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![]() कौन है !!!!
कामिक्स का पात्र रहस्यमयी बेताल या फैंटम ![]()
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************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* Last edited by DevRaj80; 19-12-2014 at 06:31 PM. |
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आप लोगों मे शायद ही ऐसा कोई हो जिसने वेताल ,जादूगर मैनड्रेक,फ़्लैश गार्डन के कामिक्स न पढ़े हों या उनके बारे में न सुना हो वेताल नाम के नकाबपोश कामिक पात्र का रचयिता ली फ़ाक Le है जिसने विश्व प्रसिद्ध जादूगर मैंड्रेक कामिक पात्र की रचना की है .मैंड्रेक ली फ़ाक द्वारा रचित कामिक पात्र है जून १९३४ में समाचार पत्रों के सिंडीकेट ने इसे प्रकाशित किया था पहले ली फ़ाक इसके लेखक व चित्रकार दोनों थे
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अफ़्रीका के काल्पनिक बेन्गाला नामक स्थान पर खोपड़ीनुमा गुफ़ा मे रहकर अपराधियों के विरुद्ध कार्यवाही करता है । उसकी खोपड़ी वाली अँगूठी निशान अपराधियों में भय उत्पन्न कर देता है । अपराधियों से लड़ने वालो की श्रंखला में२१ पीढी वाले वेताल की कहानी १५३६ से आरम्भ होती है ब्रिटिश नाविक क्रिस्टॊफ़र वाकर के पिता समुद्री डाकुओं के हमले में मारे जाते हैं। क्रिस्टोफ़र वाकर अपने पिता के हत्यारे की खोपड़ी पर बुराई सेलड़ने की शपथ लेता है । एक के बाद एक २१ पीढियों तक नकाब धारण करने के कारण लोग है उसे चलता फ़िरता भूत मानने लगते हैं llll
वेताल के पास कोई अलौकिक शक्ति नहीं फ़िर भी वह अपनी शक्ति बुद्धि-कौशल और इस ख्याति से कि वह चलता फ़िरता प्रेत है ,से प्रतिद्वन्दी को हराने में सफ़ल रहता है इक्कीसवें वेताल की मुलाकात अपने अध्ययन के दौरान अमेरिका में डायना पामर से हुई और फ़िर विवाह डायना पामर से हुआ उनकी दो सन्तानें किट व हेलोइस हुईं । वेताल अपनी खोपडीनुमा गुफा मेंअपने प्रशिक्षित डेविल नाम के भेडिये व हीरो नाम के घोडे के साथ रहता हैश्रृंखला १७ फ़रवरी १९३६, २८ मई, १९३९ को एक रंग रविवार पट्टी द्वारा पीछा किया पर एक दैनिक अखबार पट्टी के साथ शुरू हुआ; दोनों अभी भी २०१३ के रूप में चल रहे हैं। अपनी लोकप्रियता के चरम पर, पट्टी प्रत्येक दिन १०० मिलियन से अधिक लोगों के द्वारा पढ़ा था। यह श्र्ंखला १७ फरवरी १९३६ व २८ मई१९३९ को एक दैनिक समाचार पत्र मे एक स्ट्रिप या पट्टी के रूप में प्रकाशित होना प्रारम्भ हुएए थी तब से आज तक २०१३ तक दोनो प्रकाशित हो रहीं हैं ली फाक[[४]] ने अपनी मौत तक (ईस्वी१९९९तक )।अब इसे लेखक टोनी डे पाल व चित्रकार द्वयपाल रेयान तथा टेरी बेट्टी द्वारा जारी रखा गया है .
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मूल कहानी
वेताल की कहानी का आरम्भ क्रिस्टोफ़र वाकर नामक युवा नाविक से होता है जिसका जन्म पोर्ट्स्माउथ में १५१६ में हुआ था उसके पिता (जिनका नाम भी क्रिस्टोफ़र वाकर था) क्रिस्टोफ़र कोलम्बस के अमेरिका जाने वाले जहाज सैन्टा मारिया पर केबिन बाय थे बाद में सन १५२५ में क्रिस्टोफ़र जूनियर अपने पिता क्रिस्टॊफ़र सीनियर के जहाज पर शिपबाय बना जिसपर वे कप्तान बन गए थे l १५३६ में २० वर्ष की आयु मेंजब वह अपने पिता के साथ यात्रा पर था १७ फ़रवरी को उसके जहाज पर बेन्गाला की खाड़ी मे सिंह ब्रदरहुड नामक तस्करों ने आक्रमण कर दिया और बेहोश होने से पहले उसने देखा कि उसके पिता को मार दिया गया और जहाज में विस्फ़ोट हो गया और वह अकेला ही बचा और बह कर बेन्गाला या देंगाली के तट पर जा लगा जहाँ उसे अर्द्धमृत अवस्था में पिग्मियों के बान्डर नामक आदिम जाति के लोगों ने उसे देखा और उसकी देखभाल कीl
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वाकर की मेज
अमेरिकी मरूस्थल मे एक चौरस पठार है जिसकी खोज कप्तान किट वाकर ने की थी वाकर और उनके मित्र किरबी यहाँ १४९२ में पहुँचे थे और किरबी ने इसे नाम दिया था "वाकर की मेज ’’ कुछ दशक बाद राजा ने इसे वेताल को दे दिया यह मेसा अर्थात चौरस पठार अन्दर से खोखला है और इसके अन्दर एक लिफ़्ट लगी है। ट्री हाउस एक विशाल वृक्ष पर रस्सी मानवों द्वारा बनाया गया घर है वहाँ पहुँचने के लिए विशालकाय शिलाखण्ड तथा तार की रस्सियों का सहारा लेना पड़ता है वेताल ने अपना कुछ समय डायना और रेक्स के साथ इस घर पर बिताया।
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भारत में सन १९४० में इलस्टरटेड विकली आफ इंडियाhttpनामक समाचार पत्र में धारावाहिक पट्टी के रूप में प्रकाशन आरम्भ हुआ किन्तु इसका वास्त्विक प्रसार सन १९६४ में इन्द्रजाल कामिक्सके माध्यम से फैन्टम अपने वेताल नाम के अवतार मे अवतरित हुआ हिन्दी में इसका नाम बदल कर वेताल हो गया और इसका निवास स्थान बेंगाला भी बदल कर देंकाली हो गया। पहले इसका प्रकाशन मासिक रूप में होता था धीरे धीरे मांग बढने केसाथ इसका प्रकाशन साप्ताहिक रूप से होने लगा । ७० के दशक मे त्था ८० के दशक के पूर्वाद्ध मे किशोरों का हीरो था।
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हिंदी के अलावा कन्नड़, तमिल, मराठी, बंगाली, गुजराती, मलयालम अदि भाषाओं में भी फैंटम की कहानियाँ पहुँचीं। भारत में सबसे अधिक लोकप्रिय यह हिंदी और अंग्रेजी में ही रहा तथा इन्हीं दो भाषाओं में यह सबसे दीर्घजीवी भी साबित हुआ। सबसे अधिक फैंटम कॉमिक्स भी इन्हीं दोनों भाषाओं में छपे। इस दौरान इंद्रजाल कॉमिक्स के कुल ८०३ अंक प्रकाशित हुए, जिनमें से ४१४ अंक फैंटम या वेताल के थे। तब आज की तरह हर चीज़ का बाज़ार खड़ा करने का चलन नहीं शुरु हुआ था लेकिन फैंटम के प्रतीक-चिह्न दुकान में बिका करते थे।
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तकनीक-आधारित मनोरंजन के दौर में उसके कथा-रूप भी बदलते जा रहे हैं। फैंटम एक ऐसा काल्पनिक चरित्र है जो अलग-अलग माध्यमों में सबसे अधिक बार प्रकट हुआ है। ४० के दशक में फैंटम की कहानियों पर उपन्यास लिखे गए। डेल रॉबर्टसन का लिखा हुआ ‘द सन ऑफ द फैंटम’ ऐसा ही एक उपन्यास है। यह एक ऐसा कॉमिक्स-चरित्र साबित हुआ जिसे फिल्म और टेलीविजन माध्यमों ने सबसे अधिक आजमाया। १९४३ में पहली बार इसकी कहानियों को लेकर छोटे-छोटे सिनेमाओं की शृंखला का निर्माण हुआ। १५ कड़ियों वाली यह फिल्म भी कॉमिक्स की तरह ही सफल रही। अनेक टेलीविजन धारावाहिक भी बने। १९९४ में टीवी धारावाहिक आया ‘फैंटम: २०४०’, जिसमें २४ वें फैंटम के कारनामे दिखाए गए हैं। उसे चोरों, डकैतों, समुद्री लुटेरों से लड़ते हुए नहीं दिखाया गया है। उसे धरती का पर्यावरण बिगाड़ने का प्रयास करने वाले दुष्ट वैज्ञानिकों से लड़ना पड़ता है। फैंटम के परंपरागत सहयोगी घोड़ा, बाज़ उसके साथ नहीं होते लेकिन बुराई से लड़ने का वही संकल्प जिसके लिए फैंटम की २३ पीढियाँ कुर्बान हुईं।
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