03-03-2015, 06:39 PM | #11 |
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Re: एक संकलन
दूर हो के पास होती हैं बेटे घर के दीप हैं माना बेटियाँ अरदास होती हैं
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03-03-2015, 06:39 PM | #12 |
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Re: एक संकलन
नारी की पहचान कराये
भाषा उसके मुखमंडल की अशुभ सदा ही कहलाई है सुन्दरता कर्कश नारी की ! ऋषि मुनियों की भाषा लेकर तपस्विनी सी तुम निखरोगी पहल करोगी अगर नंदिनी, घर की रानी तुम्ही रहोगी ! कटुता , मृदुता नामक बेटी दो देवी हैं, इस जिव्हा पर कटुता जिस जिव्हा पर रहती घर विनाश की हो तैयारी ! कष्टों को आमंत्रित करती, गृह पिशाचिनी सदा हँसेगी ! पहल करोगी अगर नंदिनी, घर की रानी तुम्ही रहोगी ! उस घर घोर अमंगल रहता दुष्ट शक्तियां ! घेरे रहतीं ! जिस घर बोले जायें कटु वचन कष्ट व्याधियां कम न होतीं , मधुरभाषिणी बनो लाडिली, चहुँ दिशी विजय तुम्हारी होगी पहल करोगी अगर नंदिनी, घर की रानी तुम्ही रहोगी ! घर में मंगल गान गूंजता, यदि जिव्हा पर मृदुता रहती दो मीठे बोलों से बेटी !, घर भर में दीवाली होती उस घर खुशियाँ रास रचाएं ! कष्ट निवारक तुम्ही लगोगी ! पहल करोगी अगर नंदिनी ! घर की रानी तुम्ही रहोगी ! अधिक बोलने वाली नारी कहीं नही सम्मानित होती अन्यों को अपमानित करके वह गर्वीली खुश होती है, सारी नारी जाति कलंकित, इनकी उपमा नहीं मिलेगी ! पहल करोगी अगर नंदिनी ! घर की रानी तुम्ही रहोगी !
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03-03-2015, 06:41 PM | #13 |
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Re: एक संकलन
किस अतीत को याद कर रहीं,
कौन ध्यान में तुम खो बैठी, चारों धामों का सुख लेकर, किस चिंता में पड़ी हुई हो! ममतामय मुख, दुःख में पाकर सारी खुशिया खो जाएँगी, एक हँसी के बदले अम्मा, फिर से मस्ती छा जायेगी ! सारे जीवन, हमें हंसाया, सारे घर को स्वर्ग बनाया, ख़ुद तकलीफ उठाकर अम्मा हम सबको हंसना सिखलाया तुमको इन कष्टों में पाकर, हम जीते जी मर जायेंगे , एक हँसी के बदले अम्मा, फिर से रौनक आ जायेगी ! कष्ट कोई ना तुमको आए हम सब तेरे साथ खड़े हैं, क्यों उदास है चेहरा तेरा, किन कष्टों को छिपा रही हो थकी हुई आँखों के आगे , हम सब कैसे हंस पाएंगे ! एक हँसी के बदले अम्मा , रंग गुलाल बिखर जायेंगे सबका, भाग्य बनाने वाली, सबको राह दिखाने वाली क्यों सुस्ती चेहरे पर आयी सबको हँसी सिखाने बाली तुमको इस दुविधा में पाकर, हम सब कैसे खिल पायेंगे तेरी एक हँसी के बदले , हम सब जीवन पा जायेंगे!
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03-03-2015, 06:42 PM | #14 |
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Re: एक संकलन
तुम्हारे अस्तित्व की जननी हूँ मै
पार्वती भी मै दुर्गा भी मै सीता भी मै मंदोदरी भी मै रुकमनी भी मै मीरा भी मै राधा भी मै गंगा भी मै सरस्वती भी मै लक्ष्मी भी मै माँ भी मै पत्नी भी मै बहिन भी मै बेटी भी मै घर मे भी मै मंदिर मे भी मै बाजार मे भी मै "तीन तत्वों " मे भी मै पुजती भी मै बिकती भी मै अब और क्या परिचय दू अपने अस्तित्व का क्या करुगी तुम से करके बराबरी मै जब तुम्हारे अस्तित्व की जननी हूँ मै तुम जब मेरे बराबर हो जाना तब ही मुझ तक आना पार्वती माता का प्रतीक दुर्गा शक्ति का प्रतीक सीता , मंदोदरी, रुकमनी भार्या का प्रतीक मीरा , राधा प्रेम का प्रतीक गंगा , पवित्रता का प्रतीक सरस्वती , ज्ञान का प्रतीक लक्ष्मी , धन का प्रतीक बाजार , वासना का प्रतीक तीन तत्व , अग्नि , धरती , वायु
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