31-01-2018, 06:02 PM | #141 |
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Re: बॉलीवुड शख्सियत
(15 June 1929 – 31 January 2004)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
31-01-2018, 07:28 PM | #142 |
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Re: बॉलीवुड शख्सियत
Suraiya (Actress- Singer)
सुरैया.......(अभिनेत्री - गायिका) (15 June 1929 – 31 January 2004) आज अपने समय की महान अदाकारा सुरैया को हमसे रुखसत हुए 14 वर्ष हो चुके हैं. बॉलीवुड के फिल्म इतिहास में जो स्थान सुरैया का रहा है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता. आइये उनके बारे में और जानकारी प्राप्त करते हैं. ^^
बॉलीवुड में सुरैया को ऐसी गायिका-अभिनेत्री के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने अपने सशक्त अभिनय और जादुई पार्श्वगायन से लगभग चार दशक तक सिने प्रेमियों को अपना दीवाना बनाये रखा। 15 जून 1929 को पंजाब के गुजरांवाला शहर में एक मध्यम वर्गीय परिवार मे जन्मी सुरैया का रूझान बचपन से ही संगीत की ओर था और वह पाश्र्वगायिका बनना चाहती थी। हालांकि उन्होंने किसी उस्ताद से संगीत की शिक्षा नहीं ली थी लेकिन संगीत पर उनकी अच्छी पकड़ थी। सुरैया अपने माता पिता की इकलौती संतान थी। सुरैया ने प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के न्यू गर्ल्स हाई स्कूल से पूरी की। बतौर बाल कलाकार वर्ष 1937 में उनकी पहली फिल्म ‘उसने सोचा था’ प्रदर्शित हुई। सुरैया को अपना सबसे पहला बड़ा काम अपने चाचा जहूर की मदद से मिला जो उन दिनों फिल्म इंडस्ट्री मे बतौर खलनायक अपनी पहचान बना चुके थे। 1941 में वे मोहन स्टूडियो में फ़िल्म 'ताज महल' की शूटिंग देखने गयीं थीं. वहां फिल्म के निर्देशक नानूभाई वकील ने उन्हें देखा और अपनी अगली फिल्म में लेने का निश्चय किया. यह फिल्म थी 'मुमताज महल'. इसी बीच सुरैया आकाशवाणी पर अपना गायन प्रस्तुत करती थीं. संगीतकार नौशाद ने उन्हें सुना और उनकी आवाज़ से प्रभावित हुए. उन्होंने कारदार साहब की फिल्म 'शारदा' में सुरैया को गाने का मौका दिया. सन 1946 में, उन्हें उस समय के अग्रणी निर्माता निर्देशक महबूब खान की फिल्म 'अनमोल घड़ी' में नूरजहाँ तथा अभिनेता सुरेन्द्र के साथ बतौर सह-अभिनेत्री काम करने का अवसर मिला. इसमें उन्होंने एक गीत भी गाया जो बेहद मक़बूल हुआ था. यह गीत था 'सोचा था क्या, क्या हो गया'.
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01-02-2018, 11:50 AM | #143 |
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Re: बॉलीवुड शख्सियत
सुरैया तथा देवानंद का रोमांस
'नोजी चलो जल्दी से शादी कर लेते हैं...हमारी जोड़ी सबके लिए एक मिसाल होगी। हम खुशियों से भरा एक ऐसा घर बनाएंगे, जिसे देखकर पूरी दुनिया हमसे जल उठेगी'। दूसरी ओर से जवाब था- 'हां, स्टीव हमारा प्यार अमर है...हम अपनी अलग दुनिया जरूर बसाएंगे'। दोनों हमेशा अपने घर-परिवार की चिंता में रहते थे और बच्चों के नाम तक पर चर्चा करते थे। यह एक खत का हिस्सा है, जिसे प्रेमी देव आनंद ने खुद अपनी बॉयोग्राफी 'रोमांसिंग विथ लाइफ़' में कहा था। आप यह सोच रहे होंगे कि नोजी कौन थी और स्टीव कौन था। हम आपको बताते हैं कि नोजी अभिनेत्री सुरैया का नाम था और स्टीव देव आनंद का। दोनों प्यार करनेवालों मे एक-दूसरे का नाम अपनी सुविधा के लिए रखा था। 1950-60 के दशक की सुपरस्टार एक्ट्रेस सुरैया और देव आनंद की प्यार की कहानियां सबकी जुबान पर थी। गम इस बात का रहा दोनों को कि यह प्यार मुकम्मल मंजिल नहीं पा सका। शादी नहीं हो सकी और सुरैया की जिंदगी बर्बाद होकर रह गई। >>>
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01-02-2018, 11:56 AM | #144 |
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Re: बॉलीवुड शख्सियत
सुरैया तथा देवानंद का रोमांस
सुरैया की नानी बनी विलेन 1950 में दोनों ने सनम और जीत साइन की। सुरैया के साथ शूटिंग पर उनकी नानी भी जाने लगीं। तब दोनों के बीच रोमांटिक सीन को लेकर भी वे नाराज होती थीं। जून 1972 में स्टारडस्ट के साथ बातचीत में सुरैया ने कहा था- नानी सख्त थीं। घर में सभी उनकी ही बात मानते थे। मैं शर्मीली थी, नादान थी और ज्यादा डरती थी। वो मुझसे गुस्से में कहती थीं- एक मुस्लिम लड़की और एक हिंदू लड़के की शादी कैसे हो सकती है? जब सुरैया और देव के मिलने-जुलने पर रोक लगा दी गई तब दोनों ने खतों के जरिए बात शुरू कर दी। लव लेटर्स देव आनंद के दोस्त पहुंचाते थे। इसमें एक्ट्रेस कामिनी कौशल खास भूमिका निभाती थीं। दोनों खतों में एक-दूसरे को स्टीव और नोजी के नाम से ही संबोधित करते थे। ^ हर प्यार की कहानी में एक विलेन होता है, लेकिन यहां तो वैंप थी। और वह वैंप थी सुरैया की नानी। उनको देव आनंद एकदम अच्छे नहीं लगते थे। वे इस बात को पचा नहीं पाईं कि एक हिंदू लड़के से मुस्लिम लड़की की शादी कैसे हो सकती है। देवानंद ने हर मुमकिन कोशिश की कि दोनों की शादी हो जाए। पर, आखिरी हिम्मत सुरैया नहीं जुटा सकीं। इसका खामियाजा भी खुद सुरैया को ही भुगतना पड़ा। उन्होंने ताउम्र शादी नहीं की।
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01-02-2018, 12:00 PM | #145 |
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Re: बॉलीवुड शख्सियत
सुरैया तथा देवानंद का रोमांस
यह भी पहली आंखों का प्यार था। तब साल था 1948। ठीक आजादी के बाद का वर्ष। तब बॉलीवुड में सुरैया का सिक्का चलता था। उस समय के हीरो हीरोइन के मुकाबले उनका रुतबा काफी ऊंचा हो चुका था, वे गाती भी थीं और एक्टिंग भी करती थीं। दूसरी ओर देव आनंद अभी नये-नये ही आए थे। तभी देव को फिल्म विद्या के लिए साइन किया गया। इसमें एक्ट्रेस थीं सुरैया। पहले ही दिन दोनों के बीच एक रोमांटिक गाना फिल्माया जाना था। यह सबकुछ देव आनंद ने अपनी जीवनी Romancing with Life में लिखा है। देव ने लिखा- मैं यह सोच रहा था कि देश की ड्रीम गर्ल, जो लाखों फैन के दिल में बसती-रहती है। आज मेरे गले में बांहें डालेगी। गाने गाएगी। रिझाएगी। कितना अच्छा वह पल होगा कि तभी कोई तस्वीर मेरी ले लेगा। शूटिंग के ठीक पहले मैंने कहा था- सुरैया जी, मेरे बालों में जरा ठीक से हाथ लगाइएगीं...वे तो हंस पड़ीं और कहा- हां, मुझे मालूम है, मैं तुम्हारे ‘पफ’ को खराब नहीं करूंगी। परेशान न रहो। >>>
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01-02-2018, 12:05 PM | #146 |
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Re: बॉलीवुड शख्सियत
सुरैया तथा देवानंद का रोमांस
जब देव ने बचाई सुरैया की जान बकौल देव आनंद- यह पहली नजर का प्यार था। हमदोनों की निगाहें फिल्म के सेट पर एक-दूजे को ही खोजती रहती थीं। मुझे लगता था कि वे किसी भी पल मुझसे दूर न रहें। उनकी भी यही हालत थी। तब इतनी आजादी नहीं थी और इश्क तो दूर, उसका इजहार भी मुश्किल था। शूटिंग के दौरान ही एक सीन फिल्माया जाना था, जिसमें सुरैया नाव पर थी। एकाएक ही नाव पलट गई और सुरैया डूबने लगीं। पास खड़े देव आनंद तैर कर गये और सुरैया को बचाया। यही वह पल था, जब सुरैया के दिल में देव आनंद उतरते चले गये। लगभग 40 साल बाद 1987 में पत्रकार शीला वेसुना से साथ बातचीत में सुरैया ने कहा- तब मैंने देव से कहा, अगर आज तुम मेरी जान नहीं बचाते तो मैं खत्म हो जाती। तो उन्होने जवाब दिया- अगर तुम्हारी जान चली जाती तो मैं भी खत्म हो जाता। मुझे लगता है यही वो पल था, जब हम दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया था।
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01-02-2018, 12:10 PM | #147 |
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Re: बॉलीवुड शख्सियत
सुरैया तथा देवानंद का रोमांस
देवानंद ने मारा सुरैया को थप्पड़ क्यों मारा दोनों की शादी की बात को लेकर बहस हो रही थी। देव लगातार सुरैया को समझाते रहे, लेकिन सुरैया कोई फैसला ही नहीं कर पा रही थीं। इस बीच एक मौके पर देव को गुस्सा आया और बोले- मैं सीरियस हूं। तुम्हे फर्क ही नहीं पड़ता। शायद मेरी हैसियत नहीं है कि तुम्हारे सपने देख सकूं। यह सुनकर सुरैया रोने लगीं। इसी बीच देव ने एक जोर का तमाचा सुरैया को जड़ा। फिर चले गये। बाद में देव ने सुरैया को बताया कि तमाचा के बाद घंटो देव ने अपने हाथों को दीवार पर मारा और खुद को चोटिल कर लिया था। सुरैया ने यह सब एक इंटरव्यू में बताया- मुझे पता चल गया था कि वे मुझ से बेपनाह मुहब्बत करते थे। मेरा परिवार उनकी रुसवाई करता रहा और वे मोहब्बत करता रहा। >>>
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01-02-2018, 12:12 PM | #148 |
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Re: बॉलीवुड शख्सियत
सुरैया तथा देवानंद का रोमांस
सुरैया ने सगाई की अंगूठी फेंक दी इस वाकये के बाद दोनों ने सगाई भी कर ली थी। बाद में नानी के जोर देने पर सुरैया ने देव की हीरे की दी गई अंगूठी को समंदर में फेंक दिया था। यह वाकया जून 1972 का है। इसके बाद देव का दिल पूरी तरह टूट गया था। अपनी बॉयोग्राफी में ही देव ने लिखा कि सुरैया के घर में उनकी मां के अलावा सभी हमारे प्यार के दुश्मन थे। यह भी तय था कि यदि सुरैया मुझसे शादी करतीं तो उसे मार भी दिया जा सकता था। ऐसे माहौल में सुरैया ने अपने कदम वापस कर लिये और सबकुछ खत्म हो गया।
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01-02-2018, 02:48 PM | #149 |
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Re: बॉलीवुड शख्सियत
सुरैया: कुछ जानने योग्य बातें
सन 43-44 में निर्माता जयंत देसाई की फिल्म 'चंद्रगुप्त' के एक गाने के रिहर्सल के दौरान सुरैया को देखकर के.एल.सहगल काफी प्रभावित हुए और उन्होंने जयंत देसाई से सुरैया को फिल्म 'तदबीर' में काम देने की सिफाशि की। साल 1945 मे प्रदर्शित फिल्म 'तदबीर' में के.एल. सहगल के साथ काम करने के बाद धीरे-धीरे उनकी पहचान फिल्म इंडस्ट्री में बनती गयी। साल 1949-50 में सुरैया के सिने करियर में अभूतपूर्व परिवर्तन आया। वह अपनी प्रतिद्वंदी अभिनेत्री नरगिस और कामिनी कौशल से भी आगे निकल गईं। इसका मुख्य कारण यह था कि सुरैया अभिनय के साथ-साथ गाने भी गाती थीं। 'प्यार की जीत', 'बड़ी बहन' और 'दिल्लगी' जैसी फिल्मों की कामयाबी के बाद सुरैया शोहरत की बुलंदियों पर जा पहुंची।
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01-02-2018, 03:02 PM | #150 |
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Re: बॉलीवुड शख्सियत
सुरैया: कुछ जानने योग्य बातें
अभिनेता देवानंद के साथ सुरैया की जोड़ी खूब जमी। सुरैया और देवानंद की जोड़ी वाली फिल्मों में 1950-51 में प्रदर्शित फ़िल्में 'विद्या' 'जीत', 'शायर', 'अफसर', 'नीली' और 'दो सितारे' शामिल हैं। सुरैया से शादी का सपना पूरा न हो पाने के बाद साल 1954 मे देवानंद ने उस जमाने की मशहूर अभिनेत्री कल्पना कार्तिक से शादी कर ली। इससे आहत सुरैया ने आजीवन कुंवारी रहने का फैसला कर लिया। साल 1950 से लेकर 1953 तक सुरैया के सिने करियर के लिये बुरा वक्त साबित हुआ लेकिन वर्ष 1954 मे प्रदर्शित फिल्म 'मिर्जा गालिब' और 'वारिस' की सफलता ने सुरैया एक बार फिर फिल्म इंडस्ट्री मे अपनी पहचान बनाने मे सफल हो गयीं। फिल्म 'मिर्जा गालिब' को राष्ट्रपति के गोल्ड मेडल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। फिल्म को देख तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू इतने भावुक हो गए कि उन्होंने सुरैया को कहा कि तुमने 'मिर्जा गालिब' की रूह को जिंदा कर दिया। इस फिल्म का एक ख़ास प्रदर्शन राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया था। साल 1963 में प्रदर्शित फिल्म 'रुसतम सोहराब' के प्रदर्शन के बाद सुरैया ने खुद को फिल्म इंडस्ट्री से अलग कर लिया। लगभग तीन दशक तक अपनी जादुई आवाज और अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने वाली सुरैया ने 31 जनवरी 2004 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
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