29-04-2013, 09:57 PM | #131 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
मनु माणकुनिरमोलु है राम नामि पति पाइ ॥ मिलि सतसंगति हरि पाईऐ गुरमुखि हरि लिव लाइ ॥ आपुगइआ सुखु पाइआ मिलि सललै सलल समाइ ॥२॥ जिनि हरि हरि नामु न चेतिओ सु अउगुणिआवै जाइ ॥ जिसु सतगुरु पुरखु न भेटिओ सु भउजलि पचै पचाइ ॥ इहु माणकु जीउ निरमोलु हैइउ कउडी बदलै जाइ ॥३॥ जिंना सतगुरु रसि मिलै से पूरे पुरख सुजाण ॥ गुर मिलि भउजलुलंघीऐ दरगह पति परवाणु ॥ नानक ते मुख उजले धुनि उपजै सबदु नीसाणु ॥४॥२२॥ |
29-04-2013, 09:57 PM | #132 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
सिरीरागुमहला १ ॥
वणजु करहु वणजारिहो वखरु लेहु समालि ॥ तैसी वसतु विसाहीऐ जैसी निबहै नालि ॥ अगै साहु सुजाणु है लैसी वसतु समालि ॥१॥ भाई रे रामु कहहु चितु लाइ ॥ हरि जसु वखरु लै चलहुसहु देखै पतीआइ ॥१॥ |
29-04-2013, 09:57 PM | #133 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
रहाउ ॥
जिना रासि न सचु है किउ तिना सुखु होइ ॥ खोटै वणजि वणंजिऐ मनुतनु खोटा होइ ॥ फाही फाथे मिरग जिउ दूखु घणो नित रोइ ॥२॥ खोटे पोतै ना पवहि तिन हरि गुरदरसु न होइ ॥ खोटे जाति न पति है खोटि न सीझसि कोइ ॥ खोटे खोटु कमावणा आइ गइआ पति खोइ॥३॥ नानक मनु समझाईऐ गुर कै सबदि सालाह ॥ राम नाम रंगि रतिआ भारु न भरमु तिनाह ॥ हरि जपि लाहा अगला निरभउ हरि मन माह ॥४॥२३॥ |
29-04-2013, 09:57 PM | #134 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
सिरीरागु महला १ घरु २ ॥
धनु जोबनुअरु फुलड़ा नाठीअड़े दिन चारि ॥ पबणि केरे पत जिउ ढलि ढुलि जुमणहार ॥१॥ रंगु माणि लैपिआरिआ जा जोबनु नउ हुला ॥ दिन थोड़ड़े थके भइआ पुराणा चोला ॥१॥ |
29-04-2013, 09:57 PM | #135 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
रहाउ ॥
सजण मेरे रंगुलेजाइ सुते जीराणि ॥ हं भी वंञा डुमणी रोवा झीणी बाणि ॥२॥ की न सुणेही गोरीए आपण कंनीसोइ ॥ लगी आवहि साहुरै नित न पेईआ होइ ॥३॥ नानक सुती पेईऐ जाणु विरती संनि ॥ गुणा गवाई गंठड़ी अवगण चली बंनि ॥४॥२४॥ |
29-04-2013, 09:57 PM | #136 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
सिरीरागु महला १ घरु दूजा २ ॥
आपेरसीआ आपि रसु आपे रावणहारु ॥ आपे होवै चोलड़ा आपे सेज भतारु ॥१॥ रंगि रता मेरा साहिबुरवि रहिआ भरपूरि ॥१॥ |
29-04-2013, 09:58 PM | #137 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
रहाउ ॥
आपे माछी मछुली आपे पाणी जालु ॥ आपे जाल मणकड़ा आपेअंदरि लालु ॥२॥ आपे बहु बिधि रंगुला सखीए मेरा लालु ॥ नित रवै सोहागणी देखु हमारा हालु॥३॥ प्रणवै नानकु बेनती तू सरवरु तू हंसु ॥ कउलु तू है कवीआ तू है आपे वेखि विगसु ॥४॥२५॥ |
29-04-2013, 09:58 PM | #138 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
सिरीरागु महला १ घरु ३ ॥
इहु तनु धरती बीजु करमा करो सलिल आपाउ सारिंगपाणी ॥ मनुकिरसाणु हरि रिदै जमाइ लै इउ पावसि पदु निरबाणी ॥१॥ काहे गरबसि मूड़े माइआ ॥ पित सुतोसगल कालत्र माता तेरे होहि न अंति सखाइआ ॥ |
29-04-2013, 09:58 PM | #139 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
रहाउ ॥
बिखै बिकार दुसट किरखा करे इन तजिआतमै होइ धिआई ॥ जपु तपु संजमु होहि जब राखे कमलु बिगसै मधु आस्रमाई ॥२॥ बीस सपताहरोबासरो संग्रहै तीनि खोड़ा नित कालु सारै ॥ दस अठार मै अपर्मपरो चीनै कहै नानकु इव एकु तारै ॥३॥२६॥ |
29-04-2013, 09:58 PM | #140 |
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Re: Siri Guru Granth Sahib in Devanagari
सिरीरागु महला १ घरु ३ ॥
अमलु करि धरती बीजु सबदो करि सच की आब नित देहिपाणी ॥ होइ किरसाणु ईमानु जमाइ लै भिसतु दोजकु मूड़े एव जाणी ॥१॥ मतु जाण सहि गली पाइआ॥ माल कै माणै रूप की सोभा इतु बिधी जनमु गवाइआ ॥१॥ |
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