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#1 |
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#2 |
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अत्यंत रोचक आलेख. मीन-मेख के लिए एक अन्य शब्द भी प्रयुक्त होता रहा है. यह शब्द है "परछिद्रानुरंजन" अर्थात दूसरे व्यक्ति में या उसके कार्य में कमियाँ ढूंढ कर अपना दिल खुश करना.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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#3 |
Diligent Member
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वाह, क्या बात है! ‘परछिद्र’ का अर्थ ‘दूसरों का दोष’ है. अनुरंजन का अर्थ ‘मन-बहलाना’ हुआ. अतः ‘परछिद्रानुरंजन’ का अर्थ हुआ- दूसरों के दोषों से मन बहलाना. वाक्य-प्रयोग इस प्रकार हुआ- मीन-मेख निकालने से उसका परछिद्रानुरंजन होता है. क्या दोनों शब्द अलग नहीं लग रहे आपको? बड़ी मुश्किल से मैंने आपकी टिप्पणी में मीन-मेख निकालने में सफलता अर्जित की है. अब मेरी टिप्पणी पर कुछ मीन-मेख निकालकर प्राप्त सफलता को विफलता में परिवर्तित करने की दया-कृपा करें.
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#4 |
Super Moderator
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आप मीन-मेख भी तो दूसरों की ही निकालते हैं. किस लिये ? अपने अहम् की तुष्टि के लिये. इसलिए मेरे लिए दोनों शब्द समानार्थक ही हैं. बाकी जहाँ तक आपकी मीन-मेख करने का सवाल है, यहाँ उसकी कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि आप एक विषय पर आलेख प्रस्तुत कर रहे हैं न कि किसी की मीन-मेख कर रहे हैं. धन्यवाद.
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#5 |
Special Member
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अपने समाज का तो काम ही ये है चाहें कोई भी कितना अच्छा काम क्यों न करे लेकिन जिनको गलती निकालनी है वो तो निकल के रहेगा।
इस सन्दर्भ में एक चुटकुला काफी चर्चित है, कहने को तो चुटकुला है लेकिन समझने वाले समझ जाते हैं। हो सकता है प्रस्तुत किया हुआ चुटकुला उदहारण पे सही ना बैठता हो। BOSS :-अगर मेरे हवाई जहाज़ में 50 ईंटे हो और मैं एक नीचे फ़ेंक दूं तो कितने बचेंगे ? Employee :- 49 BOSS :-तीन वाक्य में बताओ कि हाथी को फ्रीज़ में कैसे रखा जाये ? Employee :- (1) फ्रीज़ खोलिए, (2) हाथी को उसमे रखिये और (3) फ्रीज़ बंद कर दीजिये ! BOSS :-अब 4 वाक्य में बताओ कि हिरन को फ्रीज़ में कैसे रखा जाये ? Employee :- (1) फ्रीज़ खोलिए (2 ) हाथी को बाहर निकालिए (3) हिरन को अन्दर रखिये 4)फ्रीज़ ...बंद कर दीजिये! BOSS :-आज जंगल में शेर का जन्मदिन मनाया जा रहा है, वहां एक को छोड़ कर सब जानवर मौजूद है, बताओ कौन गैरमौजूद है? Employee :- हिरन, क्योंकि वो फ्रीज़ में बंद है ! BOSS :- बताओ, एक बूढी औरत मगरमच्छो से भरी तालाब को कैसे पार कर सकती है ? Employee :- बड़े आसानी से, क्योंकि सारे मगरमच्छ शेर के जन्मदिन के पार्टी में गए हैं! BOSS :- अच्छा आखिरी सवाल, वो बूढी औरत मर कैसे गयी? Employee :- hmmmmm ....... लगता है सर कि वो तालाब में फिसल गयी अथवा गिर गयी होगी..... Errrrrrrrrrrr.. BOSS:- अबे गधे, उसके सिर पर ईंट लगी थी जो मैंने Airplane से फेंकी थी, यही problem है कि तुम अपने काम में जरा भी ध्यान नहीं लगाते हो और तुम्हारा दिमाग कही और रहता है, You should always be focused on your job ! Understand ? . . . Morel:- जितना मर्ज़ी PREPARE कर लो अगर बोस ने ठान ली है तो बो तुम्हारी बजा के रहेगा.
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ज्ञान का घमंड सबसे बड़ी अज्ञानता है, एंव अपनी अज्ञानता की सीमा को जानना ही सच्चा ज्ञान है। Teach Guru |
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#6 |
Moderator
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बहुत दिलचस्प लेख लिखा है आपने , मैं चाह कर भी मीन-मेख नहीं निकाल पा रही हूँ। पर शायद इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि मुझे इतना ज्ञान ही नहीं है कि मैं किसी और के ज्ञान पर सवाल कर सकूँ।
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#7 |
Diligent Member
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parichhidranuranjan, याने दुसरे के मीनमेख निकालकर खुद का मनोरंजन करना ... जब अर्थ ही ये है तो उससे दूर रहना ही अच्छा ना रजत जी . आज के समय में मनोरंजन के लाखो साधन हैं फिर किसी के दिल को दुखाकर या बद्दुआ लेकर क्यूँ आपना मनोरंजन करना ? मीनमेख याने की जानबूझकर निकाली गई गलती जबकि किसी ने गलती की ही नही फिर भी उसे हीन दर्शाना ये अच्छी बात तो हो नही सकती ना? और ज़ाहिर है की जब एइसे किसी के साथ भी व्यवहार हो तो उसका मन दुखेगा ही और मन दुखेगा तो बद्दुआ भी लगेगी ही तो मेरा मनना है की एइसा मनोरंजन व्यर्थ है , मनोरंजन किसी की सराहना करके भी किया जा सकता है क्यूंकि किसी को खुशी देने में जो ख़ुशी हमे मिलती है वो शायद किसी के किये गए कार्य में मीनमेख निकाल के और मन को दुखाके हम प्राप्त नही कर सकते .
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#8 | |
Diligent Member
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