21-01-2013, 04:08 PM | #41 |
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Re: चलो पी के टल्ली हो जाएँ ..............
उन दिनों हरियाणा में चौधरी बंसी लाल की सरकार थी जिसने मद्य निषेध लागू कर रखा था. इस नीति के कारण शराब पीने वालों को अधिक अंतर नहीं पड़ा. शराब बंदी के कुछ ही दिनों बाद लोगों को शराब की होम डिलीवरी अर्थात घर तक पहुंचाई की सुविधा शुरू हो चुकी थी. आपकी पसंद का ब्रेंड वाजिब कीमत पर मुहैया करवाया जा रहा था. शराब की घोर तस्करी आरम्भ हो चुकी थी और नकली शराब का धंधा भी चल निकला था. पड़ौसी राज्यों से शराब की तस्करी के काम में बच्चे और महिलायें तक जुड़ गए थे. इस सारे प्रकरण का नतीजा यह निकला कि करोड़ों रूपये के राजस्व की हानि तो हुयी ही, काले धन की भी निरंकुश बढ़ोत्तरी हुयी. |
21-01-2013, 06:52 PM | #42 | |
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Re: चलो पी के टल्ली हो जाएँ ..............
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अभिषेक जी और रजनीश जी, आप दोनों महानुभावों को सूत्रभ्रमण एवं जीवंत प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार। इस सूत्र के माध्यम से मैंने अंतरजाल से प्राप्त मदिरा सम्बंधित कुछ जानकारी को साझा किया है। धन्यवाद बंधुओं।
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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23-01-2013, 07:49 PM | #43 |
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Re: चलो पी के टल्ली हो जाएँ ..............
[1] बिटर जड़ी-बूटियों और फलों के रस के मिश्रण से बने एल्कॉहलिक पेय को कहते हैं। इसका स्वाद कड़वा या कड़वा मीठा होता है। इसका प्रयोग कॉकटेल में एक अलग प्रकार का स्वाद लाने में होता है।
[2] जिन (Gin) जूनिपर बेरी और अनाजों से बनाई जाने वाली रंगहीन स्प्रिट है। [3] वरमूथ (Vermouth) इटली की प्रसिद्ध फ़ोर्टीफ़ाइड वाइन है जिसमें सुगन्धित जड़ी बूटियाँ और मसाले मिले होते हैं। बिना मीठी वरमूथ को ड्राई वरमूथ कहते हैं। [4] एक आउन्स में लगभग 30 मिली लीटर होते हैं (1 US fluid ounce = 29.5735296 ml) [5] टेक़ीला या टक़ीला (Tequila) मैक्सिको में अगेव नामक पौधे से बनाई जाने वाली मदिरा है। [6] ट्रिपल सेक (Triple sec) एक सन्तरे के स्वाद की मीठी मदिरा अर्थात लिकूर (liqueur) है। जो सूखे सन्तरे के छिलकों को ब्रांडी या लाइट रम में डालकर बनाया जाता है। [7] वॉस्टरशियर सॉस (Worcestershire sauce) लहसुन, इमली, सोय सॉस, प्याज, सिरका, शीरा और नींबू आदि से मिलकर बना होता है। इसे सर्वप्रथम अंग्रेजों ने भारत में बनाया था और इसका नाम एक ब्रिटिश काउन्टी के नाम पर है जहाँ यह सबसे पहले बोतल बंद हुआ। [8] टबास्को सॉस (Tabasco sauce) अमेरिका में पायी जाने वाली एक प्रकार की विशेष लाल मिर्च (टबास्को) और सिरके से बनाया जाता है।
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11-09-2013, 06:48 PM | #44 |
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Re: चलो पी के टल्ली हो जाएँ ..............
मेरे पास दारु पीने को कितने बहाने हैं ! आज शाम उदास है इसलिए पी लेता हूँ, आज 'एलियन' बहुत याद आ रही है इसलिए पी रहा हूँ, आज नौकरी नहीं मिली इसलिए... तो आज तुम मेरे साथ नहीं हो इसलिए...
अब तो दिल करता है अपना ऊपर ब्लेड ही चला लूँ और अपना ही खून पीउं, वैसे भी इतने दिनों में खून शराब में तब्दील नहीं हुई होगी क्या ? नशे में जब माथा घूमता है तो लगता है पूरा शहर मेरे साथ घूम रहा है... सारी सृष्टि मेरे साथ नाच रही है. जिस्म के अन्दर जो तट है उसके वहां मजधार से आती कितने सुनामी हैं... यह आती हैं और बसे-बसाये सभी झोपड़ियों को तहस-नहस कर देती हैं... दादी, लगता है जैसे यह धोबी है और मुझे कपडे जैसे पटक-पटक के धो रही है तभी इतना बेरंग हुआ हूँ कि अब कोई रंग मुझ पर नहीं चढ़ता... ये बेरंगी उसी मजधार से आई है. हाँ - हाँ ! वही मजधार जहाँ उसने मुझे छोड़ा था. कोई कितना नशे में है यह उसने पैर के अंगूठे पर खड़े रह कर कांपने से सिखलाया था... अभी बीती सर्दी में मैं लिहाफ ओढ़कर लोन में नंगे पाँव चलता था... मस्जिद की सीढियाँ अभी भी मैं उन्ही कांपते पैरों से अपराधी की तरह चढ़ता हूँ... सोने के लिए मैं जम कर कसरत करता हूँ, एक एक बाल से पसीने का सोता बहता है; नींद फिर भी गायब है, लगातार तीन सिगरेट पीने पर हलक सूख गयी है पर... मैं पार्क में बच्चों के साथ लगातार चार चक्कर लगा लेता हूँ.. इसे अब नशा मापने का पैमाना क्यों नहीं माना जाता ? तो अब मेरा ख्याल है उसने नशा मापने का पैमाना बदल दिया होगा. मेरा दोस्त कहता है अब मोटे पर्स में नशा होता है ? नहीं-नहीं दादी मैं अब भी मान नहीं पाता... "है इसी में प्यार की आबरू, वो ज़फा करें मैं वफ़ा करूँ" फ्रिज में पड़े शराब की बोतलों पर कुछ ठंढी बूंदें ठहरी हैं, प्यास वाले वो दिन खत्म हो गए... फिलहाल यह रेड वाइन ही प्यास भरी नज़रों से मुझे देखती है, देखो! हाँ हाँ देखो-देखो तुमको भी इसमें तैरता एक खलनायक दिखेगा... दिखा ? दिखा ना ??... मैं सोचता हूँ आज इस ग़म में मैं पी लूँ... पर ऐसे ही अब मुझे यह पी जाएगी. लगता है वो अभी-अभी उठ कर गयी हो... मेरे कुर्ते पर उसके खाए हुए बादाम के छिलके बिलकुल ताज़े हैं... शराब फिलहाल मुझे उसके बालों की फीते की याद दिला रही है... इस मौसम में जब मैं अपने सूखते होंठों पर जीभ फेरता हूँ तो मुझे उसके मोज़े उतारे हुए गुलाबी पैर याद आते हैं... ... और सुनामी फिर से आ रही है.
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12-09-2013, 12:12 AM | #45 |
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Re: चलो पी के टल्ली हो जाएँ ..............
वाह वाह बहुत खूब.
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