08-12-2010, 09:08 PM | #31 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
मट्ठे वाली सहजादी से॥ दिल की अपने बात बताती॥ कहती थी हूँ काशी से॥ नैन थे सुंदर रूप राशीला॥ पैर बहुत पथराये थे॥ धुप छाव के सह करके ॥ वह अपनी लाज बचाई थी॥ शर्मीली वह आँखों वाली ॥ मेरे दिल को भाई थी॥ प्यार का हार दिया कंधे पर॥ मट्ठे खूब पिलाई थी॥ मई भी उसपर पागल हो गया॥ बिठा लिया आज़ादी से॥ भैस चराते प्रेम हुआ था..................... मई भूल गया था ख्यालो में॥ घर के लोग जब आए थे॥ बाँध दिया मेरा हाथ पैर॥ उसे गली गली दौडाए थे॥ पता चला न शहजादी का॥ किस बिस्तर पर सोती होगी॥ या तो मेरे प्यार में पागल॥ आहे भर कर रोती होगी॥ आ जाओ हे मट्ठे वाली ॥ हम तुम्हे अपनाए गे॥ तुझे ढूढते तेरे पथ पर॥ काशी तक हम जायेगे॥ सब को मैंने त्याग दिया॥ अब मिलना है वैरागी से॥ भैस चराते प्रेम हुआ था॥ मट्ठे वाली सहजादी से॥ दिल की अपने बात बताती॥ कहती थी हूँ काशी से॥ मट्ठे वाली शहजादी.. |
08-12-2010, 09:10 PM | #32 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
हर नदिया का पानी धूमिल॥
हर पवन वेग में छाले है॥ हर दिल में लालच बसती॥ अब के मनुष्य निराले है॥ मधुर वचन से दस लेते है॥ पर कट जाते है राही के॥ मैसमझ न पाया जीवन लय को॥ मन ढूढ़ रहा हम राही को॥ |
08-12-2010, 09:10 PM | #33 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
आज मै तेरा पापा हूँ॥
कल तू पापा बन जायेगा॥ जैसे मै तुझे गीत सुनाता॥ बच्चो को लेके तू गायेगा॥ जैसे तुझको स्वाद चटाता॥ तू मोती उन्हें खिलाएगा॥ बीबी की जब डांट पड़ेगी॥ अंधा क़ानून बताएगा॥ संस्कारों की पढ़ ले पोथी॥ नही बेटा पछतायेगा॥ तेरे बच्चे जब प्रश्न पूछेगे॥ उनको क्या ख़ाक बताएगा॥ |
08-12-2010, 09:11 PM | #34 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
आरजू झूठ है ,आरजू का फरेब खईह मत,
अगर रहे के बा जिनिगी में खुस, त दिल केहू से लगायिह मत. काहे बनावत बाडू बालू पर महल, एक दिन खुदे मितायिबू तू , आज कहबू की हमरा से प्यार बा तहरा, एक दिन हमार नाम तक भूल जई बू तू. |
08-12-2010, 09:13 PM | #35 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
हंसी केतकी देख कर॥
हंसमुख हुआ सरीर॥ न तो रीति थी॥ न बना समय विपरीत॥ भ्रमर अधिक आतुर था प्यासा॥ सूझ गयी क्या प्रीति॥ कलया कैसे ढँक गयी॥ रचना रची रंगीन॥ विनय किया हे पवन तुम॥ बह लो मेरे अधीन॥ आज पवन रस बरषे गा॥ आतुल ब्याकुल हीन भ्रमर भीर॥ आय कली में गरजे गा॥ |
08-12-2010, 09:17 PM | #37 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
लैला ने किया प्यार मजनू से, इश्क में दोनों जान दे दिए,
सानिया ने किया प्यार, शोहराब छोड़ सोयेब चुन लिए! ये प्यार नहीं आशां बस इतना समझ लीजिये, कोई चुने ईमान कोई पाकिस्तान देख लीजिये! |
08-12-2010, 09:18 PM | #38 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
हमहूँ गयल रहेलिन, अबहीं अपने गाँव हो |
कटल रहल निबिया क पेड़वा , नहीं रहल छाँव हो || कईसे कहीं हम बाड़े, ईहे हमरा गाँव हो | सूखल रहल यिनारा क पानी, नाही पिम्पल छावं हो || नदिया पे पूल रहल ,नाही दिखल नाव हो | तनिको ना बुझात रहल, ईहे हमरा गाँव हो || कैसे कहीं हम चला, गोरी मोरे गाँव हो | कटल रहल निबिया का पड़वा, नाही कवनो छाँव हो || बहुत खुब तिलकराज जे एबहुत ही नीमन बनल ई ! |
08-12-2010, 09:18 PM | #39 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
हमहूँ गयल रहेलिन, अबहीं अपने गाँव हो |
कटल रहल निबिया क पेड़वा , नहीं रहल छाँव हो || कईसे कहीं हम बाड़े, ईहे हमरा गाँव हो | सूखल रहल यिनारा क पानी, नाही पिम्पल छावं हो || नदिया पे पूल रहल ,नाही दिखल नाव हो | तनिको ना बुझात रहल, ईहे हमरा गाँव हो || कैसे कहीं हम चला, गोरी मोरे गाँव हो | कटल रहल निबिया का पड़वा, नाही कवनो छाँव हो || |
08-12-2010, 09:22 PM | #40 |
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Re: !@!जय भोजपुरी!@!
हमार एगो क्लास मेट आपन इ रचना भेज्लें..मेरठ से..
आज के जमाने के खातिर केतना सटीक बा ... भाई भाई से क्यों जलता है, बहिन बहिन में भी है दूरी, भाई बहिन में प्यार ना दिखता, संबंधों की हर कड़ी अधूरी i रिश्तों में गर्माहट नहीं है, मतलब का बाज़ार गर्म है, एक बाप की हैं संताने, आँखों में पर शर्म नहीं है i राग द्वेष, मद लोभ सभी में, पैसा पहिले प्रेम बाद में, चील झपट्टा मारे जैसे, अपने बैठे लगे घात में i अपने वस्त्र स्वच्छ साफ हैं, पर उसके ज्यादा सफ़ेद हैं, स्पर्धा के पागलपन में, मन में जलन और खेद है i मृत्यु का कोई बोध नहीं है, जीवन बीत रहा क्षण क्षण में, सब कुछ यहाँ छोड़ के जाना, मन अटका फिर भी कण कण में i मानव मन की कमजोरी ये, इन बातों से नजर हटा ले, बहुत दिया देने वाले ने, जीवन में सुख चैन बढ़ा ले i ख़ाली हाथ लेकर तू आया, ख़ाली हाथ लेकर तू जावे, बात समझ में ना आवे तो, कफ़न में अपने जेब सिला ले ii हर लाईन चीख चीख के आज के जमाना के ढकोसला पन देखा रहल बिया शाही जी । अनुभव बहुत कुछ सीखा देला आ वोह अनुभव के बानगी एह रचना मे लउकत बा । |
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