30-11-2013, 01:06 PM | #1 |
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हाईवे पर संजीव का ढाबा
हाईवे पर संजीव का ढाबा
(कथाकार: कैलाश चंद चौहान) [टिप्पणी: इस कहानी में इतनी सरलता से जातिप्रथा की समस्या को उजागर किया गया है कि आश्चर्य होता है. लेखक न सिर्फ अपने उद्देश्य में सफल हुआ है बल्कि पाठक को बांधे रखने में भी पूरी तरह कामयाब रहा है. मैं कथाकार को इस सौद्देश्य कहानी के लिए बधाई देता हूँ और शुभकामनायें व्यक्त करता हूँ. मैं चाहता हूँ कि यह कहानी अधिक से अधिक पाठकों तक पहुंचे. अतः यहां अविकल दे रहा हूँ.] |
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संजीव का ढाबा, sanjiv ka dhaba, story |
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