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View Full Version : ऐसी की तैसी।


arvind
17-11-2010, 12:34 PM
नेता धर्म।

"जो कुछ अच्छा हुआ,
वह हमने किया,
जो कुछ बुरा हुआ,
वह किया अधिकारियों ने",
यह सीधी बात नहीं समझती जनता,
ख़ुद भी होती है परेशान,
हमें भी करती है परेशान.
कुछ मत देखो,
कुछ मत सुनो,
कुछ मत कहो,
बस हमें वोट देते रहो

arvind
17-11-2010, 12:45 PM
दिल जलता है तो जलने दे

जी भर घपले घोटाले कर
मौक़ा न गवाँ इनकार न कर
जब तक इल्ज़ाम न साबित हो
काहे का भय काहे का डर
जी भर घपले घोटाले कर

यह देश है गूँगे बहरों का
सहमें और बेबस चेहरों का
सहना तो इनकी आदत है
मस्ती से किये जा फ़िक्र न कर
जी भर घपले घोटाले कर

हर बात यहाँ बेमानी है
अब किसकी आँख में पानी है
सबकी फ़ितरनत मनमानी है
चुपचाप किये जा ज़िक्र न कर
जी भर घपले घोटाले कर

arvind
17-11-2010, 12:51 PM
कर चले हम फिदा जानो-तन साथियो

हार का न करो कोई ग़म साथियो
तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो

दौर जब तक चले कोई फुरसत न लो
घर में, जितनी बने लक्ष्मी दाब लो
वक़्त होता है मेहमान, कुछ देर का
उसके जाने से पहले, उसे नाप लो
फिर करो बैठ कर ऐश तुम साथियो
तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो

हींग भी न लगे न लगे फ़िटकरी
हो मगर जिंदगी में, मज़ा ही मज़ा
ये सियासत भी क्या चीज़ है दोस्तो
ख़ूब डालो डकैती न होगी सज़ा
उल्टे सब लोग, चूमें क़दम साथियो
तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो

सूट और टाई में दाग़ लगते नहीं
व्यर्थ इनपे ना पैसा बहाया करो
सर पे टोपी धरो खादी पहना करो
नाम गाँधी का ले ले के घपला करो
फिर मिलेगा न दूजा जनम साथियो
तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो

ndhebar
18-11-2010, 04:37 AM
बहुत ही अच्छी पैरोडी है
पर मेरे भाई "ये दिल मांगे मोर "

arvind
22-11-2010, 05:01 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3883&stc=1&d=1290430843

kamesh
22-11-2010, 05:08 PM
नेता धर्म।

"जो कुछ अच्छा हुआ,
वह हमने किया,
जो कुछ बुरा हुआ,
वह किया अधिकारियों ने",
यह सीधी बात नहीं समझती जनता,
ख़ुद भी होती है परेशान,
हमें भी करती है परेशान.
कुछ मत देखो,
कुछ मत सुनो,
कुछ मत कहो,
बस हमें वोट देते रहो
कितनी सच बात को लिखा है मेरे भाई
सलाम आप को

arvind
25-11-2010, 06:00 PM
है प्रीत जहां की रीत सदा.....

है “चीट” जहाँ की रीत सदा
मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ “इंडिया” की बात सुनाता हूँ…

काले-गोरे का भेद नहीं हर जेब से हमारा नाता है
कुछ और ना आता हो हमको हमें रिश्वत लेना आता है…
जिसे मान चुकी सारी दुनिया, मैं बात वही दोहराता हूँ…
भारत का रहने वाला हूँ “इंडिया” की बात सुनाता हूँ…

जीते हों किसी ने देश तो क्या, “कंधार-मसूद” तो भ्राता हैं
यहाँ हर्षद अब तो है नर में, नारी मे अब तो “एकता” है..
इतने “रावण” हैं लोग यहाँ… मैं नित-नित धोखे खाता हूँ..
भारत का रहने वाला हूँ “इंडिया” की बात सुनाता हूँ…

इतनी ममता, नदियों को भी जहाँ नाला मिलकर बनाते हैं
इतना आदर ढोर तो क्या नेता भी पूजे जाते हैं..
इस धरती पे मैने जनम लिया… ये सोच के मैं घबराता हूँ..
भारत का रहने वाला हूँ “इंडिया” की बात सुनाता हूँ…

amit_tiwari
25-11-2010, 06:05 PM
कर चले हम फिदा जानो-तन साथियो

हार का न करो कोई ग़म साथियो
तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो

दौर जब तक चले कोई फुरसत न लो
घर में, जितनी बने लक्ष्मी दाब लो
वक़्त होता है मेहमान, कुछ देर का
उसके जाने से पहले, उसे नाप लो
फिर करो बैठ कर ऐश तुम साथियो
तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो

हींग भी न लगे न लगे फ़िटकरी
हो मगर जिंदगी में, मज़ा ही मज़ा
ये सियासत भी क्या चीज़ है दोस्तो
ख़ूब डालो डकैती न होगी सज़ा
उल्टे सब लोग, चूमें क़दम साथियो
तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो

सूट और टाई में दाग़ लगते नहीं
व्यर्थ इनपे ना पैसा बहाया करो
सर पे टोपी धरो खादी पहना करो
नाम गाँधी का ले ले के घपला करो
फिर मिलेगा न दूजा जनम साथियो
तुम तो कर लो इकट्ठा रक़म साथियो


साधु साधु :rolling::rolling::dance-moves::thank-you:

आपके ऊपर तो शीला की जवानी भी कुर्बान गुरु | छाये रहो | :bravo:

amit_tiwari
25-11-2010, 06:07 PM
है प्रीत जहां की रीत सदा.....

है “चीट” जहाँ की रीत सदा
मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ “इंडिया” की बात सुनाता हूँ…

काले-गोरे का भेद नहीं हर जेब से हमारा नाता है
कुछ और ना आता हो हमको हमें रिश्वत लेना आता है…
जिसे मान चुकी सारी दुनिया, मैं बात वही दोहराता हूँ…
भारत का रहने वाला हूँ “इंडिया” की बात सुनाता हूँ…

जीते हों किसी ने देश तो क्या, “कंधार-मसूद” तो भ्राता हैं
यहाँ हर्षद अब तो है नर में, नारी मे अब तो “एकता” है..
इतने “रावण” हैं लोग यहाँ… मैं नित-नित धोखे खाता हूँ..
भारत का रहने वाला हूँ “इंडिया” की बात सुनाता हूँ…

इतनी ममता, नदियों को भी जहाँ नाला मिलकर बनाते हैं
इतना आदर ढोर तो क्या नेता भी पूजे जाते हैं..
इस धरती पे मैने जनम लिया… ये सोच के मैं घबराता हूँ..
भारत का रहने वाला हूँ “इंडिया” की बात सुनाता हूँ…




:gm::gm::gm: जबरदस्त ज़बरदस्त |

ndhebar
25-11-2010, 06:29 PM
साधु साधु :rolling::rolling::dance-moves::thank-you:

आपके ऊपर तो शीला की जवानी भी कुर्बान गुरु | छाये रहो | :bravo:

हीरो भाई
मेरी तरफ से माया की खूबसूरती भी कबूल करो :gm::gm:

gulluu
25-11-2010, 07:04 PM
हीरो भाई
मेरी तरफ से माया की खूबसूरती भी कबूल करो :gm::gm:
जार्ज फर्नांडीज की तंदुरुस्ती भी आपको लग जाये .:gm:

aksh
25-11-2010, 08:45 PM
जार्ज फर्नांडीज की तंदुरुस्ती भी आपको लग जाये .:gm:

अरविन्द भाई नमस्कार ! क्या सूत्र बनाया है कि मुझे भी ममता, जया, अम्बिका और रेणुका आपको दे डालीं.

:lol: :lol: :rolling: :rolling:

ndhebar
26-11-2010, 05:19 AM
अरविन्द भाई नमस्कार ! क्या सूत्र बनाया है कि मुझे भी ममता, जया, अम्बिका और रेणुका आपको दे डालीं.

क्या बात है बड़े भाई आपको भी चाहिए
मैंने सोचा था की आप अपने वाली से खुश हो :party::party:

arvind
26-11-2010, 11:45 AM
हीरो भाई
मेरी तरफ से माया की खूबसूरती भी कबूल करो :gm::gm:

अरविन्द भाई नमस्कार ! क्या सूत्र बनाया है कि मुझे भी ममता, जया, अम्बिका और रेणुका आपको दे डालीं.

:lol: :lol: :rolling: :rolling:
अब तो इन्कम टैक्स वालों को और कही जाने की जरूरत ही नहीं है........

munneraja
26-11-2010, 03:33 PM
अब तो इन्कम टैक्स वालों को और कही जाने की जरूरत ही नहीं है........
इश्वर करे भारत का पूरा महकमा आपके पीछे लग जाये
आप चपाती के घी में कितना आता मिलते हो, दाल के कितने कण अपनी कटोरी में लेते हो, केसर की कितनी पत्तियां अपने नहाने के पानी में डालते हो, उबटन में कितने टन गुलाब की पत्तियां पिसवाते हो ????...... तनिक आभास तो हो
.....

kuram
26-11-2010, 03:38 PM
भ्राता काहे लड़के का बड़ा गर्क करने तुले है सर्दिया शुरू हो गयी है. अब भी नहाने के लिए कह रहे हो. मैंने तो सूना है मार्च तक स्नान करना पाप होता है

munneraja
26-11-2010, 03:44 PM
भ्राता काहे लड़के का बड़ा गर्क करने तुले है सर्दिया शुरू हो गयी है. अब भी नहाने के लिए कह रहे हो. मैंने तो सूना है मार्च तक स्नान करना पाप होता है
आपने ठीक सूना है कुरम भाई
बहुरानी ने खुशबू में लबरेज होने के लिए धमका दिया है इनको
वरना खाना नही मिलेगा ...

आप भी एक बार केसर क्यारी में स्नान करके देखिये तो
बाहर नहीं आयेंगे गुसलखाने से ....:)

kuram
26-11-2010, 03:55 PM
आपने ठीक सूना है कुरम भाई
बहुरानी ने खुशबू में लबरेज होने के लिए धमका दिया है इनको
वरना खाना नही मिलेगा ...

आप भी एक बार केसर क्यारी में स्नान करके देखिये तो
बाहर नहीं आयेंगे गुसलखाने से ....:)

भ्राता, अभी प्रण लिया है जब तक कम्पनी पगार नहीं बढ़ाएगी सोने की थाली में खाना नहीं खाउंगा, केसर की क्यारी तो क्या सादे पानी से भी नहीं नहाऊंगा और फ्री की मिली तो भी शराब नहीं छोडूंगा.

munneraja
26-11-2010, 04:08 PM
भ्राता, अभी प्रण लिया है जब तक कम्पनी पगार नहीं बढ़ाएगी सोने की थाली में खाना नहीं खाउंगा, केसर की क्यारी तो क्या सादे पानी से भी नहीं नहाऊंगा और फ्री की मिली तो भी शराब नहीं छोडूंगा.
अब मुझे आपकी लम्बी लहराती जुल्फों का राज समझ आ गया भाई ....

देखो मुझे तो घरवाली के डर के मरे गुसलखाने में जाना पड़ता है
अपने हाथ बाल्टी में छाप्छ्पाने होते हैं फिर मग्गे से पानी गुसलखाने में बिखेरना होता है
और फिर अपने गीले हाथ को बदन पर फिरा कर धोये हुए चड्डी बनियान पहन कर बाहर तैयार होकर ऑफिस भाग लेता हूँ
आपको बहुरानी कुछ कहती नहीं..., आप पर भगवान मेहरबान है

ndhebar
27-11-2010, 06:20 AM
भ्रष्टाचार

आज के अखवार में,
निकला है एक विज्ञापन,
संगठित भ्रष्टाचार में शामिल हों,
जम कर रिश्वत खाएं,
विदेश यात्रा पर जाएँ,
पसंदीदा जगह पर पोस्टिंग,
समय से पहले प्रमोशन,
अच्छे अफसरों में गिनती,
पड़ोसी आदर से नाम लें,
रिश्तेदार नजरें झुका कर बात करें,
कोई डर नहीं, कोई खतरा नहीं,
सीवीसआई, पुलिस, अदालत, सरकार,
सब मदद करने को तैयार,
सावधान,
अकेला भ्रष्टाचारी मार खाता है,
संगठित भ्रष्टाचारी पूजा जाता है.

ndhebar
27-11-2010, 06:23 AM
तरक्की

मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की की है.
कैसे?
पहले जब लोग मरते थे तब पता ही नहीं चलता था कि किस बीमारी से मरे.
और अब?
अब डाक्टर कुछ कुछ अनुमान लगा लेते हैं कि किस बीमारी से मरे

munneraja
27-11-2010, 10:07 AM
तरक्की

मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की की है.
कैसे?
पहले जब लोग मरते थे तब पता ही नहीं चलता था कि किस बीमारी से मरे.
और अब?
अब डाक्टर कुछ कुछ अनुमान लगा लेते हैं कि किस बीमारी से मरे

अब डाक्टर कुछ कुछ अनुमान लगा लेते हैं कि कौन सा मरीज किस बीमारी से मरेगा

YUVRAJ
27-11-2010, 10:24 AM
आहा हा हा हा :lol:
गुड वन अरविंद भाई जी …:clap:
सत्यता से भरा और हास्यजनक निमंत्रण पत्र तो कमाल का है।

http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3883&stc=1&d=1290430843

PARIYAR
27-11-2010, 10:35 AM
भई यहाँ तो इत्ते जाड़े में भी बहुत गर्मी लग रही है ..
क्या हो रहा है दोस्तों

khalid
27-11-2010, 10:54 AM
भई यहाँ तो इत्ते जाड़े में भी बहुत गर्मी लग रही है ..
क्या हो रहा है दोस्तों

आग लगी हैँ भाई
बहुत गजब की
:bike:
भागो

arvind
29-11-2010, 01:05 PM
मेरा पिया घर आया...

जब कोई भारतीय पहली बात अमेरिका जाता है, वहाँ कुछ दिन रहता है फिर वापस भारत लौटता है, तो उसमे कुछ जैविक और रासायनिक परिवर्तन स्पष्ट रूप से दिखाई देते है, ये परिवर्तन इस प्रकार है...... जरा लक्षणो पर गौर कीजिएगा.....

01. NO (नहीं) के लिए NOPE और YES (हां) के लिए YOPE कहना शुरू कर देता है।

02. सड़क किनारे होटल या ठेले पर गोलगप्पे खाने के बाद पेमेंट के लिए क्रेडिट कार्ड निकाल कर बढ़ाता है।

03. पीने के लिए हमेशा मिनरल वाटर की बोतल साथ रखता है और हर वक्त सेहत का ध्यान रखने की बातें करता है।

04. डिओ इस तरह शरीर पर स्प्रे करता है कि नहाने की ज़रूरत ही न रह जाए।

05. छींक या हल्की खांसी आने पर भी 'EXCUSE ME' कहना नहीं भूलता।

06. हाय को हे, दही को योगहर्ट, टैक्सी को कैब, चॉकलेट को कैंडी, बिस्किट को कुकी, हाईवे को फ्री-वे और ज़ीरो को ओह कहना शुरू कर देता है...जैसे 704 को सेवन ओह फोर...

07. घर से बाहर निकलते ही हर बार वायु प्रदूषण ज़्यादा होने का दुखड़ा ज़रूर गाता है।

08. दूरी किलोमीटर की जगह माइल्स और गिनती लाख की जगह मिलियन में करना शुरू कर देता है।

09. सभी चीज़ों की कीमत डॉलर में जानने की कोशिश करता है।

10. दूध के पैकेट पर ये लिखा ढ़ूंढने की कोशिश करता है कि उसमें कितने फीसदी वसा (फैट) है।

11. Z (Zed) को हमेशा Zee कहता है...जब दूसरा नहीं समझता तो भी ज़ेड नहीं कहता बल्कि XY Zee गिन कर समझाता है।

12. तारीख लिखते वक्त पहले महीना, फिर तारीख और आखिर में साल लिखता है...जैसे कि जुलाई 30, 2010 (07/30/2010)...अगर 30 जुलाई 2010 (30/07/2010) लिखा देखे तो कहना नहीं भूलता...ओह, ब्रिटिश स्टाइल...

13. भारतीय मानक समय (इंडियन स्टैंडर्ड टाइम) और भारतीय सड़कों की दशा का ज़रूर मखौल उड़ाता है।

14. लौटने के दो महीने बाद भी जेट लैग की शिकायत करता है।

15. ज़्यादा तीखा और तला खाने से बचता है।

16. नार्मल कोक या पेप्पी की जगह डॉयट कोक या डॉयट पेप्सी पीना चाहता है...

17. भारत में किसी भी चीज़ की ऐसे शिकायत करता है जैसे कि उसे पहली बार ये अनुभव हुआ हो।

18. शेड्यूल को स्केजूल और मोड्यूल को मोजूल कहना शुरू कर देता है।

19. होटल और ढाबे के खाने को शक की नज़र से देखता है।

अब तीन सबसे अहम बात...


1. लगेज बैग से एयरलाइंस के स्टिकर्स भारत पहुंचने के चार महीने बाद तक नहीं उतारता...

2. भारत में शार्ट विज़िट के लिए भी केबिन लगेज बैग ले जाता है और सड़क पर ही उन्हें रोल करने की कोशिश करता है...

3. कोई भी बातचीत शुरू करने से पहले, 'IN US' या 'WHEN I WAS IN US' का इस्तेमाल करना नहीं भूलता....

kuram
29-11-2010, 01:10 PM
और बात बात में ये कहेगा फोरेनर हम से सौ साल आगे है.

YUVRAJ
29-11-2010, 03:24 PM
आहा हा हा हा …:lol:
कुछ-कुछ क्यूँ … पूरा का पूरा क्यूँ नहीं ?
अब डाक्टर कुछ कुछ अनुमान लगा लेते हैं कि कौन सा मरीज किस बीमारी से मरेगा

amit_tiwari
29-11-2010, 04:45 PM
:bravo::bravo::rolling::rolling:

हमेशा की तरह टू द पॉइंट |
पन नीचे की तीन चीजें सही हैं |

मेरा पिया घर आया...


03. पीने के लिए हमेशा मिनरल वाटर की बोतल साथ रखता है और हर वक्त सेहत का ध्यान रखने की बातें करता है।

07. घर से बाहर निकलते ही हर बार वायु प्रदूषण ज़्यादा होने का दुखड़ा ज़रूर गाता है।
13. भारतीय मानक समय (इंडियन स्टैंडर्ड टाइम) और भारतीय सड़कों की दशा का ज़रूर मखौल उड़ाता है।



हमेशा मिनरल वाटर रखना तो अतिश्योक्ति होगी किन्तु सेहत का ख्याल बाहर अधिक रखा जाता है और उससे प्रभावित होना स्वाभाविक है |

वायुप्रदुषण भी एक जीवंत समस्या है | अमेरिका खुद भी इस समस्या से बचा नहीं है किन्तु धुल मिटटी कम से कम नहीं उडती दिखती, दो रेगिस्तानी शहरों में तो मैं स्वयं रह के आया किन्तु मिटटी का कण भी नहीं दीखता |

इसी प्रकार टाइमजोन का मखौल उड़ने का कारण तो नहीं जानता किन्तु सड़कों का मजाक उड़ाया जाना किसी भी लिहाज से गलत तो नहीं ?

arvind
29-11-2010, 05:03 PM
:bravo::bravo::rolling::rolling:

हमेशा की तरह टू द पॉइंट |
पन नीचे की तीन चीजें सही हैं |



हमेशा मिनरल वाटर रखना तो अतिश्योक्ति होगी किन्तु सेहत का ख्याल बाहर अधिक रखा जाता है और उससे प्रभावित होना स्वाभाविक है |

वायुप्रदुषण भी एक जीवंत समस्या है | अमेरिका खुद भी इस समस्या से बचा नहीं है किन्तु धुल मिटटी कम से कम नहीं उडती दिखती, दो रेगिस्तानी शहरों में तो मैं स्वयं रह के आया किन्तु मिटटी का कण भी नहीं दीखता |

इसी प्रकार टाइमजोन का मखौल उड़ने का कारण तो नहीं जानता किन्तु सड़कों का मजाक उड़ाया जाना किसी भी लिहाज से गलत तो नहीं ?
अमित भाई,

शब्दो के हेर-फेर मे कहा उलझ गए....
फीलिंग (भाव) को समझो ना...

amit_tiwari
29-11-2010, 05:24 PM
अमित भाई,

शब्दो के हेर-फेर मे कहा उलझ गए....
फीलिंग (भाव) को समझो ना...

भाव समझे हैं गुरु पन ससुर आदत अपनी कच्ची है ना ! यूपी का आदमी हर जगह मौका मिलते ही नेता नगरी चमकाने में लग जाता है हेहेहे |

arvind
29-11-2010, 05:34 PM
भाव समझे हैं गुरु पन ससुर आदत अपनी कच्ची है ना ! यूपी का आदमी हर जगह मौका मिलते ही नेता नगरी चमकाने में लग जाता है हेहेहे |
ओहो..... अब समझा..... :thinking:
जब से बिपाशा बसु "बीड़ी जलईले...." गाने पर ठुमका लगाई है, तब से हमारे बसावन भाई काहे बिपाशा ड्रालिंग का गुणगान करना छोड़ दिये है और जिगर, लीवर, और किडनी से बीड़ी जलाने का कोशिश कर रहे है.... :donkey:

amol
30-11-2010, 03:05 PM
हिंदी दिवस

हिंदी दिवस पर

एक नेता जी
बतिया रहे थे,
‘मेरी पब्लिक से
ये रिक्वेस्ट है
कि वे हिन्दी अपनाएं
इसे नेशनवाइड पापुलर लेंगुएज बनाएं
और
हिन्दी को नेशनल लेंगुएज बनाने की
अपनी डयूटी निभाएं।’

'थैंक्यू' करके नेताजी ने विराम लिया।
जनता ने क्लैपिंग लगाई
कुछ 'लेडिज नुमा' महिलाएं
‘वेल डन! वेल डन!!’ चिल्लाईं।

‘सब अंग्रेजी बोल रहे है..’
‘हिन्दी-दिवस? ’ ...मैं बुदबदाया।

‘हिन्दी दिवस नहीं, बे! हिन्दी डे!’
साथ वाले ने मुझ अल्पज्ञानी को समझाया।

arvind
30-11-2010, 04:32 PM
ऐ मालिक तेरे बंदे हम.....

ऐ दौलत तेरे बंदे हम
ऐसे है हमारे करम
अपनो से जुदा
चाटे बाँस का जूता
ताकि 'मिलियन' तो हो कम से कम

जब रीसेसन से हो सामना
तब तू ही हमें थामना
कोई बुराई करें
हम बड़ाई करें
तूझको ही ईश्वर जानना
बढ़ चले 'बार' को कदम
हर तरह के करें खोटे करम
अपनो से जुदा ...

ये महंगाई बढ़ा जा रहा
और मेरा जी घबरा रहा
हो रहा बेखबर
कुछ न आता नज़र
सुख का सूरज छिपा जा रहा
है किस कंपनी में वो दम
जो अमावस को कर दे पूनम
अपनो से जुदा ...

बड़ा गरीब है तेरा ये भाई,
चाहे लाखों में कर ले कमाई
सर झुकाए खड़ा
हाथ फ़ैलाए खड़ा
पेट काट काट के जोड़े पाई-पाई
दिया तूने जो 'मिलियन' सनम
नहीं होगी भूख इसकी खतम
अपनो से जुदा ...

arvind
04-12-2010, 01:48 PM
शब्दार्थ

किशोरावस्था : वो आयु जिसमें लड़के लड़कियों को ताड़ने लगते हैं और लड़कियां ताड़ने लगती हैं कि लड़के उन्हें ताड़ने लगे हैं.
वास्तविक आशावादी : ऐसा गंजा जो बाल उगाने वाला वो ही तेल खरीदता है जिसके साथ कंघी फ्री हो.
कामयाब व्यक्ति : जिसे पहली बीवी की वजह से कामयाबी हासिल होती है और कामयाबी की वजह से दूसरी बीवी हासिल होती है.
बीबी : वह स्त्री, जो शादी के बाद कुछ सालों में टोक-टोक कर आपकी सारी आदतें बदल दे और फिर कहे कि आप कितना बदल गए हैं।
समिति : ऐसे व्यक्ति जो अकेले कुछ नहीं कर सकते, परंतु यह निर्णय मिलकर करते हैं कि साथ साथ कुछ नहीं किया जा सकता।
श्रेष्ठ पुस्तक : जिसकी सब प्रशंसा करते हैं परंतु पढ़ता कोई नहीं है।
परम आनंद : एक ऐसी अनुभूति जब आप अनुभव करते हैं कि आप एक ऐसी अनुभूति को अनुभव करने जा रहे हैं जो आपने पहले कभी अनुभव नहीं की है।
कान्फ्रेन्स रूम : वह स्थान जहां हर व्यक्ति बोलता है, कोई नहीं सुनता है और अंत में सब असहमत होते हैं।
समझौता : किसी चीज को बांटने का वह तरीका जिसमें हर व्यक्ति यह समझता है कि उसे बड़ा हिस्सा मिला।
व्याख्यान : सूचना को स्थानांतरित करने का एक तरीका जिसमें व्याख्याता की डायरी के नोट्स, विद्यार्थियों की डायरी में बिना किसी के दिमाग से गुजरे पहुंच जाते हैं।
अधिकारी : वह जो आपके पहुंचने के पहले ऑफिस पहुंच जाता है और यदि कभी आप जल्दी पहुंच जाएं तो काफी देर से आता है।
कंजूस : वह व्यक्ति जो जिंदगी भर गरीबी में रहता है ताकि अमीरी में मर सके।
अवसरवादी : वह व्यक्ति, जो गलती से नदी में गिर पड़े तो नहाना शुरू कर दे।
अनुभव : भूतकाल में की गई गलतियों का दूसरा नाम ।
कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं।
दूसरी शादी : अनुभव पर आशा की विजय।
मनोवैज्ञानिक : वह व्यक्ति, जो किसी खूबसूरत लड़की के कमरे में दाखिल होने पर उस लड़की के सिवाय बाकी सबको गौर से देखता है।
नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है।
राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और गरीबों से वोट इस वादे पर बटोरता है कि वह एक की दूसरे से रक्षा करेगा।
आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके।
सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना ।
विशेषज्ञ : वह आदमी है जो कम से कम चीजों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानता है।
शादी : यह मालूम करने का तरीका कि आपकी बीबी को कैसा पति पसन्द आता।
पड़ोसी : वह महानुभाव जो आपके मामलों को आपसे ज्यादा समझते हैं।
नेता : वह शख्स जो अपने लिए अपने देश की कुर्बानी देने के लिये हमेशा तैयार रहता है।

ndhebar
05-12-2010, 08:44 AM
शब्दार्थ

परम आनंद : एक ऐसी अनुभूति जब आप अनुभव करते हैं कि आप एक ऐसी अनुभूति को अनुभव करने जा रहे हैं जो आपने पहले कभी अनुभव नहीं की है।
बहुत देर से रुकी हुई पोट्टी या सु सु के करते समय का आनंद
कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं।
मेरी एक महिला मित्र पिछले छः वर्षों से अपना २४वाँ जन्मदिन मना रही हैं
और मैं हर वर्ष उसे विश करना नहीं भूलता

bijipande
05-12-2010, 09:48 AM
परम आनंद : एक ऐसी अनुभूति जब आप अनुभव करते हैं कि आप एक ऐसी अनुभूति को अनुभव करने जा रहे हैं जो आपने पहले कभी अनुभव नहीं की है।
बहुत देर से रुकी हुई पोट्टी या सु सु के करते समय का आनंद
कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं।
मेरी एक महिला मित्र पिछले छः वर्षों से अपना २४वाँ जन्मदिन मना रही हैं
और मैं हर वर्ष उसे विश करना नहीं भूलता
[/color]
nishant bhaai ram ram kya bat kahi hai wah wah

arvind
09-12-2010, 11:38 AM
शेर पकड़ने का तरीका।

क्या आप एक शेर को जिंदा या मुर्दा पकड़ना चाहते है? यदि हाँ तो, मेरे पास एक से एक तरीका है, जिसे मैंने देश-विदेश के महान वैज्ञानिको, राजनीतिज्ञो, खिलाड़ियों, अभिनेताओ आदि के साथ मिलकर तैयार किया है।

न्यूटन का तरीका :
शेर द्वारा स्वयम को पकडे जाने दीजिये |
प्रत्येक क्रिया की एक प्रतिक्रिया होती हे |
इस प्रकार शेर आपको पकडेगा |
और फलस्वरूप आप शेर को पकड़ लेंगे |

आइंस्टाइन का तरीका :
शेर की विपरीत दिशा में भागिए |
सापेक्ष गति अधिक होने के कारण शेर और भी तेज़ भागेगा और बहुत जल्द थक जायेगा |
अब आप इस थके हुए शेर को सरलता से पकड़ सकते हे |

सोफ्टवेयर इंजीनियर का तरीका :
एक बिल्ली को पकडिये और दावा कीजिये की आपकी टेस्टिंग से सिद्द हुआ हे की यह एक शेर हे |
यदि कोई बाद में आकार आपसे शिकायत करता हे तो आप उससे कहिये की आप इसको शेर में अपग्रेड कर देंगे |

भारतीय पुलिस का तरीका :
कोई भी जानवर पकड़ कर इसको टॉर्चर कीजिये | और इससे उस समय तक पूछताछ कीजिये जब तक की यह कबूल न करले की यह शेर हे |

रजनीकांत का तरीका :
आप शेर को चेतावनी दीजिये की आप कभी भी आकर शेर पर आक्रमण कर सकते हे |
शेर डर जायेगा और डर से अपने आप ही मर जायेगा |

करन जोहर(director) का तरीका :
एक शेरनी को जंगल में भेजिए |
हमारे शेर और शेरनी में प्रेम हो जायेगा |
फिर एक दूसरी शेरनी को जंगल में भेजिए और उसके बाद दुसरे शेर को |
पहला शेर पहली शेरनी को और दूसरा शेर दूसरी शेरनी को प्रेम करेगा |
परन्तु दूसरी शेरनी दोनों शेरो को प्रेम करेगी |
अब आप एक अन्य शेरनी (तीसरी) को जंगल में भेजिए |
आपकी समझ में नही आ रहा होगा की क्या हो रहा हे | ठीक हे ना तो इसको पन्द्रह वर्ष के बाद पढना | फिर भी आप की समझ में नही आएगा |

गोविंदा का तरीका :
शेर के सामने लगातार 5 या 6 दिन तक नाचिये |


बराक ओबामा का तरीका :
शेर का अम्बन्ध ओसामा बिन लादेन से निकालिए और उसको गोली मार दीजिये |

रवि शास्त्री का तरीका :
शेर से अपने आपको गेंद फेकने को कहिये |
आप 200 गेंदे खेलकर 1 रन बनाइए |
शेर थक कर surrender कर देगा |

PARIYAR
09-12-2010, 11:42 AM
क्यों सब की ऐसी की तैसी करने पर तुले हो अरविन्द भाइ
भाभी से झगड़ा हुवा है क्या ....... :p

amit_tiwari
09-12-2010, 04:48 PM
शेर पकड़ने का तरीका।
रवि शास्त्री का तरीका :
शेर से अपने आपको गेंद फेकने को कहिये |
आप 200 गेंदे खेलकर 1 रन बनाइए |
शेर थक कर surrender कर देगा | [/SIZE]

:bravo::bravo::bravo:

ये रवि शास्त्री वाला जबरदस्त था |

ndhebar
09-12-2010, 05:01 PM
अरविन्द भाई
अगर दिल्ली वाली जबान में कहूँ तो
आपने तो शेर की ..................हन एक कर दी

arvind
09-12-2010, 05:10 PM
अरविन्द भाई
अगर दिल्ली वाली जबान में कहूँ तो
आपने तो शेर की ..................हन एक कर दी
सही कहा बंधु,
तभी तो सुबह से शेरनी दाँत तेज करवा कर मुझे ढूंढ रही है।

Video Master
09-12-2010, 06:57 PM
अरविन्द भाई आपने तो सबकी ऐसी की तैसी कर दी मजा आ गया

bijipande
10-12-2010, 09:44 AM
अरविन्द भाई पापा कसम मजा आ गया

arvind
04-01-2011, 06:03 PM
जूता पुराण

हाल ही में पत्रकारों ने अमेरिकी राष्ट्रपति बुश से लेकर भारतीय गृहमंत्री चिदंबरम तक पर जूते चलाएं हैं। कुछ अन्यों ने भी इसी माध्यम से हल्के-फुल्के ढंग से दूसरों को कूटा है। जूते के इसी बढ़ते प्रयोग को लेकर मुझे कई तरह की संभावनाएं दिखाई देने लगी हैं।

इस निरीह सी वस्तु के बारे में सबकुछ जान लेने की इच्छा मन में खदबदाने लगी है। पीएचडी तक के लिए यह विषय मुझे अत्यंत ही उर्वर नजर आने लगा है। एक जूते का चिंतन, चिंतन में जूता परंपरा, उसका निर्धारित मूल कर्म, दीगर उपयोग, इतिहास में मिलती गौरवशाली परंपरा, आख्ययान, उसमें छुपी संभावनाएं, अन्य क्षेत्रों से जूते का निकट संबंध, समाज के अंगों के बीच इसका प्रयोग, जूते का इतिहास में स्थान, वर्तमान की आवश्यकता, भविष्य में उपयोगिता।

अर्थात् जूते के रूप में मुझे पीएचडी के लिए इतना जबर्दस्त विषय हाथ लगा गया है कि अकादमिक इतिहास में मौलिक पीएचडी करने वालों में मेरा नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाना तय सा ही दिखाई देता है। चूंकि यहां यह बात अलग से भी उपयोगी साबित होगी कि पूरे प्रकरण में की गई रिसर्च के दौरान जूतों से स्थापित तदात्म्य के चलते बाद में परीक्षक या आलोचक अपनी बातों के कितने भी जूते चलाएंगे वे सब मेरे ऊपर बेअसर ही साबित होंगे। तो इस तरह 350 पन्नों की चिंतन से भरी जूता पीएचडी मेरी आंखों के सामने चमकने लगी है। शोध तक का प्रस्ताव मैंने तैयार कर लिया है। आप भी चाहें तो जरा नजर डाल लें..।

arvind
04-01-2011, 06:04 PM
जूता खाना-जूता चलाना, जूतम पैजार, जूते का नोंक पर रखना, जूता देखकर औकात भांप लेना, दो जूते लगाकर कसबल निकाल देना.. आदि-आदि.. अर्थात जूता हमेशा से ही भारतीय जनसमाज के अंतर्मन में उपयोग और दीगर प्रयोग की दृष्टि से मौलिक चिंतन का केंद्र रहा है। प्राचीन काल से ही जूते के स्वयंसिद्ध प्रयोग के अलावा अन्य क्रियाकलापों में उपयोग का बड़ी शिद्दत से मनन किया गया है।ऋषि-मुनि काल की ही बात करें तो तब जूतों की स्थानापन्न खड़ाऊं का प्रचलन था, तब इसका उपयोग न सिर्फ कंटीली राहों से पैरकमलों की रक्षा के लिए किया जाता था अपितु संक्रमण काल में खोपड़ा खोलने के लिए भी कर लिया जाता था। चूंकि खड़ाऊं की मारकता-घातकता चमड़े के जूते के मुकाबले अद्भुत होती थी इसी कारण कई शांतिप्रिय मुनिवर केवल इसी के आसरे निर्भय होकर यहां से वहां दड़दड़ाते घूमते रहते थे।

हालांकि खड़ाऊं प्रहार से कितने खोपड़े खोले गए, इस बावत कितने प्रकरण दर्ज हुए, किन धाराओं में निपटारा हुआ, कौन-कौन से श्राप, अनुनय-विनय की गतिविधियां हुईं, इस विषय में इतिहास मौन ही रहा है। चूंकि हम अपने इतिहास में छांट-छांटकर प्रेरणादायी वस्तुएं रखने के ही हिमायती रहे हैं सो ऐसे अप्रिय प्रसंगों को हमने पीट-पीटकर मोहनजोदाड़ो के कब्रिस्तान में ही दफना रखा है। और नहीं तो क्या? लोग मनीषियों के बारे में क्या सोचेंगे? इस भावना को सदैव मन में रखा है।

जिसके चलते हमें हमारी ही कई बातों की जानकारी दूसरे देशों के इतिहास से पता चली है, उन्होंने भी जलन के मारे ही इन्हें रखा होगा ऐसा तो हम जानते ही हैं इसलिए उन प्रमाणों की भी ज्यादा परवाह नहीं करते। तो हम बात कर रहे थे जूते के अन्यत्र उपयोगों की।

arvind
04-01-2011, 06:06 PM
चूंकि हम शुरू से ही मितव्ययी-अल्पव्ययी, जूगाडू टाइप के लोग रहे हैं, इस कारण किसी चीज के हाथ आते ही उसके मूल उपयोग के अलावा अन्योन्याश्रित उपयोगों पर भी तत्काल ही गौर करना शुरू कर देते हैं। जैसे बनियान को ही लें, पहले खुद ने पहनी फिर छोटे भाई के काम आ गई फिर पोते के पोतड़े बनी फिर पोंछा बन गया। यानि छिन-छिनकर मरणोपरांत तक उससे उसके मूल कर्म के अलावा दीगर सेवाएं ले ली जाती हैं। ऐसी जीवट से भरपूर शोषणात्मक भारतीय पद्धती भी आद्योपांत विवेचन की मांग तो करती ही है ना, ताकि अन्य राष्ट्र तक प्रेरणा ले सकें।

चूंकि हमारे पास प्रेरणा ही तो प्रचुर मात्रा में है, सदियों से हम प्रेरणा ही तो बांट रहे हैं तो अब एक और प्रेरणादायी चीज कुलबुला रही है, प्रेरित करने के लिए, बंट जाने के लिए। फिर प्रेरणा के अलावा प्रयोगों के कितने अवसर पैदा हुए हैं जूते की विभिन्न वैराइटियों देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है। स्थानीय स्तर पर मारपीट जैसे महत्वपूर्ण कार्यो के समय जूते नहीं खुले तो तत्काल ही बिना फीते की जूतियों का आविष्कार कर डाला गया। अत: यहां इस अन्वेषण की मूल दृष्टि की विवेचना भी जरूरी है।

इसी तरह जूते चलाने के कई तरीके श्रुतिक परंपरा से प्राप्त होते हैं। कुछ वीर जूते को ऐड़ी की तरफ से पकड़कर चाकू की तरह सामने वाले पर फेंकते हैं ताकि नोंक के बल सीने में घुप सके। तो कुछ सयाने नोंक वाले हिस्से को पकड़कर फेंकते हैं ताकि ऐड़ीवाले हिस्से से मुंदी चोट पहुंचाई जा सके।

arvind
04-01-2011, 06:08 PM
इस तरह जनसामान्य में जूते के उपयोग की अलग राजनीति है, जबकि राजनीति में जूते के प्रयोग की अलग ही रणनीति है। यहां दूसरे के कंधे पर पैर रखकर जूते चलाए जाते हैं, जबकि कुछ नौसिखुए खुलेआम आमने-सामने आकर जूते चलाते हैं, जबकि कुछ ऊर्जावान कार्यकर्ता हाथ से ही पकड़कर दनादन खोपड़ी पर बजा देते हैं, इस तरह नेता के नेतापने से लेकर कार्यकर्तापने तक के निर्धारण में जूते की विशिष्ट भूमिका एवं परंपरा के दिग्दर्शन प्राप्त होते हैं।

इसी तरह कुछ हटकर चिंतन की परंपरा के अनुगामी जूते को तकिया बनाकर बेहतर नींद के प्रति उम्मीद रखते हुए बसों- ट्रेनों में पाए जाते हैं। इन आम दृश्यों में भी करुणा का भाव छिपा होता है। सिर के नीचे लगा जूता बताता है कि सामान भले ही चला जाए लेकिन जूता कदापि ना जाने पाए, यानि हम अपने पददलित को कितना सम्मान देते हैं यहां नंगी आंखों से ही निहारा जा सकता है, सीखा जा सकता है, परखा जा सकता है। तो इस तरह यहां जूता, जूता न होकर आदर्श भारतीय चिंतन की परंपरा की जानकारी देने वाली कड़ी बन जाता है।

इसी तरह जहां मंदिरों के बाहर से जूते चोरी कर लोग बिना खर्चा कई ब्रांड्स पहनने का लुत्फ उठाकर समाजवाद के निर्माण का जरिया बन जाते हैं। सर्वहारावादी प्रवृतियां इन्हीं गतिविधियों के सहारे तो आज तक अपनी उपस्थिति दर्ज करवाती आ रही हैं। शादी के अवसर जूता चुराई के माध्यम से जीजा-साली संवाद जैसी फिल्मी सीन को वास्तविक जीवन में साकार होते देखने का सुख उठाया जाता है।

arvind
04-01-2011, 06:08 PM
वहीं, हर जगह दे देकर त्रस्त लड़कीवाले इस स्थान से थोड़ा बहुत वसूली कर अपने आप को धन्य पाते हैं। अर्थात् जीवन के हर पक्ष में भी जूते की उपस्थिति और महत्व अगुणित है। इस कारण भी यह विषय पीएचडी हेतू अत्यधिक उपयुर्क्त सारगर्भित-वांछनीय माना जा सकता है।

इस तरह ऊपर दिए पूरे विश्लेषण का लब्बोलुआब यह कि पूरी राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, ऐतिहासिक परंपरा को समग्र रूप से खुद में संजोए एक प्रतीक पूरे अनुशीलन, उद्खोदन, खोजबीन, स्थापन, विवरण की विशाद मांग रखता है। अत: अपनी पीएचडी के माध्यम से मैं यह दायित्व लेना चाहता हूं कि परंपरा के इतने (कु)ख्यात प्रतीक के बारे में पूरा विवरण निकालूं ताकि भविष्य में पीढ़ियों को इस दिशा में पूर्ण-प्रामाणिक और उपयोगी ज्ञान प्राप्त हो सके।

अत: आशा है कि चयन कमेटी मेरा प्रस्ताव स्वीकार कर इस पर शोध करने की अनुमति प्रदान करेगी।. हालांकि जल्दी ही मैं अपना यह प्रस्ताव किसी विश्वविद्यालय में जमा कराने वाला हूं, डरता हूं कि इसी बीच किसी और जागरूक ने भी इसी विषय पर पीएचडी करने की ठान ली तो फिर तो निश्चित ही जूता चल जाएगा..तय मानिए।

ABHAY
06-01-2011, 12:02 PM
क्या बात है अब मोजा पुराण भी सुना दो भाई !

arvind
25-01-2011, 10:28 AM
क्या बात है अब मोजा पुराण भी सुना दो भाई !
मोजा तो भैया जूते जी की चीर-संगिनी है, बिन मोजा, जूता तो एकदम अजूबा लगे है। अब जूता और मोजा को कोई अलग कर के देख ले। अगर मोजे मे छेद हो तो गई आपकी इज्ज़त। परंतु, ऐसे मे फिर आपकी और मोजा की इज्ज़त जूता जी ही बचावे है।

मोजा मे एक अद्भत ताकत होती है - डॉक्टर ऑपरेशन टेबल पर पड़े मरीज को एनेस्थीसिया ना देकर दिन भर पहने गए मोजा का उपयोग करे तो काफी खर्चा बचा सकता है।

arvind
07-10-2011, 04:03 PM
एक बेकार आदमी ने ‘ऑफिस-बॉय’ की जोब के लिए माईक्रोसोफ्ट में अर्जी दी. वहां की एचआर मैनेजर ने उसे देखा और उस बंदे को इंटरव्यु के लिए बुलाया.

” अच्छा, तो तुम माईक्रोसोफ्ट में काम करना चाहते हो. तुम्हारा ई-मेल एड्रेस दो. ताकि मैं तुम्हें जवाब भेज सकुं कि कब से तुम्हें काम शुरू करना है.”

आदमी बोला: ” सर मेरा कोई ई-मेल आईडी नहीं है क्योंकि मेरे पास कम्प्युटर ही नही है.”
एचआर मैनेजर: ”तो फिर मुझे माफ करना. मैं तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं कर सकती. अगर तुम्हारे पास ई-मेल पता ही नहीं है तो तुम इस नोकरी के लायक नहीं.”

वह लड़का बिना कुछ बोले उस ऑफिस से बहार निकल गया. उसकी जेब में सिर्फ 10 रुपए थे.वह बेकार था और काम करके कुछ कमाना चाहता था. अचानक उसके मन में एक विचार आया. वह सीधा सब्जी मार्केट गया और वहां से उसने 10 रुपए के टमाटर खरीद लिए.

टमाटर खरीदकर वह उसी मंडी में बैठ गया. दो घंटे में उसके सारे टमाटर बिक गए. अब उसके पास 20 रूपए हो गए थे.

इस व्यापार में उसको बहुत मजा आया. फिर तो उसने 20 के टमाटर खरीदे और घर घर जाकर उसको बेचने लगा. धीरे-धीरे उसका व्यापार बढ़ने लगा. उसने एक दुकान खरीद ली. फिर उसने ट्रक खरीद लिया और वह उस मंडी का सबसे बड़ा व्यापारी बन गया.

पांच साल में तो वह शहर के सबसे धनी व्यक्तिओ की सूचि में सामिल हो गया. उसने अपने परिवार के भविष्य के लिए कुछ योजना बनाई और उसके चलते उसने अपना बीमा कराने का सोचा.

उसने एक बीमा एजेंट को बुलाया. बात बात में ऐजन्ट ने उससे उसका ई-मेल पता पुछ डाला. व्यापारी ने हसकर कहां. न तो मेरा कोई ई-मेल पता है और ना ही मेरे पास कोई कम्य्युटर है.

एजेंट सकते में पड़ गया: ” क्यां आपके पास ई-मेल पत्ता नही है ? शायद आप मजाक कर रहे हो…आप शहर के सबसे बड़े आदमी है… कभी आपने सोचा है कि अगर आप के पास ई-मेल पता होता तो आज आप क्या होते ?

” हां…. तो शायद माईकोसोफ्ट कंपनी का ऑफिस-बॉय होता” व्यापारी हसंते हुए बोला.

bhavna singh
07-10-2011, 04:16 PM
एक बेकार आदमी ने ‘ऑफिस-बॉय’ की जोब के लिए माईक्रोसोफ्ट में अर्जी दी. वहां की एचआर मैनेजर ने उसे देखा और उस बंदे को इंटरव्यु के लिए बुलाया.

” अच्छा, तो तुम माईक्रोसोफ्ट में काम करना चाहते हो. तुम्हारा ई-मेल एड्रेस दो. ताकि मैं तुम्हें जवाब भेज सकुं कि कब से तुम्हें काम शुरू करना है.”

आदमी बोला: ” सर मेरा कोई ई-मेल आईडी नहीं है क्योंकि मेरे पास कम्प्युटर ही नही है.”
एचआर मैनेजर: ”तो फिर मुझे माफ करना. मैं तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं कर सकती. अगर तुम्हारे पास ई-मेल पता ही नहीं है तो तुम इस नोकरी के लायक नहीं.”

वह लड़का बिना कुछ बोले उस ऑफिस से बहार निकल गया. उसकी जेब में सिर्फ 10 रुपए थे.वह बेकार था और काम करके कुछ कमाना चाहता था. अचानक उसके मन में एक विचार आया. वह सीधा सब्जी मार्केट गया और वहां से उसने 10 रुपए के टमाटर खरीद लिए.

टमाटर खरीदकर वह उसी मंडी में बैठ गया. दो घंटे में उसके सारे टमाटर बिक गए. अब उसके पास 20 रूपए हो गए थे.

इस व्यापार में उसको बहुत मजा आया. फिर तो उसने 20 के टमाटर खरीदे और घर घर जाकर उसको बेचने लगा. धीरे-धीरे उसका व्यापार बढ़ने लगा. उसने एक दुकान खरीद ली. फिर उसने ट्रक खरीद लिया और वह उस मंडी का सबसे बड़ा व्यापारी बन गया.

पांच साल में तो वह शहर के सबसे धनी व्यक्तिओ की सूचि में सामिल हो गया. उसने अपने परिवार के भविष्य के लिए कुछ योजना बनाई और उसके चलते उसने अपना बीमा कराने का सोचा.

उसने एक बीमा एजेंट को बुलाया. बात बात में ऐजन्ट ने उससे उसका ई-मेल पता पुछ डाला. व्यापारी ने हसकर कहां. न तो मेरा कोई ई-मेल पता है और ना ही मेरे पास कोई कम्य्युटर है.

एजेंट सकते में पड़ गया: ” क्यां आपके पास ई-मेल पत्ता नही है ? शायद आप मजाक कर रहे हो…आप शहर के सबसे बड़े आदमी है… कभी आपने सोचा है कि अगर आप के पास ई-मेल पता होता तो आज आप क्या होते ?

” हां…. तो शायद माईकोसोफ्ट कंपनी का ऑफिस-बॉय होता” व्यापारी हसंते हुए बोला.

आज के युग में फिमेल हो या ना हो ईमेल जरूर होना चाहिए ...........
एक जोके याद आ गया ....
अमरीकन :हमारे यहाँ तो शादी ईमेल से भी हो जाती है
भारतीय : ये कमाल की बात है.... हमारे यहाँ तो सिर्फ फिमेल से ही होती है

khalid
07-10-2011, 04:21 PM
आज के युग में फिमेल हो या ना हो ईमेल जरूर होना चाहिए ...........
एक जोके याद आ गया ....
अमरीकन :हमारे यहाँ तो शादी ईमेल से भी हो जाती है
भारतीय : ये कमाल की बात है.... हमारे यहाँ तो सिर्फ फिमेल से ही होती है

हा हा हा मस्त जोक हैँ

bhavna singh
07-10-2011, 04:29 PM
हा हा हा मस्त जोक हैँ

खाली खाली हंस रहे हो एक जोक आप भी सुनाओ /

malethia
07-10-2011, 05:23 PM
चीकू ने अपने दादा से पूछा कि जब भी मेरे से कोई गलती हो जाती है तो आप झट से कह देते हो कि तेरी ऐसी की तैसी। आखिर यह ऐसी की तैसी होती क्या है? दादा ने चीकू को बड़े ही प्यार से समझाया कि ऐसी की तैसी कुछ नहीं, केवल एक मुहावरा है लेकिन यह तुम्हारे जैसे अक्ल के अंधे को समझ नहीं आ सकता।
इतना सुनते ही चीकू जोर जोर से रोते हुए अपनी मां से बोला कि दादा जी मुझे अंधा कह रहे हैं। अपने कलेजे के टुकड़े की आंखों में आंसू देखते ही चीकू की मां का खून खौलने लगा। उसने बात की गहराई को समझे बिना कांव-कांव करते हुए दादा के कलेजे में आग लगा दी।
दादा ने एक तीर से दो शिकार करते हुए अपनी बहू को डांटते हुए कहा कि लगता है कि बच्चों के साथ तुम्हारी अक्ल भी घास चरने गई है। न जाने इस परिवार का क्या होगा जहां हर कोई खुद को नहले पर दहला समझता है। बहू तुम तो अच्छी पढ़ी लिखी हो। मुझे तुम से यह कदापि उम्मीद नहीं थी कि तुम कान की इतनी कच्ची हो। मैं तो तुम्हारे बेटे को सिर्फ मुहावरों के बारे में बताने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मेरी बातें तो तुम लोगों के सिर के ऊपर से ही निकल जाती है।
इतना कहते-कहते दादा जी की सांस फूलने लगी थी परंतु उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि मुहावरे किसी भी भाषा की नींव के पत्थर की तरह होते हैं जो उसे जिंदा रखने में मदद करते हैं। सारा गांव मेरी इतनी इज्जत करता है लेकिन तुम्हारे लिए तो मैं घर की उस मुर्गी की तरह हंू जिसे दाल बराबर समझते है। लोग तो अच्छी बात सीखने के लिए गधे को भी बाप बना लेते हैं।
इससे पहले कि दादा मुहावरों के बारे में और भाषण देते, चीकू ने कहा कि लोग गधे को ही क्यूं बाप बनाते हैं, हाथी या घोड़े को क्यूं नही? दादा जी ने प्यार से चीकू को समझाया कि सभी मुहावरे किसी न किसी व्यक्ति के अनुभव पर आधारित होते हुए हमारी भाषा को गतिशील और रूचिकर बनाने के लिये होते है। हां, कुछ मुहावरे ऐसे होते हैं जो किसी एक खास धर्म और जाति के लोगों पर लागू नहीं होते।
चीकू ने हैरान होते हुए पूछा कि यह कैसे मुमकिन है? दादा जी ने चीकू को बताया कि अब एक मुहावरा है सिर मुंड़ाते ही ओले पड़े। यह मुहावरा किसी तरह भी सिख लोगों पर लागू नहीं होता क्योंकि सिर तो सिर्फ हिंदू लोग ही मुंडवाते हैं। ऐसा ही एक और मुहावरा है, कल जब मैं रात को क्लब से रम्मी खेल कर आया तो मेरी हजामत हो गई। इतना तो आप भी मानते होंगे कि सब कुछ मुमकिन हो सकता है लेकिन किसी सरदार जी की हजामत करने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता।
अजी जनाब आप ठहरिये तो सही, अभी एक और बहुत बढ़िया मुहावरा आपको बताना है, वो है हुक्का पानी बंद कर देना। अब सिख लोग ऐसी चीजों का इस्तेमाल करते ही नहीं तो उनका हुक्का पानी कैसे बंद हो सकता है? इतना सुनते ही चीकू ने दांतों तले उंगली दबाते हुए दादा से पूछा कि अगर आपको उंगली दबानी पड़े तो कहां दबाओगे क्योंकि आप के दांत तो हैं नही?
यही नहीं, ऐसे बहुत से और भी मुहावरे हैं जिन को बनाते समय लगता है, हमारे बुजुर्गों ने बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। सदियों पहले इनके क्या मायने थे, यह तो मैं नहीं जानता लेकिन आज के वक्त में तो इनके मतलब बिल्कुल बदल चुके हैं। एक बहुत ही पुराना लेकिन बड़ा ही मशहूर मुहावरा है कि न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी। अरे भैया, नाचने के लिए राधा को नौ मन तेल की क्या जरूरत पड़ गई? अगर नाचने वाली जगह पर थोड़ा सा भी तेल गिर जाये तो राधा तो बेचारी फिसल कर गिर नहीं जायेगी। वैसे भी आज के इस महंगाई के दौर में नौ मन तेल लाना किस के बस की बात है? घर के लिये किलो-दो किलो तेल लाना ही आम आदमी को भारी पड़ता है।
दादा ने चीकू से एक और मुहावरे की बात करते हुए कहा कि यह मुहावरा है बिल्ली और चूहे का। मैं बात कर रहा हूँ 100 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। अब कोई मुहावरा बनाने वाले से यह पूछे कि क्या उसने गिनती की थी कि बिल्ली ने हज पर जाने से पहले कितने चूहे खाये थे? क्या बिल्ली ने हज में जाते हुए रास्ते में कोई चूहा नहीं खाया। अगर उसने कोई चूहा नहीं खाया तो रास्ते में उसने क्या खाया था? वैसे क्या कोई यह बता सकता है कि बिल्लियां हज करने जाती कहां है? कुछ भी हो, यह बिल्ली तो बड़ी हिम्मत वाली होगी जो 100 चूहे खाकर हज को चली गई।
अब जौली अंकल अपनी मुहावरों की बात को यही खत्म करना चाहते हैं नहीं तो कुछ लोग ऐसे डर कर गायब हो जायेंगे जैसे गधे के सिर से सींग। जी हां, मैं बात कर रहा हंू दौड़ने भागने की। इससे पहले कि अब आप मेरे मुहावरों की ऐसी की तैसी करें, मैं तो यहां से 9 दो 11 हो जाता हूं।

arvind
07-10-2011, 05:29 PM
चीकू ने अपने दादा से पूछा कि जब भी मेरे से कोई गलती हो जाती है तो आप झट से कह देते हो कि तेरी ऐसी की तैसी। आखिर यह ऐसी की तैसी होती क्या है? दादा ने चीकू को बड़े ही प्यार से समझाया कि ऐसी की तैसी कुछ नहीं, केवल एक मुहावरा है लेकिन यह तुम्हारे जैसे अक्ल के अंधे को समझ नहीं आ सकता।

..................
अब जौली अंकल अपनी मुहावरों की बात को यही खत्म करना चाहते हैं नहीं तो कुछ लोग ऐसे डर कर गायब हो जायेंगे जैसे गधे के सिर से सींग। जी हां, मैं बात कर रहा हंू दौड़ने भागने की। इससे पहले कि अब आप मेरे मुहावरों की ऐसी की तैसी करें, मैं तो यहां से 9 दो 11 हो जाता हूं।
तारा बाबू, बहुत खूब....
आपने तो "ऐसी की तैसी" पर "चार चाँद" लगा दिये।

malethia
07-10-2011, 05:44 PM
धन्यवाद अरविन्द भाई, ये तो आप लोगो की संगत का असर है !
कुछ यहाँ वहां से मार लेते है !

rafik
25-04-2014, 03:34 PM
http://myhindiforum.com/attachment.php?attachmentid=3883&stc=1&d=1290430843

ये निमत्रण पत्र सावधानी से स्वीकार करे

rafik
05-06-2014, 10:17 AM
एक बेकार आदमी ने ‘ऑफिस-बॉय’ की जोब के लिए माईक्रोसोफ्ट में अर्जी दी. वहां की एचआर मैनेजर ने उसे देखा और उस बंदे को इंटरव्यु के लिए बुलाया.

इ मेल पता होता तो उसे अपनी क़ाबलियत का पता नहीं चलता,जिसकी किस्मत में जो होता है वही मिलता है यारो