20-09-2013, 08:25 PM | #10 |
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
सुन्दर गीत / कविता के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, मित्र.
चलिए अन्ताक्षरी की ओर आते हैं: रगे-संग से टपकता वो लहू कि फिर न थमता जिसे ग़म समझ रहे हो ये अगर शरार होता |
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अन्ताक्षरी, कविता, गजल, गीत, शायरी, शेर, antakshari |
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