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Old 31-05-2015, 02:38 PM   #1
Rajat Vynar
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Talking विरोध

चर्चित लेखिका तसलीमा को सोशल नेटवर्किंग साइटों पर बंगला भाषा में लिखता देखकर हमें भी शौक़ चर्राया कि हम भी हिन्दी के अतिरिक्त किसी क्षेत्रीय भारतीय भाषा में लिखकर सम्बन्धित क्षेत्रीय लोगों का भी मनोरंजन करें। प्रयोग के तौर पर हमने ट्विटर और ह्वाट्सऐप पर एक दक्षिण भारतीय भाषा तमिल में छोटे-छोटे अनमोल वाक्य लिखना शुरू किया। वैसे तो हम तमिल भाषा में कहानी-कविता इत्यादि कुछ भी लिख लेते हैं तथा इस भाषा में लिखी हुई काफी सामग्री हमारे पास पहले से है, किन्तु हमारे इस कथन से यह समझने की भूल भी न करिएगा कि तमिल भाषा एक अत्यन्त सरल भाषा है और इसे कोई भी बड़ी आसानी के साथ सीख सकता है। वस्तुतः द्रविड़ परिवार की चार दक्षिण भारतीय भाषाओं- कन्नड़, तेलुगु, तमिल एवं मलयालम में से सबसे कठिन भाषा तमिल ही है। उर्दू भाषा की तरह तमिल भाषा में भी कई पेंच हैं। उर्दू भाषा के जानकार यह बात अच्छी तरह से जानते हैं कि उर्दू भाषा में मात्राएँ होते हुए भी उनका प्रयोग नहीं किया जाता। उदाहरण के लिए उर्दू की पुस्तकों में कताब और गलाब लिखा होता है और अनुमान के आधार पर किताब और गुलाब पढ़ा जाता है। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार आप अँग्रेज़ी में 'बट' और 'पुट' ठीक-ठीक पढ़ लेते हैं, जबकि दोनों शब्दाें में 'यू' अक्षर होता है। बहुत कम अक्षरों वाली तमिल भाषा में तीन 'स' तीन 'न', तीन 'ल' और दो 'र' होते हैैं जो इस भाषा को और अधिक क्लिष्ट बना देते हैं। 'ए' में दो स्वर और 'ओ' में दो स्वर होते हैं जिसके कारण अँग्रेज़ी के Pen, Pain और Rain जैसे शब्दों का उच्चारण तमिल भाषा में ठीक-ठीक लिखना सम्भव है। यही नहीं, एक ही 'क' से ख, ग, घ- एक ही 'प' से फ, ब, भ- एक ही 'ट' से ठ, ड, ढ और एक ही 'त' से थ, द, ध इत्यादि अक्षरों को अनुमान के आधार पर पढ़ा जाता है। इसके अतिरिक्त तमिल भाषा जैसी बोली जाती है वैसी लिखी नहीं जाती। इसके लिखने और बोलने में ज़मीन आसमान का अन्तर है। उदाहरण के लिए 'वह चला जा रहा था' को बोलचाल की भाषा में 'अवें पोइ-इट्-रुन्दां' बोला जाएगा अौर 'अवन् पोकिकोंडु इरुन्दान्' लिखा जाएगा। हिन्दी की तरह तमिल भाषा को बोलते समय इसके शब्दों का उच्चारण क्षेत्र के अनुरूप परिवर्तित होता रहता है। अतः तमिल भाषा सेन्नै, कोयम्बतूर, तिरुच्चि, होसूर, मदुरै और तिरुनेलवेली आदि जिलों में अलग-अलग लहजे में बोली जाती है। उच्चारण के आधार पर कौन किस जिले का निवासी है, जाना जा सकता है। फिर भी तमिलनाडु की राजधानी सेन्नै से लगभग 320 कि.मी. दूर स्थित तिरुच्चि जिले में बोली जाने वाली तमिल भाषा के उच्चारण को शुद्ध माना गया है। हिन्दीभाषी प्रदेशों में से किस प्रदेश के किस जिले में बोली जाने वाली हिन्दी को शुद्ध माना जाता है, यह आप बताइए। अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर। अपने प्रतिद्वन्दियों को कड़ी टक्कर देने के लिए अथक लगन और परिश्रम से इतनी कठिन तमिल भाषा को तीन साल नहीं, तीन महीना नहीं, तीन हफ्ता नहीं, तीन दिन नहीं- मात्र तीन घण्टे में सीखकर हमने तमिल भाषा में एक दर्जन कहानियाँ, एक नाटक और दो कविताएँ लिखीं। अन्तर्जाल में उपस्थित जिन महानुभावों को हमारे अलौकिक तमिल ज्ञान का वास्तविक राज़ पता है, उनसे मेरा विनम्र अनुरोध है कि कृपया अपना मुँह बन्द रखें और हमारा भण्ड़ा फोड़कर 'भण्ड़ा फोड़ने का अलौकिक आनन्द' लेने की चेष्टा न करें। अन्तर्जाल में अपना भौकाल मेन्टेन करने के लिए थोड़ा बहुत झूठ तो बोलना ही पड़ता है। अब ये राज़ की बात सब से नहीं बताई जा सकती कि एक वर्ष तक तमिल भाषा सीखने के प्रयास में विफल होने के बाद जब हम निराश होकर एक वृक्ष के नीचे जाकर बैठ गए थे तो हमें अज्ञात शक्तियों द्वारा तमिल भाषा का अद्भुत ज्ञान प्राप्त हुआ। सच बोलने में बड़ा खतरा है। लोग हमें अवतार पुरुष समझकर पूजने लग जाएँगे और देश में जगह-जगह पर हमारे नाम से मन्दिर बनने शुरू हो जाएँगे। अरे, यह क्या किया मैंने? अपने मुँह से अपना राज़ खुद बक दिया! बहरहाल, जब हमने प्रयोग के तौर पर ट्विटर और ह्वाट्सऐप पर तमिल भाषा में छाेटे-छाेटे अनमोल वाक्यों को लिखना शुरू किया तो कश्मीर से कन्याकुमारी तक बसे हमारे हिन्दीभाषी पाठकों में हड़कम्प मच गया। हिन्दी की जगह एक अनार्य भाषा तमिल में गोल-गोल कुछ लिखा देखकर हिन्दीभाषी आर्य पाठक इस तरह भड़क गए जैसे लाल कपड़ा देखकर साँड। हिन्दीभाषी पाठक समझे कि हम उन्हें चिढ़ाने की नियत से तमिल भाषा में लिख रहे हैं। हमारे तमिल लेखन के विरोध में जबरदस्त धरना और प्रदर्शन हुआ जिसके कारण नींद न आने वालों के लिए आसमान की जगह ह्वाट्सएेप में तारे गिनने की सुविधा 'ह्वाट्सऐप स्काई' बुरी तरह प्रभावित रही।

कुछ विशिष्ट पाठकों ने क्रुद्ध होकर हमारे तमिल लेखन को पागलपन करार देते हुए धमकी दी कि 'दाम मिलने पर ही पागलपन करना चाहिए। पागलपन इसी तरह जारी रहा तो निषिद्ध कर दिए जाओगे।' गर्मी के गर्म-गर्म मौसम में दिमाग ठण्डा करने की गारण्टी के साथ ठण्डा-ठण्डा कोकाकोला बेचकर अपना धन्धा-पानी चलाने वाले ऐसे क्रुद्ध स्वभाव वाले पाठकों से हमारा विनम्र स्पष्टीकरण यह है कि हिन्दी के पाठकों को कुपित करने के उद्देश्य से हमने तमिल भाषा में नहीं लिखा था। हमारा अनुमान था कि हमारे सभी पाठकगण बहुत बड़ी-बड़ी हस्तियाँ हैं अौर उनके पास विश्व की किसी भी भाषा को हिन्दी या अँग्रेज़ी में अनुवाद करके या 'किसी से करवाकर' समझ लेने की क्षमता पहले से विद्यमान है, जैसे हमारे पास है। इस स्पष्टीकरण के बाद भी यदि आप मुझे पागल कहते हैं तो सबसे पहले जाकर विख्यात लेखिका तसलीमा से कहिए, वे भी तो बंगला भाषा में लिखती हैं! बहरहाल, भविष्य में तमिल के साथ हिन्दी अनुवाद भी यथाशीघ्र प्रस्तुत किया जाएगा। आपको यह जानकर अतीव प्रसन्नता होगी कि हमारी आगामी तमिल रचना 'हिचकॉक के चमचे' अन्तर्जाल में शीघ्र ही हिन्दी में आ रही है।
__________________
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Last edited by Rajat Vynar; 31-05-2015 at 03:04 PM.
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Old 01-06-2015, 09:30 AM   #2
rajnish manga
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Default Re: विरोध

बहुत सुंदर. कई कई भाषाओं का एक साथ तुलनात्मक अध्ययन और विवेचन अन्यत्र मिलना दुर्लभ है. तमिल भाषा में लिखने और बोलने तथा उच्चारण संबंधी बारीकियों से पाठकों को मज़ाक मज़ाक में अवगत करवाने का प्रयास साहसिक व सराहनीय है. आलेख अत्यंत रोचक है. धन्यवाद, रजत जी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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Old 01-06-2015, 01:43 PM   #3
soni pushpa
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Default Re: विरोध

hindi ke alava anya bhasha me likhna hi bahut badi bat hai rajat ji or usame hasate hue koi bat kahna wo to or bhi kathin hai jo ki aap kathin kary kar lete ho ... bahut bahut abhar
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