19-12-2010, 08:58 PM | #1 |
Diligent Member
Join Date: Nov 2010
Location: बिहार
Posts: 760
Rep Power: 18 |
शायरी
मुहब्बत में वफ़ादारी से बचिये मुहब्बत में वफ़ादारी से बचिये जहाँ तक हो अदाकारी से बचिये हर एक सूरत भली लगती है कुछ दिन लहू के शोबदाकारी से बचिये शराफ़त आदमियत दर्द-मन्दी बड़े शहरों में बीमारी से बचिये ज़रूरी क्या हर एक महफ़िल में आना तक़ल्लुफ़ की रवादारी से बचिये बिना पैरों के सर चलते नहीं हैं बुज़ुर्गों की समझदारी से बचिये निदा फाजली
Last edited by prashant; 19-12-2010 at 09:08 PM. |
19-12-2010, 08:59 PM | #2 |
Diligent Member
Join Date: Nov 2010
Location: बिहार
Posts: 760
Rep Power: 18 |
Re: शायरी
दुनिया बच्चों का खिलौना है दुनिया जिसे कहते हैं बच्चे का खिलौना है मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है अच्छा सा कोई मौसम तन्हा सा कोई आलम हर वक़्त का रोना तो बेकार का रोना है बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है ये वक़्त जो तेरा है, ये वक़्त जो मेरा है हर गाम पे पहरा है फिर भी इसे खोना है ग़म हों कि खुशी दोनों कुछ देर के साथी हैं फिर रस्ता ही रस्ता है, हँसना है न रोना है आवारा मिज़ाजी ने फैला दिया आँगन को आकाश की चादर है, धरती का बिछौना है निदा फाजली
|
19-12-2010, 09:01 PM | #3 |
Diligent Member
Join Date: Nov 2010
Location: बिहार
Posts: 760
Rep Power: 18 |
Re: शायरी
ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटाकर देखो धूप में निकलो घटाओं में नहाकर देखो ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटाकर देखो। सिर्फ़ आँखों से ही दुनिया नहीं देखी जाती दिल की धड़कन को भी बीनाई बनाकर देखो। पत्थरों में भी ज़ुबाँ होती है दिल होते हैं अपने घर के दर-ओ-दीवार सजाकर देखो। वो सितारा है चमकने दो यूँही आँखों में क्या ज़रूरी है उसे जिस्म बनाकर देखो। फ़ासिला नज़रों का धोखा भी तो हो सकता है चाँद जब चमके ज़रा हाथ बढ़ा कर देखो। निदा फाज़ली
|
19-12-2010, 09:02 PM | #4 |
Diligent Member
Join Date: Nov 2010
Location: बिहार
Posts: 760
Rep Power: 18 |
Re: शायरी
हर नए मोड़ पर कुछ लोग बिछड़ जाते हैं कच्चे बखिए की तरह रिश्ते उधड़ जाते हैं हर नए मोड़ पर कुछ लोग बिछड़ जाते हैं। यूँ हुआ दूरियाँ कम करने लगे थे दोनों रोज़ चलने से तो रस्ते भी उखड़ जाते हैं। छाँव में रख के ही पूजा करो ये मोम के बुत धूप में अच्छे भले नक़्श बिगड़ जाते हैं। भीड़ से कट के न बैठा करो तन्हाई में बेख़्याली में कई शहर उजड़ जाते हैं। निदा फाज़ली
|
19-12-2010, 09:03 PM | #5 |
Diligent Member
Join Date: Nov 2010
Location: बिहार
Posts: 760
Rep Power: 18 |
Re: शायरी
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाए रहिए बात कम कीजे ज़ेहानत को छुपाए रहिए अजनबी शहर है ये, दोस्त बनाए रहिए दुश्मनी लाख सही, ख़त्म न कीजे रिश्ता दिल मिले या न मिले हाथ मिलाए रहिए ये तो चेहरे की शबाहत हुई तक़दीर नहीं इस पे कुछ रंग अभी और चढ़ाए रहिए ग़म है आवारा अकेले में भटक जाता है जिस जगह रहिए वहाँ मिलते मिलाते रहिए कोई आवाज़ तो जंगल में दिखाए रस्ता अपने घर के दर-ओ-दीवार सजाए रहिए निदा फाज़ली
|
19-12-2010, 09:04 PM | #6 |
Diligent Member
Join Date: Nov 2010
Location: बिहार
Posts: 760
Rep Power: 18 |
Re: शायरी
जब किसी से कोई गिला रखना जब किसी से कोई गिला रखना सामने अपने आईना रखना यूँ उजालों से वास्ता रखना शम्मा के पास ही हवा रखना घर की तामीर चाहे जैसी हो इस में रोने की जगह रखना मस्जिदें हैं नमाज़ियों के लिये अपने घर में कहीं ख़ुदा रखना मिलना जुलना जहाँ ज़रूरी हो मिलने-जुलने का हौसला रखना निदा फाज़ली
|
19-12-2010, 09:06 PM | #7 |
Diligent Member
Join Date: Nov 2010
Location: बिहार
Posts: 760
Rep Power: 18 |
Re: शायरी
१. छोटा कर के देखिये, जीवन का विस्तारआँखों भर आकाश है, बाँहो भर संसार । २. वो सूफ़ी का कौ़ल हो, या गीता का ज्ञानजितनी बीते आप पर, उतना ही सच मान ३. सात समुन्दर पार से कोई करे व्यापारपहले भेजे सरहदें, फ़िर भेजे हथियार ४. बच्चा बोला देख कर,मस्जिद आलीशानअल्ला तेरे एक को, इतना बड़ा मकान |
Bookmarks |
|
|