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![]() नये दिगदर्शक भी अपना काम दिखा रहे थे । लेकिन साथ साथ बोलिवुड की हालत ब़िगड रही थी । क्रिएटीवीटी मानो कम ही हो गई थी । एक दो गीने चुने दिग्दर्शको के अलावा अब हालात थोडे से खराब है । अब फिल्में केवल बोक्स ओफिस कलेक्शन से अच्छी या बुरी मानी जाती है। क्या बिझनस ही सब कुछ है? क्या फिल्म एक कला नहि है? हरबार फिल्म देखने से पहेले दिमाग घर पे रख के जाना होगा? क्या एक्की-दुग्गी फिल्मो के अलावा टेलेल्ट खत्म हो गया है? हमें अब तक होलीवुड तक ना सही लेकिन चीन, रशियन फिल्मो से आगे निकल जाना चाहिए था या नहि? क्या फिल्मे भारत के बाहर भारत का एक रूप प्रदशित नहिं करती? |
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#2 |
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कोई अपना प्रतिभाव देना चाहेगा?
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फिल्म, बोलिवुड, bollywood, film |
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