27-12-2010, 03:43 PM | #11 |
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Re: साइबर क्राइम : सूचनाएं एवं सुझाव
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27-12-2010, 03:48 PM | #13 |
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Re: साइबर क्राइम : सूचनाएं एवं सुझाव
किसी देश की गुप्त सूचनाओं को दूसरे स्थान पर भेजना भी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है
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27-12-2010, 03:50 PM | #14 |
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Re: साइबर क्राइम : सूचनाएं एवं सुझाव
किसी व्यक्ति को इनाम अथवा लौटरी लगने की सूचना देकर उसका शोषण भी साइबर अपराध है जिस पर पुलिस कार्यवाही की जा सकती है
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27-12-2010, 05:13 PM | #15 |
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Re: साइबर क्राइम : सूचनाएं एवं सुझाव
दोस्तों ये सूचनाये हे. यदि भूलबश हमने ये काम किया हो, तो आज इस से दूर होने का समय आ गया हे!
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27-12-2010, 06:51 PM | #16 |
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Re: साइबर क्राइम : सूचनाएं एवं सुझाव
मुन्ना जी ...यह भी तो कहा जा सकता है की कोई भी अपराध जो सायबर से जुड़ा हो साइबर अपराध होता है...! बस सिंपल सी बात !
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27-12-2010, 06:55 PM | #17 |
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Re: साइबर क्राइम : सूचनाएं एवं सुझाव
बही बात कही जा रही हे. की जाने अनजाने हमसे भी कहीं ना कही भूल हुई हे. कानून प्रायश्चित नहीं देगा. आज हम लोग खुद. एषा ना करने की कसम और माफ़ी .... इससे आगे और क्या. (बापिस घर आओ )
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29-12-2010, 09:01 AM | #18 |
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Re: साइबर क्राइम : सूचनाएं एवं सुझाव
साइबर अपराध और साइबर कानून
17 अक्टूबर, 2000 को इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट, 2000 (सूचना तकनीक क़ानून, 2000) अस्तित्व में आया। 27 अक्टूबर, 2009 को एक घोषणा द्वारा इसे संशोधित किया गया। संशोधित क़ानून में परिभाषाएं निम्नवत हैं : सूचना तकनीक क़ानून, 2000 की प्रस्तावना में ही हर ऐसे लेनदेन को क़ानूनी मान्यता देने की बात उल्लिखित है, जो इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के दायरे में आता है और जिसमें सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए सूचना तकनीक का इस्तेमाल हुआ हो. (ए) यहां क़ानून से तात्पर्य सूचना तकनीक क़ानून, 2000 से है. (बी) संवाद (कम्युनिकेशन) का मतलब किसी भी तरह की जानकारी या संकेत के प्रचार, प्रसार या उसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाना है. यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष, किसी भी तरह का हो सकता है. (सी) संवाद सूत्र (कम्युनिकेशन लिंक) का अर्थ कंप्यूटरों को आपस में एक-दूसरे से जोड़ने के लिए प्रयुक्त होने वाले सैटेलाइट, माइक्रोवेव, रेडियो, ज़मीन के अंदर स्थित कोई माध्यम, तार, बेतार या संचार का कोई अन्य साधन हो सकता है. |
29-12-2010, 09:02 AM | #19 |
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Re: साइबर क्राइम : सूचनाएं एवं सुझाव
सूचना तकनीक क़ानून 9 जनवरी, 2000 को पेश किया गया था. 30 जनवरी, 1997 को संयुक्त राष्ट्र की जनरल एसेंबली में प्रस्ताव संख्या 51/162 द्वारा सूचना तकनीक की आदर्श नियमावली (जिसे यूनाइटेड नेशंस कमीशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड लॉ के नाम से जाना जाता है)पेश किए जाने के बाद सूचना तकनीक क़ानून, 2000 को पेश करना अनिवार्य हो गया था। संयुक्त राष्ट्र की इस नियमावली में संवाद के आदान-प्रदान के लिए सूचना तकनीक या काग़ज़ के इस्तेमाल को एक समान महत्व दिया गया है और सभी देशों से इसे मानने की अपील की गई है. सूचना तकनीक क़ानून, 2000 की प्रस्तावना में ही हर ऐसे लेनदेन को क़ानूनी मान्यता देने की बात उल्लिखित है, जो इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स के दायरे में आता है और जिसमें सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए सूचना तकनीक का इस्तेमाल हुआ हो.इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स सूचना के आदान-प्रदान और उसके संग्रहण के लिए काग़ज़ आधारित माध्यमों के विकल्प के रूप में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम का इस्तेमाल करता है. इससे सरकारी संस्थानों में भी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दस्तावेज़ों का आदान-प्रदान संभव हो सकता है और इंडियन पेनल कोड, इंडियन एविडेंस एक्ट 1872, बैंकर्स बुक्स एविडेंस एक्ट 1891 और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया एक्ट 1934 अथवा इससे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े किसी भी क़ानून में संशोधन में भी इन दस्तावेज़ों का उपयोग हो सकता है.
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29-12-2010, 09:03 AM | #20 |
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Re: साइबर क्राइम : सूचनाएं एवं सुझाव
संयुक्त राष्ट्र की जनरल एसेंबली ने 30 जनवरी, 1997 को प्रस्ताव संख्या ए/आरइएस/51/162 के तहत यूनाइटेड नेशंस कमीशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड लॉ द्वारा अनुमोदित मॉडल लॉ ऑन इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स (इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स से संबंधित आदर्श कानून) को अपनी मान्यता दे दी. इस क़ानून में सभी देशों से यह अपेक्षा की जाती है कि सूचना के आदान-प्रदान और उसके संग्रहण के लिए काग़ज़ आधारित माध्यमों के विकल्प के रूप में इस्तेमाल की जा रहीं तकनीकों से संबंधित कोई भी क़ानून बनाने या उसे संशोधित करते समय वे इसके प्रावधानों का ध्यान रखेंगे, ताकि सभी देशों के क़ानूनों में एकरूपता बनी रहे. सूचना तकनीक क़ानून 2000 17 अक्टूबर, 2000 को अस्तित्व में आया. इसमें 13 अध्यायों में विभक्त कुल 94 धाराएं हैं. 27 अक्टूबर, 2009 को इस क़ानून को एक घोषणा द्वारा संशोधित किया गया. इसे 5 फरवरी, 2009 को फिर से संशोधित किया गया, जिसके तहत अध्याय 2 की धारा 3 में इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर की जगह डिजिटल हस्ताक्षर को जगह दी गई. इसके लिए धारा 2 में उपखंड (एच) के साथ उपखंड (एचए) को जोड़ा गया, जो सूचना के माध्यम की व्याख्या करता है. इसके अनुसार, सूचना के माध्यम से तात्पर्य मोबाइल फोन, किसी भी तरह का व्यक्तिगत डिजिटल माध्यम या फिर दोनों हो सकते हैं, जिनके माध्यम से किसी भी तरह की लिखित सामग्री, वीडियो, ऑडियो या तस्वीरों को प्रचारित, प्रसारित या एक से दूसरे स्थान तक भेजा जा सकता है.
Last edited by soni; 29-12-2010 at 09:06 AM. |
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