25-10-2015, 02:05 PM | #11 |
Diligent Member
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30 |
Re: इन्टरनेटप्रेमी
__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY! First information: https://twitter.com/rajatvynar https://rajatvynar.wordpress.com/ |
25-10-2015, 03:05 PM | #12 |
Diligent Member
Join Date: Jul 2013
Location: California / Bangalore
Posts: 1,335
Rep Power: 46 |
Re: इन्टरनेटप्रेमी
कहाँ है संशोधित संस्करण?
हम देख नहीं पा रहे हैं ======== gv |
25-10-2015, 04:38 PM | #13 |
Diligent Member
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30 |
Re: इन्टरनेटप्रेमी
कैसे देखेंगे? अभी तो पोस्ट भी नहीं किया है। lol
__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY! First information: https://twitter.com/rajatvynar https://rajatvynar.wordpress.com/ |
25-10-2015, 07:52 PM | #14 |
Diligent Member
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30 |
Re: इन्टरनेटप्रेमी
__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY! First information: https://twitter.com/rajatvynar https://rajatvynar.wordpress.com/ |
25-10-2015, 09:48 PM | #15 |
Diligent Member
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30 |
Re: इन्टरनेटप्रेमी
इन्टरनेटप्रेमी जी, कृपया क्षमा करें। कुछ अपरिहार्य कारणों के चलते संशोधित लेख प्रकाशित करना अभी सम्भव नहीं हो पा रहा है। तब तक आप कृपया हमारे एक और तथा अन्तिम प्रश्न का उत्तर दें। यह प्रश्न हम आपसे हिन्दी में न पूछकर सीधे-सीधे तमिल भाषा में और तमिल लिपि में ही पूछेंगे। हमारा प्रश्न है-
முறைப்பெண் ஏன்றால் ஏன்னவென்று விலக்குக?
__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY! First information: https://twitter.com/rajatvynar https://rajatvynar.wordpress.com/ |
25-10-2015, 11:01 PM | #16 |
Diligent Member
Join Date: Jul 2013
Location: California / Bangalore
Posts: 1,335
Rep Power: 46 |
Re: इन्टरनेटप्रेमी
इस मनोरंजक लेख के लिए धन्यवाद।
हम इसे मुस्कुराते - मुस्कुराते पढ़ रहे थे। हम वाकई डर गए थे आपसे। आप सोचते होंगे "क्यों?" बात यह है कि, तमिल मेरी तथाकथित मातृभाषा होने के बावजूद, मेरा ज्ञान बहुत ही कच्चा और अधूरा है। हम सरल तमिल लिख और पढ़ सकते हैं और आम बोलचाल में प्रयोग होने वाली तमिल में बात कर सकते हैं पर जब भी हमें कुछ उँची बात कहनी होती है, या गुस्से में किसी को डाँटना होता है तो हम rapid fire तमिल बोल नहीं सकते। करुणानिधी और डी.एम.के पार्टी के अन्य सदस्यों के राजनैतिक भाषण हम पूरी तरह समझ भी नहीं सकते। जब तक मेरे उत्तर भारतीय दोस्त यह सच्चाइ नहीं जानते थे, मैं खुशी खुशी उनका सम्मान अनुभव करता रहा । एक तमिल भाषी इतनी अच्छी हिन्दी बोल लेता है ? लोग "impress" हो जाते हैं ! सच बात इस प्रकार है। मैं तमिल नाडु में कभी रहा ही नहीं हूँ। मेरे पूर्वज अवश्य तमिल भाषी हैं पर कई पीढियों से वे केरळ के पाल्क्काड जिले में रह रहे थे। यह जिला तमिल नाडु और केरळ के border के पास है और States Reorganisation के बाद केरळ में आ गया था। यहाँ तमिल भाषी लोग बोलते वक्त काफ़ी मलयालम के शब्द का प्रयोग करते हैं और उनका बोलने का लहजा भी भिन्न है, यहाँ तक कि शुद्ध तमिल भाषी हमें तमिल भाषी मानने से इन्कार करते हैं। मेरे पिताजी, १९४५ के आसपास केरल छोड़कर बम्बई (sorry, मुम्बई) में बस गए थे और मेरा जन्म भी मुम्बई में हुआ था। जितनी तमिल जानता हूँ वह अपनी माँ के गोद में बैठकर सीखी थी। अंग्रेज़ी मीडियम स्कूल में पढाई की थी। पडोसी सभी मराठी/ गुजराती/हिन्दी बोलते थे और बचपन में स्कूल में हमने अंग्रेज़ी और हिन्दी सीखी थी पर बोलते समय हम मुम्बई की अशुद्ध हिन्दी ही बोलते थे। तमिल भाषा हमने औपचारिक रूप से कभी नहीं सीखी। जितना जानता हूँ वह सब "pick up" किया हुआ है, दोस्तों और रिश्तेदारों से बात करते करते, फ़िल्में देखकर, फ़िल्मी गाने सुनकर, टी वी प्रोग्राम देखकर, वगैरह । शुद्ध तमिल हम जानते नहीं हैं और अभी तक मैं, बच्चों के लिए छपे किताबों को छोड़कर, ढंग की कोई भी तमिल पुस्तक नहीं पढा हूँ। यह सब मैं आपको इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि मुझे डर था कि कहीं आप मुझे तमिल गुरू समझकर मुझे से कठिन सवाल न करना शुरू कर दें और मुझे शर्मिन्दा न होना पडे। आपके लेख के कुछ अंश quote करके अपनी टिप्पणी जोड़ रहा हूँ। ========== किन्तु हमारे इस कथन से यह समझने की भूल भी न करिएगा कि तमिल भाषा एक अत्यन्त सरल भाषा है और इसे कोई भी बड़ी आसानी के साथ सीख सकता है। वस्तुतः द्रविड़ परिवार की चार दक्षिण भारतीय भाषाओं- कन्नड़, तेलुगु, तमिल एवं मलयालम में से सबसे कठिन भाषा तमिल ही है। ================= आपसे पूरी तरह सहमत हूँ। कारण हैं लिपी में अक्षरों की कमी, और यह भाषा संस्कृत पर आधारित न होना। (यह भी समझा जाता है कि तमिल संस्कृत से भी ज्यादा पुरानी है) ====== यही नहीं, एक ही 'क' से ख, ग, घ- एक ही 'प' से फ, ब, भ- एक ही 'ट' से ठ, ड, ढ और एक ही 'त' से थ, द, ध इत्यादि अक्षरों को अनुमान के आधार पर पढ़ा जाता है। ========== तमिल में aspirated consonants बिल्कुल नहीं होते। मतलब ख, छ, झ, ढ, ध भ का प्रयोग कभी नहीं होता। अब आप लोग समझ गए होंगे की तमिल भाषी हिन्दी बोलते वक्त उचारण में क्यों गलती करते हैं उदाहरण : दर्वाजा "कोल" दो। तुमने "काना" "का" लिया? लाल बहादुर शास्त्री सही लिखने के लिए तमिल में कोई अक्षर ही नहीं मिलेंगे आपको। तमिल में इस नाम को "लाल पकातुर चाच्तिरी" लिखते हैं और आपको सन्दर्भ से नाम पहचानना होता है। संस्कृत के श्लोक लिखना तो असम्भ्व होता है और जब तमिल ब्राहमणों ने कुछ अक्षर जोड़ना चाहे, (श्री, ह, स वगैरह के लिए) तो उनका कट्टर पंथियों ने डटकर मुकाबला किया और इन अक्षरों को purists कोई मान्यता नहीं देते हैं और कुछ कट्टर तमिल भाषी इसको भाषा का प्रदूषण मानते हैं। वे संस्कृत का कोई भी प्रभाव बर्दाश्त नहीं करना चाहते। ब्राह्मण तमिल भाषी इन अतिरिक्त अक्षरों का प्रयोग करते हैं अपने धार्मिक लेख में। पर विडम्बना देखिए ! करुणानिधी कितना प्यारा नाम है और 100 % संस्कृत का शब्द है पर वह हिन्दी/संस्कृत का सबसे कट्टर विरोधी है! ========== इसके अतिरिक्त तमिल भाषा जैसी बोली जाती है वैसी लिखी नहीं जाती ======== बिल्कुल सही । लिखते समय நான் வருகிறேன் (नान वरुकिरेन) , पर बोलते समय "नान वरेन" कहते हैं। "च" जब लिखा होता है, तो कभी वह "च" है, कभी "ज" कभी "स", और कभी "श" या "ष" भी हो सकता है और जब तक आप भाषा नहीं जानते, आप उसे सही पढ़ नहीं पाएंगे। इसी तरह, "क" का प्रयोग "ग", या "ह" के लिए भी हो सकता है। इस कारण भारत के अन्य प्रान्तीय भाषा तमिल लिपी में लिखी नहीं जा सकती पर भारत के अन्य लिपियों में केवल एक या दो अतिरिक्त अक्षर जोड़कर तमिल लिखी जा सकती है। मलयालम में बिना कोई अक्षर जोडे तमिल लिखी जा सकती है और मुझे अब भी याद है कि मेरे माता पिता एक दूसरे को, और मेरे दादा दादी/नाना नानी को तमिल में चिट्टी लिखते थे पर मलयालम लिपी में। ======== अतः तमिल भाषा सेन्नै, कोयम्बतूर, तिरुच्चि, होसूर, मदुरै और तिरुनेलवेली आदि जिलों में अलग-अलग लहजे में बोली जाती है। ========= यह तो भारत के अन्य भाषाओं में भी आप पाएंगे। मुम्बई की हिन्दी , हैदरबाद की उर्दू, हर्याणा और बिहार की हिन्दी में, सुरत की और काठियावाड़ की गुजराती में क्या फ़र्क नहीं है? ========= जिन महानुभावों को हमारे अलौकिक तमिल ज्ञान का वास्तविक राज़ पता है, उनसे मेरा विनम्र अनुरोध है कि कृपया अपना मुँह बन्द रखें और हमारा भण्ड़ा फोड़कर 'भण्ड़ा फोड़ने का अलौकिक आनन्द' लेने की चेष्टा न करें। ======= यही अनुरोध मैं भी करता हूँ आप सब लोगों से ! लोगों को सोचने दीजिए कि मैं एक असली तमिल भाषी हूँ। इस pseudo Tamilian का भण्डा कभी न फोड़ना , please. शुभकामनाए GV Last edited by internetpremi; 26-10-2015 at 01:06 PM. |
26-10-2015, 11:00 AM | #17 |
Diligent Member
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30 |
Re: इन्टरनेटप्रेमी
अरे gv ji, आपने तो अन्तिम प्रश्न का उत्तर दिए बिना स्वयं हथियार डाल दिया। हमें आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। Rotfl. अन्तिम प्रश्न में आपका 'कल्चर-टेस्ट' किया जा रहा था। कोई भी दक्षिण भारतीय यदि हिन्दी अच्छा बोलने का दावा करता है तो इसका सीधा सा अर्थ होता है वह बचपन से ही हिन्दी भाषी क्षेत्रों में पला-बढ़ा है। अन्यथा दक्षिण में बस गए हिन्दी भाषी भी हिन्दी में पीएचडी० करने के उपरान्त भी बोलते अथवा लिखते समय स्त्रीलिंग और पुल्लिंग में भेद न कर पाने के कारण भ्रमित होकर गलतियाँ करते हुए पाए गए हैं। (अभी और है।)
__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY! First information: https://twitter.com/rajatvynar https://rajatvynar.wordpress.com/ |
26-10-2015, 01:21 PM | #18 |
Diligent Member
Join Date: Jul 2013
Location: California / Bangalore
Posts: 1,335
Rep Power: 46 |
Re: इन्टरनेटप्रेमी
|
26-10-2015, 02:19 PM | #19 | |
Diligent Member
Join Date: Jul 2013
Location: California / Bangalore
Posts: 1,335
Rep Power: 46 |
Re: इन्टरनेटप्रेमी
Quote:
हिन्दी में लिंग भेद हम दक्षिण भारतीय लोगों की सबसे बडी समस्या है। मैं आज भी इसमें ग़लती करता हूँ। किसी भी दक्षिण भारतीय भाषा में यह "का" और "की" की समस्या नहीं है। कब "कि" और और कब "की" का प्रयोग करते है? "मैं आ रहा हूँ" , "और मैं आ रही हूँ", दोनों के लिए तमिल में "नान वरुकिरेन" कहते हैं चाहे आने वाली/वाला महिला हो या पुरुष. अंग्रेज़ी में भी "I am coming" दोनों के लिए ठीक है। ह्मने यह भी नोट किया है कि लिंग, तर्क के हिसाब से नहीं होता। कोइ व्याकरण के नियम नहीं हैं इस विषय में। सब usage पर निर्भर है। हमने लोगों से कहते हुए सुना है "मैंने पैंट सिलवाई है" ,"मेरा ब्लाउज़ फट गया।" पैंट feminine कैसे हुई? ब्लाउज़ masculine कैसे हुआ? चलो ये तो अंग्रेज़ी के शब्द हैं तो शायद बेतुकापन स्वाभाविक है, पर "घाघरा" masculine कैसे हुआ ?और "लंगोटी" कैसे feminine हुई ? और जब एक ही वाक्य में हिन्दी और उर्दू के शब्द मिलाकर लिखते हैं तो "नुक्ता" लगाने में (या न लगाने में) हम बार बार ग़लती करते हैं। अभी तक हममें से कई लोगों को अक्षर की नीचे लगने वाली बिन्दु की आवश्यकता समझ में नहीं आई। अभी तक दक्षिण भारत के लोगों को यह बात समझ में नहीं आई है, के "कल" yesterday भी हो सकता है और tomorrow भी! क्या हिन्दी में शब्दों की कमी थी? तमिल भाषी यह भी सोचते हैं कि हिन्दी में स, श, और ष, तीन अलग अक्षर की क्यों जरूरत पड गई? और वैसे भी बिहार के लोग तो "श" का प्रयोग करते ही नहीं हैं! "मिश्राजी" को "मिसराजी" कहते हैं और बंगाली लोग तो हर स को श बनाकर बोलते हैं। ऊपर से यह "ष" कहाँ से घुस आया? Long live North - South differences! शुभकामनाएं GV |
|
Bookmarks |
Tags |
वणक्कम |
|
|