22-11-2014, 10:20 AM | #1 |
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मेन्स डे पर स्पीच
गत १९ नवम्बर को 'मेन्स डे' खाली-खूली निकल गया और दीप जी ने बड़ी मायूसी के साथ मेरे सूत्र ‘हीरे की कीमत’ में अपनी व्यथा व्यक्त की- ‘मेन्स डे पर पुरुषों के हक़ में बोलने वाला कोई नहीं है!’ हैं न- ईस्ट अफ़्रीका से हमारी आदरणीय सोनी पुष्पा जी. कल सुबह मैंने एक विचित्र सपना देखा कि आदरणीय सोनी पुष्पा जी महिला होते हुए भी जर्मनी, फ़्रांस और रूस में जर्मन, फ्रेंच और रशियन भाषा में 'पुरुषों पर महिलाओं के अत्याचार' पर धुँवाधार भाषण दे रही हैं और उनके भाषण जर्मन, फ्रेंच और रशियन भाषा में धड़ाधड़ छप रहे हैं. पवित्रा जी के स्वप्न-ज्योतिष सूत्र में फटाक से जाकर पढ़ा तो पता चला कि सुबह के स्वप्न सच होते हैं. अतः स्वप्न-ज्योतिष पर विश्वास करके मैं आदरणीय सोनी पुष्पा जी से अनुरोध करता हूँ कि वे इस सूत्र के मुख्य अथिति के रूप में पधारकर 'यूनाइटेड स्टेट्स में पुरुषों पर महिलाओं के अत्याचार पर' प्रकाश डालें. अब आप पूछेंगे कि 'भारत में पुरुषों पर महिलाओं के अत्याचार पर' क्यों नहीं? वह इसलिए कि भारत में 'माय हिन्दी फ़ोरम' के माध्यम से अभी तो वे महिलाओं के पक्ष में बोल रही हैं, फिर कैसे पुरुषों के पक्ष में बोल सकती हैं? वे भारत सरकार थोड़े ही हैं कि जो एक ओर 'कौंसिल फॉर लेदर एक्सपोर्ट (चर्म निर्यात परिषद्)' स्पांसर करके चमड़े के निर्यात को बढ़ावा दे रही है तो दूसरी और 'एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ़ इंडिया (भारतीय जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड)' के माध्यम से पशुओं का कल्याण कर रही है!
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24-11-2014, 05:04 PM | #2 |
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Re: MEN'S DAY par speech
अब आदरणीय सोनी पुष्पा जी आएँ तो पता चले कि सपना सच था या झूठ? सपना यदि झूठ निकला तो इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पवित्रा जी को चाहिए कि वे अपने 'स्वप्न-ज्योतिषी' के पद से तुरन्त इस्तीफ़ा दे दें!
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25-11-2014, 12:16 AM | #3 |
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Re: मेन्स डे पर स्पीच
[QUOTE=Rajat Vynar;540490]किसी कारणवश रोमन लिपि में लिखने के कारण मेरा पूर्व सूत्र ‘मेन्स डे पर स्पीच’ उतना कायदे से नहीं बन पाया था जितना बनना चाहिए था. अतः प्रस्तुत है, सूत्र का नया संशोधित संस्करण-
आदरणीय रजत जी ,धन्यवाद.. जी नही चौकने की जरुरत नही आदरणीय शब्द पढ़कर . सच में मै आपकी लेखन शैली की दाद देते हुए आपको महान लेखकों में मानती हूँ कटाक्ष के साथ देश की समस्या का उल्लेख आप जेइसे लेखक ही कर सकते हैं रजत जी ... आपकी लेखन कला यहाँ पाठक की नजर में आये बिना नही रहेगीजहाँ की आपने लिखा ... भारत सरकार थोड़े है की एक और चर्म निर्यात परिषद् को स्पोंसर करके दूसरी और एनीमल वेल्फ़िर इंडिया से पशुओ को बचाने की बात करेंगी . |
27-11-2014, 06:55 PM | #4 |
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Re: मेन्स डे पर स्पीच
माफ़ कीजिए. मैं कल स्वप्न में देवलोक पहुँच गया और पता चला कि देवलोक में किसी को आदरणीय कहना अपमानसूचक माना जाता है. अतः अब आप भी मुझे न कहिएगा.
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27-11-2014, 06:56 PM | #5 |
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Re: MEN'S DAY par speech
लीजिए, दीप जी की प्रार्थना भगवान ने सुन ली और गत २५ नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ मनाया गया. दीप जी, उम्मीद तो यही है कि इससे प्रभावित होकर महिलाएँ हिंसा करना बन्द कर देंगी. विशेष रूप से ‘चलते-चलते’ फ़िल्म की नायिका रानी मुखर्जी शाहरुख खान पर! गुजरात हाईकोर्ट की एक सलाह नीचे पढ़िए-
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27-11-2014, 06:58 PM | #6 |
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Re: MEN'S DAY par speech
रिश्ते स्वर्ग में बनते हैं, मामूली कहासुनी में न तोड़ें शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद. महिला सशक्तीकरण के अभियानों के बीच गुजरात हाई कोर्ट ने महिलाओं को सलाह दी है कि रिश्ते स्वर्ग में बनते हैं और मामूली कहासुनी को लेकर विवाह जैसी संस्था को नष्ट न करें। अदालत ने पुलिस को भी महिलाओं की झूठी शिकायत को अनावश्यक तूल नहीं देने की सलाह दी है। गुजरात के मेहसाणा के एक परिवार के खिलाफ दहेज प्रताड़ना मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जेबी पारडीवाला ने कहा कि रिश्ते स्वर्ग में बनते हैं, मामूली कहासुनी में विवाह जैसी संस्था को नष्ट नहीं करना चाहिए। तलाक जैसे मामलों में बच्चों को सबसे अधिक मुसीबतें ङोलनी पड़ती हैं। बच्चों का भविष्य अधर में लटक जाता है। महिलाओं की ओर से पति व उसके परिवार के खिलाफ झूठे फौजदारी मामले दर्ज कराने से वैमनस्य बढ़ता है, वास्तव में बहू या किसी महिला को प्रताड़ित किया जाए तब ही उसे पुलिस में मामला दर्ज कराना चाहिए। अदालत ने कहा कि पुलिस को भी झूठे मामलों में अधिक तकनीकी व संवेदनशील होने की जरूरत नहीं है। माता-पिता व मित्रों के कहने पर महिलाओं को शिकायत दर्ज करने में समझदारी से काम लेना चाहिए। उच्च न्यायालय ने इस मामले में महिला की शिकायत को रद करते हुए उसे भी झूठी शिकायत के लिए फटकार लगाई है। महिला ने पति सास-ससुर, ननद, देवरानी व जेठानी को भी आरोपी बनाया था।साभार: दैनिक जागरण
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27-11-2014, 06:58 PM | #7 |
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Re: MEN'S DAY par speech
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27-11-2014, 06:59 PM | #8 |
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Re: MEN'S DAY par speech
टिप्पणी- दीप जी को कोई 'अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस' का राज़ नहीं बताएगा. उन्हें बस खुश रहने दीजिए.
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27-11-2014, 10:16 PM | #9 |
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Re: MEN'S DAY par speech
यह तो सरासर ज्यादती है। मेरे मतानुसार पुरुष हिंसा उन्मूलन दिवस भी मनाया जाना चाहिए...भले उसका पालन हो या न हो!
लेकिन यह हो सकता है की कई पुरुष ईसे ईस लिए नही मनाना चाहेंगे, क्यों की पुरे समाज को पता लग जाएगा की फला पुरुष अपनी पत्नी से त्रस्त है! बाकी जो २-४ प्रतिशत पुरुष बचेंगे वे भी अपने पुरुष होने के अहं* को बचाना चाहेंगे। * यह वही अहं है जिसे ले कर फोरम की कुछ कुछ नारीयां छीपे-दबे गुस्से में है।
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