27-02-2015, 02:52 PM | #51 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
देवी-देवताओं को अपने खिलाफ़ देखकर शीतला देवी ने भड़ककर कहा- ’एक गधे के आगे अब मैं नहीं झुकने वाली। धरतीलोक और पाताललोक में चिकन-पाॅक्स और स्माल-पाॅक्स फैलाकर सब कुछ तहस-नहस कर दूँगी। इस समय तो मेरे पास चिकनगुनिया, डेंगू और ईबोला का अतिरिक्त प्रभार भी है। धरतीलोक और पाताललोक में चारों ओर हाहाकार मचा दूँगी।’
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27-02-2015, 02:54 PM | #52 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
गधे का पलड़ा भारी देखकर और अपना सिंहासन हिलता देखकर देवराज इन्द्र ने मज़बूर होकर अत्यधिक कठोर शब्दों में अध्यादेश जारी करते हुए शीतला देवी से कहा- ’आप तीनों देवियाँ अपनी-अपनी देव-पदवी का दुरुपयोग तब ही तो करेंगी जब आपके पास देव-पदवी रहेगी। तत्काल प्रभाव से आप तीनों देवियों को तीन साल के लिए देवलोक से बर्खास्त किया जाता है। निकल जाइए देवलोक से बाहर। तीन साल के लिए अब आप देवियों को कोई देव-वाहन भी नहीं दिया जाएगा।’
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27-02-2015, 02:55 PM | #53 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
शीतला देवी के साथ अन्य दोनों देवियाँ ’देवराज इन्द्र मुर्दाबाद’ का नारा लगाते हुए इन्द्र दरबार के बीचों बीच बैठकर हड़ताल करने लगीं। शीतला देवी की दयनीय दशा देखकर गधे ने रोते हुए देवराज इन्द्र से कहा- ‘इस बार शीतला देवी को छोड़ दिया जाए।’ किन्तु देवराज इन्द्र ने गधे की एक न सुनी। देवराज इन्द्र का इशारा मिलते ही देवलोक कमिश्नर आॅफ़ पुलिस ने तीनों देवियों को बेदर्दी के साथ घसीटकर इन्द्र दरबार से बाहर निकाल दिया। शीतला देवी के हाथ से पदवी जाते ही 8 मई, 1980 को तैंतीसवें वर्ल्ड हेल्थ असेम्बली में स्माल पाॅक्स को आधिकारिक रूप से उन्मूलित घोषित कर दिया गया और 1 मार्च, 1982 से डब्ल्यू॰एच॰ओ॰ के 158 सदस्य देशों में से 150 देशों ने अपने देश में चल रहे स्माल पाॅक्स टीकाकरण कार्यक्रम को बन्द कर दिया। देवराज इन्द्र ने सभी देवी-देवताओं से एक सफल नेता की तरह बात बनाते हुए चिन्तित स्वर में कहा- ’सभी देवी-देवता कृपया शान्त हो जाइए। सच्चाई जानने के लिए यह सब मेरा एक नाटक था। गधा ठीक कहता है। भ्रष्टाचार की जड़ें हर जगह फैली हुई हैं। आज मैंने अपनी आँखों से देख लिया- ये मीडिया वाले और हमारे देवी-देवता कितना भ्रष्ट हैं। यह बात अत्यधिक चिन्ता का विषय है। क्या इसका कोई उपाय नहीं?’
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27-02-2015, 02:56 PM | #54 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
गधे ने सलाह दिया- ’इसका उपाय है, भगवन्। देवताओं पर निगरानी करने के लिए देवपाल बनना चाहिए।’
देवराज इन्द्र ने घबड़ाकर कहा- ’छोटी-छोटी बातों के लिए देवपाल लाने की क्या ज़रूरत है? देवलोक का खर्चा बढ़ेगा। अभी हमारे पास इतना फण्ड नहीं है जो हम देवपाल बना सकें।’ कहते हुए देवराज इन्द्र मन ही मन सोच रहे थे कि यदि देवपाल बन गया तो उन्होंने अपने वाहन ऐरावत हाथी के लिए गन्ना खरीदने में जो भ्रष्टाचार किया है उसकी पोल-पट्टी खुल जाएगी।
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27-02-2015, 02:57 PM | #55 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
यह सुनकर गधे ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया- ’तो ठीक है, भगवन्। जब तक देवपाल न बने, मुझे देव-वाहन के कार्यभार से मुक्त कर दिया जाए।’
इन्द्र ने भी दो टूक शब्दों में जवाब दे दिया- ’यह सम्भव नहीं, गधे।’
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27-02-2015, 02:57 PM | #56 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
गधा भी पीछे हटने वाला नहीं था, बोला- ’ठीक है। तो फिर मैं जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड में आपके खिलाफ़ शिकायत कर दूँगा। जानवरों पर अत्याचार करते हैं आप लोग। पी॰सी॰ए॰ एक्ट में कार्यवाही हो जाएगी आप लोगों के खिलाफ़।’
इन्द्र ने घबड़ाकर हथियार डालते हुए कहा- ’अब इतना नाराज़ होने की क्या ज़रूरत है, गधे? कोई और रास्ता निकालो।’
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27-02-2015, 02:58 PM | #57 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
गधे ने सोचते हुए जवाब दिया- ’तो फिर मुझे किसी देवी-देवता का स्वतंत्र-प्रभार इन्डिपेन्डन्ट चार्ज वाहन बनाया जाए। अब मुझे देवियों का शेयर्ड वाहन नहीं बनना। गधे को इन्साफ़ चाहिए.. और वह भी आज की तारीख में! अब मैं और अधिक अन्याय बर्दाश्त नहीं करूँगा।’
देवराज इन्द्र ने पास खड़ी लक्ष्मी से पूछा- ’क्या आप उल्लू के बदले गधा को अपने वाहन के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार हैं?’
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27-02-2015, 02:59 PM | #58 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
लक्ष्मी ने बड़े प्यार से अपने वाहन उल्लू पर हाथ फेरते हुए कहा- ’मेरा प्यारा-प्यारा उल्लू। मेरा दुलारा उल्लू। मेरी आँखों का तारा उल्लू। मैं न दूँगी अपने उल्लू को.. और फिर उल्लू मेरा वाहन ही नहीं, धनवानों की बेवकूफ़ी का प्रतीक भी है। क्योंकि जिसके पास धन होता है वह धन के मोह में पड़कर मूर्ख हो जाता है और उसके सोचने-समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है।’
देवराज इन्द्र ने लक्ष्मी को प्रेम से समझाते हुए कहा- ’मूर्खता में गधा भी उल्लू से कम नहीं। बेवकूफी में उल्लू और गधा दोनों बराबर माने जाते हैं। एक-दूसरे के समकक्ष माने जाते हैं। अब आप किसी को उल्लू कहिए या गधा। क्या फ़र्क पड़ता है? मतलब बेवकूफ ही होता है।’
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27-02-2015, 03:00 PM | #59 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
लक्ष्मी ने भड़ककर कहा- ’मेरा प्यारा वाहन उल्लू गधे के समकक्ष हो ही नहीं सकता, क्योंकि मेरा वाहन उल्लू उतना बेवकूफ नहीं है जितना लोग समझते हैं। गधे से इसकी ज़्यादा इज्ज़त है। दुनियाँ की लगभग सभी भाषाओं में गधा का मतलब मूर्ख ही होता है किन्तु हिन्दी को छोड़कर दुनियाँ की किसी भाषा में उल्लू का मतलब मूर्ख नहीं होता। इसलिए मेरे वाहन उल्लू की तुलना गधे से किसी हालत में नहीं की जा सकती। मैं न दूँगी अपने प्यारे वाहन उल्लू को!’
लक्ष्मी से बात न बनती देखकर देवराज इन्द्र ने यमराज की ओर प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए पूछा- ’क्या आप अपने वाहन भैंसा के बदले गधा को अपने वाहन के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार हैं?’
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27-02-2015, 03:00 PM | #60 |
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Re: गधा माँगे इन्साफ़
यमराज ने बड़े प्यार से अपने वाहन भैंसे पर हाथ फेरते हुए कहा- ’सवाल ही नहीं उठता। प्राण हरने के लिए जब मैं भैंसे पर सवार होकर धरतीलोक जाता हूँ तो मेरा भयानक गेटअप देखते ही बनता है। यमराज का डरावना भौकाल मेन्टेन होता है। भैंसे पर सवार मेरा रुद्र रूप देखते ही लोग डरकर अपना प्राण त्याग देते हैं। भैंसे की जगह गधे पर चलूँगा तो जो मरने वाला होगा वह भी हँसते-हँसते जि़न्दा होकर बैठ जाएगा। मैं न दूँगा अपने प्यारे वाहन भैंसे को।’
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