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#21 |
Special Member
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![]() ये फिल्म फ्लॉप फिल्मों के लिए मुहावरा बन गयी २००७ में रिलीज हुई ये फिल्म थी लेखक, निर्माता, निर्देशक राम गोपाल वर्मा की ये फिल्म १९७५ में प्रदर्शित और इस देश की सबसे बड़ी हिट फिल्म मानी जाने वाली "शोले" की रीमेक थी/ ये फिल्म इस दशक की सर्वाधिक चर्चित फिल्मों में से एक थी/ शायद ही किसी फिल्म को प्रदर्शन से पहले इतना प्रचार मिला हो/ फिल्म में एक से एक धांसू अभिनेता थे :- सदी के महानायक अमिताभ बच्चन "बब्बन सिंह" के रूप में (बैड मैन) "फिल्म समीक्षक तरण आदर्श के अनुसार ये अमिताभ के सर्वश्रेष्ठ अभिनय में से एक था" दक्षिण के प्रषिद्ध राष्ट्रीय पुरस्कार विजयी अभिनेता "मोहन लाल" तीन बार के राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता "अजय देवगन" रामू की खोज "प्रशांत राज" और "निशा कोठारी" ब्रह्माण्ड सुंदरी "सुष्मिता सेन" अभिषेक और उर्मिला का आइटम नंबर इतने मसालेदार व्यंजन से बढ़िया जायके की उम्मीद भला किसे नहीं होगा पर नतीजा एकदम उल्टा हुआ, आप खुद अंदाजा लगाइए की अब कोई फिल्म फ्लॉप होती है तो कहा जाता है की ये तो रामू की आग हो गयी
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल Last edited by ndhebar; 04-12-2010 at 10:10 AM. |
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#22 |
Diligent Member
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देभार्जी, आपने आग फिल्म की सही समीक्षा की है.
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काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में प्रलय होयगी, बहुरि करोगे कब. - संत कबीर |
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#23 |
Member
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![]() इस बार एक multistarer फ्लॉप फिल्म....
ॐ जय जगदीश अच्छे एक्टर अच्छे निर्देशक भी हों ये ज़रूरी नहीं,इसी बात का साक्षात प्रमाण है ये फिल्म. एक्टर अनुपम खेर की एक निर्देशक के रूप में शुरुआत थी ये फिल्म . जिसके लिए उन्होंने चुना अनिल कपूर,अभिषेक बच्चन, फरदीन खान को. इस फिल्म में ११ वर्षों के बाद वहीदा रहमान ने फिर से फिल्म industry में पुनरागमन किया था. लेकिन दर्शक तो सिर्फ अच्छी कहानी देखना चाहते हैं मात्र. इस फिल्म में तीन भाइयों के बीच मतभेद और फिर उनके समाधान की वोही घिसी पिटी कहानी थी, जिसे पहले भी कई बार देखकर दर्शक उकता चुके थे. अनुपम खेर के लिए ये फिल्म एक दुस्वपन बन कर रह गयी. फिल्म बुरी तरह से फ्लॉप हुयी और उनके निर्देशक बनाने का सपना चकनाचूर हो गया . यही नहीं उन्हें फिर से फिल्म industry में एक अभिनेता के रूप में अपने पाँव ज़माने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. |
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#24 | |
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#25 | |
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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#26 |
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![]() जी हाँ एक बार फ्लॉप फिल्मों की इस श्रंखला में एक बार फिर से विराजमान हैं अपने ऋतिक रोशन,करीना और अभिषेक के साथ,फिल्म.... मैं प्रेम की दीवानी हूँ..... इतने सारे इतने बड़े सितारे,सूरज बडजात्या का निर्देशन और राजश्री PRODUCTION का नाम,फिर भी गलती कहाँ हुयी? ये शायद कोई नहीं समझ पाया. सूरज ने तो अपनी फिल्मों की पारिवारिक छवि तोड़ते हुए करीना को बिकनी तक पहना दी , मगर फिल्म को नहीं चलना था और नहीं चली. ऋतिक ने इस फिल्म में जम कर ओवर ACTING की उसकी तुलना में अभिषेक का अभिनय काफी संयत था. सूरज या तो समझ नहीं पाए या समझना चाह ही नहीं की दर्शक प्रेम त्रिकोण देख-देख कर ऊब चुके हैं और वो फिल्म में नयापन चाहते हैं, जो इस फिल्म में नदारद था. फिल्म का संगीत बहुत अच्छा था और इसके सारे गाने हिट हुए,द्रश्यांकन भी बहुत सुन्दर था. मगर फिर भी फिल्म को मिला तो सिर्फ "फ्लॉप का ठप्पा" |
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#27 |
Special Member
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अभिषेक बच्चन के कैरियर की शुरूआती दर्जन भर से ज्यादा फिल्मे फ्लॉप हुई थी; ये सब उन्ही में से हैं|
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Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| ![]() मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
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#28 |
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२००८ में एक फिल्म आई थी
बड़ा बैनर, बड़े बड़े सितारे, खूब धूम धड़ाके वाला संगीत दर्शकों में भारी उत्सुकता फिल्म थी कलाकार : अनिल कपूर, अक्षय कुमार, सैफ अली खान, करीना कपूर बैनर : देश का सबसे प्रतिष्ठित बैनर यशराज फिल्म्स फिल्म को देश में लगभग सभी जगह जबरदस्त ओपनिंग मिली पर ये सभी चीजें मिलकर भी फिल्म की लुटिया डूबने से नहीं बचा पाई चुक कहाँ हुई दर्शको को हल्के में लिया और सोचा कुछ भी दिखा देगें "कि फरक पैंदा है" अनिल कपूर की अंग्रेजी ने भी फिल्म को डुबाने में भारी सहायता की ऊपर से अक्षय का सुपरमैन वाला अवतार
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#29 |
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![]() ]फ्लॉप फिल्मों की श्रंखला की अगली कड़ी एक ऐसी फिल्म जिस का नाम ही दुविधा में डालने वाला है....
टार्ज़न नाम से तो ये कोई jungle की बी ग्रेड फिल्म होने का एहसास कराती है,पर यहाँ ऐसा मामला नहीं था. ये फिल्म एक hollywood फिल्म से नक़ल मार कर बनायीं गयी थी. अब्बास मस्तान जैसे directors का नाम जिस फिल्म से जुड़ा हो, उसे हम हलके में नहीं ले सकते. उनके बनांये गए थ्रिलर कितने बड़े हिट साबित होते हैं,ये तो सभी जानते हैं. मगर ये फिल्म क्या थी शायद ये वो दोनों ही बखूबी समझ सखे थे,क्यूंकि वो इसे थ्रिलर बनाना चाहते थे या कॉमेडी या बच्चों के लिए,इसमें वो खुद ही दुविधा में थे. फिल्म सभी का mixture बन गयी. फिल्म के प्रचार में पैसा पानी की तरह बहाया गया. मशहूर कार designer दिलीप चौरसिया (dc ) से taarzan नाम की ये कार स्पेशल डिजाईन कराई गयी , फिर इसे पूरे देश के सभी बड़े शहरों में भी प्रदर्शित किया गया. मगर ऐसा करने से क्या फ़िल्में हिट हो जाती हैं,बेचारे यही नहीं समझ सके. फिल्म से अगर किसी का भला हुआ तो आयशा टाकिया का जिसे बेस्ट debut अभिनेत्री का अवार्ड मिल गया. |
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#30 | |
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