01-06-2014, 12:00 PM | #1 |
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भोजपुरी कविता- एतनो मति बनऽ तूँ भोला...
॰॰॰ चढ़े कपारे अगर गरीबी दुख पहुचावे पहिले बीबी पटिदारन के खूब टिभोली ऊपर से मेहरी के बोली राशन-पानी के परसानी याद करावे नाना-नानी पाँव उघारे देहीँ दामा फाटल पायट, चीटल जामा अइसे मेँ मड़ई जब टूटे मनई बसवारी मेँ जूटे बाँस खोजाला सीधा सबसे सीधा के जग लूटे कबसे सीधा होखे चाहे भोला रोज रिगावे सँउसे टोला गारी दे केहू हुमचउवा बाड़ऽ बड़ी दुधारू चउवा लोगवा दूही गरबो करी बात बात मेँ मरबो करी बिना जियाने पकड़ी लोला येतनो मति बनऽ तूँ भोला सीधा के तऽ लोगवा कही गाई-बैल हऽ सबकुछ सही कि केहू कही क्रेक हवे ई बुद्धी के तऽ ब्रेक हवे ई नट बोल्ट ढीला बा एकर गदहा असली हउवे थेथर मीलल जब बुद्धी के कोटा एकरा बेरी परल टोटा कि पावल सभे भर भर बोरा ये के मीलल एक कटोरा बुद्धी के बैरी ई हउवे ये से तऽ नीमन बा कउवे कि झुठको बतिया बुझबऽ सही तहरा के लोग भादो कही फायदा सभे उठावल करी जीअहूँ दी ना एको घरी मीठ-मीठ तहसे बतिया के चाहे लाते से लतिया के कोड़ी कहियो तहरे कोला एतनो मति बनऽ तूँ भोला अपना के छोटा मति जानऽ भाई खुद के तूँ पहिचानऽ ई दुनिया बा बड़ा कसाई कमजोरे प लोगवा धाई तहरा पर जे आँख उठाई ओ से तूँ डरिहऽ मति भाई बनि जइहऽ तूँ धधकत शोला भाई मति बनिहऽ तूँ भोला रचना- आकाश महेशपुरी Aakash maheshpuri ॰॰॰ पता- वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश 09919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 01-06-2014 at 12:06 PM. |
03-06-2014, 10:11 PM | #2 |
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Re: भोजपुरी कविता- एतनो मति बनऽ तूँ भोला...
ज़माने का मुकाबला करना है तो वक़्त के साथ बदलना जरूरी है. बहुत सुन्दर.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
05-06-2014, 07:11 PM | #3 |
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Re: भोजपुरी कविता- एतनो मति बनऽ तूँ भोला...
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09-03-2020, 06:09 PM | #4 |
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Re: भोजपुरी कविता- एतनो मति बनऽ तूँ भोला...
(आंशिक परिवर्तन के बाद)
एतनो मति बनऽ तूँ भोला ॰॰॰ चढ़े कपारे अगर गरीबी दुख पहुँचावे पहिले बीबी गाँव-नगर के खूब टिभोली ऊपर से मेहरी के बोली राशन-पानी के परसानी याद करावे नाना-नानी पाँव उघारे देहीँ दामा फाटल चीटल पायट जामा अइसे मेँ मड़ई जब टूटे मनई बसवारी मेँ जूटे बाँस खोजाला सीधा सबसे सीधा के जग लूटे कबसे सीधा होखे चाहे भोला रोज रिगावे सँउसे टोला गारी दे केहू हुमचउवा बाड़ऽ बड़ी दुधारू चउवा लोगवा दूही गरबो करी बात बात मेँ मरबो करी बिना जियाने पकड़ी लोला येतनो मति बनऽ तूँ भोला सीधा के तऽ लोगवा कही गाई-बैल हऽ सबकुछ सही कि केहू कही क्रेक हवे ई बुद्धी के तऽ ब्रेक हवे ई नट बोल्ट ढीला बा एकर गदहा असली हउवे थेथर मीलल जब बुद्धी के कोटा एकरा बेरी परल टोटा कि पावल सभे भर भर बोरा ये के मीलल एक कटोरा बुद्धी के बैरी ई हउवे ये से तऽ नीमन बा कउवे कि झुठको बतिया बुझबऽ सही तहरा के लोग भादो कही फायदा सभे उठावल करी जीअहूँ दी ना एको घरी मीठ-मीठ तहसे बतिया के चाहे लाते से लतिया के कोड़ी कहियो तहरे कोला एतनो मति बनऽ तूँ भोला अपना के छोटा मति जानऽ भाई खुद के तूँ पहिचानऽ ई दुनिया बा बड़ा कसाई कमजोरे प लोगवा धाई तहरा पर जे आँख उठाई ओ से तूँ डरिहऽ मति भाई बनि जइहऽ तूँ धधकत शोला भाई मति बनिहऽ तूँ भोला रचना- आकाश महेशपुरी Aakash maheshpuri ॰॰॰ पता- वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश 09919080399 |
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