11-03-2020, 05:01 AM | #1 |
Diligent Member
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ग़ज़ल- ये जरूरी बहुत...
■■■■■■■■■■■ ये जरूरी बहुत वादियों के लिए छोड़ दो फूलों को तितलियों के लिए पेड़ की ही वजह से हैं सांसे तेरी यूँ न काटो इसे मस्तियों के लिए जल को दूषित बनाने से पहले सुनो सोच लो तुम जरा बाकियों के लिए बजबजाती नदी और काला धुँआ छोड़ जाओगे क्या पीढ़ियों के लिए गर्म "आकाश" यूँ ही जो होगी धरा आग बन जायेगी प्राणियों के लिए ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 10/03/2020 ■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो. 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 11-03-2020 at 06:20 PM. |
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