16-01-2011, 06:32 AM | #21 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
१९६० में उन्होने विवाह किया। परन्तु किशोर कुमार के माता-पिता ने कभी भी मधुबाला को स्वीकार नही किया। उनका विचार था कि मधुबाला ही उनके बेटे की पहली शादी टूटने की वज़ह थीं। किशोर कुमार ने माता-पिता को खुश करने के लिये हिन्दू रीति-रिवाज से पुनः शादी की, लेकिन वे उन्हे मना न सके। |
16-01-2011, 06:37 AM | #22 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
मुगल-ए-आज़म में उनका अभिनय विशेष उल्लेखनीय है। इस फ़िल्म मे सिर्फ़ उनका अभिनय ही नही बल्की 'कला के प्रति समर्पण' भी देखने को मिलता है। इसमें 'अनारकली' का भूमिका उनके जीवन की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। उनका लगातार गिरता हुआ स्वास्थय उन्हे अभिनय करने से रोक रहा था लेकिन वो नहीं रूकीं। उन्होने इस फ़िल्म को पूरा करने का दृढ निश्चय कर लिया था। फ़िल्म के निर्देशक के. आशिफ़ फ़िल्म मे वास्तविकता लाना चाहते थे। वे मधुबाला की बीमारी से भी अन्जान थे। उन्होने शूटिंग के लिये असली जंज़ीरों का प्रयोग किया। मधुबाला से स्वास्थय खराब होने के बावजूद भारी जंज़ीरो के साथ अभिनय किया। इन जंज़ीरों से उनके हाथ की त्वचा छिल गयी लेकीन फ़िर भी उन्होने अभिनय जारी रखा। मधुबाला को उस समय न केवल शारिरिक अपितु मानसिक कष्ट भी थे। दिलीप कुमार से विवाह न हो पाने की वजह से वह अवसाद (Depression) से पीड़ित हो गयीं थी। इतना कष्ट होने के बाद भी इतना समर्पण बहुत ही कम कलाकारो मे देखने को मिलता है।
५ अगस्त १९६० को जब मुगले-ए-आज़म प्रदर्शित हुयी तो फ़िल्म समीक्षकों तथा दर्शकों को भी ये मेहनत और लगन साफ़-साफ़ दिखाई पड़ी। असल मे यह मधुबाला की मेहनत ही थी जिसने इस फ़िल्म को सफ़लता के चरम तक पहुचाँया। इस फ़िल्म के लिये उन्हे फ़िल्म फ़ेयर अवार्ड के लिये नामित किया गया था। हालाकिं यह पुरस्कार उन्हे नही मिल पाया। कुछ लोग सन्देह व्यक्त करते है की मधुबाला को यह पुरस्कार इस लिये नही मिल पाया की वह घूस देने के लिये तैयार नही थी। इस फ़िल्म की लोकप्रियता के वजह से ही इस फ़िल्म को पुनः रंग भर के पूरी दुनिया मे प्रदर्शित किया गया। |
16-01-2011, 06:39 AM | #23 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
मधुबाला, हृदय रोग से पीड़ित थीं जिसका पता १९५० मे नियमित होने वाले स्वास्थ्य परीक्षण मे चल चुका था। परन्तु यह तथ्य फ़िल्म उद्योग से छुपाया रखा गया। लेकिन जब हालात बदतर हो गये तो ये छुप ना सका। कभी - कभी फ़िल्मो के सेट पर ही उनका तबीयत बुरी तरह खराब हो जाती थी। चिकित्सा के लिये जब वह लंदन गयी तो डाक्टरों ने उनकी सर्जरी करने से मना कर दिया क्योंकि उन्हे डर था कि वो सर्जरी के दौरान मर जायेंगीं। जिन्दगी के अन्तिम ९ साल उन्हे बिस्तर पर ही बिताने पड़े। २३ फ़रवरी १९६९ को बीमारी की वजह से उनका स्वर्गवास हो गया। उनके मृत्यु के २ साल बाद यानि १९७१ मे उनकी एक फ़िल्म जिसका नाम जलवा था प्रदर्शित हो पायी थी। मधुबाला का देहान्त ३६ साल की उम्र मे हो गया । उनका अभिनय जीवन भी लगभग इतना ही था। उन्होने इस दौरान ७० ( लगभग ) फ़िल्मो में काम किया। |
22-01-2011, 10:30 AM | #24 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
रुक क्यों गयी तेजी जी
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
06-02-2011, 08:07 PM | #25 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
माधुरी दीक्षित
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06-02-2011, 08:08 PM | #26 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
माधुरी दीक्षित भारतीय हिन्दी फ़िल्मो मे एक ऐसा मुकाम तय किया है जिसे आज के अभिनेत्रियाँ अपने लिए आदर्श मानती है . ८० और ९० के दशक मे इन्होने स्वयम को हिन्दी सिनेमा मे एक प्रमुख अभिनेत्री तथा सुप्रसिद्ध न्रित्यान्गना के रूप मे स्थापित किया । अपने लाजवाब नृत्य और स्वाभाविक अभिनय का ऐसा जादू था माधुरी पूरे देश की धड़कन बन गयी. 15 मई 1967 मुंबई मे मराठी परिवार मे माधुरी दीक्षित का जन्म हुआ. Last edited by teji; 06-02-2011 at 08:18 PM. |
06-02-2011, 08:12 PM | #27 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
पिता शंकर दीक्षित और माता स्नेह लता दीक्षित की लाडली माधुरी बचपन से डॉक्टर बनने की चाह थी और शायद यह भी एक वज़ह रही की माधुरी ने अपना जीवन साथी श्री राम नेने को चुना जो की पेशे से एक चिकित्सक है. डिवाइन चाइल्ड हाई स्कूल से पढने के बाद माधुरी दीक्षित ने मुंबई यूनिवर्सिटी से स्नातक की शिक्षा पूरी कि और बचपन से ही नृत्य मे रूचि थी जिसके लिए माधुरी ने आठ वर्ष का प्रशिक्षण लिया. सन २००८ मे उन्हे भारत सरकार् के चतुर्थ सर्वोच नागारिक सम्मान " पद्म श्री " से सम्मनित किया गया । |
06-02-2011, 08:16 PM | #28 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
माधुरी दीक्षित हिन्दी सिनेमा की सबसे सफल अभिनेत्री है।इन्होने अपने अभिनय जीवन की शुरुआत सन १९८४ मे " अबोध " नामक चलचित्र से की । किन्तु इन्हे पह्चान १९८८ मे आई फिल्म " तेजाब " से मिली । इस्के बाद इन्होने पीछे मुद्द कर नही देखा । एक के बाद एक सुपरहिट फिल्मो के कारवान ने इनको भारतीय सिनेमा की सर्वोच्च अभिनेत्री बनाया : राम लखन (१९८९) ,परिन्दा (१९८९) ,त्रिदेव (१९८९) , किशन - कन्हेया (१९९०) तथ प्रहार (१९९१) । वर्ष १९९० मे इनकी फिल्म आई " दिल " जिसमे इन्होने एक अमीर तथा बिगडैगल लड्की क किरदार निभाया जो एक गरीब लड्के से इश्क करती है तथा उससे शादी के लिये अपनो से बगावत करती है। उन्के इस किरदार के लिये उन्हे [फिल्म फेयर सर्वश्रेश्ठ अभिनेत्री] का पुरस्कार मिला । |
06-02-2011, 08:18 PM | #29 |
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Re: हिंदी फिल्मो की अभिनेत्रिया
माधुरी दीक्षित की फिल्में आजा नचले
देवदास हम तुम्हारे हैं सनम ये रास्ते हैं प्यार के लज्जा गज गामिनी पुकार आरज़ू बड़े मियाँ छोटे मियाँ घरवाली बाहरवाली दिल तो पागल है मृत्युदंड कोयला महंत प्रेम ग्रंथ राजकुमार राजा याराना पापी देवता हम आपके हैं कौन अंजाम दिल तेरा आशिक खलनायक फूल आँसू बने अंगारे साहिबाँ बेटा ज़िन्दगी एक जुआ संगीत धारावि प्रेम दीवाने खेल साजन 100 डेज़ जमाई राजा प्रतिकार महासंग्राम दिल दीवाना मुझ सा नहीं प्यार का देवता सैलाब जीवन एक संघर्ष किशन कन्हैया थानेदार वर्दी इज़्ज़तदार प्रेम प्रतिज्ञा मुज़रिम परिन्दा राम लखन त्रिदेव पाप का अंत कानून अपना अपना इलाका तेज़ाब दयावान खतरों के खिलाड़ी आवारा बाप उत्तर दक्षिण हिफ़ाज़त अबोध स्वाति |
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