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View Full Version : जय हो ! जय हो !!


jai_bhardwaj
15-08-2013, 04:42 PM
आज स्वाधीनता पर्व के पावन अवसर पर कुछ देशभक्ति से ओतप्रोत गीत प्रस्तुत हैं।
आइये .. हम सब मिल कर इन गीतों के माध्यम से अतुल्य भारत की बहुरंगी संस्कृति में खो जाएँ।

jai_bhardwaj
15-08-2013, 04:44 PM
जय हो, जय हो
आजा आजा जिंद शामियाने के तले, आजा जरीवाले नीले आसमान के तले
जय हो, जय हो

रत्ती रत्ती सच्ची मैने जान गवाई है, नच नच कोयलों पे रात बिताई है
अखियों की नींद मैने फूंको से उड़ा दी, गिन गिन तारे मैने उंगली जलाई है
आजा आजा जिंद शामियाने के तले, आजा जरीवाले नीले आसमान के तले

चख ले हो चख ले ये रात शहद है चख ले, रख ले हाँ दिल है दिल आखरी हद है रख ले
काला काला काजल तेरा कोई काला जादू है ना, काला काला काजल तेरा कोई काला जादू है ना
आजा आजा जिंद शामियाने के तले, आजा जरीवाले नीले आसमान के तले

जय हो, जय हो!! जय हो, जय हो!!

कब से हाँ कब से जो लब पे रुकी है कह दे, कह दे हाँ कह दे अब आँख झुकी है.. कह दे
ऐसी ऐसी रोशन आँखे रोशन दोनो भी है है क्या…
आजा आजा जिंद शामियाने के तले, आजा जरीवाले नीले आसमान के तले

जय हो, जय हो!! जय हो, जय हो!!

jai_bhardwaj
15-08-2013, 04:45 PM
Saare jahaan se achcha hindustaan hamaraa
hum bul bulain hai is kee, ye gulsitan hamaraa

parbat vo sabse unchaa hum saaya aasma kaa
vo santaree hamaraa, vo paasbaan hamaraa

godi mein khel tee hain is ki hazaaron nadiya
gulshan hai jinke dum se, raske jahan hamaraa

mazhab nahi sikhataa apas mein bayr rakhnaa
hindi hai hum, vatan hai hindustaan hamaraa

jai_bhardwaj
15-08-2013, 04:46 PM
पूरब में सूरज ने छेड़ी, जब किरणों की शहनाई
चमक उठा सिन्दूर गगन पे, पच्छिम तक लाली छाई

दुल्हन चली, हाँ पहन चली
हो रे दुल्हन चली, हो पहन चली
तीन रंग की चोली
बाहों में लहराए गंगा जमुना
देख के दुनिया डोली
दुल्हन चली...

ताजमहल जैसी ताजा है सूरत
चलती फिरती अजंता की मूरत
मेल मिलाप की मेहंदी रचाए
बलिदानों की रंगोली
दुल्हन चली...

मुख चमके ज्यूँ हिमालय की चोटी
हो ना पड़ोसी की नियत खोटी
ओ घर वालों ज़रा इसको संभालो
ये तो है बड़ी भोली
दुल्हन चली...

चाँदी रंग अंग है, तो धनि तरंग लहंगा
सोने रंग चूने का मोल बड़ा महंगा
मन सीता जैसा, वचन गीता जैसे
डोले प्रीत की बोली
दुल्हन चली...

और सजेगी अभी और संवरेगी
चढ़ती उमरिया है और निखरेगी
अपनी आजादी की दुल्हनिया
दीप के ऊपर होली
दुल्हन चली...

देश प्रेम ही आजादी की दुल्हनिया का वर है
इस अलबेली दुल्हन का सिंदूर सुहाग अमर है
माता है कस्तूरबा जैसी, बाबुल गाँधी जैसे
चाचा इसके नेहरु, शास्त्री, डरे ना दुश्मन कैसे
वीर शिवाजी जैसे वीरे, लक्ष्मी बाई बहना
लक्ष्मण जिसके बोध, भगत सिंह, उसका फिर क्या कहना
जिसके लिए जवान बहा सकते हैं खून की गंगा
आगे पीछे तीनो सेना ले के चले तिरंगा
सेना चलती है ले के तिरंगा
हो कोई हम प्रान्त के वासी हो कोई भी भाषा भाषी
सबसे पहले हैं भारतवासी

jai_bhardwaj
15-08-2013, 04:46 PM
ai mere pyaare vatan, ai mere bichhade chaman
tujh pe dil qurabaan
tuu hii merii aarazuu, tuu hii merii aabaruu
tuu hii merii jaan

(tere daaman se jo aae un havaaon ko salaam
chuum luun main us zubaan ko jispe aae teraa naam ) - 2
sabase pyaarii subah terii
sabase rangiin terii shaam
tujh pe dil qurabaan ...

(maa kaa dil banake kabhii siine se lag jaataa hai tuu
aur kabhii nanhiin sii betii ban ke yaad aataa hai tuu ) - 2
jitnaa yaad aataa hai mujhako
utanaa tadapaataa hai tuu
tujh pe dil qurabaan ...

(chhod kar terii zamiin ko duur aa pahunche hain ham
phir bhii hai ye hii tamannaa tere zarron kii qasam ) - 2
ham jahaan paidaa hue
us jagah pe hii nikle dam
tujh pe dil qurabaan ... - See more at:

jai_bhardwaj
15-08-2013, 04:47 PM
मेरा रंग दे बसंती चोला, मेरा रंग दे
मेरा रंग दे बसंती चोला ओये, रंग दे बसंती चोला
माये रंग दे बसंती चोला

दम निकले इस देश की खातिर बस इतना अरमान है
एक बार इस राह में मरना सौ जन्मों के समान है
देख के वीरों की क़ुरबानी अपना दिल भी बोला
मेरा रंग दे...

जिस चोले को पहन शिवाजी खेले अपनी जान पे
जिसे पहन झांसी की रानी मिट गई अपनी आन पे
आज उसी को पहन के निकला, पहन के निकला
आज उसी को पहन के निकला, हम मस्तों का टोला
मेरा रंग दे...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 04:50 PM
जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने
भारत ने मेरे भारत ने
दुनिया को तब गिनती आयी
तारों की भाषा भारत ने
दुनिया को पहले सिखलायी

देता ना दशमलव भारत तो
यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था
धरती और चाँद की दूरी का
अंदाज़ा लगाना मुश्किल था

सभ्यता जहाँ पहले आयी
पहले जनमी है जहाँ पे कला
अपना भारत वो भारत है
जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बढ़ा
यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया
भगवान करे ये और बढ़े
बढ़ता ही रहे और फूले-फले

है प्रीत जहाँ की रीत सदा
मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ

काले-गोरे का भेद नहीं
हर दिल से हमारा नाता है
कुछ और न आता हो हमको
हमें प्यार निभाना आता है
जिसे मान चुकी सारी दुनिया
मैं बात वो ही दोहराता हूँ
भारत का रहने...

जीते हो किसी ने देश तो क्या
हमने तो दिलों को जीता है
जहाँ राम अभी तक है नर में
नारी में अभी तक सीता है
इतने पावन हैं लोग जहाँ
मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ
भारत का रहने...

इतनी ममता नदियों को भी
जहाँ माता कह के बुलाते है
इतना आदर इन्सान तो क्या
पत्थर भी पूजे जातें है
इस धरती पे मैंने जनम लिया
ये सोच के मैं इतराता हूँ
भारत का रहने...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 04:52 PM
कुछ पाने की हो आस आस
कुछ अरमां हो जो ख़ास ख़ास
आशायें ...

हर कोशिश में हो बार बार
करे दरियाओं को आरपार
आशायें ...

तूफानों को चीर के, मंजिलों को छीन ले
आशायें खिलें दिल की, उम्मीदें हँसे दिल की
अब मुश्किल नहीं कुछ भी

उड़ जाये लेके ख़ुशी, अपने संग तुझको वहाँ
जन्नत से मुलाकात हो, पूरी हो तेरी हर दुआँ
आशायें खिलें दिल की ...

गुजरे ऐसी हर रात रात
हो ख्वाहिशों से बात बात
आशायें ...

लेकर सूरज से आग आग
गाये जा अपना राग राग
आशायें ...

कुछ ऐसा करके दिखा
खुद खुश हो जाये खुदा
आशायें खिलें दिल की ...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 04:53 PM
कोई कहे, कहता रहे, कितना भी हमको दीवाना
हम लोगों की ठोकर में हैं ये ज़माना
जब साज़ हैं, आवाज़ हैं, फिर किस लिये हिचकिचाना
गायेंगे हम अपने दिलों का तराना

बिगड़े दुनियाँ, बिगड़ने भी दो
झगड़े दुनियाँ, झगड़ने भी दो
लडे जो दुनियाँ, लड़ने भी दो, तुम अपनी धुन में गाओ
दुनियाँ रूठे, रूठने दो
बंधन टूटे, टूटने दो
कोई छूटे, छूटने दो, ना घबराओ
हम हैं नये, अंदाज़ क्यों हो पुराना

आँखों में हैं बिजलियाँ, साँसों में तूफान हैं
डर क्या हैं और हार क्या, हम इससे अंजान हैं
हमारे लिये ही तो हैं आसमान और ज़मीन
सितारें भी हम तोड़ लेंगे, हमें हैं यकीं
अंबर से हैं आगे हमारा ठिकाना
हम हैं नये, अंदाज़ क्यों हो पुराना

सपनों का जो देस हैं, हा हम वहीं हैं पले
थोड़े से दिल फेंक हैं, थोड़े से हैं मनचले
जहाँ भी गये अपना जादू दिखाते रहे
मोहब्बत हसीनों को अक्सर सिखाते रहे
आये हमें दिल और नींदें चुराना
हम हैं नये, अंदाज़ क्यों हो पुराना

jai_bhardwaj
15-08-2013, 04:54 PM
मेरे देश की धरती
सोना उगले
उगले हीरे मोती

बैलों के गले में जब घुंघरू
जीवन का राग सुनाते हैं
गम कोसों दूर हो जाता है
खुशियों के कँवल मुसकाते है
सुन के रहट की आवाजें
यूं लगे कहीं शहनाई बजे
आते ही मस्त बहारों के
दुल्हन की तरह हर खेत सजे
मेरे देश की धरती...

जब चलते हैं इस धरती पे हल
ममता अंगडाइयाँ लेती है
क्यों ना पूजे इस माटी को
जो जीवन का सुख देती है
इस धरती पे जिसने जनम लिया
उसने ही पाया प्यार तेरा
यहाँ अपना पराया कोइ नहीं
है सब पे माँ, उपकार तेरा
मेरे देश की धरती...

ये बाग़ है गौतम नानक का
खिलते हैं अमन के फूल यहाँ
गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक
ऐसे हैं चमन के फूल यहाँ
रंग हरा हरी सिंह नलवे से
रंग लाल है लाल बहादूर से
रंग बना बसन्ती भगत सिंह
रंग अमन का वीर जवाहर से
मेरे देश की धरती...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 04:54 PM
जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़ियां करती हैं बसेरा
वो भारत देश हैं मेरा
जहाँ सत्य, अहिंसा और धर्म का पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश हैं मेरा
जय भारती, जय भारती, जय भारती

ये धरती वो जहाँ ऋषिमुनि जपते प्रभु नाम की माला
जहाँ हर बालक इक मोहन हैं और राधा इक इक बाला
जहाँ सूरज सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा
वो भारत देश हैं मेरा ...

जहाँ गंगा, जमुना, कृष्ण और कावेरी बहती जाये
जहाँ उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम को अमृत पिलवाये
कहीं ये तो फल और फूल उगाये, केसर कहीं बिखेरा
वो भारत देश हैं मेरा ...

अलबेलों की इस धरती के त्योहार भी हैं अलबेले
कहीं दीवाली की जगमग हैं, होली के कहीं मेले
यहाँ रागरंग और हँसी खुशी का चारों ओर हैं घेरा
वो भारत देश हैं मेरा ...

जहाँ आसमां से बातें करते मंदिर और शिवाले
किसी नगर में किसी द्वार पर कोई न ताला डाले
और प्रेम की बंसी जहाँ बजाता आये शाम सवेरा
वो भारत देश हैं मेरा ...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 04:56 PM
ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन हैं हम सब का, लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर, वीरों ने हैं प्राण गवाये
कुछ याद उन्हें भी कर लो, कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर ना आये, जो लौट के घर ना आये

ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी

जब घायल हुआ हिमालय, ख़तरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस लडे वो, फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा, सो गये अमर बलिदानी
जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी

जब देश में थी दीवाली, वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में, वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो अपने, थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी

कोई सिख कोई जाट मराठा, कोई गुरखा कोई मद्रासी
सरहद पर मरनेवाला, हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वतपर, वो खून था हिन्दुस्तानी
जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी

थी खून से लथपथ काया, फिर भी बंदुक उठाके
दस दस को एक ने मारा, फिर गिर गये होश गँवा के
जब अंत समय आया तो, कह गये के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफ़र करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने, क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी

तुम भूल ना जाओ उनको इसलिए कही ये कहानी
जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी

जय हिंद, जय हिंद की सेना
जय हिंद, जय हिंद की सेना

jai_bhardwaj
15-08-2013, 04:58 PM
रुत आ गयी रे, रुत छा गयी रे

पीली पीली सरसों फूले, पीले-पीले पत्ते झूमें
पीहू-पीहू पपीहा बोले, चल बाग़ में

धमक धमक ढोलक बाजे
छनक छनक पायल छनके
खनक खनक कंगना बोले
चल बाग़ में

चुनरी जो तेरी उड़ती है, उड़ जाने दे
बिंदिया जो तेरी गिरती है, गिर जाने दे

गीतों की मौज आई, फूलों की फौज आई
नदियाँ में जो धूप घुली, सोना बहा ...
अंबवा से है लिपटी, एक बेल बेले की
तू ही मुझसे है दूर, आ पास आ ...

मुझको तो साँसों से छु ले
झूलूँ इन बाहों के झूले
प्यार थोड़ा सा मुझे दे के
मेरे जानों दिल तू ले ले

तू जब यूँ सजती हैं, इक धूम मचती हैं
सारी गलियों में, सारे बाज़ार में
आँचल बसंती हैं, उसमें से छनती हैं
जो मैंने पूजी हैं, मूरत प्यार में
जान कैसी हैं ये डोरी, मैं बंधा हूँ जिससे गोरी
तेरे नैनों ने मेरी नींदों की, कर ली हैं चोरी

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:06 PM
हम करें राष्ट्र आराधन
तन से, मन से, धन से
तन मन धन जीवन से
हम करें राष्ट्र आराधन

अन्तर से, मुख से, कृती से
निश्र्चल हो निर्मल मति से
श्रद्धा से मस्तक नत से
हम करें राष्ट्र अभिवादन
हम करें राष्ट्र आराधन...

अपने हंसते शैशव से
अपने खिलते यौवन से
प्रौढ़ता पूर्ण जीवन से
हम करें राष्ट्र का अर्चन
हम करें राष्ट्र आराधन...

अपने अतीत को पढ़कर
अपना इतिहास उलटकर
अपना भवितव्य समझकरअश्तर
हम करें राष्ट्र का चिंतन
हम करें राष्ट्र आराधन...

है याद हमें युग युग की, जलती अनेक घटनायें
जो माँ के सेवा पथ पर, आई बनकर विपदायें
हमने अभिषेक किया था, जननी का अरिशोणित से
हमने श्रृंगार किया था माता का अरिमुंडो से

हमने ही उसे दिया था, सांस्कृतिक उच्च सिंहासन
माँ जिस पर बैठी सुख से, करती थी जग का शासन
अब काल चक्र की गति से, वह टूट गया सिंहासन
अपना तन मन धन देकर हम करें पुनः संस्थापन

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:06 PM
जागे हैं अब सारे
लोग तेरे देख वतन
गूंजे है नारों से
अब ये ज़मीन और ये गगन
कल तक मैं तन्हाँ था
सूने थे सब रस्ते
कल तक मैं तन्हाँ था
पर अब हैं साथ मेरे
लाखों दिलों की धड़कन
देख वतन

आज़ादी पाएंगे
आज़ादी लायेंगे
आज़ादी छाएगी
आज़ादी आएगी

जागे हैं अब सारे
लोग तेरे देख वतन
गूंजे है नारों से
अब ये ज़मीन और ये गगन
कल तक मैं तन्हाँ था
सुने थे सब रस्ते
कल तक मैं तन्हाँ था
पर अब हैं साथ मेरे
लाखों दिलों की धड़कन
देख वतन
हम चाहे आज़ादी
हम मांगे आज़ादी
आज़ादी छाएगी
आज़ादी आएगी

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:07 PM
अंबर हेठाँ धरती वसदी, एथे हर रुत हँसदी
किन्ना सोणा देस है मेरा

धरती सुनहरी अंबर नीला
हर मौसम रंगीला
ऐसा देस है मेरा
बोले पपीहा कोयल गाये
सावन घिर घिर आये
ऐसा देस है मेरा

गेंहू के खेतों में कंघी जो करे हवाएं
रंग-बिरंगी कितनी चुनरियाँ उड़-उड़ जाएं
पनघट पर पनहारन जब गगरी भरने आये
मधुर-मधुर तानों में कहीं बंसी कोई बजाए, लो सुन लो
क़दम-क़दम पे है मिल जानी कोई प्रेम कहानी
ऐसा देस है मेरा...

बाप के कंधे चढ़ के जहाँ बच्चे देखे मेले
मेलों में नट के तमाशे, कुल्फ़ी के चाट के ठेले
कहीं मिलती मीठी गोली, कहीं चूरन की है पुड़िया
भोले-भोले बच्चे हैं, जैसे गुड्डे और गुड़िया
और इनको रोज़ सुनाये दादी नानी इक परियों की कहानी
ऐसा देस है मेरा...

मेरे देस में मेहमानों को भगवान कहा जाता है
वो यहीं का हो जाता है, जो कहीं से भी आता है

तेरे देस को मैंने देखा, तेरे देस को मैंने जाना
जाने क्यूँ ये लगता है, मुझको जाना पहचाना
यहाँ भी वही शाम है, वही सवेरा
ऐसा ही देस है मेरा जैसा देस है तेरा

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:07 PM
लंदन देखा
पैरिस देखा
और देखा जापान
माईकल देखा, एल्विस देखा
सब देखा मेरी जान
सारे जग में कहीं नहीं है दूसरा हिंदुस्तान
दूसरा हिंदुस्तान

ये दुनिया एक दुल्हन
दुल्हन के माथे की बिंदिया
ये मेरा इंडिया
आई लव माई इंडिया

जब छेड़ा मल्हार किसी ने
झूमके सावन आया
आग लगा दी पानी में जब
दीपक राग सुनाया
सात सुरों का संगम ये जीवन गीतों की माला
हम अपने भगवान को भी कहते हैं बांसुरी वाला
ये मेरा इंडिया...

पीहू-पीहू बोले पपीहा, कोयल कूहू-कूहू गाये
हँसते, रोते, हमने जीवन के सब गीत बनाए
ये सारी दुनिया अपने-अपने गीतों को गाये
गीत वो गाओ जिससे इस मिटटी की खुश्बू आये
आई लव माई इंडिया...

वतन मेरा इंडिया
सजन मेरा इंडिया
करम मेरा इंडिया
धरम मेरा इंडिया

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:09 PM
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
वक़्त आने पे बता देंगे तुझे ऐ आसमां
क्या बताएँ हम जुनूनें शौक किस मंजिल में है

दूरियां उम्मीद की ना आज हमसे छूट जाए
मिलके देखा है जिन्हें वो सपने भी ना रूठ जाए
हौंसले वो हौंसले क्या जो सितम से टूट जाए
सरफरोशी की तमन्ना...

तेरे सोने रूप को हम इक नयी बहार देंगे
अपने ही लहू से तेरा रंग हम निखार देंगे
देश मेरे देश तुझपे ज़िन्दगी भी वार देंगे
सरफरोशी की तमन्ना...

खुशबू बन के महका करेंगे हम लहलहाती हर फसलों में
सांस बन के हम गुनगुनायेंगे आने वाली हर नस्लों में
आने वाली, आने वाली, नस्लों में
सरफरोशी की तमन्ना...

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है
देख सकता है तो तू भी देख ले ऐ आसमां
हौंसला ये देख के कातिल बड़ी मुश्किल में है

अपने ही लहू से हम लिखेंगे अपनी दास्ताँ
ज़ालिमों से छीन लेंगे ये ज़मीं ये आसमां
सरफिरे जवान हम तो मौत से भी ना डरें
आज आये देश में ये क्यूँ गंवारा हम करें
मुल्क पे कुर्बान हो ये आरज़ू मेरे दिल में है
सरफरोशी की तमन्ना...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:10 PM
कन्धों से मिलते हैं कन्धे, क़दमों से क़दम मिलते हैं
हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं
अब तो हमें आगे बढ़ते है रहना
अब तो हमें साथी है बस इतना ही कहना
अब जो भी हो शोला बनके पत्थर है पिघलाना
अब जो भी हो बादल बनके परबत पर है छाना

निकले हैं मैदां में हम जां हथेली पर लेकर
अब देखो दम लेंगे हम जा के अपनी मंजिल पर
खतरों से हंस के खेलना, इतनी तो हम में हिम्मत है
मोड़े कलाई मौत की, इतनी तो हम में ताक़त है
हम सरहदों के वास्ते लोहे की इक दीवार हैं
हम दुश्मनों के वास्ते होशियार हैं, तैयार हैं
अब जो भी हो...

जोश दिल में जगाते चलो, जीत के गीत गाते चलो
जीत की जो तस्वीर बनाने हम निकले हैं अपनी लहू से
हमको उसमें रंग भरना है
साथी मैंने अपने दिल में अब ये ठान लिया है
या तो अब करना है या तो अब मरना है
चाहे अंगारें बरसे के बिजली गिरे
तू अकेला नहीं होगा यारा मेरे
कोई मुश्किल हो या हो कोई मोर्चा
साथ हर मोड़ पर होंगे साथी तेरे
अब जो भी हो...

इक चेहरा अक्सर मुझे याद आता है
इस दिल को चुपके-चुपके वो तड़पाता है
जब घर से कोई भी ख़त आया है
कागज़ को मैंने भीगा-भीगा पाया है
पलकों पे यादों के कुछ दीप जैसे जलते हैं
कुछ सपने ऐसे हैं, जो साथ-साथ चलते हैं
कोई सपना न टूटे, कोई वादा न टूटे
तुम चाहो जिसे दिल से वो तुमसे ना रूठे
अब जो भी हो...

चलता है जो ये कारवाँ, गूंजी सी है ये वादियाँ
है ये ज़मीं, ये आसमां
है ये हवा, है ये समां
हर रस्ते ने, हर वादी ने हर परबत ने, सदा दी
हम जीतेंगे, हम जीतेंगे, हम जीतेंगे, हर बाज़ी
कन्धों से मिलते...

चलता है जो ये कारवाँ, गूंजी सी है, ये वादियाँ

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:10 PM
भारत हमको जान से प्यारा है
सबसे न्यारा गुलिस्ताँ हमारा है
सदियों से भारत भूमि दुनिया की शान है
भारत माँ की रक्षा में जीवन कुर्बान है

उजड़े नहीं अपना चमन, टूटे नहीं अपना वतन
गुमराह ना कर दे कोई, बरबाद ना कर दे कोई
मंदिर यहाँ, मस्जिद वहाँ, हिन्दू यहाँ, मुस्लिम यहाँ
मिलते रहें हम प्यार से, जागो

हिन्दुस्तानी नाम हमारा है, सबसे प्यारा देश हमारा है
जन्मभूमि है हमारी शान से कहेंगे हम
सभी ही तो भाई-भाई प्यार से रहेंगे हम
हिन्दुस्तानी नाम हमारा है

आसाम से गुजरात तक, बंगाल से महाराष्ट्र तक
जाति कई, धुन एक है, भाषा कई, सुर एक है
कश्मीर से मद्रास तक, कह दो सभी हम एक हैं
आवाज़ दो हम एक हैं, जागो

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:10 PM
जलते भी गये, कहते भी गये
आज़ादी के परवाने
जीना तो उसी का जीना है
जो मरना वतन पे जाने

ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी क़सम
तेरी राहों मैं जां तक लुटा जायेंगे
फूल क्या चीज़ है तेरे कदमों पे हम
भेंट अपने सरों की चढ़ा जायेंगे

कोई पंजाब से, कोई महाराष्ट्र से
कोई यू.पी. से है, कोई बंगाल से
तेरी पूजा की थाली में लाये हैं हम
फूल हर रंग के, आज हर डाल से
नाम कुछ भी सही पर लगन एक है
जोत से जोत दिल की जगा जायेंगे
ऐ वतन ऐ वतन...

तेरी जानिब उठी जो कहर की नज़र
उस नज़र को झुका के ही दम लेंगे हम
तेरी धरती पे है जो कदम ग़ैर का
उस कदम का निशाँ तक मिटा देंगे हम
जो भी दीवार आयेगी अब सामने
ठोकरों से उसे हम गिरा जायेंगे
ए वतन ए वतन...

तू ना रोना के तू है भगत सिंह की माँ
मर के भी लाल तेरा मरेगा नहीं
घोड़ी चढ़के तो लाते है दुल्हन सभी
हँसके हर कोई फाँसी चढ़ेगा नहीं

इश्क आज़ादी से आशिकों ने किया
देख लेना उसे हम ब्याह लाएंगे
ऐ वतन ऐ वतन...

जब शहीदों की अर्थी उठे धूम से
देशवालों तुम आँसू बहाना नहीं
पर मनाओ जब आज़ाद भारत का दिन
उस घड़ी तुम हमें भूल जाना नहीं

लौट कर आ सकें ना जहाँ में तो क्या
याद बनके दिलों में तो आ जाएँगे
ऐ वतन ऐ वतन...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:11 PM
नन्हां मुन्ना राही हूँ, देश का सिपाही हूँ
बोलो मेरे संग
जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद

रस्ते में चलूंगा न डर-डर के
चाहे मुझे जीना पड़े मर-मर के
मंज़िल से पहले ना लूंगा कहीं दम
आगे ही आगे बढ़ाऊंगा कदम
दाहिने-बाएं, दाहिने-बाएं, थम
नन्हां मुन्ना...

धूप में पसीना बहाऊंगा जहाँ
हरे-हरे खेत लहराएंगे वहाँ
धरती पे फ़ाके न पाएंगे जनम
आगे ही आगे...

नया है ज़माना मेरी नई है डगर
देश को बनाउंगा मशीनों का नगर
भारत किसी से रहेगा नहीं कम
आगे ही आगे...

बड़ा हो के देश का सहारा बनूंगा
दुनिया की आँखों का तारा बनूंगा
रखूँगा ऊंचा तिरंगा परचम
आगे ही आगे...

शांति की नगरी है मेरा ये वतन
सबको सिखाऊंगा मैं प्यार का चलन
दुनिया में गिरने न दूंगा कहीं बम
आगे ही आगे...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:12 PM
कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों

सांस थमती गई, नब्ज जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को ना रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते-मरते रहा बाँकपन साथीयों
अब तुम्हारे...

जिन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज आती नहीं
हुस्न और इश्क दोनों को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों
अब तुम्हारे...

राह कुर्बानियों की ना वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नये काफ़िले
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
जिन्दगी मौत से मिल रही है गले
बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियों
अब तुम्हारे...

खेंच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाये ना रावण कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छूने पाये ना सीता का दामन कोई
राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथीयों
अब तुम्हारे...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:12 PM
मेरा रंग दे बसंती चोला माये रंग दे

निकले हैं वीर जिया ले
यूँ अपना सीना ताने
हंस-हंस के जान लुटाने
आज़ाद सवेरा लाने
मर के कैसे जीते हैं, इस दुनिया को बतलाने
तेरे लाल चलें हैं माये, अब तेरी लाज बचाने
आज़ादी का शोला बन के खून रगों में डोला
मेरा रंग दे...

दिन आज तो बड़ा सुहाना
मौसम भी बड़ा सुनहरा
हम सर पे बाँध के आये
बलिदानों का ये सेहरा
बेताब हमारे दिल में इक मस्ती सी छायी है
ऐ देश अलविदा तुझको कहने की घडी आई है
महकेंगे तेरी फिज़ा में हम बन के हवा का झोंका
किस्मत वालों को मिलता ऐसे मरने का मौका
निकली है बरात सजा है इंक़लाब का डोला
मेरा रंग दे...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:12 PM
ये देश है वीर जवानों का
अलबेलों का मस्तानों का
इस देश का यारों क्या कहना
ये देश है दुनिया का गहना

यहाँ चौड़ी छाती वीरों की
यहाँ भोली शक्लें हीरों की
यहाँ गाते हैं राँझे मस्ती में
मस्ती में झूमें बस्ती में

पेड़ों में बहारें झूलों की
राहों में कतारें फूलों की
यहाँ हँसता है सावन बालों में
खिलती हैं कलियाँ गालों में

कहीं दंगल शोख जवानों के
कहीं करतब तीर कमानों के
यहाँ नित-नित मेले सजते हैं
नित ढोल और ताशे बजते हैं

दिलबर के लिये दिलदार हैं हम
दुश्मन के लिये तलवार हैं हम
मैदां में अगर हम डट जाएं
मुश्किल है के पीछे हट जाएं

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:13 PM
होठों पे सच्चाई रहती है
जहाँ दिल में सफ़ाई रहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है

मेहमां जो हमारा होता है
वो जान से प्यारा होता है
ज़्यादा की नहीं लालच हमको
थोड़े मे गुज़ारा होता है
बच्चों के लिये जो धरती माँ
सदियों से सभी कुछ सहती है
हम उस देश के...

कुछ लोग जो ज़्यादा जानते हैं
इन्सान को कम पहचानते हैं
ये पूरब है पूरबवाले
हर जान की कीमत जानते हैं
मिल जुल के रहो और प्यार करो
एक चीज़ यही जो रहती है
हम उस देश के...

जो जिससे मिला सिखा हमने
गैरों को भी अपनाया हमने
मतलब के लिये अन्धे होकर
रोटी को नहीं पूजा हमने
अब हम तो क्या सारी दुनिया
सारी दुनिया से कहती है
हम उस देश के...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:14 PM
इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के

दुनिया के रंज सहना और कुछ ना मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के
इन्साफ की डगर पे...

अपने हों या पराए, सब के लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा, हरगिज़ ना डगमगाए
रस्ते बड़े कठिन हैं, चलना संभल-संभल के
इन्साफ की डगर पे...

इन्सानियत के सर पे, इज़्ज़त का ताज रखना
तन मन की भेंट देकर, भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के
इन्साफ की डगर पे...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:15 PM
मेरा कर्मा तू मेरा धर्मा तू
तेरा सब कुछ मैं मेरा सब कुछ तू
हर करम अपना करेंगे ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है जां भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए

तू मेरा कर्मा, तू मेरा धर्मा, तू मेरा अभिमान है
ऐ वतन, महबूब मेरे, तुझपे दिल क़ुर्बान है
हम जिऐंगे और मरेंगे ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है...

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, हमवतन, हमनाम हैं
जो करे इनको जुदा मज़हब नहीं, इल्जाम है
हम जिऐंगे और मरेंगे ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है...

तेरी गलियों में चलाकर नफ़रतों की गोलियां
लूटते हैं कुछ लुटेरे दुल्हनों की डोलियां
लुट रहे है आंप वो, अपने घरों को लूट कर
खेलते हैं बेखबर, अपने लहू से होलियां
हम जिऐंगे और मरेंगे ऐ वतन तेरे लिए
दिल दिया है...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:15 PM
छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी
नए दौर में लिखेंगे, मिल कर नई कहानी
हम हिन्दुस्तानी, हम हिन्दुस्तानी

आज पुरानी ज़ंजीरों को तोड़ चुके हैं
क्या देखें उस मंज़िल को जो छोड़ चुके हैं
चांद के दर पर जा पहुंचा है आज ज़माना
नए जगत से हम भी नाता जोड़ चुके हैं
नया खून है नई उमंगें, अब है नई जवानी
हम हिन्दुस्तानी...

हमको कितने ताजमहल हैं और बनाने
कितने हैं अजंता हम को और सजाने
अभी पलटना है रुख कितने दरियाओं का
कितने पवर्त राहों से हैं आज हटाने
नया खून है...

आओ मेहनत को अपना ईमान बनाएं
अपने हाथों से अपना भगवान बनाएं
राम की इस धरती को गौतम की भूमि को
सपनों से भी प्यारा हिंदुस्तान बनाएं
नया खून है...

दाग गुलामी का धोया है जान लुटा के
दीप जलाए हैं ये कितने दीप बुझा के
ली है आज़ादी तो फिर इस आज़ादी को
रखना होगा हर दुश्मन से आज बचा के
नया खून है...

हर ज़र्रा है मोती आँख उठाकर देखो
मिट्टी में सोना है हाथ बढ़ाकर देखो
सोने की ये गंगा है चांदी की जमुना
चाहो तो पत्थर पे धान उगाकर देखो
नया खून है...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:15 PM
तेरे लिए तेरे वतन की खाक बेक़रार है
हिमालया की चोटियों को तेरा इंतज़ार है
वतन से दूर है मगर, वतन के गीत गाये जा
कदम-कदम बढ़ाए जा ख़ुशी के गीत गाये जा
ये ज़िन्दगी है कौम की, तू कौम पे लुटाये जा

बड़ा कठिन सफ़र है ये
बड़े कठिन है रास्ते
मगर ये मुश्किलें हैं क्या
सिपाहियों के वास्ते
तू बिजलियों से खेल
आँधियों पे मुस्कुराए जा
कदम-कदम बढ़ाए जा...

बिछड़ रहा है तुझसे तेरा
भाई तो बिछड़ने दे
नसीब कौम का बने
तो अपना घर उजड़ने दे
मिटा के अपना एक घर
हज़ार घर बसाए जा
कदम-कदम बढ़ाए जा...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:16 PM
ये जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा
तुझे है पुकारा
ये वो बंधन है जो कभी टूट नहीं सकता

मिट्टी की है जो ख़ुश्बू, तू कैसे भुलायेगा
तू चाहे कहीं जाये, तू लौट के आयेगा
नई-नई राहों में, दबी-दबी आहों में
खोये-खोये दिल से तेरे कोई ये कहेगा
ये जो देस...

तुझसे ज़िंदगी, है ये कह रही
सब तो पा लिया, अब है क्या कमी
यूँ तो सारे सुख हैं बरसे
पर दूर तू है अपने घर से
आ लौट चल तू अब दिवाने
जहाँ कोई तो तुझे अपना माने
आवाज़ दे तुझे बुलाने
वही देस
ये जो देस...

ये पल हैं वही, जिसमें हैं छुपी
पूरी इक सदी, सारी ज़िंदगी
तू न पूछ रास्ते में काहे
आये हैं इस तरह दो राहे
तू ही तो है राह जो सुझाये
तू ही तो है अब जो ये बताये
जाएं तो किस दिशा में जाये
वही देस
ये जो देस...

jai_bhardwaj
15-08-2013, 05:17 PM
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन, सर झुका सकते नहीं

हमने सदियों में ये आज़ादी की नेमत पाई है
सैकड़ों कुर्बानियां देकर ये दौलत पाई है
मुस्कुराकर खाई है सीनों पे अपने गोलियां
कितने वीरानों से गुज़रे हैं तो जन्नत पाई है
ख़ाक में हम अपनी इज़्ज़त को मिला सकते नहीं
अपनी आज़ादी...

क्या चलेगी ज़ुल्म की अहले वफ़ा के सामने
आ नहीं सकता कोई शोला हवा के सामने
लाख फ़ौजें ले के आए अम्न का दुश्मन कोई
रुक नहीं सकता हमारी एकता के सामने
हम वो पत्थर हैं जिसे दुश्मन हिला सकते नहीं
अपनी आज़ादी...

वक़्त की आवाज़ के हम साथ चलते जाएंगे
हर क़दम पर ज़िन्दगी का रुख बदलते जाएंगे
गर वतन में भी मिलेगा कोई गद्दारे वतन
अपनी ताकत से हम उसका सर कुचलते जाएंगे
एक धोखा खा चुके हैं और खा सकते नहीं
अपनी आज़ादी...
(वन्दे मातरम)

हम वतन के नौजवां हैं हमसे जो टकराएगा
वो हमारी ठोकरों से ख़ाक में मिल जाएगा
वक़्त के तूफ़ान में बह जाएंगे ज़ुल्मों-सितम
आसमां पर ये तिरंगा उम्र भर लहराएगा
जो सबक बापू ने सिखलाया भुला सकते नहीं
सर कटा सकते...

rajnish manga
16-08-2013, 12:07 AM
अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं
सर कटा सकते हैं लेकिन, सर झुका सकते नहीं

हमने सदियों में ये आज़ादी की नेमत पाई है
सैकड़ों कुर्बानियां देकर ये दौलत पाई है
मुस्कुराकर खाई है सीनों पे अपने गोलियां
कितने वीरानों से गुज़रे हैं तो जन्नत पाई है
ख़ाक में हम अपनी इज़्ज़त को मिला सकते नहीं
अपनी आज़ादी...

क्या चलेगी ज़ुल्म की अहले वफ़ा के सामने
आ नहीं सकता कोई शोला हवा के सामने
लाख फ़ौजें ले के आए अम्न का दुश्मन कोई
रुक नहीं सकता हमारी एकता के सामने
हम वो पत्थर हैं जिसे दुश्मन हिला सकते नहीं
अपनी आज़ादी...

वक़्त की आवाज़ के हम साथ चलते जाएंगे
हर क़दम पर ज़िन्दगी का रुख बदलते जाएंगे
गर वतन में भी मिलेगा कोई गद्दारे वतन
अपनी ताकत से हम उसका सर कुचलते जाएंगे
एक धोखा खा चुके हैं और खा सकते नहीं
अपनी आज़ादी...
(वन्दे मातरम)

हम वतन के नौजवां हैं हमसे जो टकराएगा
वो हमारी ठोकरों से ख़ाक में मिल जाएगा
वक़्त के तूफ़ान में बह जाएंगे ज़ुल्मों-सितम
आसमां पर ये तिरंगा उम्र भर लहराएगा
जो सबक बापू ने सिखलाया भुला सकते नहीं
सर कटा सकते...

इस गीत का एक एक शब्द देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण है. इसमें हमारा दुखद अतीत है तो इतिहास का रुख मोड़ देने का विश्वास भी झलकता है. यह अब एक लोक-गीत की भांति हमारे आत्म-सम्मान का प्रतीक है. इस गीत का फोरम पर पुनर्पाठ रखने के लिए धन्यवाद, जय जी.