|
15-05-2014, 03:37 PM | #1 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: बॉलीवुड शख्सियत
ऐसे ही महमूद को तरह-तरह की विचित्र आवाजें निकालने का बेहद शौक था. फिल्म प्यार किए जा में उन्होंने लैंग्वेज से इफेक्ट पैदा किया था- टोइंग-टोइंग.... वाव्व-वाव्व.....कु्रड-कु्रड कच-कच-कच......श्मशान की भयाकनता वह शब्दों के मार्फत बताना चाहते थे. हिन्दी सिनेमा में कॉमेडियन की लंबी परंपरा रही है. लेकिन सबसे अधिक फिल्मों में सबसे अधिक नाना-प्रकार के रोल करना उनके ही खाते में दर्ज है
बचपन बॉम्बे टॉकीज के आंगन में महमूद का जन्म 29 सितम्बर 1932 को मुंबई के बायुकला इलाके में हुआ था. उनके पिता मुमताज अली बॉम्बे टॉकीज में नर्तक-अभिनेता थे. महमूद का बचपन अपने पिता के साथ स्टूडियो में बीता. स्टूडियो में खेलना-कूदना और मौज-मस्ती करना उन्हें पसंद था, लेकिन फिल्मों में एक्टिंग की रूचि कतई नहीं थी. पतंग उड़ाना, दोस्तों के साथ बगीचों से आम चुराना, काजू खाना उन्हें अच्छा लगता था. छुटपन में महमूद ने अपने हुड़दंगी साथियों का एक गुट बना रखा था. वह सभी मिलकर अपने से बड़ों का मजाक बनाने और नकल करने में माहिर थे. बॉम्बे टॉकीज की फिल्मों में काम करने वाले कलाकार अक्सर अपनी मोटर-कार भेजकर महमूद को बुलवाते और हंसी-मजाक से अपना मनोरंजन करते थे. महमूद ने कई बार घर से भागने की कोशिश की थी. एक बार पकड़े गए, तो मां ने नाराज होकर कहा- 'ये जो कपड़े पहने हो, तुम्हारे अब्बा के हैं. यहीं उतार कर जाओ.' और सचमुच में महमूद ने अपने बदन से सारे कपड़े उतार दिए और नग्न अवस्था में घर छोड़ दिया.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
15-05-2014, 03:39 PM | #2 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: बॉलीवुड शख्सियत
मीना कुमारी की बहन माधुरी से निकाह
घर से भागकर महमूद ने कई छोटे-मोटे काम किए जैसे अण्डे बेचना और मुर्गी के चूजे सप्लाई करना आदि. मीना कुमार को टेबल टेनिस खेलने की ट्रेनिंग भी महमूद ने दी थी. मीना के घर आना-जाना बढ़ा तो उनकी छोटी बहन माधुरी से 1953 में निकाह कर लिया. जब जिंदगी और परिवार के प्रति गंभीर हुए तो फिल्मों में छोटे-मोटे रोल करने लगे. लेकिन किसी निर्माता-निर्देशक को यह पता नहीं चलने दिया कि वह मीना कुमारी के बहनोई हैं. बॉम्बे टॉकीज की फिल्म किस्मत (1943) में अशोक कुमार के बचपन का रोल महमूद ने किया है. इसके बाद किशोर साहू की फिल्म सिंदूर (1947) में एक भूमिका निभाई. अब तक महमूद की बहन मीनू मुमताज एक प्रसिद्ध अभिनेत्री बन चुकी थी. मगर यहां भी उन्होंने अपनी खुद्दारी कायम रखी और बहन के नाम का इस्तेमाल नहीं किया. ऐसा कहा जाता है कि बीआर चोपड़ा की फिल्म एक ही रास्ता (1953) में उन्हें जो रोल ऑफर हुआ था, उसकी वजह मीना कुमारी थी, जो फिल्म की नायिका थी. महमूद ने अपना रास्ता बदल लिया.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
15-05-2014, 04:03 PM | #3 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: बॉलीवुड शख्सियत
अशोक कुमार की सलाह
बॉम्बे टॉकीज के समय से ही महमूद दादा मुनि यानी अशोक कुमार के फेवरेट हो गए थे. उन्होंने अपनी फिल्म बादबान (1954) तथा बंदिश (1955) में महमूद को काम दिया. एक बार उन्होंने महमूद को पास बैठाकर कर कहा कि तुम्हारे ललाट पर त्रिशूल का निशान है. भगवान शिव तुमसे प्रसन्न हैं. इसलिए फिल्मों के किरदार के नाम महेश रख कर काम किया करो. महमूद ने ऐसा ही किया. महमूद को फिल्में तो मिलती चली गईं मगर ऐसा रोल नहीं मिला, जिससे उनकी पहचान बन सके. जॉनी वाकर ने महमूद की मदद की. गुरुदत्त की फिल्म सीआईडी (1956) में एक हत्यारे का रोल किया. फिल्म प्यासा (1957) में गुरुदत्त के भाई का रोल निभाया, जो गुरुदत्त को घर से बाहर कर देता है. अभिमान तथा हावड़ा ब्रिज फिल्म में भी महमूद ने काम तो किया मगर किस्मत चमक नहीं पाई.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
15-05-2014, 04:25 PM | #4 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: बॉलीवुड शख्सियत
सुसराल से बने कॉमेडियन
महमूद को लाइमलाइट में लाने वाली फिल्म थी परवरिश (1958). इसमें वह राज कपूर के हंसोड़ छोटे भाई बने थे. इस फिल्म के बाद उन्हें लंबे और महत्वपूर्ण रोल ऑफर होने लगे. छोटी बहन (1959), कानून (1960) तथा मैं और मेरा भाई (1961). इसके बाद आई राजेन्द्र कुमार – बी. सरोजा देवी अभिनीत फिल्म ससुराल (1961). इसमें उनका कॉमेडियन का रोल था, जो सीन चुराकर ले गया. शुभा खोटे उनके अपोटिज थी. दोनों की जोड़ी आगे चलकर हिट हुई. महमूद ने इसमें एक यादगार गाना गाया था- अपनी उल्फत पे जमाने का ना पेहरा होता. शुभा खोटे- महमूद की मैजिकल केमिस्ट्री को दर्शकों ने बेहद पसंद किया. इनकी टीम बाद में दिल तेरा दीवाना, गोदान, गृहस्थी, भरोसा, हमराही, बेटी-बेटे, जिद्दी और लव इन टोकियो में लगातार दिखाई दी. कॉमेडियन की इस जोड़ी ने थर्ड-एंगल के बतौर धुमाल को जोड़ देने से नौटंकी ज्यादा धमाकेदार हो गई. फिल्म ससुराल का गीत "अपनी उल्फ़त पे ज़माने का न पहरा होता .." महमूद और शोभा खोटे पर फिल्माया गया था ^ ^ फिल्म ससुराल के पोस्टर
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 15-05-2014 at 05:15 PM. |
Bookmarks |
Tags |
bollywood personalities, johny walker, manna dey, mehmood, nimmi निम्मी, prithviraj kapoor, rafi, raj kapoor, rajnish manga, shankar jaikishan, shashi kapoor, sohrab modi, veena |
|
|