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Old 15-08-2013, 04:42 PM   #1
jai_bhardwaj
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Default जय हो ! जय हो !!

आज स्वाधीनता पर्व के पावन अवसर पर कुछ देशभक्ति से ओतप्रोत गीत प्रस्तुत हैं।
आइये .. हम सब मिल कर इन गीतों के माध्यम से अतुल्य भारत की बहुरंगी संस्कृति में खो जाएँ।
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

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Old 15-08-2013, 04:44 PM   #2
jai_bhardwaj
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जय हो, जय हो
आजा आजा जिंद शामियाने के तले, आजा जरीवाले नीले आसमान के तले
जय हो, जय हो

रत्ती रत्ती सच्ची मैने जान गवाई है, नच नच कोयलों पे रात बिताई है
अखियों की नींद मैने फूंको से उड़ा दी, गिन गिन तारे मैने उंगली जलाई है
आजा आजा जिंद शामियाने के तले, आजा जरीवाले नीले आसमान के तले

चख ले हो चख ले ये रात शहद है चख ले, रख ले हाँ दिल है दिल आखरी हद है रख ले
काला काला काजल तेरा कोई काला जादू है ना, काला काला काजल तेरा कोई काला जादू है ना
आजा आजा जिंद शामियाने के तले, आजा जरीवाले नीले आसमान के तले

जय हो, जय हो!! जय हो, जय हो!!

कब से हाँ कब से जो लब पे रुकी है कह दे, कह दे हाँ कह दे अब आँख झुकी है.. कह दे
ऐसी ऐसी रोशन आँखे रोशन दोनो भी है है क्या…
आजा आजा जिंद शामियाने के तले, आजा जरीवाले नीले आसमान के तले

जय हो, जय हो!! जय हो, जय हो!!
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Old 15-08-2013, 04:45 PM   #3
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Saare jahaan se achcha hindustaan hamaraa
hum bul bulain hai is kee, ye gulsitan hamaraa

parbat vo sabse unchaa hum saaya aasma kaa
vo santaree hamaraa, vo paasbaan hamaraa

godi mein khel tee hain is ki hazaaron nadiya
gulshan hai jinke dum se, raske jahan hamaraa

mazhab nahi sikhataa apas mein bayr rakhnaa
hindi hai hum, vatan hai hindustaan hamaraa
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Old 15-08-2013, 04:46 PM   #4
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पूरब में सूरज ने छेड़ी, जब किरणों की शहनाई
चमक उठा सिन्दूर गगन पे, पच्छिम तक लाली छाई

दुल्हन चली, हाँ पहन चली
हो रे दुल्हन चली, हो पहन चली
तीन रंग की चोली
बाहों में लहराए गंगा जमुना
देख के दुनिया डोली
दुल्हन चली...

ताजमहल जैसी ताजा है सूरत
चलती फिरती अजंता की मूरत
मेल मिलाप की मेहंदी रचाए
बलिदानों की रंगोली
दुल्हन चली...

मुख चमके ज्यूँ हिमालय की चोटी
हो ना पड़ोसी की नियत खोटी
ओ घर वालों ज़रा इसको संभालो
ये तो है बड़ी भोली
दुल्हन चली...

चाँदी रंग अंग है, तो धनि तरंग लहंगा
सोने रंग चूने का मोल बड़ा महंगा
मन सीता जैसा, वचन गीता जैसे
डोले प्रीत की बोली
दुल्हन चली...

और सजेगी अभी और संवरेगी
चढ़ती उमरिया है और निखरेगी
अपनी आजादी की दुल्हनिया
दीप के ऊपर होली
दुल्हन चली...

देश प्रेम ही आजादी की दुल्हनिया का वर है
इस अलबेली दुल्हन का सिंदूर सुहाग अमर है
माता है कस्तूरबा जैसी, बाबुल गाँधी जैसे
चाचा इसके नेहरु, शास्त्री, डरे ना दुश्मन कैसे
वीर शिवाजी जैसे वीरे, लक्ष्मी बाई बहना
लक्ष्मण जिसके बोध, भगत सिंह, उसका फिर क्या कहना
जिसके लिए जवान बहा सकते हैं खून की गंगा
आगे पीछे तीनो सेना ले के चले तिरंगा
सेना चलती है ले के तिरंगा
हो कोई हम प्रान्त के वासी हो कोई भी भाषा भाषी
सबसे पहले हैं भारतवासी
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Old 15-08-2013, 04:46 PM   #5
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Default Re: जय हो ! जय हो !!

ai mere pyaare vatan, ai mere bichhade chaman
tujh pe dil qurabaan
tuu hii merii aarazuu, tuu hii merii aabaruu
tuu hii merii jaan

(tere daaman se jo aae un havaaon ko salaam
chuum luun main us zubaan ko jispe aae teraa naam ) - 2
sabase pyaarii subah terii
sabase rangiin terii shaam
tujh pe dil qurabaan ...

(maa kaa dil banake kabhii siine se lag jaataa hai tuu
aur kabhii nanhiin sii betii ban ke yaad aataa hai tuu ) - 2
jitnaa yaad aataa hai mujhako
utanaa tadapaataa hai tuu
tujh pe dil qurabaan ...

(chhod kar terii zamiin ko duur aa pahunche hain ham
phir bhii hai ye hii tamannaa tere zarron kii qasam ) - 2
ham jahaan paidaa hue
us jagah pe hii nikle dam
tujh pe dil qurabaan ... - See more at:
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Old 15-08-2013, 04:47 PM   #6
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मेरा रंग दे बसंती चोला, मेरा रंग दे
मेरा रंग दे बसंती चोला ओये, रंग दे बसंती चोला
माये रंग दे बसंती चोला

दम निकले इस देश की खातिर बस इतना अरमान है
एक बार इस राह में मरना सौ जन्मों के समान है
देख के वीरों की क़ुरबानी अपना दिल भी बोला
मेरा रंग दे...

जिस चोले को पहन शिवाजी खेले अपनी जान पे
जिसे पहन झांसी की रानी मिट गई अपनी आन पे
आज उसी को पहन के निकला, पहन के निकला
आज उसी को पहन के निकला, हम मस्तों का टोला
मेरा रंग दे...
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Old 15-08-2013, 04:50 PM   #7
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जब ज़ीरो दिया मेरे भारत ने
भारत ने मेरे भारत ने
दुनिया को तब गिनती आयी
तारों की भाषा भारत ने
दुनिया को पहले सिखलायी

देता ना दशमलव भारत तो
यूँ चाँद पे जाना मुश्किल था
धरती और चाँद की दूरी का
अंदाज़ा लगाना मुश्किल था

सभ्यता जहाँ पहले आयी
पहले जनमी है जहाँ पे कला
अपना भारत वो भारत है
जिसके पीछे संसार चला
संसार चला और आगे बढ़ा
यूँ आगे बढ़ा, बढ़ता ही गया
भगवान करे ये और बढ़े
बढ़ता ही रहे और फूले-फले

है प्रीत जहाँ की रीत सदा
मैं गीत वहाँ के गाता हूँ
भारत का रहने वाला हूँ
भारत की बात सुनाता हूँ

काले-गोरे का भेद नहीं
हर दिल से हमारा नाता है
कुछ और न आता हो हमको
हमें प्यार निभाना आता है
जिसे मान चुकी सारी दुनिया
मैं बात वो ही दोहराता हूँ
भारत का रहने...

जीते हो किसी ने देश तो क्या
हमने तो दिलों को जीता है
जहाँ राम अभी तक है नर में
नारी में अभी तक सीता है
इतने पावन हैं लोग जहाँ
मैं नित-नित शीश झुकाता हूँ
भारत का रहने...

इतनी ममता नदियों को भी
जहाँ माता कह के बुलाते है
इतना आदर इन्सान तो क्या
पत्थर भी पूजे जातें है
इस धरती पे मैंने जनम लिया
ये सोच के मैं इतराता हूँ
भारत का रहने...
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Old 15-08-2013, 04:52 PM   #8
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Default Re: जय हो ! जय हो !!

कुछ पाने की हो आस आस
कुछ अरमां हो जो ख़ास ख़ास
आशायें ...

हर कोशिश में हो बार बार
करे दरियाओं को आरपार
आशायें ...

तूफानों को चीर के, मंजिलों को छीन ले
आशायें खिलें दिल की, उम्मीदें हँसे दिल की
अब मुश्किल नहीं कुछ भी

उड़ जाये लेके ख़ुशी, अपने संग तुझको वहाँ
जन्नत से मुलाकात हो, पूरी हो तेरी हर दुआँ
आशायें खिलें दिल की ...

गुजरे ऐसी हर रात रात
हो ख्वाहिशों से बात बात
आशायें ...

लेकर सूरज से आग आग
गाये जा अपना राग राग
आशायें ...

कुछ ऐसा करके दिखा
खुद खुश हो जाये खुदा
आशायें खिलें दिल की ...
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Old 15-08-2013, 04:53 PM   #9
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कोई कहे, कहता रहे, कितना भी हमको दीवाना
हम लोगों की ठोकर में हैं ये ज़माना
जब साज़ हैं, आवाज़ हैं, फिर किस लिये हिचकिचाना
गायेंगे हम अपने दिलों का तराना

बिगड़े दुनियाँ, बिगड़ने भी दो
झगड़े दुनियाँ, झगड़ने भी दो
लडे जो दुनियाँ, लड़ने भी दो, तुम अपनी धुन में गाओ
दुनियाँ रूठे, रूठने दो
बंधन टूटे, टूटने दो
कोई छूटे, छूटने दो, ना घबराओ
हम हैं नये, अंदाज़ क्यों हो पुराना

आँखों में हैं बिजलियाँ, साँसों में तूफान हैं
डर क्या हैं और हार क्या, हम इससे अंजान हैं
हमारे लिये ही तो हैं आसमान और ज़मीन
सितारें भी हम तोड़ लेंगे, हमें हैं यकीं
अंबर से हैं आगे हमारा ठिकाना
हम हैं नये, अंदाज़ क्यों हो पुराना

सपनों का जो देस हैं, हा हम वहीं हैं पले
थोड़े से दिल फेंक हैं, थोड़े से हैं मनचले
जहाँ भी गये अपना जादू दिखाते रहे
मोहब्बत हसीनों को अक्सर सिखाते रहे
आये हमें दिल और नींदें चुराना
हम हैं नये, अंदाज़ क्यों हो पुराना
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Old 15-08-2013, 04:54 PM   #10
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मेरे देश की धरती
सोना उगले
उगले हीरे मोती

बैलों के गले में जब घुंघरू
जीवन का राग सुनाते हैं
गम कोसों दूर हो जाता है
खुशियों के कँवल मुसकाते है
सुन के रहट की आवाजें
यूं लगे कहीं शहनाई बजे
आते ही मस्त बहारों के
दुल्हन की तरह हर खेत सजे
मेरे देश की धरती...

जब चलते हैं इस धरती पे हल
ममता अंगडाइयाँ लेती है
क्यों ना पूजे इस माटी को
जो जीवन का सुख देती है
इस धरती पे जिसने जनम लिया
उसने ही पाया प्यार तेरा
यहाँ अपना पराया कोइ नहीं
है सब पे माँ, उपकार तेरा
मेरे देश की धरती...

ये बाग़ है गौतम नानक का
खिलते हैं अमन के फूल यहाँ
गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक
ऐसे हैं चमन के फूल यहाँ
रंग हरा हरी सिंह नलवे से
रंग लाल है लाल बहादूर से
रंग बना बसन्ती भगत सिंह
रंग अमन का वीर जवाहर से
मेरे देश की धरती...
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