11-04-2019, 10:25 PM | #1 |
Diligent Member
|
झूठ का बोलबाला... (तीन मुक्तक)
■■■■■■■■■■■■■ नौकरी है नहीं क्या करे आदमी रोटियों के लिये भी मरे आदमी झूठ का ही पुलिंदा लिये देश में राज करने लगे मसखरे आदमी सत्य का पेड़ देखो हुआ ठूँठ अब हो रहा है हरा क्यों यहाँ झूठ अब सत्य सुनकर सुनो सत्य का सारथी हमक़दम था मेरा पर गया रुठ अब झूठ का बोलबाला बहुत हो गया अब शराफ़त पे भाला बहुत हो गया अब तो बोलो कि धरती ये रोने लगी सत्य के मुँह पे ताला बहुत हो गया रचना- आकाश महेशपुरी ■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मोबाइल नंबर- 9919080399 |
25-04-2019, 11:59 AM | #2 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: झूठ का बोलबाला... (तीन मुक्तक)
आप की इस कविता में भी आज की सच्चाई बोलती है. धन्यवाद, आकाश जी.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
30-05-2019, 05:29 AM | #3 |
Diligent Member
|
Re: झूठ का बोलबाला... (तीन मुक्तक)
|
Bookmarks |
|
|