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Old 06-12-2010, 06:58 PM   #531
munneraja
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अनुज जलवा
आपके जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव किसका है ??
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Old 06-12-2010, 07:32 PM   #532
jalwa
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Originally Posted by aksh View Post
जलवा जी से सूत्र पर साक्षात्कार की शुरुआत मैं ही करता हूँ.

अनुज जलवा जी ! अभी हाल की कुछ दिन की बीमारी के बाद क्या आपके जिंदगी को देखने के नजरिये में बदलाव आया है. ? यदि हाँ तो क्या बदलाव महसूस किया है आपने ?? कृपया हम सभी को भी बताएं.

अपनी वर्तमान मनः स्थिति में अगर हम किसी फोरम के सदस्य से आपके मिलने की व्यवस्था करवाएं तो आप किससे मिलना चाहोगे ? और क्यों ???
"ॐ श्री गणेशाय नमः.
"सर्वप्रथम तो साक्षात्कार में मुझे आमंत्रित करने के लिए आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ.
अक्ष जी, वैसे मुझे कोई अधिक तकलीफ नहीं थी लेकिन पिछले दिनों मेरे नजदीकी कुछ लोगों के साथ कुछ इस प्रकार की घटनाएं हुईं की मैं डर गया .. और बिना देर किये शीघ्र हॉस्पिटल में एडमिट हो गया.
हमारे बड़े भैया के साले साहब जिनकी उम्र तकरीबन ४५ वर्ष थी. और एक हमारे अन्य रिश्तेदार जिनकी उम्र भी तकरीबन इतनी ही थी, तथा मेरे एक सी ए मित्र "स्वर्गीय संदीप जी"(३८ वर्ष) ....पिछले दिनों ये तीन व्यक्ति एक वर्ष के अंतराल में सीने में दर्द की शिकायत के बाद हॉस्पिटल तक भी नहीं पहुँच पाए तथा बीच में ही ईश्वर को प्यारे हो गए. इन सभी के साथ हुए हादसों के बाद इनके परिवार की स्थिति मैंने देखी है. पीछे रह जाने वालों पर क्या बीतती है.. ये शब्दों में व्यक्त करना असंभव है.
मैं अपने परिवार से बहुत प्रेम करता हूँ .. इसलिए किसी प्रकार का रिस्क लेना नहीं चाहता था. फिर भी पांच दिन हॉस्पिटल में रह कर मेरी पूरी तरह से ओवर हालिंग हो गई है.
जिस प्रकार हम किसी के अंतिम संस्कार में शमशान जाते हैं तो जितने समय शमशान में रहते हैं उतने समय कोई बुरा विचार दिल में नहीं आता .. बस एक ही विचार आता है की ..'जीवन क्षण भंगुर है.. सभी को यह चोला छोड़ कर ईश्वर के पास जाना है.. तो फिर किस बात की मोह माया?' .. लेकिन जैसे ही शमशान से बाहर आते हैं ,.. फिर से अपने पुराने कार्यों में लग जाते हैं. उसी प्रकार हॉस्पिटल से आने के बाद जिन्दगी को देखने के नजरिये में कोई बदलाव महसूस नहीं कर रहा हूँ..
यदि आप मिलवाने की व्यवस्था करेंगे तो मैं "प्रेतात्मा " जी से मिलना चाहूँगा. (वैसे मैं सभी सदस्यों से मिलना चाहता हूँ ) इनसे इसलिए क्योंकि इनके बारे में जानने की मुझमें बहुत अधिक जिज्ञासा है. मेरी अभी तक कभी इनसे फोन पर बात भी नहीं हुई है. कभी प्राइवेट मैसेज या विजिटर मैसेज का जवाब भी इनसे नहीं मिला है. यहाँ तक की फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट का भी जवाब नहीं मिला है. लगता है मुझे इनसे रूबरू ही मिलना पड़ेगा. (बाकियों से तो बातचीत होती रहती है)
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Old 06-12-2010, 07:36 PM   #533
jalwa
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Originally Posted by chhotu View Post
ये कोण सी नोकरी के लिए सक्सत्कर हो रहे हैं जी
मित्र, आप भी इस साक्षात्कार का हिस्सा बन सकते हैं. यह किसी नौकरी के लिए नहीं हैं .. बल्कि अपने दोस्तों के बारे में... उनके व्यवहार के तथा विचारों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करने का साक्षात्कार है.
यदि आप चाहें तो आप भी यहाँ प्रश्न पूछ सकते हैं. बाद में समय आने पर आपको भी यहाँ आमंत्रित किया जा सकता है. आपको भी यहाँ सवालों के जवाब देने पद सकते हैं. इसलिए कृपया आप इस सूत्र को पढ़ते रहें और अपने प्रश्न रखते रहें .. धन्यवाद.
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Old 06-12-2010, 07:53 PM   #534
khalid
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जलवा भाई आपका स्वागत हैँ
पहले कृप्या अपने बारे मेँ डिटेल से बताए
और हो सके तो अपने परिवार के बारे मेँ भी
आपकी मर्जी पर पुरी तरह डिपेँड हैँ अगर आप नहीँ चाहेगेँ जवाब देना तो कोई बात नहीँ
धन्यवाद
__________________
दोस्ती करना तो ऐसे करना
जैसे इबादत करना
वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना
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Old 06-12-2010, 07:54 PM   #535
jalwa
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Originally Posted by munneraja View Post
अनुज जलवा
आपके जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव किसका है ??
मेरे जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव मेरे परम आदरणीय स्वर्गीय पिताश्री का है. उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज की सेवा के लिए समर्पित कर दिया. वे चाहते तो अपने जीवन में दौलत और संपत्ति का पहाड़ खड़ा कर सकते थे लेकिन उन्होंने कभी भी दौलत को और लालच को खुद पर हावी नहीं होने दिया. "नर ही नारायण है " का सिद्धांत सदैव जीवन भर अपनाया. उन्होंने स्वयं और अपने परिवार के लिए केवल उतना ही संचय किया जिससे की जीवन यापन सही से होता रहे. उनका सिद्धांत था की-
साईं इतना दीजिये , जामें कुटुंब समाए,!
मैं भी भूखा न रहूँ, साधू न भूखा जाए!!
वे अनेक सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए थे. . एक बार की घटना मुझे याद आती है.. तब मैं बहुत छोटा था . किसी राजनैतिक पार्टी के लोग हमारे घर पर (चांदनी चौक) आए . वे मेरे पिताजी को अपनी टिकट से चुनाव लड़ना चाहते थे .
लेकिन मेरे पिताजी नें यह कहकर की वे राजनीती की कीचड में नहीं सनना चाहते , चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था. उन्होंने अपने पूरे जीवन में निस्वार्थ भाव से समाज की सेवा की है. आज भी लोग बहुत श्रद्धा पूर्वक उनको याद करते हैं. जिस दिन पिताश्री को ईश्वर नें अपने चरणों में स्थान दिया था उस दिन 'निगम बोध घाट' (शमशान)पर हजारों की संख्या में लोगों का हुजूम था. जिनमें कई वी आई पी लोग भी शामिल थे. जबकि पिताजी नें जीवन में कभी कोई चुनाव तक नहीं लड़ा फिर भी असंख्य लोग उनसे प्रेम करते थे .उनकी मृत्यु पर हर कोई शोकाकुल था. मेरी याददाश्त में मैंने कभी भी उनका कोई शत्रु या फिर अहित करने वाला नहीं देखा.. सभी उनके प्रियजन थे. मुझे लगता है की जीवन में इससे बड़ी दौलत शायद कोई और नहीं होगी.
मैं भी अपने जीवन में उनके जैसा बनना चाहता हूँ लेकिन उनके जैसा जीवट मुझमें नहीं है और कभी कभी मैं अहंकारी हो जाता हूँ .. किन्तु उनमें मैंने कभी अहंकार नहीं देखा था.
यदि मैं अपने जीवन में उनका दस प्रतिशत भी बन सका तो अपना जीवन धन्य समझूंगा.
धन्यवाद.
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Last edited by jalwa; 06-12-2010 at 07:56 PM.
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Old 07-12-2010, 09:45 AM   #536
jalwa
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Originally Posted by khalid1741 View Post
जलवा भाई आपका स्वागत हैँ
पहले कृप्या अपने बारे मेँ डिटेल से बताए
और हो सके तो अपने परिवार के बारे मेँ भी
आपकी मर्जी पर पुरी तरह डिपेँड हैँ अगर आप नहीँ चाहेगेँ जवाब देना तो कोई बात नहीँ
धन्यवाद
मित्र, मैं एक दिल्ली निवासी ,व्यवसायी, विवाहित पुरुष हूँ. शिक्षा कोई ख़ास अधिक नहीं है ..स्नातक की पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर व्यवसाय में पिताजी का हाथ बंटाने लगा था. क्योंकि मुझे सरकारी नौकरी में कोई इंटेरेस्ट नहीं था इसलिए कभी किसी नौकरी के लिए जीवन में प्रयास नहीं किया, न ही कभी साक्षात्कार ही दिया है.. यह मेरा साक्षात्कार का जीवन में प्रथम अवसर है.
मैं एक सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ. हमारा एक संयुक्त परिवार है. हमारे परिवार की मुखिया हमारी पूजनीय माताजी हैं. हम तीन भाई हैं .तीनों ही विवाहित हैं व अपने बच्चों सहित एक तीन मंजिला घर में एक साथ रहते हैं.
हम तीनों भाइयों में मैं मंझला हूँ. हमारी एक बहन भी है जिसका विवाह दस वर्ष पूर्व हो चुका है.
हमारा परिवार एक व्यावसायिक परिवार है. हम तीनों भाइयों के अलग अलग व्यापार हैं फिर भी हमने कभी एक दूसरे से अलग होने के विषय में नहीं सोचा है.
हम सभी प्रेम पूर्वक रहते हैं.
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Old 07-12-2010, 09:57 AM   #537
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आपने लव मेरिज किया था या अरेँज
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Old 07-12-2010, 10:10 AM   #538
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आप अपने दुस्मनो को किस नजरिये से देखते है और दोस्तों को भी
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Old 07-12-2010, 10:16 AM   #539
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Originally Posted by khalid1741 View Post
आपने लव मेरिज किया था या अरेँज
मैंने अपने माता पिता की पसंद की लड़की के साथ अरेंज मैरिज की है लेकिन विवाह के पश्चात उनसे ही बेशुमार लव किया है जो आज तक कर रहा हूँ और ताजिन्दगी करता रहूँगा.
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Old 07-12-2010, 10:20 AM   #540
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Originally Posted by abhay View Post
आप अपने दुस्मनो को किस नजरिये से देखते है और दोस्तों को भी
अभय भाई, मैंने अपने दिमाग पर बहुत जोर डाला. अपनी पूरी याददाश्त को खंगाला .. लेकिन मुझे याद नहीं आ रहा की कभी कोई मेरा शत्रु भी था. रहा सवाल दोस्तों का.. तो वो तो कितने हैं मैंने कभी गिने भी नहीं.
और दोस्तों को देखने के लिए मेरा कोई नजरिया नहीं है.. बस जैसे पूरे संसार को देखता हूँ उसी प्रकार अपने दोस्तों को देखता हूँ. मैं मानव मात्र से प्रेम करने में विशवास रखता हूँ तथा पूरे संसार को प्रेम के नजरिये से ही देखता हूँ.
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