07-05-2020, 07:19 AM | #1 |
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कविता- खुली हुई है मधुशाला
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ कोरोना के डर से सारे बंद पड़े हैं विद्यालय, मिल-जुल कर मरने की शिक्षा देते अब तो मदिरालय। नहीं किताबें मिल पाएंगी, लगा दुकानों पर ताला, पर नाले गुलजार हुए हैं, खुली हुई है मधुशाला। जो बच्चे पढ़ने जाते वह अब झगड़े सुलझाएंगे, युद्ध भयानक होगा जब भी पापा पी कर आएंगे। पीने वाले पी पी कर जब सड़कों पर गिर जाएंगे, क्या तब ही यह देश उठेगा? शिक्षक वेतन पाएंगे! रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- 06/05/2020 ■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो. न.- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 07-05-2020 at 10:26 AM. |
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