My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Mehfil
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 23-07-2013, 08:26 PM   #111
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत

हर एक हर्फ़ ए आरज़ू को दास्ताँ किये हुए
ज़माना हो गया है उनको मेहमां किये हुए


सुरुरे ऐश तल्खी ए हयात ने भुला दिया
दिले हाजीं है बेकसी को हिजरे जां किये हुए


कली कली को गुलिस्तां किये हुए वो आयेंगे
वो आयेंगे कली कली को गुलिस्तां किये हुए


सुकूने दिल की राहतों को उन से मांग लूँ
सुकूने दिल की राहतों को बेकरां किये हुए


वो आयेंगे तो आयेंगे जुनूने शौक उभारने
वो जायेंगे तो जायेंगे तबाहियाँ किये हुए


मैं उनकी भी निगाह से छुपा के उन को देख लूं
कि उनसे भी है आज रश्क बदगुमां किये हुए

-अदा जाफरी
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 23-07-2013, 08:38 PM   #112
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत

इक खलिश को हासिल ए उम्र ए रवां रहने दिया
जान कर हमने उन्हें ना मेहरबां रहने दिया


कितनी दीवारों के साए हाथ फैलाते हैं
इश्क ने लेकिन हमें बेख्वानमां रहने दिया


अपने अपने हौसले अपनी तलब की बात है
चुन लिया हमने उन्हें सारा जहां रहने दिया


ये भी क्या जीने में जीना है बगैर उनके "अदीब"
शमा गुल कर दी गयी बाकी धुआं रहने दिया

-अदीब सहारनपुरी
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 23-07-2013, 09:55 PM   #113
bindujain
VIP Member
 
bindujain's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144
bindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond repute
Default Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आस्माँ नहीं मिलता

बुझा सका ह भला कौन वक़्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमें धुआँ नहीं मिलता

तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़ुलूस न हो
जहाँ उमीद हो सकी वहाँ नहीं मिलता

कहाँ चिराग़ जलायें कहाँ गुलाब रखें
छतें तो मिलती हैं लेकिन मकाँ नहीं मिलता

ये क्या अज़ाब है सब अपने आप में गुम हैं
ज़बाँ मिली है मगर हमज़बाँ नहीं मिलता

चिराग़ जलते ही बीनाई बुझने लगती है
खुद अपने घर में ही घर का निशाँ नहीं मिलता
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
bindujain is offline   Reply With Quote
Old 23-07-2013, 10:57 PM   #114
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत

अदा जाफ़री साहिबा और ‘अदीब’ सहारनपुरी के कलाम ने बहुत मुतास्सिर किया. नीचे उनके कुछ शे’र उद्धृत कर रहा हूँ, वैसे तो सारी ग़ज़लें ही दिल पर असर करती हैं:

कितने मजबूर हो गए होंगे
अनकही बात मुँह पे लाने को

रेज़ा रेज़ा बिखर गया इंसा
दिल की वीरानियाँ जताने को

हसरतों की पनाहगाहों में
क्या ठिकाने हैं सर छुपाने को
**
कली कली को गुलिस्तां किये हुए वो आयेंगे
वो आयेंगे कली कली को गुलिस्तां किये हुए

मैं उनकी भी निगाह से छुपा के उन को देख लूं
कि उनसे भी है आज रश्क बदगुमां किये हुए
**
इक खलिश को हासिल ए उम्र ए रवां रहने दिया
जान कर हमने उन्हें ना मेहरबां रहने दिया

अपने अपने हौसले अपनी तलब की बात है
चुन लिया हमने उन्हें सारा जहां रहने दिया

ये भी क्या जीने में जीना है बगैर उनके "अदीब"
शमा गुल कर दी गयी बाकी धुआं रहने दिया
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 24-07-2013, 06:46 AM   #115
bindujain
VIP Member
 
bindujain's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144
bindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond repute
Default Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत

हस्तीमल ’हस्ती’

तुम क्या आना जाना भूले
हम तो हँसना- हँसाना भूले

एक तार क्या तोडा़ तुमने
सारा ताना-बाना भूले

तुमने ही ये बाग़ लगाया
तुम ही फूल खिलाना भूले

हमसे भूल हुई क्या बोलो
क्या तुमको लौटाना भूले

एक तुम्हें ही भूल ना पाये
वरना हम क्या-क्या ना भूले
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
bindujain is offline   Reply With Quote
Old 25-07-2013, 07:41 PM   #116
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत

मुझे विश्वास है कि शब्दों की परख रखने एवं गजलों को पसंद करने वाले लोगों को नीचे प्रस्तुत की जा रही तीन गजलों के हर एक अशआर पर शायर के लिए दिल से वाह वाह अवश्य निकलेगी ...

(1)


कट ही गयी जुदाई भी, कब यूं हुआ कि मर गए
तेरे भी दिन गुज़र गए, मेरे भी दिन गुज़र गए


तू भी कुछ और और है, हम भी कुछ और और हैं
जाने वो तू किधर गया, जाने वो हम किधर गए


राहो में ही मिले थे हम, राहें नसीब बन गयीं
तू भी न अपने घर गया, हम भी न अपने घर गए


वो भी गुबारे ख़ाक था, हम भी गुबारे ख़ाक थे
वो भी कहीं बिखर गया, हम भी कही बिखर गए


कोई किनारे आब जू, बैठा हुआ है सर निगूं
कश्ती किधर चली गयी,जाने किधर भंवर गए


तेरे लिए चले थे हम, तेरे लिए ठहर गए
तूने कहा तो जी उठे, तूने कहा तो मर गए


वक्त ही कुछ जुदाई का इतना तवील हो गया
दिल में तेरे फिराक के, जितने थे ज़ख्म भर गए


बारिशे वस्ल वो हुयी, सारा गुबार धुल गया
वो भी निखर निखर गया, हम भी निखर निखर गए


इतने करीब हो गए, इतने रकीब हो गए
वो भी अदीम डर गया, हम भी 'अदीम' डर गए

-अदीम हाशमी
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 25-07-2013, 07:43 PM   #117
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत

(2)



फासले ऐसे भी होंगे, ये कभी सोचा न था
सामने बैठा था मेरे, और वह मेरा न था


वो कि खुशबू की तरह, फैला था मेरे चार सू
मैं उसे महसूस कर सकता था, छू सकता न था


रात भर उसकी ही आहट, कान में आती रही
झाँक कर देखा गली में, कोई भी आया न था


अक्स तो मौजूद थे, पर अक्स तन्हाई के थे
आइना तो था मगर, उसमे तेरा चेहरा न था


आज उसने दर्द भी, अपने अलहदा कर दिए
आज मैं रोया तो मेरे, साथ वो रोया नहीं


ये सभी वीरानियाँ, उसके जुदा होने से थीं
आँख धुंधलाई हुयी थी, शहर धुन्धलाया न था


याद करके और भी, तकलीफ होती थी 'अदीम'
भूल जाने के सिवा अब, कोई भी चारा न था

-अदीम हाशमी
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 25-07-2013, 07:44 PM   #118
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत

(3)



दिल अजब गुम्बद कि जिसमे, इक कबूतर भी नहीं
इतना वीरां तो मुर्दारों का मुकद्दर भी नहीं

(मुर्दार = मरे हुए लोग)


डूबती जाती हैं मिट्टी में बदन की कश्तियाँ
देखने में ये जमीं कोई समंदर भी नहीं


जितने हंगामे थे, सूखी टहनियों से झड गए
पेड़ पर फल भी नहीं, आँगन में पत्थर भी नहीं


खुश्क टहनी पर परिंदा है कि है पत्ता कोई
आशियाना भी नहीं, जिसका कोई पर भी नहीं


जितनी प्यारी हैं मेरी धरती जो जंजीरे 'अदीम'
इतना प्यारा तो किसी दुल्हन को जेवर भी नहीं

-अदीम हाशमी
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Old 25-07-2013, 11:27 PM   #119
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत

'अदीम' हाशमी साहब के कलाम से रू-ब-रू होने का यह मेरा पहला ही अवसर है, जिसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूँ, जय जी. तीनों ही ग़ज़लें नये मिज़ाज और भाषाई प्रयोग एवं तेवर प्रस्तुत करती हैं. इसके बावजूद भाषा की सादगी अभिव्यक्ति की गहराई दिल को छू लेने वाली है. यूं तो तीनों ग़ज़लें ही शुरू से अंत तक प्रभावशाली हैं, फिर भी निम्नलिखित शे'र विशेष रूप से उद्धृत करने से स्वयं को नहीं रोक पाऊंगा:

राहो में ही मिले थे हम, राहें नसीब बन गयीं
तू भी न अपने घर गया, हम भी न अपने घर गए

वो भी गुबारे ख़ाक था, हम भी गुबारे ख़ाक थे
वो भी कहीं बिखर गया, हम भी कही बिखर गए
**
फासले ऐसे भी होंगे, ये कभी सोचा न था
सामने बैठा था मेरे, और वह मेरा न था

वो कि खुशबू की तरह, फैला था मेरे चार सू
मैं उसे महसूस कर सकता था, छू सकता न था

रात भर उसकी ही आहट, कान में आती रही
झाँक कर देखा गली में, कोई भी आया न था

दिल अजब गुम्बद कि जिसमे, इक कबूतर भी नहीं
इतना वीरां तो मुर्दारों का मुकद्दर भी नहीं

खुश्क टहनी पर परिंदा है कि है पत्ता कोई
आशियाना भी नहीं, जिसका कोई पर भी नहीं


एक शे'र याद आ रहा है, सो प्रस्तुत है:

तुम राह में चुप चाप खड़े हो तो गये हो
किस किस को बताओगे कि घर क्यों नहीं जाते.

(माफ़ कीजिये आज गूगल क्रोम पर काम कर रहा हूँ जिसने परेशान किया हुआ है- शे'र भी ठीक कलर स्कीम में नहीं आ रहे)

Last edited by rajnish manga; 25-07-2013 at 11:41 PM.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 26-07-2013, 07:56 PM   #120
jai_bhardwaj
Exclusive Member
 
jai_bhardwaj's Avatar
 
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 99
jai_bhardwaj has disabled reputation
Default Re: ग़ज़लें, नज्में और गीत

नीचे कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत हैं किन्तु मैं यह नहीं पा रहा हूँ कि ये काव्य की किस विधा की परिचायक हैं। यदि किसी साहित्यप्रेमी को इस विषय में जानकारी हो तो कृपया यहाँ अवश्य बांटे। आभार।




गजरा बना के ले आ मालनिया
वो आये हैं घर में हमारे
देर ना अब तू लगा


सारा चमन हो जिनका दीवाना
ऐसी कलियाँ चुन के ला
लाली हो जिन में उनके लबों की
उनको पिरो के ले आ

जो भी देखे उनकी सूरत
झुकी झुकी आँखों से प्यार करे
चन्दा जैसा रूप है उन का
आँखों में है रस भरा

-अफशां राणा
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754
jai_bhardwaj is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 01:17 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.