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Old 19-01-2012, 07:37 PM   #1
sombirnaamdev
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Default आयुर्वेदिक औषधियां

अच्छी तन्दुरुस्ती का रहस्य है सकारात्मक सोच
मनुष्य के मस्तिष्क में सदैव दो तरह की बातें चलती रहती है, एक सकारात्मक तो दूसरी नकारात्मक। नकारात्मक सोच व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर बुरा असर डालती हैं, जिसके कारण उसके उत्साह में कमी आती है। वहीं, सकारात्मक सोच किसी भी कठिन कार्य को करने में उसे साहस प्रदान करती है, जिसके कारण उस व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता।...
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Old 19-01-2012, 07:39 PM   #2
sombirnaamdev
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Default Re: आयुर्वेदिक औषधियां

घरेलु नुस्खों से निकलकर भू-मंडलीय पर अंकित आयुर्वेद आज विश्वसनीयता के मानचित्र पर सबसे ऊपर दिखाई देने लगा है | वर्षों का सफ़र इस बात का संकेत है की इस आयुर्वेद में निश्चित ही विशिष्ट गुण निहित है जिसके कारण आयुर्वेद प्राचीन काल से अबतक इस धरा पर अपनी पहचान बना कर रखा है | आयुर्वेद का अस्तित्व का होना इस बात को भी इंगित करता है की ऋषि-मुनियों द्वारा देवों की चिकित्सा आयुर्वेद के माध्यम से होती थी और इसी परिपाटी को जीवित करते हुए आयुर्वेद आज मानव सेवा कर रहा है | प्राचीन काल से हमारे घरेलु उपचार की विधियाँ यहाँ के परिवार में रची-बसी रही है |

आयुर्वेद में बढती हुई रूचि का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है की आज की युवा वर्ग आयुर्वेद को बदलती शैली के साथ चाहने लगी है | एलोवेरा को आयुर्वेद की खास पहचान जानने लगी है | इतना ही नहीं, युवा पीढ़ी अब खुद को स्वास्थ्य रखने के लिए सामान्य आहार के अलावा अपने भोजन में आंवला, च्यवनप्राश, एलोवेरा का रस भी शामिल करने लगे है |

सर्दी-जुकाम जैसे छोटे समस्या के लिए वे आयुर्वेद के नुस्खे व दवाइयों पर ज्यादा भरोसा करने लगे है | भागमभाग और तेज रफ़्तार जिन्दगी के इस दौर में मनुष्य मशीन की तरह काम कर रहा है और मुफ्त में साथ में तनाव पाल रहा है | ऐसे में आयुर्वेदिक औषधियां थकान व तनाव मिटाने में अत्यंत लाभकारी साबित हो रही है |

हर्बल औषधियां ( एलोवेरा जेल) मुख्य रूप में सौन्दर्यशक्ति व तनावमुक्ति में लोगों की पहली पसंद बनती जा रही है | प्रकृति का वास्तव में अनुपम व उत्कृष्ट उत्पाद है एलोवेरा | एलोवेरा की लोकप्रियता का आलम यह है की आज युवाओं में बतौर फैशन यही आयुर्वेद का विकल्प हो गया है |

महगाई की इस दौर में भी ४३ प्रतिशत लोग यह स्वीकार करते है की अपेक्षाकृत सस्ती व सुरक्षित है | मोटापा व बढ़ते वजन तथा असाध्य रोग भी आयुर्वेद ( एलोवेरा ) चिकित्सा से ठीक हो रहे है |७२ प्रतिशत लोगों की यह मानना है की पहले बुजुर्ग लोग ही आयुर्वेद पर भरोसा करते थे पर अब युवाओं में जागरूकता आई है , इससे लगता है की आने वाला कल में एलोवेरा और इससे सलग्न पौष्टिक पूरक की चाहत बढ़ेगी , क्युकी आयुर्वेद ( एलोवेरा ) चिकित्सा के अलावा भी शरीर के सर्वांगीन विकाश का काम करता है |

आयुर्वेद को लेकर लोगों में जागरूकता आई है ,लोग यह समझने लगे है की आयुर्वेद ही एक मात्र रास्ता है जहाँ मनुष्य की कायाकल्प संभव है | लोग यह भी जान गए है की एलोवेरा और उनके पौष्टिक पूरक के माध्यम से असाध्य रोगों पर विजयी प्राप्त कर सकते है | कुल मिलाकर जीवन के कसौटी पर आयुर्वेद अब खरा उतरने लगा है |

इसमें अच्छा व्यवसाय भी नजर आने लगा है | आज एलोवेरा ( आयुर्वेद ) की उत्पाद को लेकर हमारी कम्पनी भी करीब अपने देश में विगत १० साल से व्यवसाय कर रही है और करीब ८५ प्रोडक्ट इस समय सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए बाजार में उतरा हुआ है | शरीर से सम्बंधित करीब २२० प्रकार के रोग में आप हमारी कंपनी के उत्पाद की सहायता ले सकते है और अपना जीवन पुर्णतः खुशहाल बना सकते है |

फॉरएवर लिविंग प्रोडक्ट जो एलोवेरा के सर्वश्रेष्ठ उत्पादक है | दुनिया में ८५ प्रतिशत बाजार पर इनका अकेले का कब्ज़ा है और ३२ साल से १४२ देश में यह अपना व्यवसाय कर रही है | कम्पनी की पहचान उनका उत्कृष्ट व स्थिरीकरण प्रक्रिया से तैयार किया गया एलोवेरा जेल है | १३००० करोड़ की कंपनी का ५० प्रतिशत विक्री सिर्फ एलोवेरा जेल का है |
शरीर के किसी भी प्रकार के रोग में यह एलोवेरा जेल कारगर साबित होता है |
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Old 19-01-2012, 07:39 PM   #3
sombirnaamdev
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Default Re: आयुर्वेदिक औषधियां

चिक्तिसा परामर्श हेतु हमसे संपर्क करने वालो में सर्वाधिक संख्या उन रोगियों की होती है जो उदर रोगों से पीड़ित होते है - जैसे अपच,भूख न लगना, गैस, एसिडिटी और सबसे मुख्य रोग कब्ज़ | अनियमित दिनचर्या और अनुचित आहार-विहार के अलावा मानसिक तनाव, नाना प्रकार के कारणवश होने वाली चिंता का सीधा प्रभाव नींद और पाचन संस्थान पर पड़ता है और व्यक्ति अनिद्रा तथा अपच का शिकार हो जाता है और इस स्थिति का निश्चित परिणाम होता है कब्ज़ होना | कब्ज़ कई व्याधियों की जड़ होती है जिसमे बवासीर, वात प्रकोप, एसिडिटी, गैस और जोड़ों का दर्द आदि व्याधियां कब्ज़ के ही देन होती है |

तो आज मैं चर्चा करने जा रहे है जिसमे सारे रोगों को दूर करने की शक्ति है,जो की ठंढी प्रकृति का है तथा इसकी विशेषता यह है की सूखने पर भी इसके गुण नष्ट नहीं होते | इसे आप हरा या सुखा किसी भी रूप में खाकर इसके सामान गुण का लाभ उठा सकते है | जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ आयुर्वेद में मशहूर बनौषधि जिसका नाम है " आँवला"

संस्कृत में आँवले को अमरफल, आदिफल, आमलकी , धात्री फल आदि नामों से पहचाना जाता है | लेतीं नाम :- एम्ब्लिका ओफिसिनेलिस( Emblica officinalis )

आँवला सर्दी की ऋतू में ताजा मिलता है | नवम्बर से मार्च तक अवाला ताजा मिलता रहता है | जनवरी-फ़रवरी में आवला अपने पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है |

जो आंवला आकर में बड़ा होता हो, गुदे में रेशा नहीं हो, बेदाग और हलकी-सी लाली लिए हुए हो, वह आँवला सबसे उत्तम होता है | वैसे सर्दियों में ही इसका मुरब्बा, अचार, जैम आदि बनाए |


आँवले में विटामिन- सी ( "C") पाया जाता है | एक आँवले में विटामिन- सी की मात्रा चार नारंगी और आठ टमाटर या चार केले के बराबर मिलता है | इसलिए यह शरीर की रोगों से लड़ने की शक्ति में महत्वपूर्ण है | विटामिन-सी की गोलियों की अपेक्षा आँवले का विटामिन-सी सरलता से पच जाता है |
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Old 19-01-2012, 07:41 PM   #4
sombirnaamdev
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Default Re: आयुर्वेदिक औषधियां

आयुर्वेद के समस्त औषधियों और जड़ी-बूटियों में तुलसी का अहम् भूमिका है | तुलसी से कोई अपरिचित नहीं है ,बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी जानते है | इसकी दो प्रजातियाँ होती है - सफ़ेद और काली | तुलसी में बहूत से गुण है | "राजबल्ल्भ ग्रन्थ" में कहा गया है ---- तुलसी पित्तकारक तथा वाट कृमि और दुर्गन्ध को मिटाने वाली है, पसली के दर्द खांसी, श्वांस, हिचकी में लाभकारी है | इसे सभी लोग बड़ी श्रद्धा एवं भक्ति से पूजते है|

भारतीय चिकित्सा विधान में सबसे प्राचीन और मान्य ग्रन्थ "चरक संहिता" में तुलसी के गुणों का वर्णन एकत्रित दोषों को दूर करके सर का भारीपन, मस्तक शूल, पीनस, आधा सीसी, कृमि, मृगी, सूंघने की शक्ति नष्ट होने आदि को ठीक कर देता है | भारतीय धर्म गर्न्थों में तुलसी के रोग निवारक क्षमता की भूरी-भूरी प्रशंसा की गयी है ----
तुलसी कानन चैव गृहे यास्यावतिष्ठ्ते |
तदगृहं तीर्थभूतं हि नायान्ति ममकिंकरा ||
तुलसी विपिनस्यापी समन्तात पावनं स्थलम |
क्रोशमात्रं भवत्येव गांगेयेनेक चांभसा ||

तुलसी से मृत्युबाधा दूर होती है | उसकी गंध का प्रभाव एक कोस तक होता है | जब इससे रोगों की निवृत हो जाती है ,तब यम की बाधा तो हटती ही है, क्यूंकि रोग ही तो यम के दूत बन कर आते है | वैज्ञानिकों द्वारा यह प्रमाणित हो चूका है की तुलसी के संसर्ग से वायु सुवासित व शुद्ध रहती है |


पौराणिक कथाओं में तुलसी को प्रभु का भक्त बताया गया है | भगवन के आशीर्वाद से ही तुलसी ( पौधे के रूप में ) घर-घर में विराजमान रहने लगी |मंदिर में भगवान् का चरणामृत देते समय पुजारी तुलसी पात्र के साथ गंगाजल देते है और प्रसाद के सभी पदार्थों में तुलसी पत्र डाला जाता है |

क्युकी यह 'अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम' अर्थात यह अकाल मृत्यु से बचाती है और सभी रोगों को नष्ट करती है | मृत्यु के समय तुलसी मिश्रित गंगाजल पिलाया जाता है जिससे आत्मा पवित्र होकर सुख-शांति से परलोक को प्राप्त हो | इसीलिए लोग श्रधापुर्वक तुलसी की अर्चना करते है, सम्मान इसका ऐसा होता है की कार्तिक मास में तो तुलसी की आरती एवं परिकर्मा के साथ-साथ उसका विवाह किया जाता है |

अनुसंधान कर्ताओं ने पाया है की पेट-दर्द, और उदार रोग से पीड़ित होने पर तुलसी के पत्तों का रस और अदरक का रश संभाग मिलकर गर्म करके सेवन करने पर रोग का प्रभाव हट जाता है | तुलसी के साथ में शक्कर अथवा शहद मिलकर खाने से चक्कर आना बंद हो जाता है | सिरदर्द में तुलसी के सूखे पत्तों का चूर्ण कपडे में छानकर सूंघने से फायदा होता है |

वन तुलसी का फुल और काली मिर्च को जलते कोयले पर दल कर उसका धुना सूंघने से सिर का कठिन दर्द ठीक होते देखा गया है | केवल तुलसी पत्र को पिस कर लेप करने, छाया में सुखाई गयी पत्तियां के चूर्ण को शुन्घने से सिर दर्द में काफी आराम पहुँचता है |
छोटे बच्चे को अफरा अथवा पेट फूलने की शिकायत प्रायः देखि गयी है, जिसमे तुलसी और पान पत्र का रस बराबर मात्रा में मिलाकर इसकी दस-दस बूंद सुबह दोपहर शाम बराबर देते रहने से काफी आराम मिलता है | दांत निकलते समय बच्चों को जोर से दस्त लग जाते है इसमें भी तुलसी पत्ते का चूर्ण शहद में मिलाकर से लाभदायक होता है | बच्चों को सर्दी और खांसी की शिकायत होने पर तुलसी पत्र का रस उपयोगी सिद्ध होता है |

तुलसी के आसपास का वायुमंडल शुद्ध रहने के कारण प्रदुषण अन्य रोगों का पनपने का मौका नहीं मिलता है | पेय जल में यदि तुलसी के पत्तों को डालकर ही सेवन किया जाए तो कई तरह के रोगों से बचा जा सकता है |
तुलसी को संस्कृत भाषा में 'ग्राम्य व सुलभा इसलिए कहा गया है की यह सभी गांवों में सुगमता -पूर्वक उगाई जा sakti है और सर्वत्र सुलभ है, इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए आरोग्य प्राप्त करने की दृष्टि से इसका आरोपण सभी घरो में होना चाहिए |
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Old 19-01-2012, 07:43 PM   #5
sombirnaamdev
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Default Re: आयुर्वेदिक औषधियां

आज चर्चा करने जा रहा हूँ जो ( गाँव की शान है ,सेहत की जान है,) आम लोगों को आसानी से आहार में मिलता रहा है | इसकी गणना हरी पतेदार सब्जी में की जाती है | जो लौह तत्व और कल्स्शियम से भरपूर है | हमारे पूर्वजों की सबसे पसंदीदा शाक ( साग ) है जिसका नाम है बथुआ | बथुआ में प्रायः शरीर के सभी पोषक तत्व पाए जाते है | मौसम के अनुसार उपलब्ध इसका सेवन करके छोटे-छोटे रोगों से अपना बचाव स्वयं किया जा सकता है | वैज्ञानिक शोधों से पता चल चूका है कि जिन सब्जियों को शीधे सूर्य से प्रकाश प्राप्त होता है,वे पेट में जाकर विषाणु-कीटाणुओं का नाश करती है | बथुआ भी उन्ही सब्जी में से एक है जिन्हें सूर्य का प्रकाश सीधे मिलता है |

विभिन्न प्रकार के पौष्टिक तत्वों से सुसज्जित बथुआ एक सस्ता साग है | विशेषकर यह ग्रामीण क्षेत्र में सहजता से प्राप्त होने वाला प्रकृति का एक अनमोल तोहफा है | ग्रामीण इलाकों में बथुआ कि कोई उपियोगित नहीं है,जबकि प्रक्रति ने इसमें सभी प्रकार के अच्छाइयाँ समाहित कर रखी है | भोजन में इसकी मौजदगी से कई प्रकार के रोगों से बच सकते है | यह बाजारों में दिसंबर से मार्च तक आसानी से मिल जाता है |

बथुआ अपने आप गेहूं व जौ के खेतों में उग जाता है | इसके पते त्रिकोनाकर व नुकीले होते है , इसके पौधे पर सफ़ेद,हरे व कुछ लालिमा लिए छोटे-छोटे फुल होते है | बीज काले रंगे के सरसों से भी महीन होते है | पकने पर बीज खेत में गिर जाता है और साल भर तक जमीन के अन्दर पड़े होने के बाद अनुकूल जलवायु व परिस्थितियां मिलने पर स्वतः उग आते है |

बथुआ के बारे में प्राचीन आयुर्वेद ग्रन्थ में भी उल्लेख मिलता है | आयुर्वेद में इसकी दो प्रजातियाँ है ,एक गौड़ बथुआ जिसके पते कुछ बड़े आकर तथा लालिमा लिए होते है ,जो अक्सर सरसों ,गेहूं आदि के खेत में प्राप्त होता है | दूसरा है,यवशाक जिसके पतों पर लालिमा नहीं होती, पते भी पहले जाती के अपेक्षा कुछ छोटे होते है,जो अक्सर जौ के खेतों में अधिकतर मिलता है इसीलिए इसे यवशाक कहते है |

बथुआ को संस्कृत में वस्तुक,क्षारपत्र ( पतों में खरापर के वजह से ) शाकराट ( सागों का राजा ) ,हिंदी में बथुआ ,पंजाबी में बाथू, बंगाली में बेतुवा, गुजराती में वाथुओ,
महारास्त्र में चाकवत, और अंग्रेजी में ह्वाईट गुज फुट ( White goose foot ) कहते है ,इसका लैटिन नाम चिनोपोडियम अल्बम ( Chenopodium album ) है |


बथुआ में 70% जल होता है , इसके अन्दर पारा, लौह, क्षार, कैरोटिन व विटामिन C आदि खनिज तत्व पाए जाते है | भाव प्रकाश में इसके गुणों का उल्लेख में लिखा है कि बथुआ क्षारयुक्त, स्वादिष्ट, अग्नि को तेज करने वाला तथा पाचनशक्ति को बढ़ानेवाला है |

दीपनं पाचनं रुच्यं लघु शुक्रबलप्रदनम |
सरं प्लीहास्त्रपितार्शः कृमिदोषत्रयापहम ||

बथुआ का शाक पचने में हल्का ,रूचि उत्पन्न करने वाला, शुक्र तथा पुरुषत्व को बढ़ने वाला है | यह तीनों दोषों को शांत करके उनसे उत्पन्न विकारों का शमन करता है | विशेषकर प्लीहा का विकार, रक्तपित, बवासीर तथा कृमियों पर अधिक प्रभावकारी है |
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Old 19-01-2012, 07:51 PM   #6
sombirnaamdev
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Default Re: आयुर्वेदिक औषधियां

अनार : फल के साथ औषधि गुण भी
आज कल घरेलू नुस्खे ज्यादा कारगर साबित हो रहे है। रोग चाहे जैसा भी हो प्रकृति प्रदत औषधि लोगों की पहली प्राथमिकता होने लगी है। अनार का जूस कई मायनों में सबसे फायदेमंद फल भी है और औषधि भी है। यह कैंसर रोकने के साथ ही ह्वदय के लिए काफी अच्छा है। यही नहीं अब वैज्ञानिकों का कहना है कि इन खूबियों के साथ ही अनार का जूस पेट की चर्बी घटाने में भी काफी कारगर है...
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Old 25-01-2012, 06:36 PM   #7
rajeshgouthwal
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Default Re: आयुर्वेदिक औषधियां

Dear sir kya aapke pass sexual problem ke liye bhi koi dawa hain
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Old 27-01-2012, 09:52 PM   #8
sombirnaamdev
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Default Re: आयुर्वेदिक औषधियां

मनुष्य के मस्तिष्क में सदैव दो तरह की बातें चलती रहती है, एक सकारात्मक तो दूसरी नकारात्मक। नकारात्मक सोच व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर बुरा असर डालती हैं, जिसके कारण उसके उत्साह में कमी आती है। वहीं, सकारात्मक सोच किसी भी कठिन कार्य को करने में उसे साहस प्रदान करती है, जिसके कारण उस व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता।

.दोस्त मैं कोई डॉक्टर या वैद्य नहीं हूँ /
हालाँकि जो बुजुर्गों के ज्ञान और आयुर विज्ञानं के अनुसार आप अपनी
सेक्सुल पॉवर को बढ़ने की बजाये अपने को मानसिक रूप से तैयार करें /
और शारीरिक ताकत के विकास की तरफ ध्यान दें
जिससे आपकी सेक्सुअल पॉवर अपने आप बढ़ जाएगी /
शारीरिक ताकत बढ़ने के लिए आप नियमित रूप से लोकी ,आवला
और अलोविरा जूस का सेवेन करें
लोकी का जूस आपकी सेक्स पॉवर को भी बढ़ाने में आपकी मदद करेगा
एक बार आजमा कर देखो
शारीरिक कसरत सोने पे सुहागे का काम करेगी

धन्यववाद
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Old 15-02-2012, 03:43 PM   #9
sombirnaamdev
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Default Re: आयुर्वेदिक औषधियां

चरक संहिता में वर्णित है गुणवान संतान और कामसुख की कामना से वाजीकरण हेतु प्रयुक्त आयुर्वेदिक नुस्खे का प्रयोग चिकित्सक के निर्देशन में किया जाना चाहिए। वात्स्ययान के कामसूत्र में कहा गया है ' काम का उद्देश्य कामसुख और संतानोत्पत्ति है। इसी प्रकार वाजीकरण (अश्वशक्ति) का उद्देश्य गुणवान संतान तथा कामसुख की प्राप्ति है। आयुर्वेद में धर्मयुक्त काम को पुरषार्थ को बढाने तथा मोक्ष प्राप्ति का साधन माना गया है। व्यवहारिक तौर पर भी यह देखा जाता है कि वाजीकरण (शरीर को अश्वशक्ति प्रदान करने वाली )औषधियां शरीर में मेधा ,ओज ,बल एवं तनाव को कम करती हैं।

काम की प्रबल और सम्मोहक शक्ति को देखकर इसे देवता कहा गया है तथा वसंतपंचमी के रूप में त्यौहार के रूप में मनाने का प्रचलन आज भी है। आज की व्यस्ततम जीवनशैली ,तनावभरी दिनचर्या और भौतिक सुख सुविधायें जुटाने की लालसा ने इस पवित्र कर्म के मूल में निहित भाव एवं उद्देश्य को समाप्त कर दिया है। काम आज दाम्पत्य जीवन की औपचारिकता भर रह गया है ,इन्ही कारणों से यौन संबंधों को लेकर असंतुष्ट युगलों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है, ऐसी स्थिति में आयुर्वेद एवं आयुर्वेदिक औषधियां मददगार हो सकती है जिनका प्रयोग वैद्यकीय निरीक्षण में होना चाहिए-

-असगंध ,विधारा,शतावर ,सफ़ेद मूसली ,तालमखाना के बीज ,कौंच बीज प्रत्येक 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर दरदरा कर कपडे से छान लें तथा 350 ग्राम मिश्री मिला लें, इस नुस्खे को 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम ठन्डे दूध से लें ,लगातार एक माह तक लेने से यौन सामथ्र्य में वृद्धि अवश्य होगी।

-दालचीनी ,अकरकरा ,मुनक्का और श्वेतगुंजा को एक साथ पीसकर इन्द्रिय पर लेप करें तथा सम्भोग के समय कपडे से पोछ डालें ,यह योग इन्द्रियों में रक्त के संचरण को बढाता है।

-शुद्ध शिलाजीत 500 मिलीग्राम की मात्रा में ठन्डे दूध में घोलकर सुबह शाम पीने से भी लाभ मिलता है।

-शीघ्रपतन की शिकायत हो तो धाय के फूल ,मुलेठी ,नागकेशर ,बबूलफली इनको बराबर मात्रा में लेकर इसमें आधी मात्रा में मिश्री मिलाकर ,इस योग को 5-5 ग्राम की मात्रा में सेवन लगातार एक माह तक करें ,इससे शीघ्रपतन में लाभ मिलता है।

-कामोत्तेजना का बढाने के लिए कौंचबीज चूर्ण ,सफ़ेद मूसली ,तालमखाना ,अस्वगंधा चूर्ण को बराबर मात्रा में तैयार कर 10-10 ग्राम की मात्रा में ठन्डे दूध से सेवन करें निश्चित लाभ मिलेगा।

ये चंद नुस्खें हैं, जिनका प्रयोग यौनशक्ति,यौनऊर्जा एवं पुरुषार्थ को बढाने में मददगार है।
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Old 25-02-2012, 02:43 PM   #10
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Default Re: आयुर्वेदिक औषधियां

आंवले के आयुर्वेदिक फायदे से हम भली-भांति परिचित हैं। इसके अंदर रोगों को दूर करने की अथाह शक्ति है। इसका हर मौसम में उपयोग करना आपके लिए लाभदायक होगा। आप इसकी सहायता से तरह-तरह के व्यंजन बना सकते हैं। आंवले की चटनी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है तो देर किस बात की चलिए बनाते हैं।



व्यंजन की किस्म(Dish Type): Veg (शाकाहारी)
कितने लोगों के लिए (Dish Made for): 6


सामग्री (Ingredient)
5 आंवले, 1 टी स्पून राई, 4 हरी मिर्च, 1/2 टी स्पून हींग पाउडर, स्वादानुसार नमक, 3 टी स्पून सरसों का तेल।


बनाने की विधि (Method)
एक कुकर में आंवले डालकर उबाल लें। आंवले और हरी मिर्च को पीस लें।
एक कड़ाही में तेल गरम करें, जब तेल गरम हो जाए तो उसमें हींग और राई डाल दें।
जब राई भुन जाए तो आंवले-मिर्च का पेस्ट डालकर 5 मिनट तक धीमी आंच पर पकाये। स्वादानुसार नमक डाल दें।
ठंडा होने पर एयरटाइट कंटेनर में रख लें।
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