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14-01-2013, 07:58 PM | #1 |
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कुम्भ : कुछ अलग रंग
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
14-01-2013, 07:58 PM | #2 |
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Re: कुम्भ : कुछ अलग रंग
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14-01-2013, 07:58 PM | #3 |
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Re: कुम्भ : कुछ अलग रंग
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14-01-2013, 07:59 PM | #4 |
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Re: कुम्भ : कुछ अलग रंग
कुंभ मेले में जगह-जगह पोस्टर और बैनर लगे मिलेंगे. इनमें बहुत से ऐसे भी होते हैं जो बरबस लोगों को अपनी ओर खींचते हैं.
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14-01-2013, 08:00 PM | #5 |
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Re: कुम्भ : कुछ अलग रंग
तकनीक के ज़माने में ये बाबा फेसबुक से कैसे पीछे रहते. हमारे सहयोगी सुशील झा के साथ गपियाते 'फेसबुक बाबा'
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14-01-2013, 08:02 PM | #6 |
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Re: कुम्भ : कुछ अलग रंग
संगम तट से
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04-02-2013, 06:34 PM | #7 |
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Re: कुम्भ : कुछ अलग रंग
महाकुंभ में इन दिनों एक पत्थर पूरे मेलें में सुर्खियां बटोर रहा है।
इसे लाने वाले महात्मा की मानें तो यह वही पत्थर है, जिन्हें समुद्र पर सेतु बनाने के लिए भगवान राम की सेना ने इस्तेमाल किया गया था। कुंभ नगरी के जूना अखाड़े में एक बड़े से कुंड में यह विशेष पत्थर रखा गया है। कुंड में पत्थर डालने पर वह डूबता नहीं, बल्कि फूल की तरह तैरने लगता हैं। भक्तों को यकीन है कि इसके पीछे भगवान राम की लीला है। जूना अखाड़ा में रखे इस पत्थर को देखने वालों की भीड़ उमड़ पड़ी है। हर रोज़ सैंकड़ों लोग इस विशेष पत्थर को देखने के लिए पहुँच रहें है। मंदिर के महंत की मानें तों यह वही पत्थर जिस का इस्तेमाल नल और नील ने प्रभु राम के आदेश के बाद सेतु निर्माण के लिए किया था। फिलहाल इस पत्थर को एक बड़े से बर्तन में रखा गया है। बर्तन में पानी भरा हुआ है और उस पानी में यह पत्थर आसानी से तैर रहा है और इस अद्भुत पत्थर पर प्रभु राम का नाम भी लिखा गया है। महंत हरि गिरि महाराज का कहना है कि इस पत्थर को उन के गुरु के गुरु, अपने गुरु से कई सौ साल पहले लेकर आए और अब यह जूना अखाड़े की संपत्ति है। अगर इस बड़े से पत्थर को पानी से बाहर निकाला जाए, तब इस के असली वजन का एहसास होता है। करीब 25 किलो वजन का यह पत्थर पानी में डालते ही तैरने लगता है। हर दिन इस अद्भुत पत्थर को देखने के लिए भक्त आ रहे है। पानी में तैरने वाली नाव की तरह तैर रहे इस पत्थर को जूना अखाड़े के ठीक द्वार पर लगाया गया है। राम नाम के इस पत्थर को लोग चमत्कार के रूप में देख रहे हैं। पत्थर को देखने के साथ ही कई लोग उस पर पैसे भी चढ़ा रहे हैं। कई श्रद्धालु इस पत्थर की पूजा भी कर रहे हैं। कौतूहल वश इसे छूते हैं और डूबाने की कोशिश भी करते हैं लेकिन पत्थर बर्तन के तल में जाकर तत्काल फिर ऊपर आ जाता है।
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
04-02-2013, 06:35 PM | #8 |
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Re: कुम्भ : कुछ अलग रंग
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04-02-2013, 06:37 PM | #9 |
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Re: कुम्भ : कुछ अलग रंग
इस पत्थर के रहस्य का पर्दाफ़ाश ..................
धर्म का मजाक उड़ाया जा रहा है यहाँ... यह बेवकूफी का सार्वजनिक उत्सव है... साफ दिख रहा है कि यह Pumice Stone है जो तैरता ही है... क्यों और कैसे, देखिये यहाँ पर... http://humantouchofchemistry.com/why...t-in-water.htm और कभी कभी तो तैरते हुऐ द्वीप भी दिखे हैं... देखिये... http://www.hoax-slayer.com/new-pacific-island.shtml
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08-02-2013, 05:30 AM | #10 |
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Re: कुम्भ : कुछ अलग रंग
कुंभ में चल रही है वि*देशि*यों की देसी पाठशाला,
कुंभ कैंपस. स्*वास्*थ्*य के लिए योग से बेहतर कोई साधना नहीं होती है। योग का आकर्षण कुछ ऐसा है कि पश्चिम के लोग भी इसके दीवाने हो गए हैं। संगम तट पर इन दिनों आबाद आस्था की नगरी में पहुंचे विदेशी पूरी तरह से भारतीय सभ्यता-संस्कृति के रंग में रंगे हुए हैं। अमृत नगर में योग उनकी दिनचर्या का प्रमुख हिस्सा है। क्या पुरुष, क्या स्त्री सभी योग के दीवाने हैं। इनके योगासनों को देख लोग दांतों तले उंगलियां दबा ले रहे हैं।
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