13-06-2015, 05:10 PM | #1 |
Member
Join Date: Jun 2015
Location: varanasi
Posts: 102
Rep Power: 12 |
अहंकार
दोनों एक मन्दिर में रहती थीं। बडी बहन मोमबत्ती हर बात बात में अपने को गुणवान और अपने फैलते प्रकाश के प्रभाव में सदा अपने को ज्ञानवान समझकर छोटी बहन को नीचा दिखाने का प्रयास करती थीं। अगरबत्ती सदा मुस्कुरायी रहती थीं। उस दिन भी हमेशा की तरह पुजारी आया, दोनोँ को जलाया और किसी कार्य वश मन्दिर से बाहर चला गया। तभी हवा का एक तेज़ झोका आया और मोमबत्ती बुझ गई यह देख अगरबत्ती ने नम्रता से अपना मुख खोला-' बहन, हवा के एक हलके झोके ने तुम्हारे प्रकाश को समेट दिया.... परंतु इसी हवा के झोके ने मेरी सुगन्ध को और ही चारों तरफ बिखेर दिया। 'यह सुनकर मोमबत्ती को अपने अहंकार पर बहुत शार्मिन्दगी हुई।... यह अहंकार ही इन्सान को भी तबाह बर्बाद कर देता है. इसलिए जितना हो सके विनम्र बनो क्योंकि विनम्रता ही इन्सान की तरक्की का रास्ता है... |
13-06-2015, 05:29 PM | #2 |
Moderator
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 38 |
Re: अहंकार
बढिया प्रस्तुति! शेयर करने के लिए धन्यवाद । |
13-06-2015, 08:23 PM | #3 | |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: अहंकार
Quote:
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
|
14-06-2015, 01:16 AM | #4 | |
Diligent Member
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 66 |
Re: अहंकार
Quote:
|
|
02-07-2015, 09:52 PM | #5 |
Member
Join Date: Sep 2013
Location: New delhi
Posts: 200
Rep Power: 14 |
Re: अहंकार
बहुत अच्छी रचना
काश कि हम अहिंकार और नमृता का महत्व समझ सकें अपने जीवन के उथान के लिए हम खुद कुछ कर सकें |
Bookmarks |
|
|