18-02-2015, 07:29 PM | #1 |
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गधा माँगे इन्साफ़
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18-02-2015, 07:31 PM | #2 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
हमेशा की तरह देवराज इन्द्र के दरबार में सुन्दर-सुन्दर अप्सराओं के साथ देवलोक की प्रमुख नर्तकियाँ रम्भा, मेनका, ऊर्वशी और तिलोत्तमा नृत्य कर रहीं थीं। आज देवराज इन्द्र का चार सौ बीस करोड़वाँ जन्मदिन होने के कारण सभी देवी-देवता पधारे हुए थे जिसके कारण इन्द्र दरबार खचाखच भरा हुआ था। सभी देवी-देवता देवलोक में विशेष रूप से बनाए गए सुरा का पान करते हुए नशे में झूमते हुए नृत्य का आनन्द ले रहे थे। मुख्य अतिथि के रूप में भगवान विष्णु चीफ़-गेस्ट के सिंहासन पर बैठे हुए सुरापान के साथ अप्सराओं के नृत्य का आनन्द ले रहे थे और जब उन्हें किसी अप्सरा के ठुमके बहुत पसन्द आते तो ज़ोर से ’वाह-वाह’ करते हुए दोनों हाथों से सोने की मुद्राएं लुटाने लगते। सभी देवी-देवताओं में सबसे अमीर माने जाने वाले देवता भी वही थे। धन की देवी लक्ष्मी जी खुद उनकी पत्नी जो थीं। लक्ष्मी जी संसार को धन बाँटने के कार्य में अत्यधिक व्यस्त होने के कारण नहीं आईं थीं। जब भगवान विष्णु नशे में धुत होकर बिना समझे-बूझे सोने की मुद्राएं अप्सराओं पर अपने चारों हाथों से लुटाने लगे तो लक्ष्मी जी से रहा न गया और वे देव दरबार में अपने वाहन उल्लू के साथ आ गईं। देव दरबार में आते ही लक्ष्मी ने ककर्श स्वर में विष्णु से कहा- ’अपनी बीबी की गाढ़ी कमाई का पैसा चारों हाथों से कलमुँही अप्सराओं पर लुटाते शर्म नहीं आती, विष्णु? चार पैसा कभी कमाया नहीं। जि़न्दगी भर पापियों को दण्ड देने के नाम पर धरती पर जन्म लेते रहे।’
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18-02-2015, 07:32 PM | #3 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
लक्ष्मी को देखते ही विष्णु का सारा नशा हिरन हो गया। सकपका कर बोले- ’देवी, क्रोध मत करो। शान्त हो जाओ। यह मत भूलो- धरतीलोक के मन्दिरों में सबसे ज़्यादा कलैक्शन मेरे तिरुपति के मन्दिर में होता है।’
लक्ष्मी ने क्रोधपूर्ण स्वर में कहा- ’तो क्या हुआ? तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई- बिना मुझसे पूछे तिरुपति के मन्दिर की कमाई इस तरह आँख बन्द करके अप्सराओं पर लुटाओ?’
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18-02-2015, 07:33 PM | #4 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
विष्णु ने सकपकाकर कहा- ’यह.. यह तिरुपति की कमाई नहीं है, देवी। तुम मुझे जेबखर्च के लिए रोज़ाना जो करोड़ों स्वर्ण मुद्राएं देती हो, उसी को लुटा रहा हूँ।’
लक्ष्मी ने क्रोधपूर्वक कहा- ’जेबखर्च के लिए स्वर्ण मुद्राएं इसलिए नहीं देती कि तुम दारू पीकर अय्याशी करो और अप्सराओं पर आँख बन्द करके लुटाओ। मेरी तो छाती फटी जा रही है। तुमसे ये नहीं होता कि मेरी बहन सरस्वती के लिए कोई योग्य देव वर ढूँढकर लाओ। बेचारी कब से ब्रह्मा से नाराज़ होकर अलग रह रही है। तुम्हें ज़रा भी चिन्ता नहीं अपनी साली की। बेचारी कब तक सिंगल रहेगी?’
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18-02-2015, 07:34 PM | #5 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
विष्णु ने भड़ककर कहा- ’अब मैं तुम्हारी बहन को मिंगल करने के लिए क्षीरसागर छोड़कर देवलोक में कहाँ मारा-मारा फिरूँ? और फिर लगभग सभी देवता किसी न किसी के साथ रिलेशनशिप में हैं। लव-मैरिज का ज़माना है, मगर एक तुम्हारी बहन है, किसी देवता को घास ही नहीं डालती।’
लक्ष्मी ने भी भड़ककर तेज़ आवाज़ में कहा- ’मेरी बहन भोली-भाली है। किसी को घास नहीं डालेगी। शर्माती है।’
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18-02-2015, 07:37 PM | #6 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
विष्णु ने क्रोधपूर्वक कहा- ’शर्माएगी तो सिंगल रह जाएगी। यह शर्माने का जमाना नहीं है। समझाओ अपनी नादान बहन को।’
लक्ष्मी ने भड़ककर क्रोधपूर्वक कहा- ’अपनी भोली-भाली नादान बहन को घास डालना सिखाऊँ? तुम्हारी खोपड़ी में गोबर भरा है, विष्णु। होश में आओ। नहीं जेबखर्च बन्द कर दूँगी। देवलोक में सुरा पीकर क्षीरसागर में शेषनाग पर चैन से खर्राटे लेकर सोने की सारी मस्ती निकल जाएगी।’
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18-02-2015, 07:38 PM | #7 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
विष्णु ने भोला-भाला चेहरा बनाकर कहा- ’शर्माती है तो खुद घास न डाले। दूसरा कोई घास डाले तो उस घास की इज्ज़त करना सिखाओ। जल्दी ही सिंगल से मिंगल हो जाएगी।’
लक्ष्मी ने आगबबूला होकर कहा- ’मेरी बहन बहुत सीधी है। सिंगल रह जाएगी मेरी बहन, लेकिन मिंगल होने के लिए दूसरी देवियों की तरह बेशर्मी से लाइन नहीं मारेगी।’ लक्ष्मी और विष्णु के बीच का विवाद बढ़ता देखकर देवराज इन्द्र ने बीच-बचाव करते हुए कहा- ’कृपया आप दोनों पति-पत्नी का आपसी झगड़ा क्षीरसागर में निपटाइए। इस समय तो आप लोग मेरे जन्मदिन पर मुबारकबाद देने के लिए आए हैं। इसलिए देव दरबार की शान्ति बनाए रखिए।’
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24-02-2015, 08:26 PM | #8 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
लक्ष्मी और विष्णु ने कसकर अपना मुँह चिपका लिया किन्तु लक्ष्मी की बात दूर बैठे ब्रह्मा के कानों में पड़ चुकी थी। अब वह कहाँ चुप बैठने वाले थे? क्रोधपूर्वक सुरा का मटका ज़मीन पर पटकते हुए ब्रह्मा ने कहा- ’ख़बरदार, अगर जो किसी ने मेरी बीबी सरस्वती की दूसरी शादी कराकर उसे मिंगल बनाने की कोशिश की। श्राप देकर सभी देवियों को सिंगल बना दूँगा। देवलोक में आग लगा दूँगा। सरस्वती अलग रह रही है तो क्या हुआ? देवलोक के तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं के एकमात्र सोशल नेटवर्किंग साइट ’देवबुक’ में आज भी मेरा नाम सरस्वती के फ्रेण्ड लिस्ट में मौजूद है!’
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24-02-2015, 08:27 PM | #9 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
विष्णु को फिर से मुँह खोलने का मौका मिल गया। लक्ष्मी से बोले- ’देखा लिया, लक्ष्मी.. अपनी बहन की करतूत। देवबुक में ब्रह्मा का नाम अपने फ्रेण्ड लिस्ट में चिपकाए रहेगी तो कौन देवता इसे घास डालने की हिम्मत करेगा? इसे कहते हैं- अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मारना! हमेशा सिंगल रह जाएगी तुम्हारी बहन।’
लक्ष्मी ने तीक्ष्ण स्वर में विष्णु से कहा- ’तुम चुप रहो, विष्णु। मुझे ब्रह्मा से बात करने दो। आज सुरा पीकर नशे में बहुत ज़्यादा उछलकूद कर रहा है। अभी इसका दिमाग़ ठिकाने लगाती हूँ। बोलो, ब्रह्मा। क्या बक रहे हो तुम? देवबुक में तुम्हारा नाम सरस्वती के फ्रेण्ड लिस्ट में है तो क्या हुआ? रिलेशनशिप स्टेटस में तो तुम्हारा नाम कहीं नहीं है। क्या इससे पता नहीं चलता कि तुम कौड़ी के तीन हो? यही कारण है- धरतीलोक में हर जगह सरस्वती की पूजा तुम्हारे बिना ही होती है।’
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24-02-2015, 08:28 PM | #10 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
सरस्वती ने खुश होकर ताली बजाते हुए कहा- ’खूब कहा, बहन लक्ष्मी। आज तो तुमने ब्रह्मा की वाट लगा दी। उसकी ऐसी की तैसी कर दी! सुरा पीकर इसकी जु़बान कैंची की तरह चलने लगी है।’
लक्ष्मी ने सरस्वती को घूरकर देखते हुए पूछा- ’पहले तू यह बता- तूने ब्रह्मा का नाम अपने फ्रेण्ड लिस्ट में क्यों चिपका रखा है? शर्म नहीं आती तुझे?’ सरस्वती ने शर्माते हुए कहा- ’वो तो मैंने ब्रह्मा का दिल जलाने के लिए उसका नाम अपने फ्रेण्ड लिस्ट में चिपका रखा है। जब मैं सिंगल से मिंगल हो जाऊँगी तो अपने न्यू हब्बी के साथ अपनी फ़ोटो देववुक स्टेटस में पोस्ट करूँगी तो ब्रह्मा का दिल कितना जलेगा!’
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