20-03-2020, 09:57 AM | #1 |
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मजहब और अस्पताल
■■■■■■■■■ अस्पताल हैं हमें बचाते, मजहब करता है बटवारा। धर्म अनेकों हैं दुनिया में, ईश्वर के भी नाम कई हैं। जगह जगह पूजालय लाखों, इस धरती पर धाम कई हैं। इतने सारे देश बनें हैं, इसी धरम के कारण भाई। धर्मों के ही कारण होती, मनुज मनुज में रोज़ लड़ाई। ईश्वर ने दुख दूर किया कब? लोगों ने तो बहुत पुकारा- अस्पताल हैं हमें बचाते, मजहब करता है बटवारा। प्यार करो तुम इक-दूजे से, भाई गुण की खान बनो तुम। हिन्दू-मुस्लिम-सिक्ख-इसाई से पहले इंसान बनो तुम। रहते यदि हम ईश भरोसे, जीना भी आसान न होता। मर जाते सब बीमारी से, खड़ा अगर विज्ञान न होता। कहने को तो हैं गिरजाघर, मंदिर-मस्जिद औ गुरुद्वारा- अस्पताल हैं हमें बचाते, मजहब करता है बटवारा। रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- 19/03/2020 ■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरनाथ जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश मो. 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 20-03-2020 at 05:47 PM. |
27-03-2020, 08:59 AM | #2 |
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Re: ईश्वर और अस्पताल
धर्म के नाम पर होने वाले विवादों तथा झगड़ों से हुए नुकसान की भरपाई अच्छे अस्पताल बना कर ही की जा सकती है अन्यथा कोविड 19 जैसी बीमारियाँ मनुष्य जाति का सर्वनाश करती रहेंगी. उद्देश्यपूर्ण रचना.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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