15-02-2020, 01:22 PM | #1 |
Diligent Member
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गीत- ...नील गाय खा जाती है
■■■■■■■■■■■■■■■■■■ खेतों की रखवाली करते नींद हमें कब आती है? पर जो भी फसलें बोते हम नील गाय खा जाती है। रोज पसीना खूब बहाते रूखी-सूखी खाते हम, संकट आते रहते लेकिन बिल्कुल ना घबराते हम। उम्मीदों के साथ जुताई और बुवाई करते हैं, पौधे लंबे होकर सारे कष्ट हमारे हरते हैं। पौधे जब लहराते तो यह चौड़ी होती छाती है- पर जो भी फसलें बोते हम नील गाय खा जाती है। टूटा-फूटा घर है अपना घर वाले बीमार रहें, बच्चों की शिक्षा है चौपट हम कितने लाचार रहें। खेती से कुछ आ जाता तो कपड़े-लत्ते आ जाते, मुखिया की हम जिम्मेदारी थोड़ी बहुत निभा जाते। साथ हमारे पत्नी भी अब कितना जोर लगाती है- पर जो भी फसलें बोते हम नील गाय खा जाती है। कर्जा लेकर खाद बीज हम खेतों तक पहुँचाते हैं, जीवन भर कर्जे के नीचे दबे हुए रह जाते हैं। भिंडी, गोभी, गाजर, मूली, गेंहूँ, मक्का बोते हैं, पशुओं से रक्षा करने को खेतों में ही सोते हैं। जीवन अपना मिट्टी है यह मिट्टी अपनी थाती है- पर जो भी फसलें बोते हम नील गाय खा जाती है। गीत- आकाश महेशपुरी दिनांक- 12/02/2020 ■■■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो. 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 15-02-2020 at 04:24 PM. |
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