23-11-2010, 05:39 AM | #11 | |
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Re: प्राउड टू बी हिन्दुस्तानी PROUD 2 B an Indian
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मित्र जिस देश के हवा से आपकी सांस चल रही है, जिस देश की मिट्टी से आपको अनाज का दाना मिल रहा है....उसी सरजमीन के नागरिक होने का आपको कोई फक्र या नाज नहीं है ??????.....तो फिर छोड क्यूँ नहीं देते ऐसे देश को... हिन्दुस्तान की मिट्टी हम सब की माँ है और आपको उसी माँ का बेटा कहेलाने मे शर्म आती है ???....शर्म तो माँ को आयेगी ,बेटा कहकर बुलानेमे.... हिंदुस्तान की आज जो भी हालत है इसके लिये हम सब जिम्मेदार है...लेकिन हमारी हालत के लिये भारत जिम्मेदार नहीं है....हम सब खुद हमारी हालत के लिये जिम्मेदार है..... यह नेता ,गुंडे-बदमास,हिपोक्रेट्स,जातिवाद ,नाफखोरी ,संग्रहखोरी ,लांचरुस्वत/भ्रष्टाचार.....हम लोग या इंसान की ही देन है...जब तक ऐसे गैर कानूनी कार्य से हमारा नुकशान नहीं है तब तक कोई तकलीफ या खराबी नहीं है लेकिन इससे हमें जरा सी भी खरोच आती है तो पूरी सिस्टम मे खराबी दिखती है. अगर सरकार मे कोई खराबी है तो सरकार को गाली दो या उस सरकार को मार भगाओ...अगर नफ़रत करनी है तो उनसे कीजिये जो देश की इस हालत के जिम्मेदार है.... लेकिन यह करना हम मे से किसी के लिये भी मुमकिन नहीं होगा क्युंकी जब अपना खुद का काम होगा तो जल्दी करवाने के लिये हम ही कीसी आला अधिकारी को लांच देते है....कोई चीज सस्ती चाहिये या मिलेगी तो चोरी या स्मगलिंग का माल लेने से पीछे नहीं हटेंगे....बिजली की चोरी, टेक्स की चोरी भी तो हम ही करते है तो सरकार पीछे क्यूँ हटेगी....???????.......... परदेश मे भी ऐसे सभी गलत कार्य होते है जो भारत मे होते है.....लेकिन वहाँ का नागरिक जागरूक है...अपने हक्क के लिये अकेला ही लड़ने को तैयार होता है और....क्या हम ऐसा करते है ??? क्यूँ नहीं करते ??? परदेश की बाते सभी को अच्छी लगती है...जैसे की पडोशी की बीवी चाहे वैश्या क्यूँ ना हो लेकिन वो अप्सरा जैसी दिखती है...लेकिन पहले अच्छी दिखने वाली खुद की पवित्र और आदर्श पत्नी खराब दिखती है क्युंकी उसके चहेरे पर जलने के दाग है....उसका चहेरा क्यूँ ???कैसे ???किसने ???कब ??? जला वो कोई नहीं पूछता.... कठोर भाषा के प्रयोग के लिये माफ़ी चाहता हूँ ....लेकिन मै मेरी मिट्टी मेरी माँ के खिलाफ कोई भी गलत बात नहीं सुन सकता... Last edited by sam_shp; 23-11-2010 at 05:47 AM. |
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23-11-2010, 08:13 AM | #12 | |
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Re: प्राउड टू बी हिन्दुस्तानी PROUD 2 B an Indian
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अरे शाम भाई, कैसन हो !!! कोई ना चर्चा में नरम गरम चलता है | फिकर नाट | चलो काम की बात पे आते हैं | एक शेर है छोटा मिनी साइज़ का : दूर इशारों से बात नहीं होती... आंसू बहाने से बरसात नहीं होती... ये ज़िन्दगी है ख्वाब नहीं मेरे दोस्त... आँखें बंद करने से रात नहीं होती | आपने मुझसे कहा की मुझे फक्र नहीं है तो मैं छोड़ दूँ.. तालियाँ आपको जानकार ख़ुशी होगी की आधा छोड़ दिया है, मात्र ५ माह ही रुकना है यहाँ अब | अब मेरा कहना है की आपको इतना नाज़ है तो आइये यहाँ | आपका जो भी बिजनेस वहाँ है वो यहाँ भी हो सकता है | क्या बेटे को किसी काउंटी की जगह उड़ीसा क्रिकेट असोशियेशन से खिलाएंगे ? सरजमीं में उगा अनाज ..... हंसी आती है.. भाई पैसे दो यहाँ ऑस्ट्रेलिया का आलू और जापान का आटा भी मिल जायेगा | मैं वहाँ का नागरिक भी हो गया फिर तो ... भैया मोरे बातें करना बेहद से बेहद आसान है... और खैर आपको यहाँ की समस्याएं बताने से फायदा भी क्या है . . . मैं भी बाहर सेटल हो कर कभी चार पांच साल में जब आऊंगा बच्चो के साथ तो मैं भी मेरा भारत महान कह के दायित्व निभा लूँगा | बहुत अच्छा होता अगर आपने मेरे और खालिद भाई के कुछ उत्तर मन से पढ़े होते उसमें वही सब लिखा है | क्या होता है देश? किस जगह को माँ कहते हैं ? इसी माँ के एक हिस्से में नक्सली आजादी आजादी चिल्ला रहे हैं दुसरे में माओवादी, तीसरे में पाकिस्तानी कुत्ते ... देखिये इसी माँ के टुकड़े करने की बात कर रहे हैं... आपको उस पर नाज़ है... तो कब जा रहे हैं इस माँ को बचाने ??? कौन सा देशप्रेमी यहाँ से जा रहा है उनसे लड़ने ??? और प्लीज़ कोई ये मत कहना मेरे चाचा, मामा में कोई फ़ौज पुलिस में था या है, मेरे पिता और दादा दोनों इन्ही से हैं और इसीलिए मैंने इस कडवी हकीकत को और ज्यादा करीब से देखा है | कोई अनुमान भी है आपको की राजनीति का अपराधीकरण और अपराध का राजनीतिकरण किस खतरनाक स्तर तक बढ़ चुका है | किसी ने ध्यान दिया की आखिर क्यूँ किरण बेदी जैसी हस्ती ने अपनी नौकरी छोड़ दी ? क्या कोई यहाँ उनसे बड़ा देशभक्त या काबिल होने का दावा करने वाला है? उनके CNBC के इंटरव्यू देखे जहां आँखों में आंसू आ गए थे ? ऐसी ही बातें चुनावों में भी होती हैं ना ??? एक साहब हेलिकोप्टर में बैठ कर आते हैं विकास की गंगा बहाने की बातें करते हैं और फिर उड़ जाते हैं !!! बातें.. बाते.. और सिर्फ बातें | आँखें बंद करने से ना समस्या सुलझती है और ना ख़त्म होती है... बड़ा बड़ा बोल्ड में लिखा था तात्कालिक भारत... इमोशनल होकर तालियाँ मिल सकती हैं गुरु लेकिन झेलना हम लोगों को ही पड़ता यहाँ जो रोज़ रहते हैं जो सरकारी ऑफिस के चक्कर लगाते हैं जो ट्रेफिक में अपना समय बर्बाद करते हैं जो बिजली के आने का इन्तेजार करते हैं ना की एक पर्यटकों को | हम कर रहे हैं काम, कोई भगत सिंह बन के नहीं, सामान्य जीवन जीते हुए कार्य कर रहे हैं और उसका असर भी आएगा | नहीं भी आया तो कम से कम कार्य करने का सुकून होगा सिर्फ बातें करने की खुशफहमी नहीं | -अमित Last edited by amit_tiwari; 23-11-2010 at 08:24 AM. |
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23-11-2010, 06:45 PM | #13 |
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Re: प्राउड टू बी हिन्दुस्तानी PROUD 2 B an Indian
मै ऊपरवाले का शुक्रगुजार हूँ कि उन्होने मुझे भारतवर्ष जैसे महान देश का नागरिक होने का मौका दिया है। क्योंकि भारत एक ऐसा देश है, जहां आज भी सही मायनों मे मानवीय मूल्यो कि सबसे ज्यादा कद्र है। जहां प्रेम और भाईचारा की एक से बढ़कर एक मिशाले मौजूद है।
हाँ कुछ नेता, अधिकारी, अपराधी और असामाजिक तत्वो जैसे वाईरस आजकल समाज मे बहुत ज्यादा हो गए है, जिससे मन जरूर कुछ खिन्न हो जाता है। सच तो ये है कि जिस देश के नागरिक जागरूक नहीं होंगे, उस देश मे ऐसे वाईरस बहुत तेजी से फैलते है। लेकिन "कॉमन मैन" को जगाने के लिए एक मसीहा चाहिए, जैसे पहले हुआ करते थे - जसे गांधी, सुभाष, भगत सिंह इत्यादि, इनके पीछे-पीछे सारा देश एक जूट होकर निकल पड़ा, और अंतत: अँग्रेजी वाईरस का खात्मा हुआ था। इस समय भी ऐसे ही मसीहा कि जरूरत है देश को, आज हर कोई सोचता है कि कुछ होना चाहिए..... कोई आवाज उठाने वाला सुभाष या भगत सिंह की जरूरत है.... लेकिन मै तो खुद कुछ करूंगा नहीं, मेरा बेटा भी इंजीनियर बनेगा फिर विदेश मे कमाने जाएगा, इसीलिए उसे मै कुछ नहीं कह सकता हूँ। चलो मेरे घर ना सही, मेरे पड़ोसी के घर मे ही एक मसीहा पैदा हो जाय तो कितना अच्छा होगा। जहां तक मेरा विचार है, बहुत सारे वाईरस होने के बावजूद, देश मे तरक्की हुई है, लेकिन यह अपेक्षित नहीं है, इसके लिए हमे जापान से सीख लेनी चाहिए, जो द्वितीय विश्व-युद्ध मे पूरी तरह बर्बाद होने के बाद जिस जिजीविषा के साथ वहाँ के लोगो ने अपने देश-प्रेम और इच्छा शक्ति के बल पर जापान का पुन:निर्माण कर विश्व के अग्रणी देशो मे शामिल कराया, यह कबीले-तारीफ है। |
24-11-2010, 09:09 PM | #14 | |
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Re: प्राउड टू बी हिन्दुस्तानी PROUD 2 B an Indian
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सवा लाख की लाइन है बंधू ||| पर उपदेश कुशल बहुतेरे !!! |
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24-11-2010, 11:47 PM | #15 |
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Re: प्राउड टू बी हिन्दुस्तानी PROUD 2 B an Indian
अपनी मां को गाली देने से मुश्किल कोई अन्य काम नहीं है अगर आप सचमुच में उसे मां मानते हो और मां को गाली देने से ज्यादा कोई आसान काम भी नहीं है क्योंकि पता है की मां कुछ कहने वाली नहीं है.
मैंने किसी जापानी, किसी जर्मन, किसी रूसी या किसी अमरीकन को अपने देश की बुराई करते हुए नहीं सुना है. पर भारत के लोग कुछ भी कर सकते हैं. मैं एक सच्ची घटना सुनाना चाहता हूँ. "मैं हाथरस का रहने वाला हूँ और दिल्ली में अपना काम होने की वजह से वीकली हाथरस से दिल्ली आता जाता था. और अक्सर अलीगढ स्टेशन से मैं ट्रेन लिया करता था. उस ट्रेन से ज्यादातर लोग वही जाया करते हैं जिनको दिल्ली नौकरी करने या काम के सिलसिले में सुबह जाकर शाम को लौट आना होता है. ट्रेन कर किराया काफी कम था और सरकार ने सुबह सुबह ही करीब तीन या चार ट्रेन उस समय चला रखी थीं. किराया भी कम था और mst (मंथली सीजन टिकट) वाले लोगों को और भी कम पड़ता था. मैं हमेशा की तरह अपने आप में मस्त चाय की चुस्कियां, अख़बार और मूंगफली के मजे लेता हुआ जा रहा था कि तभी मेरे कानों में दो लड़कों का वार्तालाप पड़ा जो "इस देश में कुछ नहीं रखा है", "मैं तो कहीं भी बाहर चला जाऊंगा", "यहाँ पर कुछ भी ठीक नहीं है", यहाँ पर सब कुछ बेकार है" जैसे जुमले बार निकाल रहे थे. मैं सब कुछ जैसे तैसे बर्दाश्त ही कर रहा था और उनके इस वार्तालाप में कूदने से अपने आप को रोके हुए था. तभी डब्बे में कुछ अफरा तफरी सी मची और मैंने देखा कि वो दोनों लड़के उठ कर गेट की तरफ जाने लगे पर टिकट चैकर के हत्थे चढ़ ही गए. और उन दोनों के पास ही टिकट नहीं था." मुझे ये घटना ने अन्दर तक झकझोर दिया कि अभी कुछ देर तर सिस्टम को कोसने वाले ये दोनों लड़के जो ट्रेन में सुविधाओं की कमी का बखान भी कर रहे थे. ट्रेन की मामूली कीमत की टिकट खरीदने के अपने फर्ज से अनजान कितनी बड़ी बड़ी गालियाँ इस सिस्टम को दे रहे थे. बाहर की तारीफ करने वाले ये लड़के अगर बाहर जाते भी तो वहां पर पूरा टिकट लेते और वहां के क़ानून और सिस्टम को सहयोग करते, पर यहाँ पर सिस्टम को कोसने के अलावा कुछ काम ही नहीं है. अपने मुंह से ये शब्द निकलने से पहले कि " देश ने मेरे लिए किया ही क्या है? " ये सोच लेना चाहिए कि "मैंने इस देश के लिए क्या किया है ?" मैं भारत में ही पला बढ़ा और भारत में ही काम कर रहा हूँ. आज तक मन में ये नहीं आया कि बाहर जाकर कुछ काम करूं. ( जो लोग बाहर जाकर काम करते हैं उनके प्रति कोई दुर्भावना नहीं है क्योकि उनमें से भी ज्यादातर लोग अपने देश का पूरा ख्याल वहां रहकर भी करते हैं ). मुझे भारत में बहुत संभावनाएं नजर आतीं हैं और मुझे भी हर सच्चे भारतवासी की तरह अपने देश से बेइंतहा मोहब्बत हैं, प्यार है.
__________________
Last edited by aksh; 24-11-2010 at 11:55 PM. |
25-11-2010, 09:08 AM | #16 |
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Re: क्या आपको भारत पर गर्व है?
Get a life Man !!!
If someone don't have facts i don't have words. |
25-11-2010, 01:06 PM | #17 |
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Re: क्या आपको भारत पर गर्व है?
काफी अच्छी बहस चल रही है| चलिए मैं भी अपनी बात उठा देता हूँ यहाँ|
मुझे भी आज के भारत पर कोई खास नाज़ और फक्र नहीं है| और सही मायनो में कहा जाये तो हम लोग विश्व स्थर पर बड़ी बुरी हालत में हैं| मैं बाकि सदस्यों की तरह भावनात्मक बातें नहीं कहूँगा, केवल जो तथ्य और सबूत मेरे पास है उसे पेश करूंगा और एक बात यह भारत माता, जन्मभूमि, आन्दोलन, देश सेवा, देश प्रेम यह सब काफी हिंदी फिल्म टाइप लगता है| याद रखिये बड़ी बड़ी बातें और वादे करने के लिए हमारे यहाँ काफी neta भरे हुए है| और मुझे आज के भारत पर गर्व क्यों नहीं है मैं पॉइंट wise अपने विचार रखूंगा| यहाँ सब काफी पड़े लिखे और बुद्धिजीवी लोग है इसलिए आशा करता हूँ सब लोग प्रक्टिकल बातें करेंगे| बाकि की बातें अगले पोस्ट में| |
25-11-2010, 01:34 PM | #18 |
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Re: क्या आपको भारत पर गर्व है?
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25-11-2010, 08:50 PM | #19 |
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Re: क्या आपको भारत पर गर्व है?
मैंने सभी के विचार पड़े मुझे भी यहाँ इटली के हालात के बारे में लिखना है कल तक लिख दूँगा
वैसे मुझे भी इंडिया में सब कुछ उल्टा पुल्टा ही नज़र आता है |
25-11-2010, 09:26 PM | #20 | |
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Re: क्या आपको भारत पर गर्व है?
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जो लोग बिल सिर्फ इसलिए नहीं लेते कि कुछ पैसे टैक्स के बच जायेंगे, या बाहर जाकर नौकरी करना बेहतर समझते हैं क्योकि उनको यहाँ पर अपने लिए संघर्ष नजर आता है या फिर दुसरे देश की तारीफ़ सिर्फ इसलिए करते हैं क्योकि अपने देश को गाली देना एक फैशन बन कर रह गया है उनके लिए. मैं पूछना चाहता हूँ उन डॉक्टर्स से जो इस देश की सरकार से सब्सीडी लेकर पढ़े और डॉक्टर बनकर बाहर चले गए नोट कमाने के लिए क्या उनका अपने देश के प्रति कोई फर्ज नहीं बनता ? कोई भी देश के नेता कभी भी बाहर से नहीं आते वो सभी उसी देश में ही पैदा होते हैं या वहीँ रहकर पले बढे हुए होते हैं जहाँ की जनता के वो नेता होते हैं इसलिए उनके अन्दर वो सभी गुण होते हैं जो हम सभी के अन्दर पाए जाते हैं. धोका, मक्कारी और दगाबाजी अगर जनता का चरित्र बन गया है तो नेता ईमान दर कहाँ से लायेंगे ? आज जो लोग भारत के बारे में सिर्फ निगेटिव भोलते हैं उक्को बताना चाहता हूँ कि अब भारत सिर्फ आचार मुरब्बे बनाने वाला देश नहीं है आज भारत एक बहुत बड़ा ऑटोमोबाइल हब बन चुका है और भविष्य में और भी बड़ा बनने जा रहा है. भारत ने संचार के क्षेत्र में, कृषि के क्षेत्र में और स्टील के क्षेत्र में कितनी तरक्की की है क्या आप उसे नजर अंदाज कर सकते हो ? अनिल जी ने कौन से गलत बात कही थी जो उनको इतना बदतमीजी वाला जवाब दिया गया ? क्या सूत्रधार अपने आप को दुनिया का सबसे श्रेष्ट व्यक्ति मान कर चलता है ?. क्या उनसे भिन्न मत रखने वालों के साथ इस तरह का व्यवहार जायज है ?. विनम्रता के साथ भी ये बातें कही जा सकती थीं पर क्योकि सूत्रधार ने किसी भी व्यक्ति के साथ विनाम्त्र नहीं बरती इसलिए मैं भी उनके साथ विनम्र नहीं होना चाहता. |
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