18-09-2013, 05:36 PM | #1 |
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ये ज़िंदगी तो जैसे-तैसे गुज़र ही जाएगी.!!
हुस्न-ओ-शबाब से यूँ जी चुराईए ना.!! और होंगे जो देख जलवा मचलते नहीँ.! कम्बख़त दिल में अरमान जगाइए ना.!! एक जवानी उस पर ये क़ातिल अदा.! जान ले इल्ज़ाम और सिर लगाइए ना.!! मुश्क़िल से सुलगता जिस्म ठंडा किया.! फूंस में चिंगारी से यूँ आग लगाइए ना.!! झुलफो के पीछे महताब छिपा रखा करो.! चेहरा दिखा सबको चाँदनी बिखराईए ना.!! ये ज़िंदगी तो जैसे-तैसे गुज़र ही जाएगी.! सागर’में मार कंकड़ हलचल मचाईए ना.!! In madbhari aankhoN se nasha karaiye na.! Husn-o-shabaab se yun jee churaiye na.!! Aur honge jo dekh jalawa machalte nahiN.! Kambakhat dil mein armaan jagaiye na.!! Ek jawaani us par ye qaatil adaa.! Jaan le ilzaam aur sir lagaaiye na.!! Mushqil se sulagata jism thanda kiya.! funs mein chingarise yun aag lagaiye na.!! Jhulfo ke piche Mehtab chipa rakha karo.! Chehra dikha sbko chandani bikhraiye na.!! Ye Zindgi to jese-tese guzar hi jaayegi.! Sagar‘mein mar kankad halchl mchaiye na.!!
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Advo.Ravinder Ravi "Sagar" |
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