23-05-2013, 08:42 PM | #1 |
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मैंने लाशों के बीच में कई बरस गुज़ारे हैं
मैंने लाशों के बीच में कई बरस गुज़ारे हैं
लेकिन जानता हूं उन लाशों के बीच भी जिंदगी की कोपलें खिलती हैं फिर एक लड़की एक लड़के से मुहब्बत करती है फिर एक बच्चा इस दुनिया में आता है फिर से कोई माँ अपने बच्चे को चूमती है हम फिर से मुस्कुराते हैं बम गिरते हैं घर मलबे में बदल जाते हैं फिर उस मलबे से एक फूल का पौधा निकलता है जिंदगी फिर जीत जाती है हम कितनी भी कोशिश कर लें हमारी नफ़रत नहीं जीतती मुहब्बत जीत जाती है जिंदगी को ध्यान से देखो ये खुद को बचाने के लिये ही आपको मजबूर करती है जिंदगी खुद को चलाती रहेगी ये हर जंग के बाद फिर से नई जिंदगियों को जन्म देगी उनमे मुह्ह्ब्त की हिलोर भरेगी और खुद को आगे बढाएगी लेकिन जिंदगी बची रहे इसलिये जिंदगी को मिटाने वालों के सामने लालच और क्रूरता के सामने खड़े हो जाना और उनसे लड़ना जिंदगी की मुखालिफत नहीं है जो जिंदगी से मुहब्बत करते हैं वो जिंदगी को बर्बाद करने वाली हर बात को मिटाने की एक मुसलसल लड़ाई में लगे रहते हैं
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