09-12-2010, 02:44 PM | #1 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,259
Rep Power: 34 |
सप्तम सोपान श्लोक(श्रीरामचरितमानस)
श्रीगणेशाय नमः श्रीजानकीवल्लभो विजयते श्रीरामचरितमानस सप्तम सोपान
उत्तरकाण्ड श्लोक केकीकण्ठाभनीलं सुरवरविलसद्विप्रपादाब्जचिह्नं शोभाढ्ढयं पीतवस्त्रं सरसिजनयनं सर्वदा सुप्रसन्नम्। पाणौ नाराचचापं कपिनिकरयुतं बन्धुना सेव्यमानं नौमीड्यं जानकीशं रघुवरमनिशं पुष्पकारूढरामम्।।1।। मोर के कण्ठ की आभा के समान (हरिताभ) नीलवर्ण, देवताओं में श्रेष्ठ, ब्राह्मण (भृगुजी) के चरणकमल के चिह्न से सुशोभित, शोभा से पूर्ण, पीताम्बरधारी, कमलनेत्र, सदा परम प्रसन्न, हाथों में बाण और धनुष धारण किये हुए वानरसमूह से युक्त भाई लक्ष्मणजी से सेवित स्तुति किये जाने योग्य, श्रीजानकीजी के पति रघुकुल श्रेष्ठ पुष्पक-विमान पर सवार श्रीरामचन्द्रजी को मैं निरन्तर नमस्कार करता हूँ।।1।। Last edited by ABHAY; 18-12-2010 at 10:09 PM. |
Bookmarks |
|
|