12-11-2010, 11:26 PM | #241 | |
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वैसे तो avf में तो बहुत बार मैं स्वयं के बारे में बता चुका हूँ फिर भी मैं यहाँ पर भी बता रहा रहा हूँ / मेरा नाम जय भारद्वाज है / मैं कानपुर का रहने वाला हूँ / मैं बिना हिंदी (भाषा अथवा साहित्य) के कला स्नातक हूँ यही कारण रहा कि मेरा हिन्दी के प्रति लगाव रहा है / मैं एक प्राइवेट लिमिटेड फैक्टरी में प्रबंधक के पद पर नियुक्त हूँ और अपने शहर और बच्चों से दूर रहता हूँ / पंद्रह दिनों के बाद एक या दो दिनों के लिए उनसे मिलना हो पाता है / प्राइवेट कर्मचारी होने के कारण मेरी जिम्मेदारियां और कार्य के प्रति उत्तरदायित्व अधिक हैं इसके लिए मुझे प्रातः नौ बजे से रात्रि दस बजे तक कार्य करना पड़ता है / दोपहर में तीन से चार के मध्य भोजनावकाश करता हूँ / मैं एक बड़े (संख्यावाची) परिवार का बड़ा बेटा हूँ / मेरे दिवंगत पिताश्री एक ग्रामीण और किसान थे / माँ अभी भी गाँव में ही रहती हैं / कार्यालय में मुझे अधिकतर अंगरेजी में ही कार्य करना पड़ता है इसलिए मैं हिंदी की खोज में नेट से जा उलझा / मैं मोबाइल से नेट में आता हूँ इसलिए मेरी गति बहुत ही धीमी है / अतः मैं बहुत ही कम प्रविष्टियाँ कर पाता हूँ किन्तु मुझे इसका कभी भी खेद नहीं रहा है /
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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13-11-2010, 12:08 AM | #242 | |
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१. मेरे आदर्श मेरे पिताश्री हैं क्योंकि उन जैसा सज्जन, शांत, बुद्धिजीवी, दूरदृष्टा और कर्मयोगी मैंने नहीं देखा है / उन्होंने में मुझे आठ वर्ष की अवस्था से अपने मित्र की भाँति मुझे पाला पोसा है / यही नीति मैंने पाने छोटे भाईयों पर लागू kee थी / यही कारण है कि आज बड़े बड़े बच्चों के पिता व स्वयं अपनी रोजी रोटी कमाने वाले मेरे सभी भाई मेरा अत्यधिक सम्मान देते हैं / २. मित्र, यह एक कठिन प्रश्न है किन्तु मैं यहाँ अपनी प्रारम्भिक वरीयताओं के अनुसार वर्गीकृत करूँ तो सर्वप्रथम..शाम भाई, अलैक जी, मुन्ना भाई, ठाकुर जी और अंत में निकिता मेरे अति पसंदीदा मित्र रहे हैं / ३. जब मुझे एक कन्या आईडी वाले सदस्य ने भाई बनने का आग्रह किया था / ४. उतना ही जितना एक पिता का अपने पुत्र के सफल होने में होता है / ५. कई (लगभग वीस) वर्ष पहले कानपुर में मैं फूलबाग के पास घर जाने के लिए शाम को एक टेम्पो की प्रतीक्षा कर रहा था तभी बगल में एक अधेड़ स्त्री एक सोलह सत्रह वर्ष की लडकी के साथ आकर खडी होगई और मुझसे बोली कि उसे दूर बर्रा की तरफ जाना है किन्तु उसके साथ गिरहकटी हो गयी है और उसके सारे पैसे लुट चुके हैं / मैंने जेब में हाथ डाला तो टेम्पो की किराये के अलावा मात्र एक पांच सौ रूपये की नोट थी / मुझे अभी इसी नोट से पूरे माह की टेम्पो यात्रा करनी थी अतः मैंने....... मैंने विवशता जाहिर की किन्तु वह ना मानी और रोने लगी तो मैंने वह नोट निकाल कर उसे दे दिया / मैंने सोचा कि कल कुछ व्यवस्था कर लूंगा / पांच सौ रूपये का तत्कालील महत्त्व यह था कि मुझे अगले पंद्रह दिनों तक छः-सात किलोमीटर शाम को पैदल चलना पडा था / पंद्रह दिनों बाद मेरे मित्र में दोपहर में भोजनावकाश में लस्सी पीते समय जब उन्ही दो चरित्रों की तरफ संकेत करते हुए कहा कि उसने इसी लडकी के साथ कई राते गुजारी हैं तो मेरे हाथ से लस्सी का गिलास छूटते छूटते बचा था / मैंने अविश्वास जाहिर किया तो उसने कहा कि मैं यदि ज़रा घूम कर खडा हो जाऊं तो वह साबित कर सकता है / मैंने मान लिया तो उसने उन्हें लेकर लस्सी का आदेश दिया और आज की रात का सौदा करने लगा / अधेड़ स्त्री सहमत हो गयी और लस्सी पीकर चली गयी / मैं वहां रुक नहीं सका और चला आया / मुझे आज तक उन पांच सौ रुपयों के ठगे जाने का क्षोभ है / मैं वे रूपये वापस चाहता हूँ / ६. जहां स्वयं सृजित गीत अथवा लेख लिखे जाते हों / 7. मैं योग्यता के अलावा किसी भी प्रकार के आरक्षण का प्रबल विरोधी हूँ / ८. व्यक्तिगत मान सम्मान से ऊपर है कार्य कुशलता / हमें गाली देकर इस फोरम को नियमानुसार प्रगति देने वाले मुझे अप्रिय नहीं लगेंगे (भले ही प्रिय ना लगे)/ ९. पनीर मेरा प्रिय भोज्य है किन्तु मेरी पत्नी मुझे जो भी प्रसन्नचित्त होकर परोस दे वही अमृत है / १०. झगडा होते नहीं हैं / मैंने माह में एक या दो दिनों के लिए पत्नी-बेटे से मिलता हूँ तो क्या झगडा ? जब घर की सम्पूर्ण व्यवस्था उन्हें ही करनी है तो अव्यवस्था होने पर जब तक वे सलाह ना मांगे मैं नहीं देता और ..... और मेरी सलाह तत्काल प्रभाव से मान ली जाती है / धन्यवाद /
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13-11-2010, 12:19 AM | #243 |
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बहुत सुन्दर उत्तर दिए हैं भैया.
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13-11-2010, 10:46 AM | #244 |
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आपके जीवन का कष्टतम समय आपको क्या व्यवहारिक शिक्षा देकर गया ??
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13-11-2010, 02:50 PM | #245 |
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भैया जी
1 आपने कभी किसी लडकी से प्यार किया हैँ 2 आपके नजर मेँ अपने देश की कुछ बहुत बडी समस्या किया हैँ 3 आप अपने अन्दर कौनसा सुधार करना चाहेँगे 4 आपके जमाने के बच्चे और आजकल के बच्चोँ मेँ खास अंतर किया हैँ 5 आपके जीवन जीने का अंदाज कैसा हैँ |
13-11-2010, 05:46 PM | #246 |
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नमस्कार भाई साहेब...........
१.जब आप अकेले होते है तो आप अपना समय कैसे व्यतीत करते है ? २.यदि आपको विदेश में अच्छी जॉब मिले ,और परिवार को साथ ले जाने की इजाजत न हो तो क्या आप वहां जाना पसंद करेंगे................ ३.आप अपने दोस्तों में किस चीज़ को प्राथमिकता देते है, |
13-11-2010, 10:09 PM | #247 | |
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मेरे जीवन के प्रारम्भिक २५ वर्ष अत्यंत दीन हीन और अव्यवस्थित रहे हैं/ मेरे पिताश्री ने बचपन से हमें यही सिखाया था कि "जब कोई तुम्हारी हंसी उडाये, तुम्हे ताड़ना दे अथवा तुम्हे ललकारे तो समय का चक्र समझ कर उससे भिड़े बिना उस समय को निकाल दो इससे एक तो उसकी उत्तेजना में विजेता भाव के कारण ठंडक आयेगी अथवा उस के मन में पश्चाताप का प्रादुर्भाव होगा भले ही वह व्यक्त ना करे / दोनों ही मामलों में तुम्हारी मानसिक ऊर्जा का ह्रास नहीं होगा जो कि निर्णय के क्षणों में नितांत आवश्यक होती है/" मुन्ना भाई मैंने अपने जीवन में ऐसे अनेको लोगों को झुक कर टूटते हुए देखा है / कल तक मेरे परिवार को सामाजिक तिरस्कार का लबादा उढ़ाने वाले, ईश्वर मुझे क्षमा करे, किन्तु आज वे अपने बेटों-पत्नी से तिरस्कृत होकर हमारे आश्रित हैं / मैं अपने परिवार सहित उनकी सेवा तन्मयता से ही करता हूँ बिलकुल निस्पृह भाव से / मेरा अनुभव है कि संकट के दिनों को यदि धीरज के साथ, बिना अपनी बुद्धि को बिचलित किये, निकाल दें उचित होता है / हमें उचित समय और अवसर की प्रतीक्षा करनी ही चाहिए/
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13-11-2010, 10:12 PM | #248 | |
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मैं आपके प्रश्नों का यथासंभव हल देने की चेष्टा कर रहा हूँ : १. किशोरावस्था तक अपनी तंगहाली के कारण मैं ऐसे अवसरों से बचता रहा हूँ और फिर युवावस्था में इस विचार ने मुझे तथाकथित प्रेम की राह में चलने से रोक दिया कि मैं अपनी कुंवारी चाहना (मानसिक और शारीरिक) को अपनी पत्नी के साथ ही साझा करूंगा / २. मेरे विचार से (१) जनसंख्या है / यदि जनसंख्या वृद्धि की दर में कमी आये तो कुछ अन्य सामाजिक दोष जैसे आर्थिक अपराध, बेरोजगारी, आर्थिक असमानता, अशिक्षा और भृष्टाचार भी कम अथवा बंद हो सकते हैं / तत्पश्चात (२) कन्या भ्रूण ह्त्या है / यदि हम इस कुप्रथा के प्रति सचेत हो जाएँ तो लिंगानुपात की विषमता का निवारण हो जाए और स्त्रियों पर होने वाले शारीरिक व आर्थिक अत्याचारों पर अंकुश लग सकता है / ३. मैं अपने अन्दर आध्यामिक प्रबलता को और अधिक दृढ करना चाहता हूँ / ४. आज के बच्चों में धैर्य की कमी है / वे सभी कुछ तत्काल ' इंस्टैंट ' चाहते हैं जब कि हमने ऊंचाईयों को धीरे धीरे छुआ है / आधुनिक परिवेश में इसके लाभ यह हैं कि प्रतिस्पर्धा के कारण बच्चे अतिशीघ्र अपने लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं / इसकी हानि यह है कि बच्चे इन उपलब्धियों को संजो कर नहीं रख पाते क्योंकि शीघ्र ही कोई अन्य प्रतियोगी उनकी उपलब्धियों का स्वामित्व प्राप्त कर लेता है तब उन्हें मानसिक क्षोभ और अवसाद घेर लेते हैं / जो उनके जीवन के लिए घातक भी हो जाता है / 5. जोत से जोत जलाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो/ राह में आये जो दीन दुखी, सबको गले से लगाते चलो //
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13-11-2010, 10:15 PM | #249 | |
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ताराबाबू राम राम / १. मैं अकेला होता ही कब हूँ मित्र, प्रातः से रात तक कार्यालयकर्मियों , रात से मध्यरात्रि तक फोरम के साथियों , मध्यरात्रि से तडके तक निद्रा देवी, तडके से प्रातः तक ईष्ट देवों के सानिध्य में होता हूँ / २. हाँ, एक बार अवश्य जाना चाहूंगा ताकि अपनी संतान को वहाँ के अनुभवों के बारे में भी बता सकूं / ३. निष्कपट और संतोषी हों / चाटुकार और अतिमहत्वाकांक्षी कदापि ना हों / धन्यवाद /
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14-11-2010, 09:06 AM | #250 |
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प्रणाम भाई जी
1 आपके जीवन के सबसे ज्यादा मजेदार क्षण 2 आपके जीवन के यादगार पल 3 आपके जीवन की अभिलाषा 4 आपके जीवन का अनमोल चीज जिसे आप सम्भाल कर रखतेँ हैँ 5 आपके पसन्द की फिल्मेँ अगर देखतेँ हो 6 अगर एक आदत निकालना हो अपने अन्दर से तो कौन सा निकालेँगेँ 7 आपके पसन्द का नेता 8 अपने देश मेँ और विदेश मेँ पसंदीदा स्थल |
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