01-01-2012, 01:39 PM | #1 |
अति विशिष्ट कवि
Join Date: Jun 2011
Location: Vinay khand-2,Gomti Nagar,Lucknow.
Posts: 553
Rep Power: 35 |
दर्पण सीरत नहीं दिखाता
फूट - फूट जो रोता दिखता , ख़ुद से आज मिला है यारों . दुश्मन बन जब पार न पाया , बनकर दोस्त छला है यारों ; अँगारों से बच निकला जो , गुल से मगर जला है यारों . प्यार की राह में काँटे पाये , जो भी इधर चला है यारों ; एक बार सिर चढ़ , न उतरे , उल्फ़त एक बला है यारों . बस उसका ही दिल ना पिघला , पत्थर तक पिघला है यारों ; सबसे प्रीत की रीत न निभती , ये भी एक कला है यारों . मुझपे आज नशा छाया है , उसका जिक्र चला है यारों ; जिसने जीवन भर तड़पाया , लगता बहुत भला है यारों . भरम बढ़ेगा धीरे - धीरे , सजने हुस्न चला है यारों ; दर्पण सीरत नहीं दिखाता , सबको बहुत छला है यारों . सागर से वो ही मिलता , जो पर्वत सदा गला है यारों ; जिसने उजियारे फैलाये , वो खुद बहुत जला है यारों . रचयिता~ ~ ~ डॉ. राकेश श्रीवास्तव विनय खण्ड -2, गोमती नगर ,लखनऊ . ( शब्दार्थ ~~ सीरत = Inner Character / आन्तरिक गुण ) Last edited by Dr. Rakesh Srivastava; 03-01-2012 at 02:00 PM. |
01-01-2012, 02:07 PM | #2 |
Senior Member
Join Date: Dec 2010
Location: Dilli NCR
Posts: 1,210
Rep Power: 20 |
Re: दर्पण सीरत नहीं दिखाता
बहुत अच्छे डोक्टर साहब. आज बहुत दिनों बाद नेट पर ऑनलाइन हुआ, और इतने दिनों की आपके द्वारा रचित सभी रचनाए पढ़कर मन भाव-विभोर हो गया.
क्योंकि कई रचने थी इसलिए सभी रचनाओ के लिए अलग प्रत्युतर न देकर सबका एक ही जगह पर दे दिया है. उम्मीद है क्षमा करेंगे.
__________________
क्योंकि हर एक फ्रेंड जरूरी होता है. |
02-01-2012, 11:37 AM | #3 |
Senior Member
Join Date: Feb 2011
Location: खानाबदोश
Posts: 669
Rep Power: 26 |
Re: दर्पण सीरत नहीं दिखाता
इस बार अर्थ समझ पाने में मुझे कुछ कठिनाई हुई =
सुख सँग पूरा जग है यारों , दुःख सँग कौन चला है यारों ; फूट - फूट जो रोता दिखता , ख़ुद से आज मिला है यारों . दुश्मन बन जब पार न पाया , बनकर दोस्त छला है यारों ; अँगारों से बच निकला जो , गुल से मगर जला है यारों . प्यार की राह में काँटे पाये , जो भी इधर चला है यारों ; एक बार सिर चढ़ , न उतरे , उल्फ़त एक बला है यारों . बस उसका ही दिल ना पिघला , पत्थर तक पिघला है यारों ; सबसे प्रीत की रीत न निभती , ये भी एक कला है यारों . मुझपे आज नशा छाया है , उसका जिक्र चला है यारों ; जिसने जीवन भर तड़पाया , लगता बहुत भला है यारों . भरम बढ़ेगा धीरे - धीरे , सजने हुस्न चला है यारों ; दर्पण सीरत नहीं दिखाता , सबको बहुत छला है यारों . सागर से मिलने की धुन में , पर्वत बहुत गला है यारों ; जग में उजियारे के खातिर , सूरज सदा जला है यारों .
__________________
ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
|
02-01-2012, 12:42 PM | #4 | |
Banned
Join Date: Nov 2010
Location: राँची, झारखण्ड
Posts: 3,682
Rep Power: 0 |
Re: दर्पण सीरत नहीं दिखाता
Quote:
|
|
02-01-2012, 01:26 PM | #5 |
Special Member
|
Re: दर्पण सीरत नहीं दिखाता
bahut umda prastuti
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
02-01-2012, 03:51 PM | #6 |
Member
Join Date: Jan 2012
Posts: 35
Rep Power: 0 |
Re: दर्पण सीरत नहीं दिखाता
nice poem.. Sir!
|
03-01-2012, 03:49 PM | #8 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,570
Rep Power: 42 |
Re: दर्पण सीरत नहीं दिखाता
नववर्ष के इस अमूल्य तोहफे के लिए डॉ.साहेब का धन्यवाद !
__________________
मांगो तो अपने रब से मांगो; जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत; लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना; क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी। |
05-01-2012, 07:47 AM | #9 |
अति विशिष्ट कवि
Join Date: Jun 2011
Location: Vinay khand-2,Gomti Nagar,Lucknow.
Posts: 553
Rep Power: 35 |
Re: दर्पण सीरत नहीं दिखाता
सम्माननीय रणवीर जी ,
मुझे आईना दिखाने के लिए आपका शुक्रिया . आपको समझने में जो कठिनाई हुई है , वो निश्चित ही मेरी असफलता है . इसका मुझे खेद है . भविष्य में आपको ऐसी कठिनाई का सामना न करना पड़े ; इसका मैं विशेष ध्यान रखूंगा क्योंकि मेरी भी यही धारणा है कि वो कविता ही नहीं , जो समझ से परे हो . |
05-01-2012, 07:57 AM | #10 | |
अति विशिष्ट कवि
Join Date: Jun 2011
Location: Vinay khand-2,Gomti Nagar,Lucknow.
Posts: 553
Rep Power: 35 |
Re: दर्पण सीरत नहीं दिखाता
Quote:
आपने पढ़ा और पसंद किया , आपका धन्यवाद . आप भले ही काफी अंतराल पर ऑनलाइन होते हों , किन्तु मेरे लिए तो यही संतोष की बात है कि फिर भी आप मुझे याद रख पाते हैं . इस हेतु भी शुक्रिया . |
|
Bookmarks |
|
|