12-02-2015, 11:05 PM | #31 |
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Re: अब कुछ और 'चालीसा'
भारतजन हरषि उर लाये।। देशभक्त सब कीन्हीं बहुत बड़ाई। तुम सर्वप्रिय सब कर भाई।। सहस वतन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि जनमत कंठ लगावैं।। भागवतादिक ब्रह्मादि मुनीसा। राजनाथ जेटली सहित अहीसा।। उद्योगपति कुबेर जहाँ ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।। सबपर तुम तपस्वी राजा। जनता के सकल काज तुम साजा।। तुम उपकार टाटा पर कीन्हा। भूमि दिलाय जग को नैनो दीन्हा।। तुम्हरी भक्ति करें अंबानी। महिमा अमित न जाय बखानी।। निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी।। गांधीनगर में तुम्हीं विराजत। तिहूँ लोक में डंका बाजत।। (सभी मित्रों से निवेदन है कि इतने से ही काम चलायें)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
13-02-2015, 04:26 PM | #32 |
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Re: अब कुछ और 'चालीसा'
...bahut khoob
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13-02-2015, 10:55 PM | #33 |
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Re: अब कुछ और 'चालीसा'
pushpa soni ji aur arvind shah ji ko meri yh pratuti pasand aayi, unka bahut bahut dhanywad.
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