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![]() ![]() Last edited by sagar -; 30-09-2011 at 12:10 PM. |
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#2 |
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![]() ![]() कोस्टारिका शहर में रहने वाले एक मछुआरे और मगरमच्छ में अनूठी दोस्ती देखी गई। 17 फुट लंबा और 444 किलो वजन का विशाल मगरमच्छ अपने दोस्त मछुआरे के साथ ठीक वैसे ही खेलता है जैसे कोई पालतू कुत्ता खेलता हो। कोस्टारिका में रहने वाले इस मछुआरे का नाम पोटो है और मगरमच्छ का जान चिटो है। दोनों जब पानी में उतरते हैं तो पानी में अपने करतब दिखाकर दर्शकों का हैरान कर देते हैं। |
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#3 |
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मगरमच्छ के लिए पति को तलाक दिया
दरअसल करीब 20 साल पहले ये मगरमच्छ मछुआरे को घायल हालत में मिला था। उस समय मगरमच्छ को गोली लगी हुई थी। तब मछुआरे ने उसका इलाज किया। जब से दोनो के बीच दोस्ती हो गई और दोनो के बीच जो रिश्ता बना वो आज भी कायम है। |
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#4 |
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![]() ![]() कौवा-कौवा... कौवा-कौवा... दादा और पोते की ये पुकार सुनते ही सैकड़ों कौवे उनके आसपास इक्ठ्ठे हो जाते हैं। चुपचाप सब आकर बैठ जाते हैं। दादा और पोते मिलकर कौवों को खाना खिलाने लगते हैं। पनीर के छोटे-छोटे टुकड़े हवा में उड़ते हैं और कौवे उसे मुंह में डाल लेते हैं। ये वर्णन किसी पंचतंत्र की कहानी का नहीं बल्कि दिल्ली के विकासपुरी इलाके़ में रहनेवाले खन्नाजी के घर का हैं। खन्नाजी दिल्ली के ही रहनेवाले हैं और पिछले 40 सालों से वो कौवों के दोस्त हैं। उनकी एक आवाज़ पर सैकड़ों कौवे उनके आसपास आ जाते हैं। नवीन खन्ना का नाम तीन बार लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज़ हो चुका हैं उसके इन्हीं दोस्तों की वजह से। खन्नाजी बताते हैं कि जब वो कालकाजी इलाक़े में रहते थे वो रोज़ाना पक्षियों को खाना डालते थे। एक दिन उन्होंने खाना नहीं डाला तो छत पर एक कौवे ने उन्हें अपनी मधुर आवाज़ से पुकारा और फिर जो उनकी दोस्ती हुई वो 20 साल तक बरक़रार रही। खन्नाजी कौवों पर कई शोध कर चुके हैं। कौवों के ज़रिए ही उन्हें दिल्ली में आए भूकंप का पूर्वानुमान लग पाया था। मैंने जब ये पूछा कि कौवों को तो हम अपशगुन मानते हैं तो वो हंस पड़े। उन्होंने कहा कि कौवे उनके ही नहीं उनके परिवार के हर सदस्य के दोस्त हैं और कौवे अपने आप में बेहद शांत जीव हैं। कौवा कभी लड़ता नहीं हैं । लड़ाई हुई भी तो जो उम्र में बड़ा होता है वो चुप हो जाता हैं। खन्नाजी का ये कोवा प्रेम उनके बच्चों से होकर उनके पोते तक पहुंच गया हैं। खन्नाजी का पोता शौर्य सुबह उठते से ही कौवों के पास जाने की ज़िद्द करता हैं। खन्नाजी रोज़ाना इनसे मिलने और उन्हें खिलाने के लिए पार्क में जाते हैं और दादा पोते को देखकर उनसे मिलने दूर-दूर से कौवे आते हैं... |
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#5 |
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बहुत खुब चीज ढुढ कर लाए हैँ सागर भाई
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
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