20-12-2014, 02:06 PM | #1 |
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जनहित में जारी
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20-12-2014, 02:07 PM | #2 |
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Re: जनहित में जारी
1. हमने अपने साधारण शोध में यह पाया है कि बहुत लोगों की आदत होती है- जब देखो तब आवश्यकता से अधिक पानी पीते रहते हैं। ऐसे लोगों को हतोत्साहित किया जाना चाहिए। यदि देश का हर व्यक्ति प्रतिदिन मात्र 100 मिली॰ पानी कम पिए तो एक दिन में 15 करोड़ लीटर जल बचाया जा सकता है।
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20-12-2014, 02:07 PM | #3 |
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Re: जनहित में जारी
2. हमने अपने विशेष शोध में यह पाया है कि प्रायः सभी दारूबाज़ दारू में पानी मिलाकर पीते हैं। यह पानी की खुल्लमखुल्ला बर्बादी है। यदि सभी दारूबाज़ दारू में पानी मिलाना बन्द कर दें और ‘नीट’ पीना सीख लें तो इससे एक दिन में 25 करोड़ लीटर जल बचाया जा सकता है। शुरू में ‘नीट’ पीने में थोड़ी परेशानी ज़रूर होगी और कलेजा जलेगा-फुँकेगा किन्तु देशहित में दारूबाज़ों को यह त्याग अवश्य करना चाहिए।
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20-12-2014, 02:08 PM | #4 |
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Re: जनहित में जारी
3. हमने अपने अति विशिष्ट शोध में यह पाया है कि स्नान करने में एक व्यक्ति को कम से कम 15 गैलन पानी की आवश्यकता पड़ती है। एक गैलन लगभग 4 लीटर के आसपास होता है। जल की कमी के चलते प्रतिदिन स्नान करना कहीं की बुद्धिमानी नहीं। यदि देश का हर व्यक्ति सप्ताह में सिर्फ़ एक दिन नहाए तो इससे प्रतिदिन 2250 करोड़ गैलन पानी बचाया जा सकता है। अतः नहाने के विकल्पों पर गम्भीरतापूर्वक विचार होना चाहिए। जैसे- गीले तौलिए से बदन पोंछना। हमारे विचार में तो गीले तौलिए से बदन पोंछना भी ठीक नहीं है, क्योंकि बदन पोंछते-पोंछते तौलिया गन्दा हो गया तो फिर उसकी धुलाई करने में अनावश्यक रूप से पानी बर्बाद होगा। अतः गीले तौलिए के स्थान पर सुगन्धित नैपकिन से बदन पोंछना श्रेयस्कर होगा। बिना सेंट का इस्तेमाल किए बदन महकता रहेगा।
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20-12-2014, 02:08 PM | #5 |
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Re: जनहित में जारी
4. सरकार चाहे तो सुझाव संख्या-3 का अनुपालन कराने के लिए कड़े कानून बनाकर ‘प्रतिदिन स्नान’ को दण्डनीय अपराध घोषित कर सकती है और देश में जगह-जगह पर सूचना-पट्ट लगा सकती है जिसमें लिखा होगा- ‘क्या आप जानते हैं? प्रतिदिन स्नान करना एक दण्डनीय अपराध है। सप्ताह में एक दिन नहाएँ और भारी जुर्माने से बचें।’ इस श्रंखला में दूसरों को नहाने के लिए उकसाना या नहाने के लिए प्रेरित करना भी दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आएगा। इस ‘स्नान प्रतिबन्ध कानून’ के अन्तर्गत स्नान से सम्बन्धित साबुन, फे़स वाश, शैम्पू, कण्डीशनर आदि का विज्ञापन भी प्रतिबन्धित किया जा सकता है। किसी भी प्रचार-प्रसार माध्यम में स्वयं को ‘शुद्ध एवं स्वच्छ’ घोषित करना भी दण्डनीय अपराध की श्रेणी में लाया जा सकता है, क्योंकि यह कार्य दूसरों को स्नान करने के लिए उकसाने के तुल्य होगा।
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20-12-2014, 02:08 PM | #6 |
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Re: जनहित में जारी
5. ‘जल-बचाओ’ योजना के अन्तर्गत महीनों और सालों तक स्नान न करने वालों को ‘गंधैला-सम्राट’ जैसा विशेष सम्मान देकर दूसरों को स्नान न करने के लिए भी प्रेरित किया जा सकता है।
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25-12-2014, 10:00 PM | #7 |
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Re: जनहित में जारी
बेहतरीन रजत जी
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25-12-2014, 10:07 PM | #8 |
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Re: जनहित में जारी
वाह रजत जी, जल संकट को हल करने की दिशा में आप महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं. हमारी सरकार आपको आमंत्रित न करके जल संकट पर अपने ढुल मुल रवैये का परिचय दे रही है. उसे यह सोचना चाहिए कि इतना भारी विशेषज्ञ यदि विदेश चला गया तो सरकार उससे (बिना पानी के) हाथ धो बैठेगी.
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