05-11-2022, 02:56 PM | #1 |
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गाँव भइल आखाड़ा
■■■■■■■■ आजकाल तऽ बाति-बाति में, हल्ला हुल्लड़ होला। रात रात भर जागेला अब, गाँव-नगर आ टोला। मार-पीट आ गारी के हर, गाँव भइल आखाड़ा। मार-पीट के गिनती होला, अउरी रोज पहाड़ा। मार-पीट से डाक्टरी में, बगली होला खाली। केहू के पायल बिक जाला, आ केहू के बाली। भले बन्द लइकन के बाटे, पइसा बिना पढ़ाई। बाकिर थाना पर दे आवे, आपन असल कमाई। जे उकसावे हो जाला ऊ, झट से कतहीं कगरी। केहू के ना पनके देला, थाना-कोट-कचहरी। केतना अच्छा रहित अगर जे, प्रेम भाव आ जाइत। मेल जोल से लोगवा रहित, जिनिगी के सुख पाइत। बात अगर कुछ बिगड़ गइल तऽ, समझ बूझ अपनाइत। गाँव-नगर के सगरो झगरा, गाँव-नगर फरिआइत। रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- 04/11/2022 ■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274309 मो- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 05-11-2022 at 03:53 PM. |
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