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View Full Version : दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)


kamesh
30-11-2010, 06:56 AM
सभी मित्रो को मेरा नमस्कार आज दिल में अक हुक सी उठी तो मेने यह सूत्र बनाया जिसमें आप सभी का सहयोग आशीर्वाद और प्यार चाहिए , मेरी सोच है की बिना दर्द के प्यार परवाना नहीं चढ़ता है और बिना चोट खाए प्यार की गहराई समझ में नहीं आती,तभी तो कहतें है "जब दर्द नहीं था सिने में तो खाक मजा था जीने में,अब के सावन हम भी रोयें सावन के महीने में" आप सभी आमंत्रित है अपने अनुबव ,गीत गजल और शायरी के साथ जो आप के दिल की गहराई से निकली हो

धन्यवाद

kamesh
30-11-2010, 07:00 AM
टूटे हुवे खाब्बो ने इतना ये बताया है

दिल ने दिल ने जिसे चाह था आँखों ने गवाया है

YUVRAJ
30-11-2010, 07:26 AM
भाई,
जहाँ तक मेरा मानना है कि बिना दुश्मानों के मोहब्बत कामयाब नहीं होती/ दर्द तो सामान्य जीवन का अंग है/

YUVRAJ
30-11-2010, 07:33 AM
Na jaane tum pe itna yakin kyon hai?
Tera khayal bhi itna haseen kyon hai?
Suna hai Pyar ka dard meetha hota hai!!!
to aankh se nikla ye aansu namkeen kyon hai?

kamesh
30-11-2010, 05:15 PM
राही मनवा दुःख की चिंता क्यों सताती है दुःख तो अपना साथी है
दुःख है इक सम जाती आती है जाती है दुःख तो अपना साथी है

kamesh
30-11-2010, 05:18 PM
आदमीं आदमीं को क्या देगा
जो भी देगा उसे खुदा देगा
आदमीं आदमीं को क्या देगा

pooja 1990
30-11-2010, 05:27 PM
nice post kamesh ji

kamesh
30-11-2010, 05:32 PM
nice post kamesh ji
आप जिन के करीब होते है

वो बड़े खुशनसीब होतें हैं

kamesh
30-11-2010, 06:01 PM
करमवा बैरी हो गए हमार,बलमवा बैरी हो गए हमार ,
चिठिया हो तो हर कोई बांचे, भाग न बांचे कोई
सजनवा बैरी हो गए हमार, करमवा बेरी हो गए हमार

kamesh
30-11-2010, 06:02 PM
जब भी ये दिल उदास होता है

जाने कौन आस पास होता है

Kumar Anil
30-11-2010, 09:51 PM
na jaane tum pe itna yakin kyon hai?
Tera khayal bhi itna haseen kyon hai?
Suna hai pyar ka dard meetha hota hai!!!
To aankh se nikla ye aansu namkeen kyon hai?

युवी मेरे दोस्त बात तो पते की है कि प्यार के इस मीठे दर्द मेँ अश्क नमकीन क्योँ होते हैँ । यकीनन इस प्रश्न का उत्तर कोई चोट खाया इन्सान ही दे सकता है । क्या फोरम पर ऐसा कोई बन्दा है ?

jai_bhardwaj
30-11-2010, 10:33 PM
जब भी तुझसे मेरा सामना हो गया
उस घड़ी मेरा 'मैं' , लापता हो गया
तुमने भूले से नाम ए वफ़ा क्या लिया
मेरा जख्म ए जिगर फिर हरा हो गया
क़त्ल करते हैं जो , पूछते हैं वही
कुछ तो कहिये तो क्या माजरा हो गया
दुश्मनों की तरफ से फिकर अब नहीं
दोस्ती में दग़ा , सौ दफ़ा हो गया
इस जमाने में विज्ञान की खैर हो
मौत का अब सरल रास्ता हो गया :cheers:
जिसने दुनिया को जीता वो इंसान 'जय'
जिसने खुद को ही जीता, खुदा हो गया

Kumar Anil
01-12-2010, 06:56 AM
जब भी तुझसे मेरा सामना हो गया
उस घड़ी मेरा 'मैं' , लापता हो गया
तुमने भूले से नाम ए वफ़ा क्या लिया
मेरा जख्म ए जिगर फिर हरा हो गया
क़त्ल करते हैं जो , पूछते हैं वही
कुछ तो कहिये तो क्या माजरा हो गया
दुश्मनों की तरफ से फिकर अब नहीं
दोस्ती में दग़ा , सौ दफ़ा हो गया
इस जमाने में विज्ञान की खैर हो
मौत का अब सरल रास्ता हो गया :cheers:
जिसने दुनिया को जीता वो इंसान 'जय'
जिसने खुद को ही जीता, खुदा हो गया


भाई जी
इस सुन्दर रचना को हमारे लिए प्रस्तुत करने पर आपको धन्यवाद । कितनी सुन्दर बात कितने सरल शब्दोँ मेँ कि जिससे आप प्रेम करते है जिसे आप सर्वस्व मान बैठते हैँ उससे आपका जब साक्षात्कार होता है तो आपके भीतर का ' मैँ ' न जाने पिघलकर कहाँ चला जाता है और ' हम ' मेँ समाहित हो जाता है । अर्द्धनारीश्वर की परिकल्पना मेँ सम्भवतः यही भाव निहित हैँ जिसे मूर्त रूप प्रदान किया गया है ।

amit_tiwari
01-12-2010, 05:37 PM
कामेश बंधू सूत्र का लिंक देने के लिए धन्यवाद.

ये रचना पुराने मित्रों ने पढ़ी होगी किन्तु फिर भी पोस्ट कर रहा हूँ. शायद नए मित्रों को पसंद आये |

काफी उदास है और पढने वालों से गुज़ारिश है की एक बार में पूरा पढ़ें अन्यथा मज़ा नहीं आएगा |



मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ,
तुम कैसे मुहब्बत करती हो?

तुम जब भी सामने आती हो
बस तुमको सुनना चाहता हूँ,
ऐ काश कभी तुम ये कह दो
मैं तुमसे मुहब्बत करती हूँ !
तुम मुझसे मुहब्बत करती हो
तुम मुझको बेहद चाहती हो
लेकिन जाने क्यूँ तुम चुप हो
ये सोच के दिल घबराता है
ऐसा तो नहीं है ना जाना?
सब मेरी नज़र का धोखा है
मैं तुमसे पूछना चाहता हूँ
मैं तुमसे कहना चाहता हूँ
लेकिन कुछ कह सकता भी नहीं
माना कि मुहब्बत है फिर भी
लब अपने खुल भी नहीं सकते

मैं तुमसे पूछना चाहता हूँ
तुम कैसे मुहब्बत करती हो

ख्वाबों में बहुत कुछ बोलती हो
पर सामने चुप ही रहती हो
ये सोच के दिल घबराता है
तुमको खोने से डरता हूँ
मैं तुमसे ये कैसे पूछूं
तुम कैसे मुहब्बत करती हो?

मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ
तुम कैसे मुहब्बत करती हो

मुझे ठण्ड रास नहीं आती
मुझे बारिश से भी नफरत थी
पर जिस दिन से मालूम हुआ
ये मौसम तुमको भाता है
अब जब भी सावन आता है
बारिश में भीगता रहता हूँ
बूंदों में तुमको ढूँढता हूँ
कतरों से तुमको पूछता हूँ

मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ,
तुम कैसे मुहब्बत करती हो

जब हाथ दुआ को उठते हैं
अल्फाज़ कहीं खो जाते हैं
बस ध्यान तुम्हारा होता है
और आंसू गिरते रहते हैं
हर ख्वाब तुम्हारा पूरा हो
सो रब की मिन्नत करता हूँ

तुम कैसे मुहब्बत करती हो,
मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ !

राँझा भी नहीं, मजनू भी नहीं
फरहाद नहीं, अजरा भी नहीं |
वो किस्से हैं, अफ़साने हैं
वो गीत हैं, प्रेम तराने हैं
मैं जिंदा एक हकीकत हूँ
मैं ज़ज्बा-ए-इश्क की शिद्दत हूँ
मैं तुमको देख के जीता हूँ
मैं हर पल तुम पे मरता हूँ

मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ
तुम कैसे मुहब्बत करती हो ?

Kumar Anil
01-12-2010, 08:17 PM
कामेश बंधू सूत्र का लिंक देने के लिए धन्यवाद.

ये रचना पुराने मित्रों ने पढ़ी होगी किन्तु फिर भी पोस्ट कर रहा हूँ. शायद नए मित्रों को पसंद आये |

काफी उदास है और पढने वालों से गुज़ारिश है की एक बार में पूरा पढ़ें अन्यथा मज़ा नहीं आएगा |



मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ,
तुम कैसे मुहब्बत करती हो?

तुम जब भी सामने आती हो
बस तुमको सुनना चाहता हूँ,
ऐ काश कभी तुम ये कह दो
मैं तुमसे मुहब्बत करती हूँ !
तुम मुझसे मुहब्बत करती हो
तुम मुझको बेहद चाहती हो
लेकिन जाने क्यूँ तुम चुप हो
ये सोच के दिल घबराता है
ऐसा तो नहीं है ना जाना?
सब मेरी नज़र का धोखा है
मैं तुमसे पूछना चाहता हूँ
मैं तुमसे कहना चाहता हूँ
लेकिन कुछ कह सकता भी नहीं
माना कि मुहब्बत है फिर भी
लब अपने खुल भी नहीं सकते

मैं तुमसे पूछना चाहता हूँ
तुम कैसे मुहब्बत करती हो

ख्वाबों में बहुत कुछ बोलती हो
पर सामने चुप ही रहती हो
ये सोच के दिल घबराता है
तुमको खोने से डरता हूँ
मैं तुमसे ये कैसे पूछूं
तुम कैसे मुहब्बत करती हो?

मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ
तुम कैसे मुहब्बत करती हो

मुझे ठण्ड रास नहीं आती
मुझे बारिश से भी नफरत थी
पर जिस दिन से मालूम हुआ
ये मौसम तुमको भाता है
अब जब भी सावन आता है
बारिश में भीगता रहता हूँ
बूंदों में तुमको ढूँढता हूँ
कतरों से तुमको पूछता हूँ

मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ,
तुम कैसे मुहब्बत करती हो

जब हाथ दुआ को उठते हैं
अल्फाज़ कहीं खो जाते हैं
बस ध्यान तुम्हारा होता है
और आंसू गिरते रहते हैं
हर ख्वाब तुम्हारा पूरा हो
सो रब की मिन्नत करता हूँ

तुम कैसे मुहब्बत करती हो,
मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ !

राँझा भी नहीं, मजनू भी नहीं
फरहाद नहीं, अजरा भी नहीं |
वो किस्से हैं, अफ़साने हैं
वो गीत हैं, प्रेम तराने हैं
मैं जिंदा एक हकीकत हूँ
मैं ज़ज्बा-ए-इश्क की शिद्दत हूँ
मैं तुमको देख के जीता हूँ
मैं हर पल तुम पे मरता हूँ

मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ
तुम कैसे मुहब्बत करती हो ?

सीधी सरल मगर मर्मस्पर्शी रचना जिसे पढ़कर भावविभोर हो गया हूँ । एक अहसास ऐसा जागा कि बस इस अनमोल रचना के माध्यम से उसमेँ डूबा ही रहूँ । दिल के सारे तार झँकृत हो गये और मेरा स्व न जाने कहाँ विलीन हो गया , गर याद रहा तो सिर्फ प्रेम की यह अद्भुत अभिव्यक्ति और उसकी अमर गाथा ।

jai_bhardwaj
01-12-2010, 11:42 PM
मैं तुमसे पूछना चाहता हूँ
तुम कैसे मुहब्बत करती हो

ख्वाबों में बहुत कुछ बोलती हो
पर सामने चुप ही रहती हो
ये सोच के दिल घबराता है
तुमको खोने से डरता हूँ
मैं तुमसे ये कैसे पूछूं
तुम कैसे मुहब्बत करती हो?


तारों सा चमकते रहना
फूलों सा महकते रहना
मुस्कान रहे अधरों पर
खुशियाँ बरसाते रहना!!
हर बार सफल तुम होगे
विश्वास सदा ये रखना
बाधाएं आती रहती हैं
तुम राह बनाते रहना !!
असफल जो कभी हो जाओ
मन को न हारने देना
होते हैं ग्रहण छोटे ही
बस याद सदा यह रखना!!
हो जाए भूल जो तुमसे
खुद को भी क्षमा कर देना
पर चेहरे की आभा को
तुम मलिन न होने देना!!
यश अपयश, हार सफलता
वरदान भी हैं अभिशाप भी हैं
तुम इनमे खो मत जाना
संयत हो चलते रहना !!

amit_tiwari
02-12-2010, 01:12 AM
सीधी सरल मगर मर्मस्पर्शी रचना जिसे पढ़कर भावविभोर हो गया हूँ । एक अहसास ऐसा जागा कि बस इस अनमोल रचना के माध्यम से उसमेँ डूबा ही रहूँ । दिल के सारे तार झँकृत हो गये और मेरा स्व न जाने कहाँ विलीन हो गया , गर याद रहा तो सिर्फ प्रेम की यह अद्भुत अभिव्यक्ति और उसकी अमर गाथा ।

इसे लिखने के बाद मैं खुद भी कभी इस पर कुछ नहीं लिख पाया !
'मुझे ठण्ड रस नहीं आती...' के बाद के अंतरे डरा देते हैं |
इब्न-ए-इंशा की इक ग़ज़ल की दो लाइन हैं कि ' कूंचे को तेरे छोड़ कर, जोगी ही बन जाएँ मगर! जंगल तेरे, परबत तेरे, बस्ती तेरी, इंशा तेरा' बस यही हाल होता है |
अमीर खुसरो ने अपनी एक अधूरी नज़्म में कहा था कि 'सर रख तली, जब जाना सखी, पिया की गली' माने कि अपना अभिमान (सर) नीचे रख के प्रेम नगर में घुसो |
इसी बात को एक हिन्दू संत ने कुछ यूँ कहा कि ' जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी हैं मैं नाही' मतलब जब अभिमान(मैं) था तब प्रभु नहीं दिखे और जब अभिमान यानी मैं चला गया तो प्रभु दिख गए |
कितना स्पष्ट जीवन दर्शन हैं, दोनों धर्म एक ही बात कह रहे हैं कि अभिमान छोडो तो प्रेम और प्रभु दोनों मिल जाएँ |

तारों सा चमकते रहना
फूलों सा महकते रहना
मुस्कान रहे अधरों पर
खुशियाँ बरसाते रहना!!
हर बार सफल तुम होगे
विश्वास सदा ये रखना
बाधाएं आती रहती हैं
तुम राह बनाते रहना !!
असफल जो कभी हो जाओ
मन को न हारने देना
होते हैं ग्रहण छोटे ही
बस याद सदा यह रखना!!
हो जाए भूल जो तुमसे
खुद को भी क्षमा कर देना
पर चेहरे की आभा को
तुम मलिन न होने देना!!
यश अपयश, हार सफलता
वरदान भी हैं अभिशाप भी हैं
तुम इनमे खो मत जाना
संयत हो चलते रहना !!


थोडा देर लगी भाई किन्तु पहचान गया आपको |

अपना तो संघर्ष का विचार ही नहीं रहता हेहेहे, सीधे हथियार डाल कर कह देते हैं
'मत सताओ हमें, हम सताए हुए हैं,
अकेले रहने का गम उठाये हुए हैं,
खिलौना समझ के ना खेलो हमसे,
हम भी उसी खुदा के बनाए हुए हैं'

jai_bhardwaj
02-12-2010, 01:32 AM
'मत सताओ हमें, हम सताए हुए हैं,
अकेले रहने का गम उठाये हुए हैं,
खिलौना समझ के ना खेलो हमसे,
हम भी उसी खुदा के बनाए हुए हैं'

शब्द अकल वालों ने तो मतलब से रच डाला !
शब्दों की भाषा क्या समझेगा कोई दिलवाला !!
जब जब दिलवालों ने कुछ भी कहना चाहा !
या तो नज़रों से कह पाए या अश्रु गिरा डाला !!

amit_tiwari
02-12-2010, 01:34 AM
शब्द अकल वालों ने तो मतलब से रच डाला !
शब्दों की भाषा क्या समझेगा कोई दिलवाला !!
जब जब दिलवालों ने कुछ भी कहना चाहा !
या तो नज़रों से कह पाए या अश्रु गिरा डाला !!

होश वालों के बस में कहाँ इश्क का जूनून ?
हम दीवाने हैं जो जान भी लुटा देते हैं !!!

amit_tiwari
02-12-2010, 01:45 AM
बिखरती रेत पर किस नक़्शे को आबाद रखेगी?
वो मुझको याद रखे भी तो कितना याद रखेगी?
उसे बुनियाद रखनी है अभी दिल में मुहब्बत की
मगर ये नींव वो मेरे बाद रखेगी!
पलट कर भी नहीं देखी उसी की ये बेरुखी हमने!
भुला देंगे उसे ऐसा कि वो भी हमें याद रखेगी !!!

kamesh
02-12-2010, 07:26 AM
एक डोली और एक अर्थी आपस में टकरा गए
इन्हें देख लोग घबरा गये
ऊपर से आवाज़ आई

ये कैसी बिदाई है
लोगो ने कहा
महबूब की डोली देखने
यार की अर्थी आई है

kamesh
02-12-2010, 07:32 AM
कामेश बंधू सूत्र का लिंक देने के लिए धन्यवाद.

ये रचना पुराने मित्रों ने पढ़ी होगी किन्तु फिर भी पोस्ट कर रहा हूँ. शायद नए मित्रों को पसंद आये |

काफी उदास है और पढने वालों से गुज़ारिश है की एक बार में पूरा पढ़ें अन्यथा मज़ा नहीं आएगा |



मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ,
तुम कैसे मुहब्बत करती हो?

तुम जब भी सामने आती हो
बस तुमको सुनना चाहता हूँ,
ऐ काश कभी तुम ये कह दो
मैं तुमसे मुहब्बत करती हूँ !
तुम मुझसे मुहब्बत करती हो
तुम मुझको बेहद चाहती हो
लेकिन जाने क्यूँ तुम चुप हो
ये सोच के दिल घबराता है
ऐसा तो नहीं है ना जाना?
सब मेरी नज़र का धोखा है
मैं तुमसे पूछना चाहता हूँ
मैं तुमसे कहना चाहता हूँ
लेकिन कुछ कह सकता भी नहीं
माना कि मुहब्बत है फिर भी
लब अपने खुल भी नहीं सकते

मैं तुमसे पूछना चाहता हूँ
तुम कैसे मुहब्बत करती हो

ख्वाबों में बहुत कुछ बोलती हो
पर सामने चुप ही रहती हो
ये सोच के दिल घबराता है
तुमको खोने से डरता हूँ
मैं तुमसे ये कैसे पूछूं
तुम कैसे मुहब्बत करती हो?

मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ
तुम कैसे मुहब्बत करती हो

मुझे ठण्ड रास नहीं आती
मुझे बारिश से भी नफरत थी
पर जिस दिन से मालूम हुआ
ये मौसम तुमको भाता है
अब जब भी सावन आता है
बारिश में भीगता रहता हूँ
बूंदों में तुमको ढूँढता हूँ
कतरों से तुमको पूछता हूँ

मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ,
तुम कैसे मुहब्बत करती हो

जब हाथ दुआ को उठते हैं
अल्फाज़ कहीं खो जाते हैं
बस ध्यान तुम्हारा होता है
और आंसू गिरते रहते हैं
हर ख्वाब तुम्हारा पूरा हो
सो रब की मिन्नत करता हूँ

तुम कैसे मुहब्बत करती हो,
मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ !

राँझा भी नहीं, मजनू भी नहीं
फरहाद नहीं, अजरा भी नहीं |
वो किस्से हैं, अफ़साने हैं
वो गीत हैं, प्रेम तराने हैं
मैं जिंदा एक हकीकत हूँ
मैं ज़ज्बा-ए-इश्क की शिद्दत हूँ
मैं तुमको देख के जीता हूँ
मैं हर पल तुम पे मरता हूँ

मैं ऐसे मुहब्बत करता हूँ
तुम कैसे मुहब्बत करती हो ?
क्या बात कही है आप ने
हर जख्मी जिगर को ये अपना सा लगेगा वाह क्या सून्दर मन की बात को अश्को में भर के प्रस्तुत किया आप ने सूत्र पर चार चाँद लगा दिया
आते रहें और दर्द से सराबोर कर दें ताकि जो भी पढ़े बेवफा न बने

kamesh
02-12-2010, 07:40 AM
तुम बिन ज़िन्दगी में वीरानी सी छाई है

शाम भी तेरी यादों का सैलाब लेकर आई है

आज भी महरूम हूँ तेरे प्यार से
तुमसे दिल लगाने की सजा क्या खूब मैंने पाई है

ये मेरी खता है की तुझको अपना खुदा बना बैठा

फितरत में तो तेरी आज भी बेवफाई है

फिर भी दुआ है मेरी हर ख़ुशी मिले तुझको
किस्मत में तो अपनी बस तन्हाई है

khalid
02-12-2010, 08:44 AM
एक डोली और एक अर्थी आपस में टकरा गए
इन्हें देख लोग घबरा गये
ऊपर से आवाज़ आई

ये कैसी बिदाई है
लोगो ने कहा
महबूब की डोली देखने
यार की अर्थी आई है


जवाब नहीँ छोटे इसके एक एक शब्द का

amit_tiwari
02-12-2010, 10:45 AM
एक डोली और एक अर्थी आपस में टकरा गए
इन्हें देख लोग घबरा गये
ऊपर से आवाज़ आई

ये कैसी बिदाई है
लोगो ने कहा
महबूब की डोली देखने
यार की अर्थी आई है


भाई कहने सुनाने में तो ये बात भली है बस कोई इसे जीवन में अपने उतार ना ले |
प्रेम अच्छा है किन्तु उसमें जान वां देने की बातें भली नहीं है | एक व्यक्ति के ऊपर मात्र उसका ही नहीं उसके माँ,बाप,भाई, बहन, दोस्तों, अध्यापकों सबका अधिकार होता है और एक व्यक्ति के लिए उन सबको जीवन भर का दुःख और संताप देना किसी भी प्रकार से अच्छा नहीं इससे अच्छा तो जा के दुसरे को ठोक:gm::gm: देना है हेहेही |

malethia
02-12-2010, 04:03 PM
दर्दे मरीज करहाता रहा करहाता रहा
देखने वाले कहते रहे कि धीरज कीजे

ये जो हमदर्दी है नाटक है दिखावा है सिर्फ
अपना बोझ अपने ही कंधो पे उठाया कीजे

प्यार का नाम है बस नाम है इस दुनिया में
प्यार व्यापार नही जो सोच समझ कर कीजे

वफ़ा के नाम पे अब कुछ नही होता हासिल
बेवफाई ना करे कोई तो फिर क्या कीजे

बाद मरने के भी क्या बोझ किसी पे बनना
अपनी लाश अपने ही कन्धो पे उठा भी लीजे

सिवा सलाह के यहाँ किसने किसी को क्या दिया
मदद के वास्ते झोली ना फैलाया कीजे

ABHAY
02-12-2010, 04:19 PM
दील की क्या आवाज है कोई क्या जाने मन से जो आवाज निकले उसे कोई क्या सुने आँखों से जो आशु निकले उसे कोई क्या पोछे जब जख्म देने वाले ही अपने हो तो दूसरों पे इल्जाम क्यो दे दे !

ABHAY
02-12-2010, 04:24 PM
दिल से आवाज निकली है कोई सुन न ले
आखो से आज आशु निकली है देखना कही गिर न जाये
कितने दिनों बाद एक दिल फेक आशिक से पाला पड़ा है ,
ये भी कही हमें भूल न जाये !:iloveyou:

kamesh
02-12-2010, 04:40 PM
दिल से आवाज निकली है कोई सुन न ले
आखो से आज आशु निकली है देखना कही गिर न जाये
कितने दिनों बाद एक दिल फेक आशिक से पाला पड़ा है ,
ये भी कही हमें भूल न जाये !:iloveyou:
sine men jalan aankhon me tufan sa kyo hai
is sahar men har saksh paresan sa kyon hai

ABHAY
02-12-2010, 04:45 PM
sine men jalan aankhon me tufan sa kyo hai
is sahar men har saksh paresan sa kyon hai

कोई कहता है दिल टूट गया कोई कहता है आखे खुल गई
मगर कोई ये नहीं कहता की लड़की बेबफा हो गई !

kamesh
03-12-2010, 07:43 AM
कई बार यू हीं देखा है ये जो मन की सीमा रेखा है मन तोड़ने लगता है
अनजानी चाह के पीछे अनजानी राह के पीछे मन दोड़ने लगता है

Sikandar_Khan
03-12-2010, 07:52 AM
कागज पे आंसूओ के सिवा और कुछ नही
बाद अज़ सलाम उसने लिखा और कुछ नहीँ
दिल का हरेक जख्म लहू थूकने लगा
उस से बिछड़ के मुझ को हुआ और कुछ नहीँ
जैसे ही चराग हवा ने बुझा दिया

समझो हयात इस के सिवा और कुछ नहीँ
उसने जो मेरी बात का हंस कर दिया जवाब
मालूम ये हुआ कि वफा और कुछ नहीँ

खुशियोँ के क़ाफले करेँ हर पल तेरा तवाफ
होँटोँ पे अपने इसके सिवा और कुछ नहीँ

YUVRAJ
03-12-2010, 08:48 AM
मेरी कब्र से मिटटी चुरा रहा है कोई !
मर के भी मुझको याद आ रहा है कोई !
ये खुदा, मुझको दो पल की ज़िंदगी दे दे,
मेरे कब्र से उदास होके जा रहा है कोई !!!

kamesh
04-12-2010, 07:31 AM
कागज पे आंसूओ के सिवा और कुछ नही
बाद अज़ सलाम उसने लिखा और कुछ नहीँ
दिल का हरेक जख्म लहू थूकने लगा
उस से बिछड़ के मुझ को हुआ और कुछ नहीँ
जैसे ही चराग हवा ने
बुझा दिया
समझो हयात इस के सिवा और कुछ नहीँ
उसने जो मेरी बात का हंस कर दिया जवाब
मालूम ये हुआ कि वफा
और कुछ नहीँ
खुशियोँ के क़ाफले करेँ हर पल तेरा तवाफ
होँटोँ पे अपने इसके सिवा और कुछ नहीँ

मेरी कब्र से मिटटी चुरा रहा है कोई !
मर के भी मुझको याद आ रहा है कोई !
ये खुदा, मुझको दो पल की ज़िंदगी दे दे,
मेरे कब्र से उदास होके जा रहा है कोई !!!
वाह क्या बात कही है दोनों भाइयों ने,लगता है आप लोगो के भी जखम गहरें है
एक शेर
केसे केसे रंग दिखाए सारी रतियाँ
हम को ही हम से चुराए सारी रतियाँ

YUVRAJ
04-12-2010, 11:18 AM
ज़िन्दगी तूने लहू लेके दिया कुछ भी नहीं ...
तेरे दामन मे मेरे वास्ते क्या कुछ भी नहीं ...
आप इन हाथों की चाहें तो तलाशी ले लें ...
मेरे हाथों में लाकीरों के सिवा कुछ भी नहीं ...
वाह क्या बात कही है दोनों भाइयों ने,लगता है आप लोगो के भी जखम गहरें है
एक शेर
केसे केसे रंग दिखाए सारी रतियाँ
हम को ही हम से चुराए सारी रतियाँ

YUVRAJ
04-12-2010, 04:22 PM
सिर्फ़ यादों का एक सिलसिला रह गया ।
अल्लाह जाने उनसे क्या रिश्ता रह गया .
एक चाँद छुप गया जाने कहा ?
एक सितारा उसे रात भर ढूँढता रह गया ।

Video Master
04-12-2010, 04:39 PM
हमें सभी के लिए बनना था
और शामिल होना था सभी में

हमें हाथ बढ़ाना था
सूरज को डूबने से बचने के लिए
और रोकना अंधकार से
कम से कम आधे गोलार्ध को

हमें बात करना था पत्तियों से
और इकठ्ठा करना तितलियों के लिए
ढेर सारा पराग

हमें बचाना था नारियल का पानी
और चूल्हे के लिए आग

पहनना था हमें
नग्न होते पहारों को
पदों का लिबास
और बचानी थी हमें
परिंदों की चहचाहट

हमें रहना था अनार में दाने की तरह
मेहँदी में रंग
और गन्ने में रस की तरह

हमें यादों में बसना था लोगों के
मटरगस्ती भरे दिनों सा
और दोरना था लहू बनकर
सबो के नब्ज़ में

लेकिन अफ़सोस की हमें
कुछ नहीं कर पाए
जैसा करना था हमें!

jai_bhardwaj
04-12-2010, 11:38 PM
जिनको नज़र दी हमने दुनिया को देखने की,
वे ही न जाने नज़रें क्यों हमसे फेरते हैं !!
पोंछे थे हमने जिनकी आँखों के अश्क हरदम
वे देखकर हमें क्यों, अब आँखे तरेरते हैं !!

Kumar Anil
05-12-2010, 02:31 PM
भाई यह बात हजम नहीँ हो रही कि कामेश का दर्द से भी कोई रिश्ता है । मस्ती मेँ जीने का राज तो बस कामेश से पूछो । खैर , अपने अजीज मित्र को मैँ तो दर्द नहीँ ही दे सकता । मित्र मेरी शतकीय प्रविष्टि तुम्हेँ समर्पित -
साथ हम तुम जो दोनो रहेँगे दिन हँसेँगे औ रातेँ उड़ेँगी
नूर हर शै छलकने लगेगा
वादियाँ भी महकने लगेँगी । लब से लब जब हमारे मिलेँगे ,
जल्द कलियाँ जवाँ हो खिलेँगी ,
रश्क मदिरा को उस वक्त होगा ,
जबकि मदहोश पलकेँ उठेँगी ।
जर्रा जर्रा बनेगा शरारा
जब हम बेताब बाँहोँ मेँ होँगे वेग तूफाँ का तेज होगा
जिस्म दो जबकि एक जान होगी ।
शोखियोँ से अगर रूठ जाओ बिजलियाँ कदमबोसी करेँगी ,
गर हकीकत मेँ तुम रूठ जाओ ,
जाँ मेरी जिस्म से दूर होगी ।
साथ हम तुम जो दोनो रहेँगे दिन हँसेँगे औ रातेँ उड़ेँगी ।

teji
06-12-2010, 07:39 AM
सफ़र मैं हूँ एक सफ़र मुझ में भी है
मैं शहर में घूमता हूँ, एक शहर मुझ में भी है

मेरे टूटे घर को हंसकर मत देख मेरे नसीब
मैं अभी टूटा नहीं हूँ, एक घर मुझ में भी है

खूब वाकिफ हूँ मैं दुनिया की हकीकत से मगर
शख्स कोई हर तरफ से बेखबर मुझ में भी है

आदमी में बढ़ रहा है दिनों दिन कैसा ज़हर
देखता मैं भी हूँ, कुछ ज़हर मुझ में भी है

वक़्त के जरुरत से कोई अछुता है नहीं
कैसे मैं इनकार कर दूं, कुछ असर मुझ में भी है

बेधड़क बेख़ौफ़ चलता हूँ बियाबान में ,मगर
आईने से सामना होने का डर मुझ में भी है .

Sikandar_Khan
06-12-2010, 04:09 PM
बड़ी सी आँखे, महीन अबरू, पलक पलक है झुकी हुई सी
सुराही गर्दन, सियाह जुल्फें, लबों पे सुर्खी, लगी हुई सी

बताओ कैसे करूँ बयाँ मैं, जो हाल दिल का हुआ है मेरे
हूँ रूबरू मैं, तुम्हारे जब यूँ, हैं सांस मेरी रुकी हुई सी

क़लम मेरी सोच मे पड़ी है, तुम्हें ब्यां मे है लाना मुश्किल
स्याही इसकी हुई है फीकी, है नोक इसकी मुड़ी हुई सी

कनीज तेरी है दोनो देखो, नसीम-ए-सुबह , ये रात रानी
हर एक ही शै तुम्हारे आगे झुकाए सर है खड़ी हुई सी..

कभी कभी यूँ गुमां हुआ है, महक़ तुम्हारी गुलों मे महकी
चमक रही चाँदनी गगन जो, नज़र तेरी हो बिछी हुई सी

ज़रा उतारो गरूर सारा ये चाँद जिसपे चढ़ा हुआ है
उधार की रोशनी लिए ये, उधारी सर पे चढ़ी हुई सी

करे गुज़ारिश मिलो इन्हें तुम, धनक, शफ़क़ ज़ुगनू कहकशां सब
मेरे अलाबा कुछ और भी हैं, है आस जिनको लगी हुई सी

ज़रा सा सरके तुम्हारा आँचल तो तारे दिन मैं निकल पड़ेंगे
ना निकली बाहर टहलने तुम तो ये रात जैसे मुई हुई सी

है नर्म लहज़ा ग़ज़ल के जैसा रुबाई जैसी तुम्हारी बातें
हया से लिपटा बदन तुम्हारा कुंवारेपन मे छुई हुई सी

कमाल तेरा हुआ है सारा बदल गया शायरी का लहज़ा
ब्यान मेरा जुदा जुदा और फ़िक्र मेरी नयी हुई सी

Sikandar_Khan
06-12-2010, 04:13 PM
आदमी है रखता क्युं इतनीं पहचानें यहां,
उजागर हैं कुछ निहॉ हैं अफ़साने यहां.

जान तो हर वक़्त है हाज़िर मेरे दोस्त की,
वक़्त पड़ा तो हो गये हज़ार बहाने यहां.

वफ़ा के हर मुकाम पर तेरा ही इम्तिहांन है,
अपने लिये तो उनके हैं और पैमाने यहां.

ज़मानतें जो मांग ली इस सौदा-ए-जिस्त ने,
पल भर ही में हो गये सब दोस्त बेगाने यहां.

नादान इस दहर को तू मुड़ के पीछे देख ले,
तुझसे लाखों लग गये आकर ठिकाने यहां.

मौत बेचते थे वो हमने सौदा कर लिया,
तोड़ कर दैरो हरम बनवाओ मयख़ाने यहां.

गर्त में आलम जा रहा ए ख़ुदा तू रोक ले,
"अनाड़ी" लगे फ़र्ज़ान को हुनर सिखलाने यहां

Kumar Anil
06-12-2010, 04:17 PM
आदमी में बढ़ रहा है दिनों दिन कैसा ज़हर
देखता मैं भी हूँ, कुछ ज़हर मुझ में भी है

वक़्त के जरुरत से कोई अछुता है नहीं
कैसे मैं इनकार कर दूं, कुछ असर मुझ में भी है

बेधड़क बेख़ौफ़ चलता हूँ बियाबान में ,मगर
आईने से सामना होने का डर मुझ में भी है .

तेजी जी
आपकी रचनाओँ मेँ एक धार है । वर्तमान सन्दर्भ मेँ प्रासंगिक है और इसीलिए ये स्वयं से साक्षात्कार करा जाती है । इस सुन्दर कृति के लिए धन्यवाद ।

Sikandar_Khan
06-12-2010, 04:29 PM
us naazuk dharkan ke naam jis ke zero zabar ne mujhe jeenaa sikhaayaa


Itnee si aarzoo thi meree aashnaa ke saath
Zakhme jigar ho dubadoo dast e shifaa ke saath

aashna ,, mahboob ,, daste shefaa ,, shefaa ka haath

Tarke ta”alluqaat ke ik arsa baad bhi
Shaamil teraa khiyaal rahaa har doa ke saath

tarke ta"alluqaat ,, alag ho jana

Ik baat be khayaali me aayi zabaan par
Tum ne nazar jhukaa li thi haai kis adaa ke saath

Mujh ko qaraar mil gayaa tum ko sokoon bhi
Goyaa ki jism mil gaye apnee doaa ke saath

Jab jab doaaye sehr me shaamil kiyaa tumhen
Haathon me irteaash thaa kaas e doaa ke saath

doaye sehr ,, subh ki doa ,,irteaash ,,kapkapaahat
kaase doa ,, doa ka peyaalah

Muddat se ek khwaahishe zindaane nafs hai
Ho munsalik naseeb meraa mudda”aa ke saath

khowaahishe zindaane nafs ,, man ke jel ki muraad
munsalik .. mil janan ,, mudda"aa ,,muraad

Hassaas kaainaat ho aao gale milo
Haan itni iltejaa hai ki aao hayaa ke saath

hassaas ,,sesitive,, kainaat ,,universe
ilteja ,, guzaarish

ek sher apne desh ke naam

kuwait me apne mulk ki boo baas mil gayi
Chaawal jo main ne khaaye kabhi raaj maa ke saath

Sikandar_Khan
06-12-2010, 05:37 PM
Saamnae manzil hai laekin,phir bhi mujh sae door hai
Kaesa hai insaaf taera,kaesa ae dastoor hai

Na koi hai mujhko khwahish,na hai baqi aarzoo
Jo bhi daedae mujhko yaarab,wo mujhae manzoor hai

Muskurata hai jahan,Khilkhilatae hain sabhi
Aek mujhko chord ker,kiyoon jahan masroor hai

Khali khali kiyoon lagae,mujhko apni zindagi
Jab-kae kehtae hain,sabhi,Zindagi bhar-poor hai

Main na jaanoon,RAZ kiyoon,her jaga aur her ghadi
Dil mera hai ghum-zada,Dil mera ranjoor hai



غزل
سا منے منزل ہے لیکن پھر بھی مجھ سے د ور ہے
کیسا ہےانصاف تیرا،کیسا یہ د ستور ہے

نہ کو ئ ہے مجھکو خواہش،نہ ہے با قی آرزو
جوبھی دے دے مجھ کو یا ر ب!مجھھ کو وہ منظو ر ہے

مسکراتا ہے جہاں،کھلکھلا تے ہیں سبھی
ایک مجھ کو چھو ڑ کرسارا جہاں مسرور ہے

خالی خالی کیوں لگے،مجھ کو میری زند گی
حب کہ کہتے ہیں سبھی،زند گی بھر پور ہے

میں نہ جا نوں راز کیو ں،ہر جکہ اور ہر گھڑی
دل مرا ہے غمزدہ،دل مرا رنجور ہے

Sikandar_Khan
06-12-2010, 06:06 PM
khomaar e dard se mahboob ho gayin aakhen
kisi ki chaah me majzoob ho gayin aanken

khomaar e dard ...dard ka nasha ,,, majzoob .. apne aap ko bhool janaa

nazar ne orh li manzar ki aatisheeN chaadar
gham e hayaat se martoob ho gayin aankhen

manzar ... jo nazar aaye ,,, aatisheeN .... aag se bharee ,, .. gham e yahaat ... zindagi ka gham ,,,,,, martoob ,,,,,,aansoo aajaanaa

saraab ban ke manaazir nazar me hain raqsaan
milan ki aas pe masloob ho gayin aankhen

saraab ... registaan ki wo chamak jise peyaasaa paani samajh le ,,,,, manaazir .. wo tamaam cheezen jo nazar aayen ,,,, raqsaan .. naachnaa
masloob ... jise faansee de di jaaye

roodaad ishq ki nao khez hai abhi saaqi
abhi se kis liye mahjoob ho gayin aankhen

roodaad ... kahaani ,,,,, nao khez ...teen ager ... mahjoob ... pardah kar lenaa

har ek khel me aankhon me bughz dar aayaa
nazar ke khel me mahboob ho gayin aankhen

bughz .... keenaa kapat ,,, dar aayaa .. andar aa gayaa

badha jo maamila to isqadar huwa hassaas
ki gaam gaam pe kiya khoob ho gayin aankhen


hassaas .. sensitive ....gaam gaam .. qadam qadam ...

ABHAY
06-12-2010, 06:32 PM
गीता में लिखा है

गीता में लिखा है



















अरे यार यहाँ क्या खोज रहे हो !
















कहा न गीता में लिखा है !

Sikandar_Khan
06-12-2010, 06:44 PM
Ek ladka ladki ko dekhne ke liye har
roz uske cd ke showroom se ek nai cd kharidata tha,
ek din ladke ko laga ki ladki use kabhi nahi chahegi or vo mar gaya.
kuch din ladka showroom pe nahi aaya
tab vo ladki uske ghar gayi, to pata chala ki vo mar
gaya hai, tab ladke ki maa ne use ladki ko ladke ka kamra
dikhaya, ladki ne dekha ki vo cd's bhi sealpack thi, tab
ladki bahut royi kyoki ladki har roz usme ek love letter
rakhti thi.

Sikandar_Khan
06-12-2010, 06:52 PM
ek pal mai kitna
faasla ho jaata hai
jo ab tak paas thaa mere
woh kitna door ho jaata hai.....
------
pata nahi tujh pe meri
kis baat ka asar hone wala hai
koi raaz aaj teri zubaa se
phir khulne wala hai.....
-----
mere dil ke safon mai
koi shikayat nahi likhi hai
jab bhi mulaakat hoti hai tujh se
kitni saafgoi se baat hoti hai.......
-----

meri udaas zindgi mai
tumse roshni huee hai
andhero mai jaane ki
ab aadat nahi rahi hai.....
--------

"judai mai chirag intezaar ke iss kadar roshan ho jaate hai
apne gam ke fasaane jagha jagha ishtahaar ho jaate hai......
---------

"jaha phool hote hai waha kaanto ka chubhna ho hi jaata hai
bahut kareeb ka rishta bhi kaanch ki tarha toot hi jaata hai......
----------

kisi ke intezaar mai tu khudh ko itnaa na jalaa
tujhe nahi maalum tujhme kitna aaftaab hai....

Sikandar_Khan
06-12-2010, 06:54 PM
Main zameen par rehta hu
Asmaa ki baat kaise karu
Abhi katra-katra jee raha hu
Samundar ki baat kaise karu...

----------------------------------------------------------

Ye deepak hai aapka
jab kaho jal jaayega,
ye who suraj nahi jo
shaam ko dhal jaayega....

----------------------------------------------------------

zinda hoon is tarah ke gamey zindgi nahi
jalta hooua deepak hoon magar roshni nahi
agar aap is zindgi me aaye toh bahar aa jaye
is bujhte hue deepak ko phir se roshni mil jaye....

--------------------------------------------------------------------------

Sikandar_Khan
06-12-2010, 06:55 PM
"mohabaat har baar gul se gulzaar lagti hai
haansil ho sanam ka piyar toh haar lagti hai
lage na nazar kabhi zamane ki toh
zindgi tab jaake kahi bahaar lagti hai......"

" Itnee bhi madhoshi achi nahi hoti
phir haath mai sharab bachi nahi hoti
koi puchta mayekhane ka pata toh
mehfil mai jaane ki baat kachchi nahi hoti........."

" ishq ka koi jaha mai paimana nahi hota
judai mai ashk ka sirf beh jana nahi hota
takdeer mai likhaa ho dard jab itnaa saara
chaha ke bhi insaan ke vash mai samajhna nahi hota....."

" Chhu ke gai thi tere jisum ki mehak aaj mujh ko
Bulaa legi abhi jaise teri dilkash awaaj mujh ko... "

" kabhi saamne aa jate toh tumse do baat ho jaati
khabar zamane ko hamare ishq ki be-baat ho jaati..."

" Din toh guzar jayega, kiya hoga jab shaam hogi
Aansoo ka katra reh jayega, aankh jab nam hogi "

Sikandar_Khan
06-12-2010, 06:57 PM
"Sukhe huye phool unke kab se kitaabo mai rakhe hai
Jala ke diye mohabbat ke hamne khwaabo mai rakhe hai
Chandni raat mai chamakte chand ko jaanna mushkil thaa
Magar mere mehboob ke ashk gulaabo mai rakhe hai....."


" ...Hamne unhe manaaya kab,
rooth jaane ke baad
Hamne unhe rulaaya kab,
tooth jaane ke baad
Yeh toh khuda ki inaayat rahi mujh par bahut
Hamne unhe ghar bulaaya tab,
haath mai haath aa jaane ke baad ..."


--------------------------------------------------------------------------------

Sikandar_Khan
06-12-2010, 06:59 PM
" Kehne ko woh shakhs muddato se mere saath thaa
Jab gaya toh uske aur mere beech faasla bahut thaa..."

" Tum mere maazi ki kitaab ka vark aahista se kholna
Pehle panne par kisi ke aansoon ki boond rakhi hai....."

" Bahut mumkin hai is baar tum yaad aao
Bahut mumkin hai tum khud hi chali aao
Par isse ab kiya fark padhegaa mujhe
Murjhaaye phoolon mai jaise paani daal aao..."

"Use kabhi gamon ka eelm na ho yeh baat main yaad rakhta hu
Uske udaas chehre par main besakhta muskaan laa detaa hu..."

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:00 PM
" Insaani rishte ka sabse bada naam hota hai
Waqt par aaye kaam, yahi inaam hota hai
Maange na badle mai phir kuch aur kabhi
Ek dost ka dosti ke liye yahi mukaam hota hai...."

" Ye zakhm abhi itne bhi hare nahi huye
Ke tumhari humdardi unka maharam ho jaye.... "

" Hamko yeh shikayat phir na tumse kabhi hoti
Lafzo ki tehzeeb mai jab baat hamse kabhi hoti... "

" Hairaan hu teri betaabi ka bartaaba dekh ke
Zara sambhalo apne ko meri baanhon mai.... "

" na malum meri palko ko kiya huaa hai
sote-sote sapne mai khud hi bheeg jaati hai.... "

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:02 PM
"Jab tumse nazar mil hi gai hai
Shurkh labon pe tere ronak aa hi gai hai
Hayaa ka jo ab tak tha pardaa
Phir kiyon tu ab mujhse sharmaa gai hai.... "

" Kuch zamaane ki sobat ka asar aisa hota hai
dosto ki nazar mai fark thoda thaoda aa hi jata hai...."

" Har cheez mumkeen ho jati,
gar waqt mere saath reh jata
jo bekaar thaa ab tak zamane ke aage,
woh kaam mere haath reh jata... "

" Mere khawabo mai raha woh barso tak
Jo ab nahi hai nazro mai arso tak..."

" Mehfilon mai rahe na the kabhi hum is kadar tanahaa
Rishta jod baithe us se jo tha pehle se be-khabar tanahaa...."

" Mujhe tanhaa kar gai teri shaam ki mulakaat
Dekhta hu kaise guzarti hai aaj ki raat...... "

" Mujhe dard hai uske aansu beh jaane ka
Use gam hai mere zhakm reh jaane ka... "

" Itna bhi tu udaas na ho
Aas abhi gai nahi hai
Abhi toh shuruaat hai ulfat ki
Tune yeh abhi jana nahi hai.......... "

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:03 PM
" Yeh na koi itefaaq tha na koi khushfemi thi
ishq-e-nazar thi meri isliye tum zara sehmi thi..."

" Yeh uski nazar ka teer tha jo zigar ke paar ho gaya
Ulfat mai aisa ghaav mila zakhm umar bhar ho gaya..."

" Is kadar ab tanahaa hai hasrate meri
Jabki tere saath kabhi thi mohabbate meri... "

" Peene peelaane ki baat
phir kar lenge dost
Abhi Sham-e-Ghazal ka waqt hai
Koi Sher keh lenege dost..."

" Yeh kasam lee bhi tum ne toh kiya hoga
Kal saamne hogi jab dilruba toh kiya hoga
kon sakhi kon sa paimana sab bhul jaaoge
jab uske surkh honto ka saamne piyala hoga..."

" Pehle main maikhane mai gam bhulaane aata tha
Ab fakhiri mai yaha apnaa gam jalaane aata hu.... "

" Aankho mai basa lo ek baar husn-e-yaar ko toh
Phir yeh aag dono taraf dheere-dheere jalti hai.... "

" Meri nazro.n ne jab se tumhe apna maana hai
Koi pal ab mujhe tumse judaa nahi lagta... "

" Is kadar ab tanahaa hai hasrate meri
Jabki tere saath kabhi thi mohabbate meri..."

" Haasil hai mujh ko tere ulfat ki woh saari khubiyaa
Jo mere justzu ki kitaab mai hardam shaamil hai..."

" Yeh shayad humare piyaar ka kasoor nahi thaa
Tera saath jaane kiyon khuda ko manzoor nahi thaa... "

" Gar humne tumse yuhi mohabbat kar lee
Chalo dosti mai puri yeh bhi zarurat kar lee... "

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:05 PM
" Hote hai jo dil ke kareeb itne
Milke bhi nahi milte unse naseeb itne..."

" Chehraa sabhi ka, dil ka aaina hota hai
Bas ek ek raz iska, hume padhna hota hai..."

" Jo waqt ko manzoor tha woh hi ho gaya
Aansu kise dikhaye sab paani ho gaya..."

"Na Phoolon se mohabbat hai
Na Kaanton se nafarat hai
aa jaye jo waqt pe kaam
bas itni si hasarat hai.... "

" Main kahi bhi rahu, taur-tarikaa sab mera hi hoga
Dard tumhe jab bhi hoga, aansu mera wahi gira hoga... "

" Thodi door thi tu bas meri zindgi se
Baat zara si thi hui na dil-lagi se..... "

" Sharat yeh na teri thi na meri thi
Mohabbat thi jo ab tak dil mai pali thi...."

" Main ab Khawabon mai kaha etbaar karta hoon
Ek Insaan hoon takdeer ki chaabi se chalta hoon...... "

Hasrat thi woh toh dil mai hi reh gai
tumse mila jo dard use sehne mai umar beh gai

Tute huye ghar badi mushkil se bante hai
Bichhude huye dil phir kaha sawarte hai.....

" Chahato ke silsile banaye toh bahut
Magar Tut gaye sapne sajaye toh bahut... "

Kiske Khayaalon mai baithi hai woh shaam se
aake chupke se haathon mai mehndi laga gaya koi...

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:07 PM
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Uske jaane ka sadmaa toh bahut hai mujhe
Yeh baat aur hai rone ka waqt nahi mila mujhe....

Uski yaado ke cheerag jalaane they mujhko dair tak
Lekin beete dino ki kitaab ka har lafz meeta mila mujhe.....

Rehte hai aankh mai aansoon kahani banke saraa din
Koi sun le ise aisa khwaishmand ab tak mila nahi mujhe......

Zindgi ki dhoop mai chalte-chalte thakh gaya hoon main
Door tak kabhi koi saaya milega, iska gilaa nahi mujhe.....

Honto pe kabhi di thii usne mujhko muskaan apni sii
Us baat ki kisi se ab sheekayat karu yeh aadat nahi mujhe.......

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:09 PM
*****************************
Meri saanson mai rehti hai woh khushbu si banke
Koi mere kamre mai aaina dekh ke sawarta hai...

***************************
Mohabbat mai dil ko tum dariyaa na banaao
Ishq ki aag aisi hai yaha aksar log haath jalate hai...

*****************************

Bahut socha thaa apni chahat usey bata doon
Aaj diya maine phool toh usney liyaa hi nahi...

****************************

Auro ki subha suraj ke ughne se shuru hoti hai
Mera toh din uska chehra dekhne se nikalta hai...

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Karti hai jab tu aaine mai dekh ke shringaar apna
Woh pal mujh ko kartaa be-karaar bahaut hai......

***********************************

Pahin ke aai thi jis din tu mere ghar zebar saare
Khada ho saamne mere husn ka bazaar bahut hai....

**********************************

Dahlti shaam ko tera mere paas se uthke jaana
Kal mujhe karna pade tera intezaar bahut hai....

*****************************************

hoti hai jab kabhi barsaat mere aas-paas itni jor se
uss pal tere saath ek baar bheegna chahata hu......

***********************************

chhod ke gai thi tu jis gali ke khambe ke paas mujhe tanaha
uss jagha ek baar main tujh se phir milna chahata hu......

**********************************

Mujhe uski ek nahi har baat bahut pasand thi magar
Mazburiyon ki khaatir uske, mera dil haar aayaa hai...

********************************************

Khol ke kitaab main kitni dair aur padhta rehta
Uska aks har lafz ke maayine badal ke bahar aayaa hai...

******************************************
Ek phool jo
mere haath mai hai
Tum chaaho toh
vo le sakti ho....
Khushbu hai isme
meri hasrat ki
Tum jitni chaahe
so le sakti ho....

*************************************

Bheegi ho tum
baarish mai aaj kitna
Dedunga main
saanso ki garmi
jo le sakti ho...
Hawaaon se na tum
koi shikayat karo ab
Kandhe pe sar rakhke mere
neend aaye jitni
so le sakti ho...

*******************************
******************
**********
********
****

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:10 PM
"Jab tak Zindgi rehti hai Kaarwaan chalta rehta hai
Toofaan aate jaate hai Raasta aage badta rehta hai...."

" Yaad nahi hoga Tumhe ab kuch bhi
Bhul jaau sab Yeh hi munaasib hoga..."

"Tamanna rakhne se Haansil hota bhi kya
Aarzu apno ki thi Gairon se baat karta bhi kya..."

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:11 PM
Tum se milkar yun kyo lagata hai
Tum se pehle ka koi rishta hai...
Jab tumhara cheraa nahi dikhta hai
Din saara kyo khali khali dikhta hai...
Tum aa jaao mere paas
Mera dam jata sa dikhta hai...

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:13 PM
Maine tujhe chaaha Meri marzi thi
Inkaar karna theri Mazboori thi
Dono ki mohabbat Judaa rahegi
Apni hasraton koYeh baat batani thi...

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:14 PM
Jinhe Mohabbat hoti hai
Woh Ghussa nahi hote
Kanton ke chubhne se
paawon ghayal nahi hote

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:26 PM
"Jab tak Zindgi rehti hai Kaarwaan chalta rehta hai
Toofaan aate jaate hai Raasta aage badta rehta hai...."

" Yaad nahi hoga Tumhe ab kuch bhi
Bhul jaau sab Yeh hi munaasib hoga..."

"Tamanna rakhne se Haansil hota bhi kya
Aarzu apno ki thi Gairon se baat karta bhi kya..."

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:27 PM
Tum se milkar yun kyo lagata hai
Tum se pehle ka koi rishta hai...
Jab tumhara cheraa nahi dikhta hai
Din saara kyo khali khali dikhta hai...
Tum aa jaao mere paas
Mera dam jata sa dikhta hai...

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:28 PM
Maine tujhe chaaha Meri marzi thi
Inkaar karna theri Mazboori thi
Dono ki mohabbat Judaa rahegi
Apni hasraton koYeh baat batani thi...

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:30 PM
Jinhe Mohabbat hoti hai
Woh Ghussa nahi hote
Kanton ke chubhne se
paawon ghayal nahi hote

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:32 PM
" Bahut yaad aati hai Mujhe woh pichhli diwali
Us raat tune sajaai thi mere yaha bhi rangoli.."

" Raaton neend ke sirahane Satate hai tere tasavvur mujhe
Judai ke aansoon seekhate hai Jeene ka shahaur mujhe..."

" Main yaadon ke saaye mai khada Unke khayal bunta hoon
Jinhe sarokar nahi is baat se Kitna din-raat marta hoon..."

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:33 PM
" Baadlon mai chhupke Kaise chaand nikalta hai
Tum muskura ke Apne hansi rukhsaar de do..."

" Humne mohabbat mai Jitne khwaab sajaaye hai
Woh zamane bhar ne Sab pehle se azmaaye hai..."

" Dard-e-dil ki kitaab hai Aahistaa se kholna
Harf se ashq tapkte hai Bataa ke kholna..."

" Pehchaan toh puranai thi
unse mil nahi paye
hatheli mai phool the
jo khil nahi paye..."

" Mujhe zindgi Kuch aur nazar aaye
Subha-shaam Jaise koi ghar aaye..."

" Tumhari tasveer se Aur kiya baat karta
Aaoge kabhi Yeh gumaan aas-paas raha..."

" Beetey dinon ka lamha Mere paas raha
Tum na aa sake Yeh hii khaas raha..."

" Teri aankhon ka "Naresh" kora sapna nahi hai
Haathon mai abhi Mehandi lagaani rehti hai..."

" Mujhe aur naa dikhaaon aaina tum
Maathe par mere waqt ki shikan si hai..."

" Jab paas khade ho tumahre intaa kabhi toh
Zara soch ke aank mai kaajal lagaayaa karo...."

" Ab tum itni bhi be-rukhi na dikhaayaa karo
Aake mujhe bhi thoda-thoda manaayaa karo..."

" Main apne dard ke saath rehta kiyon hu
Phir uski aankh mai behta kiyon hu..."

" Mujhe zindgi ke maayene samajh aane lage hai
Jab se woh mere saath waqt beetaane lage hai..."

" Auro ki subha suraj ke ughne se shuru hoti hai
Mera toh din uska chehra dekhne se nikalta hai..."

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:35 PM
Mera ek lamha Tumhare paas rakha hai
Yeh hi ek Chaahat ka ehsaas rakha hai...
Sukhe phoolon mai Abhi khushbu baaki hai
Murjhaai pattiyon ko Dil mai khaas rakha hai...

Rooth ke tumhara Chunni ungli mai lapetnaa
Meri aankhon ne Apne aas-paas rakha hai...
Tumhare haath ki Kalaaion se uttraa kangan
Mere takiye ke niche Ab tak udaas rakha hai...

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:36 PM
" Intezaar tera jab
aankhon mai rehtaa hai
Dil humara jaane
yeh sab kaise sehtaa hai.."


" Ab toh intezaar ki
intaaha ho gai
aa bhi jaao dilbar
raat tanha ho gai..."

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:37 PM
Hasratein dilo ki chupaye nahi chupti hai,
dard juba par bankar bayan sab karti hai.....

*****************************
Dard ki mehfil me ek sher hum bhi aarz kiya karte hai..
Na kisi se marham Na duaon ki Ummed kiya karte hai..
kayi chehre lekar log yaha jiya karte hai.......
hum in aasunao ko ek chehre ke liye peeya karte hai....

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:38 PM
Zindagi de 4 din hass khed k katt lo,
pyar naal duniya ch khatna jo khat lo,
lutt lo nazara jag wale mele da,
pata nahio hunda yaaro aun wale wele da.




Kise-kise mutiyar de hai sir utte palla,
PAGG wala munda dise dasan vicho kalla,
Jeanan chall payian suitan da riwaaz na riha,
Mera pehlan varga rangla Punjab na reha.




Asin jitte bazi tan mashoor ho gaye,
Tere haseyan ch hase tan hanju door ho gaye,
Bas ik tere jehe dost di dosti badoult,
Asin tutte kach ton KֈIN֖R ho gaye.




Raaz dil ka dil mein chupate hai woh,
Samne aate hi nazar jhukate hai woh,
Baat karte nahi, ya hoti nahi,
Par shukar hai jab bhi milte hai muskurate hai woh.




Zindagi de 4 din hass khed k katt lo,

Pyar naal duniya ch khatna jo khat lo,
Lutt lo nazara jag wale mele da,
Pata nahio hunda yaaro aun wale wele da... Enjoy!

Sikandar_Khan
06-12-2010, 07:43 PM
Dosti ke mayne hamse kya puchte ho,
Hum abhi in baton se anjaan hain,
Sirf ek gujarish hai ke bhool na jana hame,
Kyonki aapki dosti hi hamari jaan hai.




Saton Aasmaon ki sair ham kar aaye,
Har ek tare se Dosti kar aaye,
Ek Tara khas tha jise hum apne saath le aaye,
Varna aap hi Sochiye ki aap is zameen par kyoon aaye?




Waade bhi dost ne kya khub nibhaye,
Zakham muft mein aur dard tohfe me bhijwaye,
Is se badhkar wafa ki misaal kya hogi,
Maut se pehle hi dost kafan le aye




Bartan lohe de kade tuttde nahin,
Maali apne baagh nu kade puttde nahin;
Tutt jande ne kai baar khoon de rishtey,
par rishtey Dosti de kade tuttde nahin.




Suraj paas ho na ho, Roshni aaspaas rehti hai,
Chand paas ho na ho, Chandni aaspaas rehti hai,
Waise hi aap paas ho na ho,
Apki Yaadein hamesha saath rehti hai!




Legs utha ke karo,
Tange faila ke karo,
Ghuma ghuma ke karo,
Aage peechey dono taraf karo,
Jitna karoge utna halka mehsoos hoga
Oye I'm talking abt Yoga




Hotho se jo choo liya,
Ehsaas Ab tak hai,
Aankhe Nam hai, Aur sanson mein Aag ab tak hain,
Aur kyon na ho... Khayi Bhi to 'HARI Mirch' hai.




Har phool ki ajab kahani hai,
chup rehna bhi pyar ki nishani hai,
kahin koi zakhm nai phir bhi kyun dard ka ehsas hai,
lagta hai dil ka ek tukda aaj bhi uske paas hai.



Rukta bhi nahi, theek se chalta bhi nahi,
Yeh dil hai kay tere baad sambhalta hi nahi,
Is umar key sehra say teri yaad ka baadal,
Talta bhi nahi aur barasta bhi nahi,

Sikandar_Khan
07-12-2010, 12:51 PM
Tamam Arbab-e-Zoq Ko Aadaab.....!






KOI BHATKA HAI DAR-BADAR TANHA


Mujh Ko Rahon Me Chor Kr Tanha
Koi Bhatka Hai Dar badar Tanha

Log Chaon Me Chain Se Bethay
Dhoop Me Bas Jala Shajar Tanha

Roshni Bant'ta Phira Shab Bhar
Sehar-Dm Chup Gaya Qamar Tanha

Ab Teri Yaad Ke Alaao Main
Mujh Ko Jalna Hai Umr Bhar Tanha

Mere Dil Tu Hai Razdaar Mera
Tuu Bata Jaun Main Kidhar Tanha

Is Zamanay Ki bheer Me doston
Main Ne Paya Hr Ik Bashar Tanha

Sikandar_Khan
07-12-2010, 12:57 PM
उनको बुलाएं हम , तो , वो मुंह खोलते नहीं
!
सुन कर भी निदायें हज़ार बोलते नहीं !
आते हैं रोज़ बाम पी , पर , सिर्फ लम्हे को ;
पहले की तरह शाम -ओ -सहर डोलते नहीं !!

Sikandar_Khan
07-12-2010, 01:00 PM
मै समंदर के साहिल की रेत का ज़र्रा हूँ
हर पल एक नयी लहर के साथ बहता हूँ

मै अँधेरे मै जलते बुझते रौशनी का परवाना हूँ
हर पल एक सादगी की शमा पे मरता हूँ

मै लबों से निकलती अधूरी बात का मुज्मा हूँ
हर पल खामोश आँखों से नाश-औ-नुमा कहता हूँ

मै मुझे ढूढते मेरे हमसफ़र का निशाँ हूँ
हर पल पा ले मुझे इसी उम्मीद मे रहता हूँ

मै तेरे दर की चोखट का सवाली हूँ
हर पल कासाह-ऐ-गदाई लिए तुझसे सवाल करता हूँ

मै एतिमादे इलाही का मसरूर मुसल्सिलाह हूँ
हर पल तेरी इबाबत मै नामूरोदे-ज़फ़ा सहता हूँ

मै समंदर के साहिल की रेत का ज़र्रा हूँ
हर पल एक नयी लहर के साथ बहता हूँ

Sikandar_Khan
07-12-2010, 01:02 PM
अबकी बार जब मिलना तुम, मिलना मुझे दिल खोल के
ऐसी बातें करना मुझसे, जो भाषाओँ के बंधन तोड़ दे

कहना तुम अपनी भी कही, मेरी बीती सुन भी लेना
बस इतना ही रखना ध्यान, बातें न हमें झकझोर दें

अबकी बार जब मिलना तुम, मिलना मुझे दिल खोल के

समेट लेना यह एक अश्क हर बीते फ़साने हर बीते लम्हे मे
हर शब्द हर खामा बीती हर एक भूली याद को निचोड़ दे

कुछ ऐसा असर हो हमारे तासुवुरों की सोहबत का
दीवारों मे पड़ रही दरारों के भी रुख मूड़ दे

Sikandar_Khan
07-12-2010, 01:05 PM
आज घर से जाता हूँ बाहर , सोच कर कुछ
घर लौट कर वापिस आता हूँ , सोच कर कुछ

वोह बुलाता है मुझे , हर शाम के बाद
उसे मगर रोज़ भुलाता हूँ , सोच कर कुछ

जो बसा है इन लकीरों में , अभी करीब नहीं
किसी के करीब नहीं जाता हूँ , सोच कर कुछ

हैं कई ख़त तेरे नाम के , मेरी जेब में
बस कभी नहीं भेज पाता हूँ , सोच कर कुछ

एक बेरोजगारी उस पर किल्लत -ए -जार जाती नहीं
अपनी गैरत बचाता हूँ , सोच कर कुछ

वोह मेरे माथे का पसीना पोंछे या नहीं , है " कशमकश"
ये कशमकश और बढाता हूँ , सोच कर कुछ

क्या बताऊँ कितनी बार रु -बा -रू हुआ हूँ खुदा तुझसे
अपनी नज़्म में छुपाता हूँ , सोच कर कुछ

"अर्श " जनता हूँ निकलना मैं वक़्त से भी आगे
बार बार मगर रुक जाता हूँ , सोच कर कुछ






ख्यालों का मजमा लगा रहता है अक्सर मेरे मग्ज़ के मकान पर
शब्द कम पड जाते हैं मगर मेरी जुबान पर
क्या बयान करूं मैं फिर इस अफ्सुरादिली की हद
लिख देना चाहता हूँ फासिल -ए -शहर और सारे जहां पर

Sikandar_Khan
07-12-2010, 01:06 PM
ख्यालों का मजमा लगा रहता है अक्सर मेरे मग्ज़ के मकान पर
शब्द कम पड जाते हैं मगर मेरी जुबान पर
क्या बयान करूं मैं फिर इस अफ्सुरादिली की हद
लिख देना चाहता हूँ फासिल -ए -शहर और सारे जहां पर

Sikandar_Khan
07-12-2010, 01:12 PM
ख्वाब हकीकत हो जाए
गर उनको मोहब्बत हो जाए


रात को निकले जब छत पे
चाँद को हैरत हो जाए

महफ़िल में रोशन हो चेहरा
तो दिल में क़यामत हो जाए

उठा ले वो चिलमन जो अपनी
देखो ना शरारत हो जाए

राहो में खड़े हैं उनकी
कब 'इश्क ' पे इनायत हो जाए

ABHAY
07-12-2010, 03:44 PM
क्या बात है सिकंदर भाई मजा आ गया क्या करे यही काम है बदनाम होने से ही अपना नाम है

jai_bhardwaj
07-12-2010, 11:35 PM
हमको हमराज बनाओ तो सही
अपना कुछ दर्द सुनाओ तो सही
दुश्मनी दोस्ती से बहुत बेहतर है
पर सलीके से निभाओ तो सही

Hamsafar+
08-12-2010, 09:33 AM
इश्क एक तरफ हो तो सजा देता है,
इश्क दोनों तरफ हो तो मज़ा देता है,
फर्क सिर्फ इतना है…….
कोई खामोश रहता है तो कोई बता देता है|

दिल को किसी आहत की आस रहती है ….
निगाह को किसी चेहरे की प्यास रहती है ….
तेरे बिन किसी चीज़ की कमी तो नहीं ….
पर तेरे बिन ज़िन्दगी उदास रहती है|

वो नाराज़ हैं हमसे की हम कुछ लिखते नहीं ,
कहाँ से लायें लफ्ज़ जब हमको ही मिलते नहीं ,
दर्द की जुबान होती तोह बता देते शायद ,
वो ज़ख्म कैसे कहें जो दीखते नहीं |

Hamsafar+
08-12-2010, 09:34 AM
अजनबी दोस्ती……
दर्द में कुछ कमी-सी लगती है,
जिन्दगी अजनबी-सी लगती है,

एतबारे वफ़ा अरे तौबा
दुश्मनी दोस्ती-सी लगती है,

मेरी दीवानगी कोई देखे
धुप भी चांदनी-सी लगती है ,

सोंचता हूँ की मैं किधर जाऊँ
हर तरफ रौशनी-सी लगती है,

आज की जिन्दगी अरे तौबा
मीर की सायरी सी लगती है ,

शाम-ऐ-हस्ती की लौ बहुत कम है,
ये सहर आखरी-सी लगती है ,

जाने क्या बात हो गयी यारों
हर नजर अजनबी-सी लगती है,
दोस्ती अजनबी-सी लगती है…….…

Hamsafar+
08-12-2010, 09:34 AM
दोस्त एक साहिल है तुफानो के लिए ,
दोस्त एक आइना है अरमानो के लिए ,
दोस्त एक महफ़िल है अंजानो के लिए ,
दोस्ती एक ख्वाहिश है आप जैसे दोस्त को पाने के लिए !!

जान है मुझको ज़िन्दगी से प्यारी ,
जान के लिए कर दूं कुर्बान यारी ,
जान के लिए तोड़ दूं दोस्ती तुम्हारी ,
अब तुमसे क्या छुपाना ,
तुम ही तोह हो जान हमारी !

दोस्ती के नाम को न बदनाम करो
मेरे भरोसे को न बदनाम करो ,
मेरी दोस्ती को अपना लेना
हमसे एक बार हाथ मिला लेना …

मुश्किलों से घबरा के अब जीना नहीं चाहते ,
दूर तुम से होके अब रहना नहीं चाहते ,
यूँ तो दोस्त बहुत बने इस ज़िन्दगी में
पर आप जैसे दोस्त को खोना नहीं चाहते|

यही तो खूबसूरत दोस्ती का नाता है ,
जो बिना किसी शर्त के जिया जाता है ,
रहे दूरियां दरमियाँ तो परवाह नहीं ,
दोस्त तो हरपल दिल में बसाया जाता है

Hamsafar+
08-12-2010, 09:34 AM
देखा है जबसे तुमको, मेरा दिल नहीं है बस में ,
जी चाहे आज तोड़ दूँ दुनिया की सारी रस्में,
तेरा हाथ चाहता हूँ, तेरा साथ चाहता हूँ ,
बाहों में तेरी रहना मैं दिन रात चाहता हूँ |

चाहेंगें उम्र भर हम सुबह शाम तुमको ,
हमने बना लिया है दिल का अरमान तुमको ,
मेरे सिवा किसी पर नज़रें – करम न करना ,
सितम कोई करना बस ये सितम न करना |

अपने दिल से ये प्यार कम न करना,
हमने चाहा तुम्हे, हमने पूजा तुम्हे ,
और तुमने चाह से न कभी देखा हमे ,
तुम अपने थे फिर भी बेगाने रहे ,
हम बेगाने थे फिर भी तुम्हारे रहे|

खो न जायें आप दुनिया की भीड़ में ,
इसलिए दिल में छुपाकर रखता हूँ ,
तुमको लगे न किसी की बुरी नज़र ,
इसलिए आँखों में बसाकर रखता

Hamsafar+
08-12-2010, 09:34 AM
हाँ, मैंने भी प्यार किया है,
दिल तुझको ही यार दिया है,
क्यूँ ऐसा काम किया है?
मैंने खुद को बदनाम किया है|

यही होती है सच्चाई,
दिल दे देते है किसी को भी भाई,
सोचते समझते कुछ भी नहीं ,
कर देते है जो खता , जो ठीक कर सकते नहीं|

प्यार ने ये कैसा तोहफा दे दिया ,
मुझको गुमो ने पत्थर बना दिया,
तेरी यादों मैं ही कट गयी ये उम्र ,
कहता रहा तुझे कब का भुला दिया …

Hamsafar+
08-12-2010, 09:35 AM
हमें इज़हार करना न आया,
उन्हें प्यार करना न आया,
हम बस देखते ही रह गए,
और वक़्त को थामना न आया ,
वोह चलते चलते इतने दूर चले गए,
हमें रोकना भी न आया,
हमने उनका नाम लिया फिर भी,
शायद उन्हें सुनना न आया|
हमारे तकदीर में उनकी मोहब्बत
थी ही नहीं
उनके दिल में हमारी चाहत
थी ही नहीं,
उनकी मुस्कराहट को हम,
प्यार समझ बेठे
और हमारे प्यार की कोई कीमत थी
ही नहीं,
अब अश्को के हर कतरे में ,
बस उनका ही नाम होता हैं|
दिन रात अपनी मोहब्बत को
याद करना,
दीवानों को और का क्या काम
होता हैं|.

Hamsafar+
08-12-2010, 09:35 AM
मायूस मत होना, यह एक गुना होता है,
मिलता वही है जो किस्मत में लिखा होता है,
हर चीज़ मिले हमें, यह ज़रूरी तो नहीं,
कुछ चीज़ों का जीकर दुसरे जहाँ में होता है..
`
जान कर भी तुम मुझे जान न पाए,
आज तक तुम मुझे पहचान न पाए,
खुद ही की है बेवफाई हम ने,
ताकी तुझ पे कोई इलज़ाम न आये …
`
जिनकी राहों में हमने बिछाई थे सितारे ;
उनसे कहते है हरपल आंसुओं के सहारे;
हो गए है सारे शिकवे कितने किनारे;
मगर फिर भी क्यूँ वोह हुवे न हमारे|
`
हर एक मुस्कुरुहत मुस्कान नहीं होती,
नफरत हो या मोहब्बत आसान नहीं होती,
आंसू गम के और ख़ुशी के एक जैसे होते है,
इनकी पहचान आसान नहीं होती है| `
हम अगर आपसे मिल नहीं पाते
ऐसा नहीं की आप हमें याद नहीं आते
मन का जहां के सब रिश्ते निभाहाये नहीं जाते
पर जो बस जाते है दिल में वो भुलाये नहीं जाते है|

Hamsafar+
08-12-2010, 09:35 AM
अब तेरी याद से आराम नहीं होती मुझ को
ज़ख्म खुलती हैं अज़ीयत नहीं होती मुझ को

अब कोई आये – चला जाये मैं खुश रहता हूँ
अब किसी शख्स की आदत नहीं होती मुझ को

ऐसी बदली हूँ तेरी शेहेर का पानी पी कर
झूट बोलों तो शिकायत नहीं होती मुझको

हमने तो उम्र गुज़ार – दी तन्हाई में
सह लिए सितम तेरी जुदाई में
अब – तो यह फ़रियाद है खुदा से
कोई और न तड़पे – तेरी बेवफाई में …

मत पूछ मेरे सब्र की इन्तहा कहा तक है?
तू सितम कर ले, तेरी ताकत जहाँ तक है,
वफ़ा की उम्मीद जिन्हें होगी, उन्हें होगी,
हमें तोह देखना है,
तू ज़ालिम कहा तक है?

Hamsafar+
08-12-2010, 09:36 AM
डरना तो प्यार करना मत, प्यार करना तो डरना मत,
उसे पता चले की किसी न किसी दिन, उसे पता चलना ही है,
इससे तुम्हें सच तो पता चलेगा, अगर ओ तुमसे
प्यार करते है तो जरुर रिपलाई देंगे, अगर उसने नहीं
कहा तो बुरा मत मानना, क्यों की असली प्यार का मज़ा इसी में तो है,
तुम उससे प्यार करते रहो, देखना जरुर एक दिन तुमे रिपलाई देगे,
मगर कुछ गलत मत करना|

एक अदा आपकी दिल चुराने की,
एक अदा आपकी दिल में बस जाने की,
एक चेहरा आपका चाँद सा…
एक जिद हमारी चाँद को पाने की|

इश्क किया तुझसे, मेरे ऐतबार की हद थी,
इश्क में दे दी जान, मेरे प्यार की हद थी,
मरने के बाद भी खुली थी आँखें ,
यह मेरे इंतज़ार की हद थी|

Hamsafar+
08-12-2010, 09:36 AM
(चलती है रूकती है थम जाती है ये ज़िन्दगी
कहती है सुनती है समझाती है ये ज़िन्दगी ) – २
लम्हा लम्हा इसका, हर पल ये कहता है,
जग जा रे जग जा रे बन्दे..
छू ले आसमान, छू ले आसमान,
छू ले आसमान, वो..
छू ले आसमान, छू ले आसमान
छू ले आसमान…

(रुख अपना मोड़ ले जब हम चले लहरें सभी
क़दमों पे आ गिरे सजदा करे हर

Hamsafar+
08-12-2010, 09:36 AM
एक ख़ुशी ) – २
मेरे नये ख्वाब कुछ, खिल गए आँखों में
दिन नया.. सब नयी रंग नये बातों में
सागर भी बाहों में अब लिखनी है नयी इबादत
आना है तुझे मेरे संग आ…
छू ले आसमान, छू ले आसमान ,
छू ले आसमान, वो.
छू ले आसमान, छू ले आसमान,
छू ले आसमान….

(अनजाने रास्ते हम पार हो, पल भर में ही
फासले उम्मीद में कटेंगे हमारे कोशिश से ही ) – २
यह जूनून जोश ये, कम ना होगा कभी
हौसला छोड़ना आदतों में नहीं
दीवानापन ये अपना, हैं सबसे जुदा जहां में
आना है तो चल मेरे संग आ…
छू ले आसमान, छू ले आसमान
छू ले आसमान, वो ..
छू ले आसमान, छू ले आसमान
छू ले आसमान…

(चलती है रूकती है थम जाती है ये ज़िन्दगी
कहती है सुनती है समझाती है ये ज़िन्दगी ) – २
लम्हा लम्हा इसका, हर पल ये कहता है,
जग जा रे जग जा रे बन्दे..
छू ले आसमान, छू ले आसमान,
छू ले आसमान, वो..
छू ले आसमान, छू ले आसमान
छू ले आसमान…

Hamsafar+
08-12-2010, 09:37 AM
अजब अपना हाल होता जो विसाल – इ – यार होता
कभी जान सद के होती कभी दिल निसार होता
न मज़ा है दुश्मनी में , न है लुत्फ़ दोस्ती में
कोई गैर गैर होता , कोई यार यार होता
ये मज़ा था दिल्लगी का , के बराबर आग लगती
न तुम्हें करार होता , न हमें करार होता
तेरे वादे पे ऐ सितमगर , अभी और सब्र करते
अगर अपनी ज़िन्दगी का हमें ऐतबार होता

एक नज़र है तू दीदार के लिए
एक लम्हा है इंतज़ार के लिए
एक ख्वाब है तू जिसे मेरी आखें देखे
एक तस्वीर है तू बस प्यार के लिए

खूबसूरत हो तुम
बड़ी नाज़ुक हो तुम
शायद बड़ी नज़ाक़त से बनाया होगा रब ने तुम्हे
खूब्शुरती की इन्तहा हो तुम

Hamsafar+
08-12-2010, 09:37 AM
लड़की एक पहेली :
लड़की एक ऐसी पहेली है , कभी तेरी तो कभी मेरी सहेली है .
खर्चा करो तो बोले “डार्लिंग,हाउ अरे यू ?”.
न करो तो बोले “ब्रदर, व्हो अरे यू ?”.

ज़िन्दगी उदास होने का नाम नहीं ,
दोस्ती सिर्फ पास होने का नाम नहीं ,
अगर तुम दूर रहकर भी हमहें याद करो ,
इस से बड़ा हमारे लिए कोई इनाम नहीं .

ऐसा हो सकता नहीं की ..
सावन हो और सरसों पीली न हो ..
बारिश हो और धरती गीली न हो ..
तन्हाई हो और तेरी याद न हो ..
तेरी याद हो और आँखों में नमी न हो ..

Hamsafar+
08-12-2010, 09:37 AM
जब देखा उन्होंने तिरछी नज़र से ,
तोह हम मदहोश हो गए ,
पर जब पता चला की उनकी नज़ारे ही तिरछी है ,
तोह हम बेहोश हो गए …

हम से सीखा उड़ना ,
हम को चले उड़ने ,
हम खिलाये दाने ,
और दुश्मन गाये गाने .

लड़का और लड़की (बॉय एंड गर्ल )!!
लड़की बोली :
चांदनी चाँद से होती है , सितारों से नहीं ,
चांदनी चाँद से होती है , सितारों से नहीं ,
मोहब्बत एक से होती है , हज़ारों से नहीं .

लड़का बोला :
चांदनी अगर चाँद से होगी तो सितारों का क्या होगा ,
चांदनी अगर चाँद से होगी तो सितारों का क्या होगा ,,
मोहब्बत अगर एक से होगी तो हजारों का क्या होगा .
बेवफा सनम से तो सिगारेत्ते अच्छी है ,
बेवफा सनम से तो सिगारेत्ते अच्छी है ,
दिल जलती है , पर होतो से तो लगती है

तेरे होठों से लग कर यह हवा शराब बन गयी
आँखों से लग कर यह हिजाब बन गयी
और गालों से लग कर यह गुलाब बन गयी .
सच ही कहती है यह दुनिया जानेमन
की मुझ से मिल कर तू लाजवाब हो गयी

Hamsafar+
08-12-2010, 09:37 AM
हर दिल मे दर्द छुपा होता है ,
बया करने का अंदाज़ जुदा होता है,
कोई अश्को से बहा देता है और
किसी की हँसी मे भी दर्द छुपा होता है|

प्यार करने वालो की किस्मत ख़राब होती है,
हर वक़्त इन्तहा की घडी साथ होती है ,
वक़्त मिले तो रिश्तो की किताब खोल के देख लेना ,
दोस्ती हर रिश्ते से लाजवाब होती है ..

सुना है काफी असर होता है बातों में ,
आप भी भूल जाओगे दो – चार मुलाकातों में ,
लेकिन हमसे बचकर कहाँ जाओगे ,
आपकी दोस्ती की लकीर है मेरे हाथों में ..

malethia
08-12-2010, 10:59 AM
यादो का सिलसिला ना चलाना कभी
वरना ये हरदम ऐसे ही सताएंगी
तब क्या करोगे
जब हमारी सासे हमारा साथ छोड़ जाएँगी
तब आखे नम और हमारी यादे सताएंगी
उम्र भर का एक भुला ना देने वाली
यादो की सौगात दे जाएँगी

ABHAY
08-12-2010, 11:39 AM
खुदा ने जब तुम्हे बनाया होगा
तू उससके दिल पे एक सरूर चाय होगा
सोचा होगा की तुझको जानत में रखूँ
फ़िर उस्सको मेरा ख्याल आया होगा

ABHAY
08-12-2010, 11:41 AM
खुशबू की तरह आपके पास बिखर जायेंगे,
सकूं बन कर दिल में उतर जायेंगे,
महसूस करने की कोशिश तो कीजिये,
दूर होते हुए भी पास नज़र आयेंगे

ABHAY
08-12-2010, 11:59 AM
आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तॆरी ज़ुल्फ कॆ सर होने तक!

आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब*
दिल का क्या रंग करूं खून*-ए-जिगर होने तक!

हमने माना कि तगाफुल ना करोगे लेकिन*
ख़ाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक!

गम-ए-हस्ती का "असद" किससे हो जुज-मर्ग-इलाज
शमा हर हाल में जलती है सहर होने तक!

ABHAY
08-12-2010, 12:00 PM
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि, हर ख़्वाहिश पे दम निकले....

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि, हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले

निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आये थे लेकिन
बहुत बेआबरू हो कर तेरे कूचे से हम निकले

अगर लिखवाए कोई उसको ख़त, तो हमसे लिखवाए
हुई सुबह और घर से कान पर रख कर क़लम निकले
मुहब्बत में नही है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस क़ाफ़िर पे दम निकले

ख़ुदा के वास्ते पर्दा न काबे का उठा ज़ालिम
कहीं ऐसा न हो यां भी वही क़ाफ़िर सनम निकले

कहाँ मैख़ाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं, कल वो जाता था कि हम निकले

ABHAY
08-12-2010, 12:01 PM
पेश है निदा फाज़ली साहब की बहुचर्चित रचना ' माँ ' :

बेसन की सोंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ ,
याद आता है चौका-बासन, चिमटा फुँकनी जैसी माँ

बाँस की खुर्री खाट के ऊपर हर आहट पर कान धरे ,
आधी सोई आधी जागी थकी दुपहरी जैसी माँ

चिड़ियों के चहकार में गूँजे राधा-मोहन अली-अली ,
मुर्गे की आवाज़ से खुलती, घर की कुंड़ी जैसी माँ

बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन थोड़ी-थोड़ी सी सब में ,
दिन भर इक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी माँ

बाँट के अपना चेहरा, माथा, आँखें जाने कहाँ गई ,
फटे पुराने इक अलबम में चंचल लड़की जैसी माँ

ABHAY
08-12-2010, 12:02 PM
कहीं छत थी, दीवारो-दर थे कहीं
मिला मुझको घर का पता देर से
दिया तो बहुत ज़िन्दगी ने मुझे
मगर जो दिया वो दिया देर से

हुआ न कोई काम मामूल से
गुजारे शबों-रोज़ कुछ इस तरह
कभी चाँद चमका ग़लत वक़्त पर
कभी घर में सूरज उगा देर से

कभी रुक गये राह में बेसबब
कभी वक़्त से पहले घिर आयी शब
हुए बन्द दरवाज़े खुल-खुल के सब
जहाँ भी गया मैं गया देर से

ये सब इत्तिफ़ाक़ात का खेल है
यही है जुदाई, यही मेल है
मैं मुड़-मुड़ के देखा किया दूर तक
बनी वो ख़मोशी, सदा देर से

सजा दिन भी रौशन हुई रात भी
भरे जाम लगराई बरसात भी
रहे साथ कुछ ऐसे हालात भी
जो होना था जल्दी हुआ देर से

भटकती रही यूँ ही हर बन्दगी
मिली न कहीं से कोई रौशनी
छुपा था कहीं भीड़ में आदमी
हुआ मुझमें रौशन ख़ुदा देर से

ABHAY
08-12-2010, 12:03 PM
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें... '

अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये
घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाये

जिन चिराग़ों को हवाओं का कोई ख़ौफ़ नहीं
उन चिराग़ों को हवाओं से बचाया जाये

बाग में जाने के आदाब हुआ करते हैं
किसी तितली को न फूलों से उड़ाया जाये

ख़ुदकुशी करने की हिम्मत नहीं होती सब में
और कुछ दिन यूँ ही औरों को सताया जाये

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाये

ABHAY
08-12-2010, 12:04 PM
हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी,
फिर भी तनहाइयों का शिकार आदमी,

सुबह से शाम तक बोझ ढ़ोता हुआ,
अपनी लाश का खुद मज़ार आदमी,

हर तरफ भागते दौड़ते रास्ते,
हर तरफ आदमी का शिकार आदमी,

रोज़ जीता हुआ रोज़ मरता हुआ,
हर नए दिन नया इंतज़ार आदमी,

जिन्दगी का मुक्कदर सफ़र दर सफ़र,
आखिरी साँस तक बेकरार आदमी

ABHAY
08-12-2010, 12:05 PM
कारवाँ गुजर गया, गुबार देखते रहे !'

स्वप्न झरे फूल से,
मीत चुभे शूल से,
लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से,
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे!

ABHAY
08-12-2010, 12:06 PM
क्या शबाब था कि फूल-फूल प्यार कर उठा,
क्या सुरूप था कि देख आइना मचल उठा
इस तरफ जमीन और आसमां उधर उठा,
थाम कर जिगर उठा कि जो मिला नज़र उठा,
एक दिन मगर यहाँ,
ऐसी कुछ हवा चली,
लुट गयी कली-कली कि घुट गयी गली-गली,
और हम लुटे-लुटे,
वक्त से पिटे-पिटे,
साँस की शराब का खुमार देखते रहे
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

ABHAY
08-12-2010, 12:07 PM
माँग भर चली कि एक, जब नई-नई किरन,
ढोलकें धुमुक उठीं, ठुमक उठे चरण-चरण,
शोर मच गया कि लो चली दुल्हन, चली दुल्हन,
गाँव सब उमड़ पड़ा, बहक उठे नयन-नयन,
पर तभी ज़हर भरी,
ग़ाज एक वह गिरी,
पुंछ गया सिंदूर तार-तार हुई चूनरी,
और हम अजान से,
दूर के मकान से,
पालकी लिये हुए कहार देखते रहे।
कारवां गुज़र गया, गुबार देखते रहे।

ABHAY
08-12-2010, 12:07 PM
किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा

देखो ये अचानक ऊजाला हो चला,
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा

और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया,
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा

ABHAY
08-12-2010, 12:08 PM
दुश्मनों ने तो ज़ख्म देने ही थे,
ये उनकी फितरत थी!
दोस्तों ने भी जब दगा की,
यह हमारी किस्मत थी!!

ABHAY
08-12-2010, 12:09 PM
अपने जज्बात को,
नाहक ही सजा देती हूँ...
होते ही शाम,
चरागों को बुझा देती हूँ...
जब राहत का,
मिलता ना बहाना कोई...
लिखती हूँ हथेली पे नाम तेरा,
लिख के मिटा देती हूँ......................

Sikandar_Khan
08-12-2010, 12:49 PM
VaTan ki miTTi se door chale aaye hum..
Un kadvi khaTTi yaadon se door chale aaye hum..
Sapno ka aashiyaan basaane ki CHAAHAT leke hum...
Apno ke daaman ko chhodd aaye hum...

Khush hain abhi, ki ik aashiyaan To milla..
Khushiyon ko idhar ka paTa To milla..
Gamon ki sargoshi se door aaye hum..
Nayi zindagi ki raah pe chale aaye hum...

ReT ki Tarah jo fisal sa gaya..
Kadmon ke nishaan woh bana hi gaya..
Usi ki chaah me, phir chale aaye hum..
Use paane ki raah pe chale aaye hum..

Hoga khushiyon se bhara mera bhi daaman..
Isi khawab ko chupa ke chale aaye hum..
Apno ko hoga hum pe kal To garv..
Honslo ko buland kar chale aaye hum..

Sikandar_Khan
08-12-2010, 12:58 PM
YakeeN apni mohabbat ka dilauN kaisey
Jo ruuth jaaye tu mujhse tou manauN kaisey

Meri waffa ko samajhta hai bewafai tu
Bata dey rasm-e-mohabbat nibhauN kaisey

Tera hi naam sunati hai dil ki har dhadkan
Sadayen dil ke dhadakne ki sunauN kaisey

Mai saath tere chaluN, hausla kahaaN mujhme
Diye jo faasle qismat ne mitauN kaisey

Nahi hai jin meiN mere pyaar ki mahek "sikandar"
MaiN aise phooloN se khwaboN ko sajauN kaisey

Sikandar_Khan
08-12-2010, 01:00 PM
Meri jafa ko samajhta hai bewafai tu
Bata dey rasm-e-mohabbat nibhauN kaisey

Mai saath tere chaluN, hausla kahaaN mujhme
Diye jo faasle qismat ne mitauN kaisey

ABHAY
08-12-2010, 02:02 PM
हमारी नींदें भी उड़ चुकी हैं,
सनम भी करवट बदल रहे हैं,
उधर भी जागा है प्यार दिल में,
उधर भी अरमां मचल रहे हैं।

ABHAY
08-12-2010, 02:04 PM
ज़िंदगी में मेरी ये हादसा तो होना ही था,
उसे कभी ना कभी तो बेवफा होना ही था।

ABHAY
08-12-2010, 02:06 PM
ये सारे शहर में दहशत सी क्यूँ है,
यकीनन कल कोई त्योहार होगा

ABHAY
08-12-2010, 02:07 PM
हम वो नहीं की भूल जाया करते हैं !
हम वो नहीं जो निभाया करते हैं !!
दूर रहकर मिलना सायद मुस्किल हो !
पर याद करके सांसो में बस जाया करते हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 02:08 PM
दिन तेरे ख़याल में गुजर जाता हैं !
रातों को भी ख़याल तेरा ही आता हैं !!
कभी ये ख़याल इस तरह बढ़ जाता है की !
आयने में भी तेरा ही चेहरा नज़र आता हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 02:11 PM
उनकी तस्वीर को सिने से लगा लेते हैं !
इस तरह जुदाई का गम मिटा देते हैं !!
किसी तरह कभी उनका जिक्र हो जाये तो !
भींगी पलकों को हम झुका लेते हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 02:13 PM
हर बार मुझे जख्म ए दिल ना दिया कर !
तू मेरी नहीं तो मुझे दिखाई ना दिया कर !!
सच-झूठ तेरी आँखों से हो जाता हैं जाहिर !
क़समें ना खा, इतनी सफाई ना दिया कर !!

ABHAY
08-12-2010, 02:14 PM
एय मेरी जिन्दगी यूँ मुझसे दगा ना कर !
उसे भुला कर जिन्दा रहू दुआ ना कर !!
कोई उसे देखता हैं तो होती हैं तकलीफ !
एय हवा तू भी उसे छुवा ना कर .... !!

ABHAY
08-12-2010, 02:15 PM
जिंदगी के रंग कितने निराले हैं !
साथ देने वाला हर कोई है लेकिन हम अकेले हैं !!
पानी है मंजिल हमें मगर रास्तों में रुकावटे हैं !
खुशियों में सब साथ हैं, गमों में सब पराये हैं!!

ABHAY
08-12-2010, 02:16 PM
हम तो यु ही बेखुदी में कह दिए !
की हमें कोई याद नहीं करते !!
जिसका हो आप जैसा प्यारा दोस्त!
वो कभी खुदा से भी फरियाद नहीं करते !!

ABHAY
08-12-2010, 02:17 PM
जिसे दिल दिया वो दिल्ली चली गई !
जिसे प्यार किया वो इटली चली गई !!
दिल ने कहा खुद ख़ुशी कर ले जालिम !
बिजली को हाथ लगाया तो बिजली चली गई !!

ABHAY
08-12-2010, 02:18 PM
चिराग खुशियों के कब से बुझाए बैठे हैं !
कब दीदार होगी उनसे हम आश लगाए बैठे हैं !!
हमें मौत आएगी उनकी ही बाहों में ......
हम मौत से ये सर्त लगाए बैठे हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 02:20 PM
रात को रात का तोफा नहीं देते !
दिल को जजबात का तोफा नहीं देते !!
देने को तो हम आप को चाँद भी दे दे !
मगर चाँद को चाँद का तोफा नहीं देते !!

ABHAY
08-12-2010, 02:22 PM
फिर करने लगा हिसाब जिंदगी का !
ये भी एक जरिया हैं तुम्हे याद करने का !!
यादों के खाख में ढूंढ़ रहा था एक हँसी !
आँखों से भी टपका तो एक कतरा .... !!

ABHAY
08-12-2010, 02:23 PM
बड़ा अरमान था तेरे संग जिंदगी बिताने का !
शिकवा हैं बस तेरे खामोश रह जाने का !!
दीवानगी इस से बढ़ा के क्या होगी !
मुझे आज भी इंतजार हैं तेरे आने का !!

ABHAY
08-12-2010, 02:26 PM
तुम्हे हमारी याद कभी तो आती होगी !
दिल की धड़कन भी सायद बढ़ जाती होगी !!
कितना चाहा था हमने की साथ - साथ रहे !
यह सोच कर तुम्हारी भी आँख भर आती होगी !!

ABHAY
08-12-2010, 02:27 PM
आँखों में आंसुओ को उभरने ना दिया !
मिट्टी के मोतियों को बिखरने ना दिया !!
जिस राह पे पड़े थे तेरे कदमो के निशान !
उस राह से किसी को गुजरने ना दिया !!

ABHAY
08-12-2010, 02:29 PM
कसूर ना उनका हैं ना मेरा !
हम दोनों ही रिश्तों की रस्में निभाते रहे !!
वो दोस्ती का एहसास जताते रहे !
हम मोहब्बत को दिल में छुपाते रहे !!

ABHAY
08-12-2010, 02:30 PM
एक अजनबी से मुझे इतना प्यार क्यों हैं !
इनकार करने पर भी चाहत का इकरार क्यों हैं !!
उसे पाना नहीं हैं मेरी तक़दीर में सायद !
फिर भी हर मोड़ पर उसका इंतजार क्यों हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 02:33 PM
तुम मेरी वफाओ को सदा याद करोगी !
खुद को मेरे याद में बर्बाद करोगी !!
मेरे प्यार को तुम जानो या न जानो !
तुम मुझे याद मेरे बाद करोगी !!

ABHAY
08-12-2010, 02:33 PM
जिसे दिल दिया वो दिल्ली चली गई !
जिसे प्यार किया वो इटली चली गई !!
दिल ने कहा खुद ख़ुशी कर ले जालिम !
बिजली को हाथ लगाया तो बिजली चली गई !!

ABHAY
08-12-2010, 02:34 PM
तुझसे मिलने की बेताबी का वो अंजाम कैसे भुलादूँ !
तेरे लवो की हँसी और आँखों की जाम कैसे भुलादूँ !!
दिल तो हमारा भी तड़पता हैं तेरा साथ पाने को !
पर इस जहाँ के रश्मो - रिवाज कैसे भुलादूँ !!

ABHAY
08-12-2010, 02:36 PM
आंसू से पलके भींगा लेता था !
याद तेरी आती थी तो रो लेता था !!
सोचा था की भुला दूँ तुझको मगर !
हर बार ये फैसला बदल लेता था !!

ABHAY
08-12-2010, 02:38 PM
दिल में इंतजार की लकीर छोर जायेगे॥
आँखों में यादो की नमी छोर जायेगे !
ढूंढ़ते फिरोगे हमें एक दिन ........
जिन्दगी में एक दोस्त की कमी छोर जायेगे !!

ABHAY
08-12-2010, 02:40 PM
हर कोई साथ हो ये जरुरी नहीं होता !
जगह तो दिल में बनायीं जाती हैं !!
पास होकर भी दोस्ती इतनी अटूट नहीं होती !
जितनी की दूर रह कर निभाई जाती हैं !!

ABHAY
08-12-2010, 02:46 PM
एय मेरी जिन्दगी यूँ मुझसे दगा ना कर !
उसे भुला कर जिन्दा रहू दुआ ना कर !!
कोई उसे देखता हैं तो होती हैं तकलीफ !
एय हवा तू भी उसे छुवा ना कर .... !!

ABHAY
08-12-2010, 03:01 PM
हर वक्त मुस्कुराना फिदरत हैं हमारी !
आप यूँ ही खुश रहे हसरत हैं हमारी !!
आपको हम याद आये या ना आये !
आपको याद करना आदत हैं हमारी !!

ABHAY
08-12-2010, 03:02 PM
रात गुमसुम हैं मगर चाँद खामोश नहीं !
कैसे कह दूँ फिर आज मुझे होश नहीं !!
ऐसे डूबा तेरी आँखों के गहराई में आज !
हाथ में जाम हैं,मगर पिने का होश नहीं !!

ABHAY
08-12-2010, 03:05 PM
सभी को सभी कुछ नही मिलता !
नदी को हर लहर का साहिल नही मिलता !!
ये दिलवालों की दुनियाँ हैं अजीब !
किसी को दिल नही मिलता तो कोई दिल से नही मिलता !!

ABHAY
08-12-2010, 06:44 PM
‘गालिब’की आबरु क्या है ?


हर एक बात पे कहेते हो तुम, के ‘तु क्या है ?’
तुम्ही कहो के ये अंदाझे गुफ्तगु क्या है ?

न शोले में ये करिश्मा न बर्क में ये यदा
कोइ बताओ की वो शोख-ए-तुंदको क्या है ?

ये रश्क है की वो होता है हम सुखन तुमसे
वगरना खौफ-ए-बद अमोझी-ए-अदू क्या है ?

चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन
हमारी जेब को अब हाजत-ए-रफू क्या है ?

जला है जिस्म जहां दिलभी जल गया होगा
कुरेदते हो जो अब राख, जुस्तजू क्या है ?

रगों में दौडते फिरने के हम नहीं कायल
जब आंखही से न टपका तो फिर लहू क्या है ?

वोह चीझ जिसके लिये हमको हो बहुत अझीझ
सिवा बदा-ए-गुल फाम-ए-मुश्कबू क्या है ?

पिउं शराब अगर गमभी देख लूं दो-चार
ये शिशाओ कदहओ कूझाओ सुबू क्या है ?

रही न ताकत-ए-गुफतार और अगर हो भी
तो किस उम्मीद पे कहिये के आरझू क्या है ?

हुए है शाह का मुसाहिब, फिरे है इतराता
वरना शहर में ‘गालिब’की आबरु क्या है ?

Sikandar_Khan
08-12-2010, 06:51 PM
Dil ke zakhmo ko aise na kuredo,kahin mar hi naa jaaen,
anjaame-muhabbat wo na dikhaao, sanam dar hi na jaaen.

Aao, baitho Do ghadi, kuch baaten muhabbat ki kar lo,
ToDo bhi ab khamoshi, kahin bahaaren guzar hi na jaaen.

Kuch aur ghadii tarqe-ta-alluq ka bharam banaae rakhho,
Dekho na aise pyaar se,kahin saanse tahahar hi na jaaen.

Wo aankhon me kaajal,wo zulfen rukhsar pe,goyaa jaadu,
Farishte, khudaa ke naam pe ik-din, muqar hi naa jaaen.

Suuraj bhi aata hai safar me ek tumhari hi jhalak paane,
aa jaao ki kahin kaaynaat se ab shamo-sahar hi na jaaen.

Sunte hain "shaad" uske shahar me zulfon ke saaye milenge,
kyon na use talashne barahna-sar, kisi dopahar hi na jaaen..

Sikandar_Khan
08-12-2010, 06:53 PM
Aaghosh-e-falak main samaa gay taare chandni raat main
Chand tanhaa hi mehw-e-perwaz misl humaare chandni raat main

Dunia-e-takhyyal aabad hui,chashm ter hone ko aazad hui
Dard-e-judaai main doobe dil k maare chandni raat main

Turp gay koail ki sadaa se,gila kar baithe hum Khuda se
Muqadder main kyun likhe hain hijr k angaare chandni raat main

Subh-e-aarzoo ko turs rahe hain,ghum k badal he burs rahe hain
Mar mar k g rahe hain umeed-e-wasl main tumaare chandni raat main

Sufaid perhan aasman ne pehna,humain to andheroon main hai rehna
Roshni k badle mile tuppash ke nazaare chandni raat main

Muntezar hain nazrain deedar ko paa na sake hum piyar ko
Tujhe dil-e-beqaraar bebusi main pukaare chandni raat main

Duor se chanda ne sergoshi ki,bekhudi ne madhoshi ki
Dard-e-faraaq main Nazish saath hun piyaare chandni raat main

Sikandar_Khan
08-12-2010, 06:55 PM
aye zindgi bhar ko rooth ke jaane wale,
tu bhi khush to na hoga mujhko rulane wale.

mere dard ki har tees se tu bhi tadap uthega,
is jism ke sarapa ko zakhmon se sajane wale.

ik main hi na bhatkunga uski khoj me dar-dar,
mere bhi aks talashenge kuch mujhko bhulane wale.

jo chupana bhi chaho to ye aansu sab kah denge,
meri muhabbat ke nishaan duniya se chupane wale.

gar mayyat me bhi khamosh rahi to duniya kya kahegi,
do aansu hi baha de aye sukhi palken jhukane wale.

yahi sukoon hai ki maut bhi aayegi zindgi me ek roz,
roenge mujhko bahot kuch dost purane wale...

ABHAY
08-12-2010, 07:43 PM
हंगामा है क्यूं बरपा.. थोडी सी जो पी ली है..
डाका तो नहीं डाला.. चोरी तो नहीं की है..

उस मे से नही मतलब.. दिल जिस से है बेगाना..
मकसुद है उस मे से.. दिल ही मे जो खिंचती है..

सूरज में लगे धब्बा.. कुदरत के करिश्में हैं..
बुत हमको कहें काफ़िर.. अल्लाह की मर्ज़ी है..

ना तजुर्बाकारी से वाईज़ की ये बातें हैं..
इस रंग को क्या जाने.. पूछो तो कभी पी है..

वा दिल में की सदमे दो.. या की मे के सब सह लो..
उनका भी अजब दिल है.. मेरा भी अजब जी है..

हर ज़र्रा चमकता है.. अनवार-ए-इलाही से..
हर सांस ये कहती है.. हम हैं तो खुदाई है..

हंगामा है क्यूं बरपा.. थोडी सी जो पी ली है..
डाका तो नहीं डाला.. चोरी तो नहीं की है..

थोडी सी जो पी ली है..

ABHAY
08-12-2010, 07:43 PM
करके मोहब्बत अपनी खता हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..

दरवाजे पर आहट सुनके उसकी तरफ़ ध्यान क्यूं गया..
आने वाली सिर्फ़ हवा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..

अर्ज़-ए-तलब पे उसकी चुप से ज़ाहिर है इंकार मगर..
शायद वो कुछ सोच रहा हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..

खून-ए-तमन्ना करना उसका शेवा है मंज़ूर मगर..
हांथ मे उसके रंग-ए-हिना हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..

करके मोहब्बत अपनी खता हो.. ऐसा भी हो सकता है..
वोह अब भी पाबंद-ए-वफ़ा हो.. ऐसा भी हो सकता है..

ABHAY
08-12-2010, 07:44 PM
बे-ज़मीं लोगों को..
बे-करार आंखों को..
बद-नसीब कदमों को..
जिस तरफ़ भी ले जायें..
रास्तों की मर्ज़ी है..

बे-निशां जज़ीरों पर..
बद-गुमा शहरों में..
बे-ज़ुबां मुसाफ़िर को..
जिस तरफ़ भी भटकायें..
रस्तों की मर्ज़ी है..

रोक लें या बढने दें..
थाम लें या गिरने दें..
वस्ल की लकीरों को..
तोड दें या मिलने दें..
रास्तों की मर्ज़ी है..

अजनबी कोई लाकर..
हमसफ़र बना डालें..
साथ चलने वालों की..
राह जुदा बना डालें..
या मुसाफ़तें सारी..
खाक मे मिला डालें..
रास्तों की मर्ज़ी है..

ABHAY
08-12-2010, 07:44 PM
आंख जब भी बंद किया करते हैं..
सामने आप हुआ करते हैं..

आप जैसा ही मुझे लगता है..
ख्वाब मे जिससे मिला करते हैं..

तू अगर छोडके जाता है तो क्या..
हादसे रोज़ हुआ करते हैं..

नाम उनका ना, कोई उनका पता..
लोग जो दिलमे रहा करते हैं..

हमने “राही” का चलन सीखा है..
हम अकेले ही चला करते हैं..

ABHAY
08-12-2010, 07:44 PM
पता नहीं कौन से मोड पर..
ज़िन्दगी हम से तुम्हारा साथ मांगेगी..

रास्तों के पत्थर ना गिरादें मुझे..
इन लडखडाती राहों से डर के तुम्हारा हांथ मांगेगी..

उजाले भी ऐसे मिले कि रोशनी से जल गये हम..
इन उजालों से छिप कर कोई हसीन रात मांगेगी..

आज़मायेगी लम्हा-लम्हा दोस्ती ये हमारी..
वक्त की कोई घडी, वादे भरी बात मांगेगी..

हम अकेले रहें, या रहे भीड में..
आरज़ू दिल की तो बस तेरी मुलाकात मांगेगी..

ज़िन्दगी के सफ़र मे, ओ मेरे हमसफ़र..
ना जाने किस वक्त मोहब्बत, तुझसे अपने जज़बात मांगेगी..

ABHAY
08-12-2010, 07:45 PM
ये जो ज़िन्दगी की किताब है..
ये किताब भी क्या खिताब है..
कहीं एक हसीं सा ख्वाब है..
कही जान-लेवा अज़ाब है..

कहीं आंसू की है दास्तान..
कहीं मुस्कुराहटों का है बयान..
कई चेहरे हैं इसमे छिपे हुये..
एक अजीब सा ये निकाब है..

कहीं खो दिया, कहीं पा लिया..
कहीं रो लिया..
कहीं गा लिया..
कहीं छीन लेती है हर खुशी..
कहीं मेहरबान ला-ज़वाब है..

कहीं छांव है, कहीं धूप है..
कहीं बरकतों की हैं बारिशें..
तो कहीं, और ही कोई रूप है..

ये जो ज़िन्दगी की किताब है..
ये खिताब लाजवाब है..

ABHAY
08-12-2010, 07:46 PM
वो दिल ही क्या जो तेरे मिलने की दुआ ना करे..

मैं तुझको भूल के ज़िन्दा रहूं, ये खुदा ना करे..

रहेगा साथ, तेरा प्यार, ज़िन्दगी बन कर..

ये और बात, मेरी ज़िन्दगी अब वफ़ा ना करे..

ये ठीक है माना, नहीं मरता कोई जुदाई में..

खुदा किसी को, किसी से जुदा ना करे..

सुना है उसको मोहब्ब्त दुआयें देती है..

जो दिल पे चोट तो खाये, पर गिला ना करे..

ज़माना देख चुका है, परख चुका है उसे..

“कातिल” जान से जाये, पर इल्तिजा ना करे..

ABHAY
08-12-2010, 07:47 PM
हां दीवाना हूं मैं.. हां दीवाना हूं मैं..

गम का मारा हुआ.. एक बेगाना हूं मैं..

मांगी खुशियां मगर, गम मिला प्यार में..

दर्द ही भर दिया, दिलके हर तार में..

आज कोई नहीं, मेरा संसार में..

छोड के चल दिये, मुझको मझदार में..

हाय, तीर-ए-नज़र का निशाना हूं, मैं..

हां दीवाना हूं मैं.. हां दीवाना हूं मैं..

गम का मारा हुआ.. एक बेगाना हूं मैं..

हां दीवाना हूं.. मैं..

मै किसी का नहीं, कोई मेरा नहीं..

इस जहां मे कहीं भी, बसेरा नहीं..

मेरे दिन का कहीं भी, अंधेरा नहीं..

मेरी छांव का है सवेरा नहीं..

हाय, भूला हुआ एक फ़साना हूं, मैं..

हां दीवाना हूं मैं.. हां दीवाना हूं मैं..

गम का मारा हुआ.. एक बेगाना हूं मैं..

हां दीवाना हूं.. मैं..

ABHAY
08-12-2010, 07:47 PM
आंख से आंख मिला, बात बनाता क्यूं है..

तू अगर मुझसे खफ़ा है, तो छिपाता क्यूं है..??

गैर लगता है ना अपनों की तरह मिलता है..

तू ज़माने की तरह मुझको सताता क्यूं है..??

वक्त के साथ हालात बदल जाते हैं..

ये हकीकत है मगर, मुझको सुनाता क्यूं है..??

एक मुद्दत से जहां काफ़िले गुज़रे ही नहीं..

ऐसी राहों पे चिरागों को जलाता क्यूं है..??

ABHAY
08-12-2010, 07:48 PM
पेहली नज़र में.. कैसा जादू कर दिया..
तेरा बन बैठा है, मेरा जिया..
जाने क्या होगा..
क्या होगा.. क्या पता..
इस पल को मिलके.. आ जी ले ज़रा..
मैं हूं यहां.. तू है यहां..
मेरी बाहों मैं आ.. आ भी जा..


ओ जानेजां.. दोनो जहां.. मेरी बाहों मैं आ.. भूलजा..


हर दुआ मे शामिल तेरा प्यार है..
बिन तेरे लम्हा भी दुशवार है..
धड्कनों को तुझसे ही दरकार है..
तुझसे हैं राहतें.. तुझसे है चाहतें..


तू जो मिली एक दिन मुझे.. मैं कहीं हो गया लापता..


ओ जानेजां.. दोनो जहां.. मेरी बाहों मैं आ.. भूलजा..


कर दिया दीवाना दर्द-ए-कश ने..
चैन छीना इश्क के एह्सास ने..
बेख्याली दी है तेरी प्यास ने..
छाया सुरूर है.. कुछ तो ज़रूर है..


ये दूरियां जीने ना दें.. हाल मेरा तुझे ना पता..


ओ जानेजां.. दोनो जहां.. मेरी बाहों मैं आ.. भूलजा..

ABHAY
08-12-2010, 07:48 PM
कुछ जीत लिखूँ या हार लिखूँ..
या दिल का सारा प्यार लिखूँ..

कुछ अपनो के ज़ाज़बात लिखूँ या सापनो की सौगात लिखूँ..
मै खिलता सुरज आज लिखूँ या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ..

वो डूबते सुरज को देखूँ या उगते फूल की सांस लिखूँ..
वो पल मे बीते साल लिखूँ या सादियो लम्बी रात लिखूँ..

सागर सा गहरा हो जाऊं या अम्बर का विस्तार लिखूँ..
मै तुमको अपने पास लिखूँ या दूरी का ऐहसास लिखूँ..

वो पहली -पहली प्यास लिखूँ या निश्छल पहला प्यार लिखूँ..
सावन की बारिश मेँ भीगूँ या मैं आंखों की बरसात लिखूँ..

कुछ जीत लिखूँ या हार लिखूँ..
या दिल का सारा प्यार लिखूँ..

ABHAY
08-12-2010, 07:49 PM
न लम्हों को कैसे ज़िन्दा करूं..
सांसें मैं लूं फ़िर भी पल-पल मरूं..

यादें.. यादें.. यादें.. तेरी यादें.. यादें.. यादें..
बातें.. बातें.. बातें.. तेरी.. बातें.. बातें.. बातें..

हल्की सी आहट हो तो लगे तुम आगये..
क्यूं तन्हा छोडकर मुझको रुला गये..

महफ़ूज़ है तू मेरी हर एक याद मैं..
बिखरा हुआ.. हुआ हूं बरबाद मैं..

यादें.. यादें.. यादें.. तेरी यादें.. यादें.. यादें..
बातें.. बातें.. बातें.. तेरी.. बातें.. बातें.. बातें..

मेहरूम हूं मैं तेरी हर एक बात से..
ना कोई नाता.. अब दिन और रात से..

हर लम्हा तड्प, हर लम्हा तेरी प्यास है..
जब से मैं हूं जुदा तेरे साथ से..

यादें.. यादें.. यादें.. तेरी यादें.. यादें.. यादें..
बातें.. बातें.. बातें.. तेरी.. बातें.. बातें.. बातें..

उन लम्हों को कैसे ज़िन्दा करूं..
सांसें मैं लूं फ़िर भी पल-पल मरूं..

ABHAY
08-12-2010, 07:49 PM
दिल कि हर धड़कन में बसती है तुम्हारी पिपाशा
है चंद्रमुखी ,है रूपवती ऐसी है मेरी "अभिलाषा"
जिनके सुर कोयल के सुर थे चंचलता हिरनों कि ,
जिनके अठ्ठासो में भरी हो झुर्मुता परियो कि
जिनके बोल पड़े जब श्रवनो को वन्प्रिया कि बोल फीकी पड़े
है चंद्रमुखी ,है रूपवती ऐसी है मेरी "अभिलाषा"

ABHAY
08-12-2010, 07:50 PM
तुम्हारी नज़रों से दूर, ना जाने ये वक्त कैसे गुजरता है।
आँखें बेरहम हो गयी मेरी, बस दिल तुझे याद करता है।
तुम्हारी नज़रों से दूर.......................................... .....
तेरी जज्बातों को अपने पलकों पे रखना चाहता हें, मगर दूर हें मैं।
तेरे संग बिताये लम्हों की कसम, तेरे संग रहना चाहता हें।
मगर मजबूर हें मैं।
मेरी पलकों पे तेरी याद बन के आंसू ना जाने कब टपकता है।
तुम्हारी नज़रों से दूर, ना जाने ये वक्त कैसे गुजरता है।

ABHAY
08-12-2010, 07:51 PM
तुम आखिर क्यूँ इतने गुरुर में होते हो ,
जब हम जागते हैं तुम चैन से सोते हो ,
पर ये जान लो की कुछ लोग हैं जो हमे पाने के लिए अपनी नींद तक खोते हैं ,
हमारी एक झलक पाने के लिए वे घुट घुट के रोते हैं ,
कही वक़्त ऐसा न हो कि
हम कभी अब चैन से सो जाएँ और आप सारी उम्र के लिए ही बेचैन से हो जाएँ.

ABHAY
08-12-2010, 08:09 PM
बीते हुए समय को आज फिर से याद कर रहा हूँ, आज फिर पुराने ख़यालों मे खो रहा हूँ, वही रोज दफ़्तर जाना, बोस की फाइलों से डरना, रोज यूँही सत्य को पिसते
हुए देखना, बाजार से हरी सब्जी लाना. और रत को सोते वक़्त तकिये पर सर रख कर सिगरेट सुलगते समय यही सोचना की अपनी चीता मे आग लगा रहा हूँ, और फिर शुबह नींबू वाली चाय भी तो पीनी है..............

ABHAY
08-12-2010, 08:10 PM
हमको यूं दिल से जुदा न करना॥
ये दिल मेरा टूट जाएगा॥
उड़ जायेगी खुशबू हमारी॥
गुलशन सूख जाएगा॥
जी ना पायेगे बिन तुम्हारे॥
बीता कल हमें रुलाएगा॥
बीती बातें सपने मेरे ॥
आके मुझे चिद्हायेगा ॥

ABHAY
08-12-2010, 08:11 PM
मेरी ग़ज़लों में ढल गया होगा
जाने कितना बदल गया होगा

धूप सर पर उतर गयी होगी
चाँद चेहरे का ढल गया होगा

बेसबब अश्क़ बह नहीं सकते
कोई पत्थर पिघल गया होगा

रास्तों को वो जानता कब था
पाँव ही था फिसल गया होगा

मंज़िलें दूर क्यूँ हुई हैं निज़ाम
रस्ता रस्ता बदल गया होगा

ABHAY
08-12-2010, 08:12 PM
तू वक्त का अपना शुक्र माना इससे भी बुरा हो सकता था
दुःख और बडे हो सकते थे गम और घना हो सकता था

वो दिन भी क्या दिन थे जब हम हक़ रखते थे इक दूजे पर
तू मुझसे खफा हो सकता था मैं तुझसे खफा हो सकता था

ये मौत ही है जिसने अब तक इन्सान को इंसा रक्खा है
गर मौत भी बस में आ जाती इंसान खुदा हो सकता था

तुने थोड़ी-सी जल्दी की ढल जाने दिया जो अश्कों में
गर ढलती अपनी गजलों में ये दर्द दावा हो सकता था

अच्छा ही हुआ कल महफ़िल में मुझ पर न पड़ी उसकी नजरें
वरना उसका भी भूला-सा कोई जख्म हरा हो सकता था

वो तो मैने हुशियारी से सच को न जुबाँ पर आने दिया
वरना ये जुबाँ कट सकती थी सर तन से जुदा हो सकता था

ABHAY
08-12-2010, 08:12 PM
सारे ही यकीं अपने तो वहमो-गुमाँ निकले
था दोस्त जिन्हे जाना वो दुश्मने-जाँ निकले

अंदाज इबादत का ऐसा हो तो कैसे हो
मस्जिद में भजन गूँजें मंदिर से अजाँ निकले

खोदो तो कहीं दिल की वीरान जमीनों को
मुमकिन है कहीं कोई बस्ती का निशाँ निकले

डाले ही रही डेरा हसरत मेरे सीने में
ता उम्र मेरे दिल के अरमाँ भी कहाँ निकले

उस दर्द के क्या कहने जिस दर्द को सहने में
आँखों से लहू टपके सीने से धुआँ निकले

कुछ कहते हुए अब तो रहता है यही खतरा
छीन जाये जुबाँ किस पर किस बात पे जाँ निकले

ABHAY
08-12-2010, 08:13 PM
बातें तो हजारों हैं मिलूं भी तो कहूँ क्या
ये सोच रहा हूँ कि उसे खत में लिखूँ क्या

आवारगी-ए-शौक़ से सड़कों पे नहीं हूँ
हालात से मजबूर हूँ मैं और करूं क्या

करते थे बोहत साज़ और आवाज़ की बातें
अब इल्म हुआ हमको कि है सोज़-ए-दुरूं क्या

मरना है तो सुकरात की मानिंद पियूं ज़हर
इन रंग बदलते हुए चेहरों पे मरूं क्या

फितरत भी है बेबाक सदाकत का नशा भी
हर बात पे खामोश रहूं, कुछ न कहूँ क्या

जिस घर में न हो ताजा हवाओं का गुज़र भी
उस घर की फसीलों में भला क़ैद रहूं क्या

मुरझा ही गया दिल का कँवल धूप में आरिफ
खुश्बू की तरह इस के ख्यालों में बसूँ क्या

ABHAY
08-12-2010, 08:14 PM
आज की रात भी गुज़री है मेरी, कल की तरह
हाथ आए न सितारे तेरे, आँचल की तरह

रात जलती हुई इक ऐसी चिता है जिस पर
तेरी यादें हैं सुलगते हुए, संदल की तरह

तू इक दरिया है मगर मेरी तरह पयसा है
मैं तेरे पास चला आऊँगा, बादल की तरह

मैं हूँ इक खवाब मगर जागती आंखों का 'आमिर'
आज भी लोग गँवा दें न मुझे, कल की तरह

हाथ आए न सितारे तेरे, आँचल की तरह
आज की रात भी गुज़री है मेरी, कल की तरह.........

ABHAY
08-12-2010, 08:15 PM
तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे

तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ हमें
तुम्हें भूलने में शायद मुझे ज़माना लगे

हमारे प्यार से जलाने लगी है ये दुनिया
दुआ करो किसी दुश्मन की बद_दुआ न लगे

नाजाने क्या है उसकी बेबाक आंखों में
वो मुँह छुपा के जाये भी तो बेवफा न लगे

जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो
के आस पास की लहरों को भी पता न लगे

हो जिस अदा से मेरे साथ बेवफाई कर
के तेरे बाद मुझे कोई बेवफा न लगे

वो फूल जो मेरे दामन से हो गए मंसूब
खुदा करे उन्हें बाज़ार की हवा न लगे

तुम आँख मूंद के पी जाओ जिंदगी 'कैसर'
के एक घूँट में शायद ये बद_मज़ा न लगे.....

ABHAY
08-12-2010, 08:16 PM
कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये
कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये

यहाँ दरख़्तों के साये में धूप लगती है
चलो यहाँ से चले और उम्र भर के लिये

न हो क़मीज़ तो घुटनों से पेट ढक लेंगे
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिये

ख़ुदा नहीं न सही आदमी का ख़्वाब सही
कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिये

वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता
मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिये

जियें तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले
मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिये

ABHAY
08-12-2010, 08:17 PM
तेरी यादों के चिरागों को दिल में हम जलाएं है
मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जो जख्म खाए है
अफ़सोस तो इस बात का है साथी तू बिछड़ गया
अपने किये वादों से 'मितवा' तू मुकर गया
भूल गए सारे ओ त्याग, जो तुम्हें पाने में किये
ना पता ना ठिकाना ऐसे ही निकल गये
मील गयी साथी जो मंजिल, तो हँसते हुए चल दिए
मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जो जख्म दिए है
एक दिन तुम यूं छोड़ जाओगे, मैंने कभी सोचा नहीं
मेरे प्यार को तुम फर्ज समझोगे ऐ कभी सोचा नहीं
एक पल की भी देरी ना की मेरे दिल को जलाने में
सायद मुझे वक्त लग जाए मुझे तुम्हें भुलाने में
मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जो जख्म खाए है
मेरे होठो की हंसी छिन पलकों पर आँसूं दिए
किसी और की कुशियों में, अपनी पलके बिछा दिए
तेरे होठो की गर्म साँसे जो थी सिर्फ मेरे लिए
आज ओ साँसें किसी और की सरगम बनी
मेरी रातों की नीद गयी दिल की तडपन बठी
सीने से लगा तू आज किसी को चैन से सुला रही
मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जख्म जो तुम दिए

ABHAY
08-12-2010, 08:33 PM
बशीर बद्र को आम आदमी का शायर कहा जाए कि ख़ास ? या फिर आम-ओ-ख़ास का ख़ास शायर?.....

मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
अगर गले नहीं मिलता, तो हाथ भी न मिला

घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया, कोई आदमी न मिला

तमाम रिश्तों को मैं घर में छोड़ आया था
फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला

ख़ुदा की इतनी बड़ी क़ायनात में मैं ने
बस एक शख्स को माँगा, वही मुझे न मिला

बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी
वो मेरे साथ रहा, और मुझे कभी न मिला

ABHAY
08-12-2010, 08:34 PM
निकाह आ जनाज़ा

तेरी डोली उठी ,मेरी मैयत उठी ,
फूल तुझ पर भी बरसे ,फूल मुझ पर भी बरसे ,
फर्क इतना सा था ,
तूं सज गयी ,
मैं सजाया गया ..

तूं भी घर को चली , मैं भी घर को चला
फर्क इतना सा था...
तूं उठ के चली,
मैं उठाया गया ..

महफ़िल वहां भी थी, लोग वहां भी थे ,
फर्क इतना सा था ,
उनको हँसाना वहां, इनको रोना यहाँ

काजी उधर भी था , मौलवी इधर भी था,
दो बोल तेरे पढ़े , दो बोल मेरे पढ़े ,
फर्क इतना सा था ,
तुझे अपनाया गया , मुझे दफनाया गया

Kumar Anil
13-12-2010, 10:39 AM
हुस्न पर हिजाब जो ओढ़ा तुमने ,
यूँ लगा चाँद बादल मेँ सिमट गया ।
मेरी हथेली पर जो तेरे अश्क का कतरा लुढ़का ,
यूँ लगा दर्द तेरा खुद आकर
मुझसे लिपट गया ।।

Kumar Anil
13-12-2010, 10:48 AM
न फिर कहना कि हम बेवफा निकले ।
न फिर कहना कि वादे से हम फिसले ।
इंतहा - ए - इंतजार है अब तो ।
तू आये तो दम निकले ।।

lalit1234
15-12-2010, 09:20 AM
मत कुरेदो, न कुरेदो मेरी यादों का अलाव
क्या खबर फिर वो सुलगता हुआ लम्हा निकले

हमने रोका तो बहुत फिर भी यूँ निकले आँसू
जैसे पत्थर का जिगर चीर के झरना निकले

malethia
16-12-2010, 05:30 PM
जबसे वो हमसे और हम उनसे हैं मिलने लगे
जिन्दगी के सारे मायने ही बदलने लगे

ता उम्र तो अकेले तय किया सारा सफर
हुआ खत्म होने को सफर तो हमसफर मिलने लगे

बेवजह ही दिल धड़कता है कहाँ यूँ जोर से
लगता है इस दिल की गली से वो होके गुजरने लगे

यकीनन ही दिन बहारों के कुछ दूर अब नहीं रहे
उनके इधर आने से सारे मौसम बदलने लगे

बेशक कोई नायाब तोहफा खुदा ने है बख्शा हमे
गैर सब गुमसुम से हैं जो अपने थे जलने लगे

इतना हसीन हम सफर मिला भी तो किस मोड़ पर
जब खत्म सफर हो चला , दुनिया से हम चलने लगे

kamesh
02-01-2011, 05:00 PM
हुस्न पर हिजाब जो ओढ़ा तुमने ,
यूँ लगा चाँद बादल मेँ सिमट गया ।
मेरी हथेली पर जो तेरे अश्क का कतरा लुढ़का ,
यूँ लगा दर्द तेरा खुद आकर
मुझसे लिपट गया ।।
wah kya bat kahi aap ne lagta hai chot gahri khayi hai

kamesh
02-01-2011, 05:02 PM
acha kiya dil na diya ham jese diwane ko
ham to use kho dete us anmol khajane ko

kamesh
02-01-2011, 05:56 PM
koyi hota jis ko apna ham apna kah lete yaron
pas nahi to door hi hota
lekin koyi mera apna

kamesh
02-01-2011, 06:08 PM
kuch to log kahenge logo ka kam hai kahna
chodo bekar ki baton men kahi bit na jaye rena

ABHAY
03-01-2011, 03:29 PM
अच्छी शायरी है भाई लगे रहो !

Kumar Anil
10-01-2011, 09:29 AM
वो तो पानी है जो आँखोँ से बह जाये ।
आँसू तो वो है जो तड़प के आँख मेँ रह जाये ।
वो दर्द क्या जो लफ्जोँ मेँ बयाँ हो ।
दर्द वो है जो आँख मेँ नजर आये । ।:think:

YUVRAJ
10-01-2011, 10:18 AM
बहुत ही सुन्दर लिखा है कुमार भाई जी :clap:...:clap:...:clap:...:bravo:
......
............
वो दर्द क्या जो लफ्जोँ मेँ बयाँ हो ।
दर्द वो है जो आँख मेँ नजर आये । ।:think:

YUVRAJ
10-01-2011, 10:19 AM
तेरी मोहब्बत का निशान अभी बाकी है,
नाम लाबो पर है और जान अभी बाकी है,
क्या हुआ अगर देख कर मुह फेर लेते हो,
तस्सली है कि, शक्ल की पहचान अभी बाकी है...

Sikandar_Khan
22-01-2011, 06:10 PM
कब से ये काँटों में हैं और ज़ख्म खाए हैं गुलाब?
अपने खूँ के लाल रंगों में नहाये हैं गुलाब।


फर्क इतना है हमारी और उसकी सोच में,
उसने थामी हैं बंदूकें, हम उठाये हैं गुलाब।


होश अब कैसे रहे, अब लड़खड़ाएँ क्यों न हम,
घोल कर उसने निगाहों में, पिलाये हैं गुलाब।


अब असर होता नहीं गर पाँव में काँटा चुभे,
ज़िन्दगी तूने हमें ऐसे चुभाये हैं गुलाब।


कुछ पसीने की महक, कुछ लाल मेरे खूँ का रंग,
तब कहीं जाकर ज़मीं ने ये उगाये हैं गुलाब।


खार होंगे, संग होंगे, और होगा क्या वहां?
इश्क की गलियों में साहिल किसने पाए हैं गुलाब?

Sikandar_Khan
07-02-2011, 07:42 PM
जी भर के रोये तो करार पाया,
इस ज़माने में किसने प्यार पाया,
ज़िन्दगी गुज़र रही है इम्तिहानो के दौर से,
इक ज़ख़्म भरा नहीं के दूसरा तैयार पाया...!!!

Sikandar_Khan
07-02-2011, 07:45 PM
रोने से जो करार मिलता तो हम भी रोते,
दुनिया के सितम य़ू हस के नहीं सहते,
हमारा ये हाल तो अपनों की मेहरबानी है,
वर्ना गेरो के दम पे इतना बर्बाद न होते...!!!

Sikandar_Khan
07-02-2011, 07:46 PM
क्या रखा ज़िन्दगी के अफसाने में,
कुछ गुजरी यार बनाने में,
कुछ गुजरी यार भुलाने में...!!!

Sikandar_Khan
07-02-2011, 07:47 PM
दगा दागने वाला भी कभी बेदाग़ नहीं होता,
यूँ तो दामन उसका भी साफ़ नहीं होता...!!!

Sikandar_Khan
07-02-2011, 07:47 PM
ज़िन्दगी बेतकलुफ़ हमें आज़माती रही,
हम भी खुले आम इसे आज़माते रहे,
अजीब सी इक कशमकश थी यह,
चोट खाते रहे मुस्कुराते रहे...!!!

sagar -
16-02-2011, 09:16 PM
सभी मित्रो को मेरा नमस्कार आज दिल में अक हुक सी उठी तो मेने यह सूत्र बनाया जिसमें आप सभी का सहयोग आशीर्वाद और प्यार चाहिए , मेरी सोच है की बिना दर्द के प्यार परवाना नहीं चढ़ता है और बिना चोट खाए प्यार की गहराई समझ में नहीं आती,तभी तो कहतें है "जब दर्द नहीं था सिने में तो खाक मजा था जीने में,अब के सावन हम भी रोयें सावन के महीने में" आप सभी आमंत्रित है अपने अनुबव ,गीत गजल और शायरी के साथ जो आप के दिल की गहराई से निकली हो

धन्यवाद


जब दर्द नही था सिने में तब खाक मजा था जीने में
अब के सायद हम भी रोये सावन के महीने में !

बहुत अच्छा प्रयास हे कामेश जी

sagar -
16-02-2011, 09:21 PM
जी भर के रोये तो करार पाया,
इस ज़माने में किसने प्यार पाया,
ज़िन्दगी गुज़र रही है इम्तिहानो के दौर से,
इक ज़ख़्म भरा नहीं के दूसरा तैयार पाया...!!!

लाजवाब सायरी हे सिकन्दर भाई !

Sikandar_Khan
27-02-2011, 02:00 AM
लाजवाब सायरी हे सिकन्दर भाई !

सागर भाई जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Sikandar_Khan
27-02-2011, 02:01 AM
अपने ही आप से लड़ता है दिल
एक सवाल बार बार करता है दिल

रोकते - रोकते रोक न सके
ऐसे मोड़ पर फिसलता है दिल

ख्वाहिशें अब और न रहीं
उसे ही पाने को तडपता है दिल

छोड़ दी परवाह ज़माने की
उसके लिए ही धड़कता है दिल

फूल ने हंसकर कहा
ऐसे क्यों मचलता है दिल

ABHAY
05-03-2011, 07:09 PM
फूंक दी जब से दिल में बसी बस्तियां
हर तरफ हैं मेरे मस्तियाँ - मस्तियाँ ..
अब रहे न रहे मुझको कोई डर नहीं
शौक से फूंक दे घर मेरा बिजलियाँ ..
गम न कर मान ले इसमें उसकी रज़ा
तट पे आके जो डूबें तेरी कश्तियाँ
आएँगी अब यकीनन नयी कोपलें
पेड़ से झर गयी हैं सभी पत्तियाँ
जो भी दीखता है सब कुछ है फानी यहाँ
देखते -देखते मिट गयीं हस्तियाँ .

ABHAY
05-03-2011, 07:12 PM
जीवन नाम हुआ करता है...

जीवन नाम हुआ करता है
मर्यादित प्रतिबंधों का ..
जिनकी केवल सुधियाँ करती
मन मरुथल को भी चन्दन वन
जग के हस्ताक्षर से वंचित
पर जिन से अनुप्राणित तन मन

जीवन नाम हुआ करता है
कुछ ऐसे संबंधों का ..
माना श्रम उद्यम रंग लाते
फिर भी रेखा खिची कहीं पर
जहाँ आकडे असफल होते
हारे सभी अनेक जतन कर

जीवन नाम हुआ करता है
विधि के लिखे निबंधों का ..
पिंजरा तो पिंजरा होता है
चाहें रत्नजटित हो जाए
मस्ती में स्वछन्द घूमता
राह राह बंजारा गए
जीवन नाम हुआ करता है
उड़ते हुए परिंदों का ...

ABHAY
05-03-2011, 07:13 PM
दीप में रोशनी है......

टूट ही तो गया है सितारों का मन
रेशमी इन इशारों को फ़िर मत बुनो ।

एक सपना संजोया था मैंने कभी
पंखुडी पंखुडी हो बिखरता गया
देख कर उनके बदले हुए रूप को
रंग चेहरे का मेरे उतरता गया ...
धुप के हर पसीने की अपनी कथा
छाव में बैठ कर इस तरह मत सुनो ।

दीप में रोशनी है जलन भी तो है
मोम के इस बदन में गलन भी तो है
कि जीने की लगन है बहुत प्यार में
कि मरने का अनूठा चलन भी तो है ...
इन अंधेरों में मिलता बहुत चैन है
इन उजालों को तुम इस तरह मत चुनो ।

ndhebar
05-03-2011, 07:14 PM
वाह बहुत अच्छे

kamesh
21-04-2011, 06:30 PM
जब दर्द नही था सिने में तब खाक मजा था जीने में
अब के सायद हम भी रोये सावन के महीने में !

बहुत अच्छा प्रयास हे कामेश जी

नमस्कार श्रीमान
धन्यवाद जो आप ने सूत्र भ्रमण किया
पुनः धन्यवाद्

kamesh
21-04-2011, 06:42 PM
सिने में जलन आँखों में तूफान सा क्यों है ?

इस सहर में हर शक्श परेशां सा क्यों है

Ranveer
21-04-2011, 06:44 PM
तेरी मोहब्बत का निशान अभी बाकी है,
नाम लाबो पर है और जान अभी बाकी है,
क्या हुआ अगर देख कर मुह फेर लेते हो,
तस्सली है कि, शक्ल की पहचान अभी बाकी है...
तुमसे मिली ये आँखे
तो ऐसी टीस उठी रूह में
ये वही शख्श था
जो इनमे बसा था

kamesh
23-04-2011, 06:27 PM
न जी भर के देखा न कुछ बात की

बड़ी आरजू थी मुलाकात की

सितारों की महफ़िल यूं न ही साथ थी

कहा दिन गुजारी कहाँ रात की

sagar -
23-04-2011, 09:29 PM
न जी भर के देखा न कुछ बात की

बड़ी आरजू थी मुलाकात की

सितारों की महफ़िल यूं न ही साथ थी

कहा दिन गुजारी कहाँ रात की
बहुत अच्छे भाई

kamesh
24-04-2011, 11:54 AM
राही मनवा दुःख की चिता क्यों सताती है
दुःख तो अपना साथी है
दुःख है इक शाम ढलती
आती है जाती है
दुःख तो अपना साथी है

Kumar Anil
24-04-2011, 12:28 PM
न जी भर के देखा न कुछ बात की

बड़ी आरजू थी मुलाकात की

सितारों की महफ़िल यूं न ही साथ थी

कहा दिन गुजारी कहाँ रात की


जो मुझको अगर ये होता पता /
कि सजा के क़ाबिल है मेरी ख़ता /
रूठ कर तन्हा चले जाओगे /
छोड़ पल भर मेँ हमको चले जाओगे /
हर लम्हे को मुस्कुरा , थाम कर /
ज़िन्दगी का उनसे पूछ लेते पता /
आपका पुनः स्वागत है ।

Ranveer
25-04-2011, 07:44 PM
युवी मेरे दोस्त बात तो पते की है कि प्यार के इस मीठे दर्द मेँ अश्क नमकीन क्योँ होते हैँ । यकीनन इस प्रश्न का उत्तर कोई चोट खाया इन्सान ही दे सकता है । क्या फोरम पर ऐसा कोई बन्दा है ?

क्यूंकि वह मन का मेल साफ़ करता है
तब वह " नियति " को स्वीकार कर पाता है

kamesh
26-04-2011, 06:01 PM
गुजरे है आज इश्क में हम उस मुकाम से

नफरत सी हो गयी है मोहबत के नाम से

गुजरे है आज इश्क में...................................

kamesh
26-04-2011, 06:12 PM
अकेले हैं चले आवो कहा हो

कहा आवाज दूँ तुम को कहा हो

अकेले हैं चले आवो कहा हों

तुम्हे हम ढूंढते है

हमें दिल ढूंढता है

न अब मंजिल है कोई न कोई रास्ता है

अकेले हैं चले आवो कहा हो

कहा आवाज दूँ तुम को कहा हो

Ranveer
26-04-2011, 09:46 PM
कफ़न न डालो मेरे चेहरे पर
मुझे आदत है गम में मुस्कुराने की
रूक जाओ आज की रात न दफनाओ
मेरी मौत से बनी है मुहूर्त उसके आने की ..

sagar -
27-04-2011, 11:24 AM
गुजरे है आज इश्क में हम उस मुकाम से

नफरत सी हो गयी है मोहबत के नाम से

गुजरे है आज इश्क में...................................

भाई इतनी नफरत अच्छी नही हे फिर महोब्बत हो जायेगी :lol:

amit_tiwari
01-05-2011, 09:08 AM
जब नमाज़-ए-मुहब्बत अता कीजिये, इस गैर को भी शरीक-ए-दुआ कीजिये
आँख वाले ही नज़रें चुराते रहे, आइना क्यूँ ना हो, सामना कीजिये
दरिया-ए-अश्क आ भी जाएँ तो क्या, चंद कतरे ही तो हैं, पी लिया कीजिये
आप का घर सदा जगमगाता रहे, राह में भी दिया रख दिया कीजिये
ज़िन्दगी है आसान समंदर में सनम, साहिलों का भी कभी तजुर्बा कीजिए !!!!

amit_tiwari
02-05-2011, 01:04 PM
मेरे सब्र का ना ले इम्तेहान, मेरी खामोशी को सदा ना दे!
जो तेरे बगैर मर भी ना सके, उसे जीने की दुआ तो ना दे!
तू अज़ीज़ दिल-ओ-नज़र से है, तू करीब रग-ओ-जान से है!
मेरे दिल-ओ-जान का फैसला, कहीं वक़्त और बढ़ा ना दे!
तुझे भूल के भी भुला ना सकूं, तुझे चाह के भी ना पा सकूँ!
मेरी हसरतों को शुमार कर, मेरी चाहतों का सिला तो दे!
वो तड़प जो शोला-ए-जान में थी, मेरे तन बदन से लिपट गयी
जो बुझा सके तो बुझा इसे, ना बुझा सके तो हवा ना दे!
मुझे क़त्ल करना है तो क़त्ल कर, यूं जुदाइयों की सज़ा ना दे!

दिल-ओ-नज़र = दिल और नज़र
रग-ओ-जान = रग और जान
दिल-ओ-जान दिल और जान
हसरत = इच्छा या तमन्ना

ndhebar
03-05-2011, 07:16 AM
अश्क भी अब सहमें से पलकों मे छुपे रहते हैं,
मेरी तरह ये भी तनहाई और घुटन सहते हैं,
डरतें है कि कहीं देख ना ले इन्हे कोई,
निकलना चाहते हैं पर मजबूरीयों में बंधे रहते हैं|

amit_tiwari
03-05-2011, 07:24 AM
अश्क भी अब सहमें से पलकों मे छुपे रहते हैं,
मेरी तरह ये भी तनहाई और घुटन सहते हैं,
डरतें है कि कहीं देख ना ले इन्हे कोई,
निकलना चाहते हैं पर मजबूरीयों में बंधे रहते हैं|

2 लाइन में ग़ज़ल लिख डाली |:majesty::majesty:

काफी दिनों बाद इतनी सटीक और असर करने वाली चीज़ पढ़ी भाई |

ndhebar
03-05-2011, 07:30 AM
2 लाइन में ग़ज़ल लिख डाली |:majesty::majesty:

काफी दिनों बाद इतनी सटीक और असर करने वाली चीज़ पढ़ी भाई |
शब्दों की यही तो खूबसूरती है

amit_tiwari
04-05-2011, 05:20 PM
हाथ छूटे भी तो रिश्ता नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख से लम्हे नहीं तोडा करते
जिसकी आवाज़ में सिलवट हो और निगाहों में शिकन
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते
शहद जीने का मिलता है थोडा थोडा
जाने वालों के लिए दिल नहीं तोडा करते
लग के साहिल से जो बहता है उसे बहने दो
ऐसे दरिया का रुख कभी मोड़ा नहीं करते

ndhebar
04-05-2011, 06:37 PM
मुझे लगता है की ये गजल जगजीत सिंह जी का गाया हुआ है

malethia
08-05-2011, 10:10 PM
हिंदुस्तान में २२ करोड़ लोगों की इच्छा ही नहीं होती है।
ये दो रूपये रोज में अपना पूरा घर चलाते हैं।
बंद और बरसात में तो भूखे ही सो जाते हैं।
इनके यहाँ बीमारी बीमार को साथ ले के जाती है।
बच्चों की मासूमियत बचपन में छिन जाती है।
इन्हें वेट घटाने की जरूरत नहीं पड़ती।
मसल छोड़ो हड्डियों पर खाल मुशिकल से है चढ़ती।

amit_tiwari
09-05-2011, 02:30 AM
मुझे लगता है की ये गजल जगजीत सिंह जी का गाया हुआ है

कभी कभी पढ़ा हुआ भी सुनाने का मन करता है :P:tomato:

amit_tiwari
09-05-2011, 09:28 PM
बहुत मुमकिन था कि
मेरी रूह के कांटे निकल जाते
मेरे आगे के पत्थर पिघल जाते
ग़मों की घड़ियाँ थम जातीं
गुलों के दिल मचल जाते
तरस कर मैं ना यूँ रोता
तड़प कर अश्क ना बहते
बहिश्तों में समाँ होता
अगर तुम मुझको मिल जाते

हाँ अगर तुम मुझको मिल जाते...


रूह = आत्मा
गुल = फ़ूल
अश्क = आंसू
बहिश्त = स्वर्ग या जन्नत

malethia
10-05-2011, 05:55 AM
इतना भी किसी को न चाहो खुद जान पे अपनी बन आये !
ये कभी खुद तेरे लिए ना कोई मुसीबत बन जाए !!
चाहत को चाहत रहने दो और इतना ध्यान राहे हरदम !
बढ़ते बढ़ते इतनी ना बढे ना मिले तो आफत हो जाए !!
ये इश्क खुदा कि देन तो है लेकिन उस देन से क्या हासिल !
जिसके आंचल म आते ही आंचल ही सारा फट जाए !!
देने को तो दे दू नाम कोई तेरे चाहत के रिश्ते को !
पर डरता हूँ कि तेरी चाहत भी कहीं बदनाम ना हो जाए !!
यार से इतने शिकवे गिले क्या सोच के तुम करने बैठे !
क्या होगा अगर तेरा यार भी अपने गिले निकालने लग जाए !!

sagar -
10-05-2011, 06:02 AM
इतना भी किसी को न चाहो खुद जान पे अपनी बन आये !
ये कभी खुद तेरे लिए ना कोई मुसीबत बन जाए !!
चाहत को चाहत रहने दो और इतना ध्यान राहे हरदम !
बढ़ते बढ़ते इतनी ना बढे ना मिले तो आफत हो जाए !!
ये इश्क खुदा कि देन तो है लेकिन उस देन से क्या हासिल !
जिसके आंचल म आते ही आंचल ही सारा फट जाए !!
देने को तो दे दू नाम कोई तेरे चाहत के रिश्ते को !
पर डरता हूँ कि तेरी चाहत भी कहीं बदनाम ना हो जाए !!
यार से इतने शिकवे गिले क्या सोच के तुम करने बैठे !
क्या होगा अगर तेरा यार भी अपने गिले निकालने लग जाए !!वाह बहुत बढिया :bravo::cheers:

malethia
10-05-2011, 07:34 AM
तुम हो धूप, तुम छांव की तरह
इस रेगिस्तान जिंदगी में गांव की तरह
तुम्हें भूले से भी
मैं भुला नहीं पाता
तुम हो मेरे जिस्म पर लगे
पुराने घाव की तरह।
जिंदगी में तूफ़ानों की
अब आदत सी हो गई,
जो दामन है तेरा महफूज
नाव की तरह ।
ख्वाबों-खयालों में,
रात - उजालों में,
तुम ही, तुम हो सारा आलम
कोई नहीं है
तुम्हारी तरह ।
कैसे कहूं तुम क्या हो ?
जीने की वजह
मरने का बहाना हो,
तुम हो राज दिल का
तुम ही जवाब की तरह ।
'तमन्ना' नसीब की
अब मैं नहीं रखता
जो तुम हो मेहरबां
मुझपे दुआओं की तरह।


(साभार-nbt)

Kalyan Das
10-05-2011, 08:46 AM
तुम्हें भूले से भी
मैं भुला नहीं पाता
तुम हो मेरे जिस्म पर लगे
पुराने घाव की तरह।


(साभार-nbt)

वाह वाह !! वाह वाह !!

काफी दिन बाद बड़े भैया के शब्द नज़र आये !! जो डाइरेक्ट दिल में उतर गए !!

malethia
10-05-2011, 09:47 AM
अमित जी,सागर जी,कल्याण जी आप सब का शुक्रिया !
कल्याण जी काफी दिनों बाद कर बहुत ख़ुशी हुई..............................

sagar -
10-05-2011, 10:25 AM
मेरी मोहब्बत मेरे दिल की गफलत थी
मैं बेसबब ही उम्र भर तुझे कोसता रहा

आखिर ये बेवफाई और वफ़ा क्या है
तेरे जाने के बाद देर तक सोचता रहा

मैं इसे किस्मत कहूँ या बदकिस्मती अपनी
तुझे पाने के बाद भी तुझे खोजता रहा


सुना था वो मेरे दर्द मे ही छुपा है कहीं
उसे ढूँढने को मैं अपने ज़ख्म नोचता रहा

malethia
10-05-2011, 09:14 PM
यदि जीवन शान से है जीना,
फर्ज है अपना प्रकृति को बचाना,
अनमोल है जीवन इस धरा पर,
खुदा ने दिया है यह नज़राना।

जीयें उसे कैसे, यह एक सवाल है?
प्रकृति का यह उपहार बेमिसाल है,
हो रहा है दोहन, इसका इतना,
जीवन पर आ पड़ी है कैसी विपदा?:beating:

जल जीवन का आधार है,
जल बिन यह जीवन निराधार है,
रोक कर प्रदूषण को,
वातावरण को स्वच्छ बनाना है।

जो वायु जीवन देती है,
उसे युगों तक कायम रखना है
न काटो इन दरख्तों को,
जो छाया तुमको देते हैं।

भरते हैं ये पेट तुम्हारा,
पशुओं का भी पालन करते हैं,
करके ग्रहण ये कार्बनडाई ऑक्साइड
हमारे जीवन को मधुर बनाते हैं।:crazyeyes:

न उजाड़ो इन वनों को,
जो प्राकृतिक आपदा से बचाते हैं,
रोक कर वर्षा का जल,
भूमि का जल-स्तर बढ़ाते हैं।

आज इन्हें बचाओगे तो,
कल जीवन भी बच जाएगा
दिख रहा है जो भविष्य खतरे में,
खतरे से बाहर आ जाएगा।

लगाकर पेड़ ज्यादा से ज्यादा
हमें इस जमीं को सजाना है
पूज्यनीय है यह प्रकृति,
इस संजीवनी को बचाना है।:think:

khalid
19-05-2011, 02:22 PM
राहे वफा मेँ हम ने ये इनआम पाये हैँ !
आँसु बहाये हैँ तो कभी मुस्कुराये हैँ !
उस की दुआऐँ हैँ फूलोँ की रात दिन !
जिस ने हमारी राह मेँ काँटे बिछाये हैँ !
कोई भी उस के दर्द को पहचानता नहीँ !
वो जिस ने हर किसी के लिए गम उठाये हैँ !
बिजली वहीँ वहीँ गिरायी हैँ वक्त ने !
हमने जहाँ भी नशेमन बनाये हैँ !
मौसम की बेरुखी से जो डरतेँ नहीँ कभी !
दौरे खिजाँ मेँ फूल वही मुस्कुराये हैँ !
दिल से भुलाए बैठी हैँ वो जिन की दुश्मनी !
वो रौशनी से आज भी दामन बचाये हैँ !

prashant
19-05-2011, 05:05 PM
यहाँ बहुत दर्द है भाई जो मेरे दिल के लिए अच्छा नहीं है/

ndhebar
19-05-2011, 05:26 PM
बेसबब जूझना थकना और फिर से खुद से लड़ जाना

टूट जाने की हद तक चुप-चाप हर गम को सह जाना

तब होती है उसकी बाँहों में बिखर जाने की वो ज़िन्दगी सी तलब

पर आखिरी ख्वाहिश की तरह उस ख्वाहिश का भी आखिर तक रह जाना

Sikandar_Khan
10-08-2011, 09:45 AM
ये आवाज कैसी है
जो दिल पर दस्तक देती है
क्यो भला फिर सुनूँ मैं कुछ ?
जब कोई आहट होती है.
तुम्हारी सांसो की आवाज
या है एक वो अहसास,
भर देता है जब जीवन
फिर अब है क्यो ये क्रंदन?
दूर कभी होती है जब
आवाज कही सन्नाटे में
ऐसे दूर हुई है वो
क्या लौटेगी ????
फिर कभी इस गली
न जाने कब कैसे होगा?
उन कदमो का इस दर तक आके
फिर यूही अचानक कभी
आकर दस्तक देना
और ये पूछना......
क्या मैं आ सकती हूँ ????
इस दालान से गुजर के
तेरे दिल तक जा सकता हूँ ..

Dr. Rakesh Srivastava
10-08-2011, 12:12 PM
सफ़र मैं हूँ एक सफ़र मुझ में भी है
मैं शहर में घूमता हूँ, एक शहर मुझ में भी है

मेरे टूटे घर को हंसकर मत देख मेरे नसीब
मैं अभी टूटा नहीं हूँ, एक घर मुझ में भी है

खूब वाकिफ हूँ मैं दुनिया की हकीकत से मगर
शख्स कोई हर तरफ से बेखबर मुझ में भी है

आदमी में बढ़ रहा है दिनों दिन कैसा ज़हर
देखता मैं भी हूँ, कुछ ज़हर मुझ में भी है

वक़्त के जरुरत से कोई अछुता है नहीं
कैसे मैं इनकार कर दूं, कुछ असर मुझ में भी है

बेधड़क बेख़ौफ़ चलता हूँ बियाबान में ,मगर
आईने से सामना होने का डर मुझ में भी है .


तेजी जी, अगर ये ख़याल आपका गढ़ा है,
तो आपका कद यकीनन काफी बड़ा है.

rajnish manga
29-10-2012, 05:24 PM
[QUOTE=kamesh;20342]

:iagree:
जिस जगह पहले उम्मीदों का ठिकाना था ‘शरर’
दिल के उस गोशे में अब दर्द उठता रहता है.