21-10-2011, 09:47 AM | #1 |
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बज्जिका रामायण
अपने देश में कई क्षेत्रिय भाषाएँ हैं। उत्तर बिहार में हीं तीन प्रमुख भाषा है - भोजपुरी, मैथिली और बज्जिका।
इनमें भोजपुरी सबसे ज्यादा विस्तारित है, और यह बिहार के बाहर (उत्तर प्रदेश के भी कई इलाकों में) बल्कि देश के बाहर (मौरिशस में) बोली समझी जाती है। इसके बाद मैथिली का नम्बर है - बिहार के कई प्रमुख जिलों में यह बोली जाती है जैसे दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, पूर्णियाँ आदि। इसके बाद बज्जिका का स्थान है। यह मुख्यतः मुजफ़्फ़रपुर, सीतामढ़ी और समस्तीपुर जिले में बोली जाती है और इसको अगर बहुत ध्यान से आप न देखें-सुने तो आपको यह कभी मैथिली जैसी लगेगी तो कभी भोजपुरी जैसी। इसी चक्कर में यह भाषा कुछ हद तक उपेक्षित भी है। बिहार में मैथिली अकादमी है, भोजपुरी अकादमी है...पर आपको बज्जिका अकादमी नहीं मिलेगी। इस सब के बावजूद, ऐसा नहीं है कि बज्जिका में साहित्य नहीं रचा गया है। इस भाषा में रचे हुए एक महाकाव्य को यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है। राम-कथा सदा से हीं इस देश मे मानस का एक अंग रहा है और हर छोटी-बड़ी भाषा में इसको कहा गया है। इसी क्रम में बज्जिका भाषा में भी इसी क्षेत्र के एक कवि ने राम-कथा को अपनी भाषा में कहा, जिसकी प्रस्तुति यहाँ मैं कर रहा हूँ। आशा है आप सब इस "बज्जिका रामायण" को पढ़ेंगे और साथ हीं इस भाषा से परिचित भी होंगे। आजकल वैसे भी नीतीश कुमार का बिहार टी०वी० सिरीयल और फ़िल्मों में अपनी भाषा को ले कर हिट है... |
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