18-06-2013, 09:13 PM | #1 |
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बारिश के रूप में क्यों कहर बरपा रही है कुदर&am
मानसून की बेरुखी और सक्रियता का क्*या है राज वैसे तो हमेशा से मानसून की गति और उसकी मजबूती को लेकर संशय बना रहता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में इसकी गति और सक्रियता कुछ ज्*यादा ही अनिश्चित हो गई है। मौसम विज्ञानी इसके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्*मेदार ठहरा रहे हैं। दुनिया के औसत तापमान में वृद्धि के कारण हिंद महासागर के ऊपर गर्मी बढ़ रही है* और इस कारण वहां की हवा में नमी की मात्रा में भी वृद्धि हो रही है। हवा में नमी बढ़ने के कारण उसका भार भी बढ़ जाता है और इस कारण इस मौसम में हवा समुद्री इलाकों से मैदानी इलाकों की तरफ बहने लगती है, जिसे हम मानसून कहते हैं। यह हवा जैसे-जैसे आगे बढ़ती है वैसे बारिश कम होती जाती है। इसी कारण तटीय इलाकों में भारी बारिश जबकि समंदर से दूर के इलाकों में कम बारिश होती है। जानकारों के मुताबिक तापमान में वृद्धि के कारण हिंद महासागर के ऊपर नमी युक्*त हवा का दबाव बढ़ा है और इस कारण देश में होने वाली औसत बारिश में 5 से 10 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। वैसे सभी मौसम विज्ञानी इस तर्क से सहमत नहीं है। लेकिन वैज्ञानिकों का यह गणित अगर सही है तो बारिश में 5 से 10 फीसदी की वृद्धि से देश और दुनिया की हालत में काफी बदलाव हो सकता है। |
18-06-2013, 09:14 PM | #2 |
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Re: बारिश के रूप में क्*यों कहर बरपा रही है कुदë
बढ़ेगी खरीफ फसल की पैदावार
देश के जीडीपी में कृषि का योगदान करीब 15 फीसदी है। जानकारों का कहना है कि समय से पहले आई मानसून के कारण फसलों की बुआई भी पहले होगी और इस तरह फसलों के तैयार होने या पकने के* लिए पर्याप्*त समय मिलेगा। इससे कुल उत्*पादन का बढ़ना तय है। मानसूनी बारिश के कारण चावल, गन्*ना, सोयाबीन, मक्*का और कपास का उत्*पादन बढ़ना तय है। जानकार यह भी कह रहे हैं कि शुरुआत में हुई अच्*छी बारिश के कारण सूखा प्रभावित क्षेत्रों की मिट्टी मुलायम हुई और यहां भी उत्*पादन बढ़ना तय है। |
18-06-2013, 09:14 PM | #3 |
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Re: बारिश के रूप में क्*यों कहर बरपा रही है कुदë
पूर्वी राज्*यों में धान के बंपर पैदावार की संभावना
दक्षिणपूर्व मानसून के समय से पहुंचने के कारण पूर्वी राज्*यों में इलाकों के किसान खुश हैं। प्रमुख चावल उत्*पादक राज्*यों असम, बिहार, छत्*तीसगढ़, झारखंड, उडि़सा, पूर्वी उत्*तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में ब्रिंगिंग ग्रीन रिवोलूशन टू इंस्*टर्न इंडिया' (बीजीआरईआई) नामक प्रोग्राम को शुरू करने के बाद से इन राज्*यों में चावल उत्*पादन में पिछले तीन सालों में करीब 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ये सातों राज्*य आज की तारीख हर साल औसत 556.2 लाख टन चावल का उत्*पादन कर रहे हैं। देश में हर साल औसतन एक करोड़ पांच लाख टन चावल का उत्*पादन होता है। |
18-06-2013, 09:14 PM | #4 |
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Re: बारिश के रूप में क्*यों कहर बरपा रही है कुदë
हमें क्*यों रहती है मानसून की बेशब्री से इंतजार
दुनिया में अगर मानसून के आने का सबसे ज्*यादा इंतजार किसी को रहता है वो हैं हम भारतीय। सामान्*य मानसून की खबर सुन कर हर भारतीय गदगद हो जाता है। दरअसल, सदियों से मानसून बारिश हमारी अर्थव्*यवस्*था के साथ हमारे जीवन को अर्थपूर्ण बनाती रही है। हमारे लिए समय पर मानसून का आना किसी उत्*सव से कम नहीं है। इसमें थोड़ी देरी या मानसूनी बारिश में कमी के साथ करोड़ों लोगों की जिंदगियां प्रभावित होती है और अर्थव्*यवस्*था पर इसका बुरा असर पड़ता है। जून से सितंबर तक देश के 55 फीसदी खेतों में बोई गई फसल के लिए जरूरी है। ये क्षेत्रों में मानसूनी बारिश के अलावा सिंचाई का कोई दूसरा साधन नहीं है। इससे आप समझ सकते हैं कि क्*यों करोड़ों लोग मानसून के पीछे पागल रहते हैं |
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