15-01-2011, 07:39 PM | #11 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
1953 तक मीना कुमारी की तीन सफल फिल्में आ चुकी थीं जिनमें : दायरा, दो बीघा ज़मीन और परिणीता शामिल थीं. परिणीता से मीना कुमारी के लिये एक नया युग शुरु हुआ। परिणीता में उनकी भूमिका ने भारतीय महिलाओं को खास प्रभावित किया था चूकि इस फिल्म में भारतीय नारियों के आम जिदगी की तकलीफ़ों का चित्रण करने की कोशिश की गयी थी। लेकिन इसी फिल्म की वजह से उनकी छवि सिर्फ़ दुखांत भूमिकाएँ करने वाले की होकर सीमित हो गयी। लेकिन ऐसा होने के बावज़ूद उनके अभिनय की खास शैली और मोहक आवाज़ का जादू भारतीय दर्शकों पर हमेशा छाया रहा। |
15-01-2011, 07:40 PM | #12 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
मीना कुमारी की शादी मशहूर फिल्मकार कमाल अमरोही के साथ हुई जिन्होंने मीना कुमारी की कुछ मशहूर फिल्मों का निर्देशन किया था। लेकिन स्वछंद प्रवृति की मीना अमरोही से 1964 में अलग हो गयीं। उनकी फ़िल्म पाक़ीज़ा को और उसमें उनके रोल को आज भी सराहा जाता है । शर्मीली मीना के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वे कवियित्री भी थीं लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी कवितायें छपवाने की कोशिश नहीं की। उनकी लिखी कुछ उर्दू की कवितायें नाज़ के नाम से बाद में छपी। |
15-01-2011, 07:43 PM | #13 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
बहुत मस्त जनकारी है तेजी जी आप चौपल पर आये
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
15-01-2011, 07:49 PM | #14 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
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16-01-2011, 06:14 AM | #15 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
मधुबाला मधुबाला (जन्म: 14 फरवरी, 1933 दिल्ली - निधन: 23 फरवरी, 1969 मुंबई) भारतीय हिन्दी फ़िल्मो की सबसे चर्चित अभिनेत्रियों में से एक थी। उनके अभिनय में एक आदर्श भारतीय नारी को देखा जा सकता है। चेहरे द्वारा भावाभियक्ति तथा नज़ाक़त उनकी प्रमुख विशेषता है। उनके अभिनय प्रतिभा,व्यक्तित्व और खूबसूरती को देख कर यही कहा जाता है कि वह भारतीय सिनेमा की अब तक की सबसे सुन्दर अभिनेत्री है। और हिन्दी फ़िल्मों के समीक्षक मधुबाला के अभिनय काल को भारतीय फिल्मो का 'स्वर्ण युग' ( The Golden Era ) की संज्ञा से सम्मानित करते हैं।
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16-01-2011, 06:17 AM | #16 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
मधुबाला का जन्म १४ फरवरी १९३३ को दिल्ली में एक पश्तून मुस्लिम परिवार मे हुआ था। मधुबाला अपने माता-पिता की ५ वीं सन्तान थी। उनके माता-पिता के कुल ११ बच्चे थे। मधुबाला का बचपन का नाम 'मुमताज़ बेग़म जहाँ देहलवी' था। ऐसा कहा जाता है कि एक भविष्यवक्ता ने उनके माता-पिता से ये कहा था कि मुमताज़ अत्यधिक ख्याति तथा सम्पत्ति अर्जित करेगी परन्तु उसका जीवन दुखःमय होगा। उनके पिता अयातुल्लाह खान ये भविष्यवाणी सुन कर दिल्ली से मुम्बई एक बेहतर जीवन की तलाश मे आ गये। मुम्बई मे उन्होने बेहतर जीवन के लिए काफ़ी संघर्ष किया। |
16-01-2011, 06:24 AM | #17 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
बालीवुड में उनका प्रवेश 'बेबी मुमताज़' के नाम से हुआ। उनकी पहली फ़िल्म थी बसन्त (१९४२)। देविका रानी बसन्त मे उनके अभिनय से बहुत प्रभावित हुयीं, तथा उनका नाम मुमताज़ से बदल कर ' मधुबाला' रख दिया। उन्हे बालीवुड में अभिनय के साथ-साथ अन्य तरह के प्रशिक्षण भी दिये गये। (१२ वर्ष की आयु मे उन्हे वाहन चलाना आता था)। |
16-01-2011, 06:28 AM | #18 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
उन्हें मुख्य भूमिका निभाने का पहला मौका केदार शर्मा ने अपनी फ़िल्म नील कमल (१९४७) में दिया। इस फ़िल्म मे उन्होने राज कपूर के साथ अभिनय किया। इस फ़िल्म मे उनके अभिनय के बाद उन्हे 'सिनेमा की सौन्दर्य देवी' (Venus Of The Screen) कहा जाने लगा। इसके २ साल बाद बाम्बे टॉकीज़ की फ़िल्म महल में उन्होने अभिनय किया। महल फ़िल्म का गाना 'आयेगा आनेवाला' लोगों ने बहुत पसन्द किया। इस फ़िल्म का यह गाना पार्श्व गायिका लता मंगेश्कर, इस फ़िल्म की सफलता तथा मधुबाला के कैरियर मे, बहुत सहायक सिद्ध हुआ । |
16-01-2011, 06:30 AM | #19 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
महल की सफलता के बाद उन्होने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा। उस समय के स्थापित पुरूष कलाकारों के साथ उनकी एक के बाद एक फ़िल्म आती गयी तथा सफल होती गयी। उन्होंने अशोक कुमार, रहमान, दिलीप कुमार, देवानन्द आदि सभी के साथ काम किया। १९५० के दशक में उनकी कुछ फ़िल्मे असफल भी हुयी। जब उनकी फ़िल्मे असफल हो रही थी तो आलोचक ये कहने लगे की मधुबाला मे प्रतिभा नही है तथा उसकी कुछ फ़िल्मे उसकी सुन्दरता की वज़ह से हिट हुयीं, ना कि उसके अभिनय से। लेकिन ऐसा नही था। उनकी फ़िल्मे फ़्लाप होने का कारण था- सही फ़िल्मो का चुनाव न कर पाना। मधुबाला के पिता ही उनके मैनेजर थे और वही फ़िल्मो का चुनाव करते थे। मधुबाला परिवार की एक मात्र ऐसी सदस्या थीं जिनके आय पर ये बड़ा परिवार टिका था। अतः इनके पिता परिवार के पालन-पोषण के लिये किसी भी तरह के फ़िल्म का चुनाव कर लेते थे। चाहे भले ही उस फ़िल्म मे मधुबाला को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका ना मिले। और यही उनकी कुछ फ़िल्मे असफल होने का कारण बना। इन सब के बावजूद वह कभी निराश नही हुयीं। १९५८ मे उन्होने अपने प्रतिभा को पुनः साबित किया। इस साल आयी उनकी चार फ़िल्मे ( फ़ागुन, हावरा ब्रिज, काला पानी, और चलती का नाम गाडी) सुपरहिट हुयीं। |
16-01-2011, 06:31 AM | #20 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
ज्वार भाटा (१९४४) के सेट पर वह पहली बार दिलीप कुमार से मिली। उनके मन मे दिलीप कुमार के प्रति आकर्षण पैदा हुआ तथा बह उनसे प्रेम करने लगी। उस समय वह १८ साल की तथा दिलीप कुमार २९ साल के थे। उन्होने १९५१ मे तराना मे पुनः साथ-साथ काम किया। उनका प्रेम मुग़ल-ए-आज़म की ९ सालों की सूटिंग शुरू होने के समय और भी गहरा हो गया था। वह दिलीप कुमार से विवाह करना चाहती थीं पर दिलीप कुमार ने इन्कार कर दिया। ऐसा भी कहा जाता है की दिलीप कुमार तैयार थे लेकीन मधुबाला के लालची रिश्तेदारों ने ये शादी नही होने दी। १९५८ मे अयातुल्लाह खान ने कोर्ट मे दिलीप कुमार के खिलाफ़ एक केस दायर कर के दोनो को परस्पर प्रेम खत्म करने पर बाध्य भी किया। |
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