04-08-2012, 10:16 AM | #1 |
अति विशिष्ट कवि
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सोच में इंक़लाब रखियेगा
हर किसी सर पे ताज रखियेगा . ग़र बढ़ानी हो सल्तनत अपनी , ख़ुद के ऊपर भी राज रखियेगा . कर के आलोचना संभालें जो , मन में उनका लिहाज़ रखियेगा . इल्म हर एक शख्स से मिलता , तिश्नगी बेहिसाब रखियेगा . पाँव धरती पे जमाये रख कर , आसमानों के ख़्वाब रखियेगा . दौर जो आये , उसमें ढलने को , मोम जैसा मिजाज रखियेगा . हर कोई प्यास बुझाना चाहे , ख़ुद में ऐसी शराब रखियेगा . चिराग़ बन के अंधेरों के लिए , ज़िन्दगी कामयाब रखियेगा . पालकर रोग मोहब्बत का हसीं , अपनी तबियत खराब रखियेगा . ज़ख्मे उल्फ़त को समझकर नेमत , हर ग़ज़ल लाज़वाब रखियेगा . रचयिता ~~ डॉ . राकेश श्रीवास्तव विनय खण्ड - 2 , गोमती नगर , लखनऊ . |
04-08-2012, 10:48 AM | #2 | |
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Re: सोच में इंक़लाब रखियेगा
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बहुत बढ़िया राकेश जी.
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04-08-2012, 11:22 AM | #3 |
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Re: सोच में इंक़लाब रखियेगा
आपके लेखन की तारीफ मे मेरे पास शब्दो का अकाल महसूस हो रहा है।
अति सुंदर और सारगर्भित रचना। |
05-08-2012, 10:50 AM | #5 | |
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Re: सोच में इंक़लाब रखियेगा
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11-08-2012, 01:15 PM | #6 |
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Re: सोच में इंक़लाब रखियेगा
ये रचना पढ़ने के लिये अभिशेष जी , डार्क सेंट अल्लेक जी , दीपू जी , अरविन्द जी , सिकंदर खान जी एवं समस्त अज्ञात पाठकों का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ .
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28-08-2012, 08:26 PM | #7 |
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Re: सोच में इंक़लाब रखियेगा
बहुत सुंदर राकेश जी ।
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ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
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28-08-2012, 10:50 PM | #8 |
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Re: सोच में इंक़लाब रखियेगा
aapki rachna parhkar dil khush ho jata ha
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
29-08-2012, 10:23 PM | #9 | |
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Re: सोच में इंक़लाब रखियेगा
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बहुत खूब डॉक्टर साहब .............आपकी दवायें बेहतर काम कर रही हैं ...............!
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ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें ! आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....! love is life |
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02-09-2012, 10:16 PM | #10 |
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Re: सोच में इंक़लाब रखियेगा
श्री रणवीर जी , जनाब खालिद जी एवं सुश्री भावना सिंह जी का पढ़ने , पसंद करने व प्रतिक्रिया देने हेतु तथा शेष समस्त अज्ञात पाठकों का पढ़ने हेतु हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ .
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